Bandh Khidkiya book and story is written by S Bhagyam Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bandh Khidkiya is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बंद खिड़कियाँ - उपन्यास
S Bhagyam Sharma
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
“बंद खिड़कियां" सदियों से चले आ रहे पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों के अहं और दंभ के कारण स्त्रियों के प्रति दुर्व्यवहार और अत्याचार तथा स्त्री के विरोध की कहानी है । यह कहानी एक नवयुवती, पोती तथा उसकी वृद्ध दादी के बीच समानान्तर रूप से चलती है । पति के दुर्व्यवहार का जो दंश पचास वर्ष पूर्व अनपढ दादी ने झेला, वही अपमान और तिरस्कार आज उसकी उच्च शिक्षित पोती भी झेल रही है । फर्क केवल इतना है, जहां दादी के पास इसको झेलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था वहीं पोती को माता-पिता की नाराजगी के बावजूद उस घर में आश्रय मिला है ।लेकिन दोनो ही परिस्थितियों में औरत, यानि दादी और पोती ने अत्याचार के विरुद्ध बगावत कर दी । दादी ने पति के घर में रहते हुए उसके अनैतिक कार्यों का विरोध किया, वहीं पोती अपने पति का घर इसी कारण छोड़ आई । चूंकि दादी पचास वर्ष पूर्व इस दौर से गुजर चुकी है इसलिये वह पोती की वेदना को समझती है, और उसे नैतिक रूप से संबल दे पति के साथ संबंध विच्छेद के फैसले पर कायम रहने की हिम्मत बंधाती है ।वह नहीं चाहती कि जो अपमान और तिरस्कार उसने झेला वह उसकी पोती को झेलना पड़ें।
मूल तमिल लेखिका: वासंती अनुवादक: एस. भाग्यम शर्मा मूल तमिल लेखिका वासंती का परिचय 6.7.1941 में मैसूर में जन्मी वासंती शादी हो कर पति के साथ भारत के विभिन्न राज्यों में रही हुई है। इनकी उपन्यास 'आकाश के ...और पढ़ेपर यूनेस्को के सरकार ने पुरस्कृत किया है। इसके अलावा इस उपन्यास का अंग्रेजी, चेक, जर्मन, हिंदी, आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है। पंजाब साहित्य अकादमी ने और उत्तर प्रदेश के साहित्य अकादमी ने इन्हें सम्मानित किया है। वे इंडिया टुडे (तमिल) का दस सालों तक संपादन किया। विभिन्न देशों में आपको भारत के प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है।
अध्याय 2 अरुणा की नज़र में एक आधारहीन बच्ची का वात्सल्य दिखाई दिया । 'ओह मेरे लिए यह बच्ची दुखी हुई' ऐसी बात सोच कर सरोजा को थोड़ा संकोच हुआ। "एक दिन आप अपनी कहानी को मुझे आदि से ...और पढ़ेतक बताना दादी!" सरोजिनी हंसी। "मेरी कहानी में क्या दिलचस्पी है? तुम बोली जैसे दूसरों को परेशान ना करके, मुंह से बात ना कहना ही तो मेरे जीवन की कहानी है?" अरुणा ने सरोजिनी के कंधे को प्रेम से दबाया। "दूसरों को पता न होने वाली आपकी कहानी होगी। उस कहानी को आपने अपने अंदर जब्त किया हुआ है!" सरोजिनी
अध्याय 3 ‘किसी ने जगाया हो ऐसे सरोजिनी की आंखें खुली। खिड़की के कांच के द्वारा सूर्य का प्रकाश अंदर आया। कितनी देर सो गई यह सोच कर उसे आश्चर्य हुआ। थोड़ी देर तो उसे समझ नहीं आया कि ...और पढ़ेकहां हूं। यह वर्तमान काल है या बीता काल? नीला वेलवेट वाला गद्दा नहीं था । ऊपर लटकने वाले झूमर वाली लाइटें भी नहीं थी । यह वर्तमान समय है। कई युगों के बाद मैंने दूसरा जन्म लिया है। उस समय की सरोजा में और इस जीवन के तरीके में कोई संबंध नहीं है। मन बदला नहीं?’ सरोजिनी अपने मन
अध्याय 4 नलिनी को तेजी से अंदर जाते सरोजिनी ने देखा। 'सब परेशानियों के लिए इस लड़के को जिम्मेदार यदि नलिनी मानती है तो यह उसकी बेवकूफी है' ऐसा उसने सोचा। शंकर के चेहरे पर आज खुशी नहीं थी ...और पढ़ेइसे महसूस किया। "नमस्कार बड़ी अम्मा" कहकर एक हल्की मुस्कान के साथ नमस्कार किया। "नमस्कार। आओ बेटा" वह बोली। "हेलो" कहकर आगे आकर कार्तिकेय ने उससे हाथ मिलाया। "अमेरिका एंबेसी में अरुणा का एक अपॉइंटमेंट है। मैं काउंसलर को जानता हूं। उसे लेकर जाने के लिए आया हूं" शंकर बोला। "अरुणा अभी आ जाएगी, आप बैठिए। मुझे ऑफिस के लिए
अध्याय 5 पचास साल के बाद भी अंतर पता नहीं लग रहा है: सरोजा की आंखों में एक उत्सुकता के साथ पुराने दृश्य दिखे। सरोजा हमेशा की तरह रसोई में थी। इडली के आटे को सांचों में डालकर चूल्हे ...और पढ़ेरखा और नारियल की चटनी पत्थर पर पीसना शुरू किया । उस दिन शुक्रवार था। उस दिन सुबह जल्दी सिर में तेल लगाकर सिर धोकर घुंघराले बाल उसके कंधे पर फैले हुए थे। अगले आधे घंटे में सभी लोग सुबह के नाश्ते के लिए धड़ाधड़ आ जाएंगे। ननंद लक्ष्मी जिसकी उम्र शादी के लायक है, रसोई में मदद करने की