Pyar ke Indradhanush book and story is written by Lajpat Rai Garg in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pyar ke Indradhanush is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्यार के इन्द्रधुनष - उपन्यास
Lajpat Rai Garg
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
आज मनमोहन को मन मारकर कार्यालय आना पड़ा था। उसके बॉस का सख़्त आदेश न होता तो इस समय वह आने वाली मीटिंग की फाइल तैयार करने की बजाय अपनी पत्नी रेनु के पास अस्पताल में होता। आज सुबह जब वह उठा और रेनु को स्नानादि से निवृत्त हुआ देखा, तो उसने पूछा था - ‘आज इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गयी हो?’ तो उसने उत्तर दिया था - ‘आप भी जल्दी से तैयार हो लो। इतने में मैं नाश्ता और दोपहर का खाना बना लेती हूँ। पिछले एक पहर से रह-रहकर ‘दर्द’ उठ रहे हैं। ऑफिस जाने से पहले डॉक्टर को दिखा आते हैं।’ और वह तुरत-फुरत तैयार होकर उसे लेकर डॉ. लता के नर्सिंग होम के लिये घर से निकल लिया था। जब डॉ. लता ने चेकअप के पश्चात् रेनु को एडमिट करने के लिये कहा तो मनमोहन ने अपनी बहन मंजरी को फ़ोन करके सारी स्थिति से अवगत कराया और उसे शीघ्रातिशीघ्र अस्पताल पहुँचने के लिये कहा।
अपनी बात पूर्णावतार श्री कृष्ण की क्रीड़ा-स्थली - वृन्दावन जाने का प्रथम अवसर प्राप्त हुआ था दिसम्बर 1968 के शीतकालीन अवकाश के दौरान। हर जगह ‘राधे-राधे’ का जयघोष सुनकर मन रोमांचित हो उठा था। श्री बाँके बिहारी जी, श्री ...और पढ़ेमन्दिरों व निधिवन, सेवाकुँज देखते तथा वहाँ की विशेषताएँ सुनते हुए राधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम को गहराई से समझने के लिये मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई थी। कालान्तर में श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने, पढ़ने तथा सत्संग के फलस्वरूप राधारानी और श्री कृष्ण के अनूठे, अलौकिक एवं दिव्य प्रेम को जाना-समझा। भौतिक रूप में राधारानी से अलग होने तथा सांसारिक
- 2 - दृष्टि अन्तर्मुखी हुई तो कॉलेज के प्रारम्भिक दिनों की घटना सचेत हो उठी …. तीसरा पीरियड चल रहा था, प्रोफ़ेसर शर्मा पढ़ा रहे थे। विद्यार्थी तल्लीन होकर सुन रहे थे। एकाएक दरवाज़े पर दस्तक हुई। प्रोफ़ेसर ...और पढ़ेबोलते-बोलते चुप होकर आगन्तुक की ओर सवालिया नज़रों से देखने लगे। सभी विद्यार्थियों का ध्यान भी प्रवेश-द्वार की ओर हो गया। आगन्तुक ख़ाकी वर्दी पहने डाकिया था। वह बोला - ‘सर, माफ़ कीजिएगा। एक रजिस्टर्ड लेटर देना था।’ प्रोफ़ेसर शर्मा - ‘किसका है?’ ‘सर, मनमोहन नाम के लड़के का है।’ अपना नाम सुनते ही मनमोहन अपनी सीट पर खड़ा हो
- 3 - पीएमटी के द्वितीय प्रयास में वृंदा को आशातीत सफलता मिली। उसका एडमिशन सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर में हो गया। वृंदा ने यह शुभ समाचार मनमोहन को जिस पत्र के माध्यम से दिया, उसमें उसने जयपुर ...और पढ़ेसे पहले मिलने की इच्छा व्यक्त की। मनमोहन ने जवाबी पत्र में उसे हार्दिक बधाई देते हुए लिखा कि आने वाले रविवार को वह ‘किसान एक्सप्रेस’ से भिवानी पहुँचेगा। रविवार को स्टेशन जाने के लिए घर से निकलकर अभी कुछ दूर ही गया था कि उसे याद आया कि वृंदा द्वारा दी गयी घड़ी तो उसने पहनी ही नहीं। तेज
- 4 - दो साल में मनमोहन ग्रेजुएट हो गया। इस अवधि में दोनों के बीच पत्रों का आदान-प्रदान तो होता रहा, किन्तु वे एक-दूसरे से मिल नहीं पाए। कारण, वृंदा के मेडिकल में एडमिशन के कुछ समय पश्चात् ...और पढ़ेउसके माता-पिता वापस गाँव चले गए। अत: छुट्टियों में उसे गाँव ही जाना होता था। हाँ, उसने एक-आध बार अपने पत्र में मनमोहन को जयपुर आने के लिए हल्का-सा आग्रह किया था, विशेष इसलिए नहीं कि वह उसकी विवशता समझती थी। लेकिन बी.ए. का परिणाम आने के बाद जब मनमोहन ने दो दिन के लिए जयपुर घूमने की बात अपनी
- 5 - मनमोहन नौकरी पाने में सफल रहा। नौकरी लगने के पश्चात् उसके विवाह के लिए रिश्ते आने लगे। वह टालमटोल करता रहा। एक रविवार के दिन विमल मनमोहन से मिलने उसके घर आया हुआ था। मंजरी ने ...और पढ़ेदेखकर बात चलाई - ‘विमल, अब तुम दोनों विवाह कर लो। बहुओं के आने से घरों में रौनक़ आ जाएगी।’ ‘दीदी, मैं तो तैयार हूँ। किसी अच्छी लड़की का रिश्ता आने की बाट जोह रहा हूँ। लेकिन, मनमोहन के लिए तो आपको अभी डेढ़-दो साल इंतज़ार करना पड़ेगा।’ मनमोहन ने विमल की तरफ़ आँखें तरेरीं, किन्तु विमल अपनी रौ में