प्यार के इन्द्रधुनष - 21 Lajpat Rai Garg द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्यार के इन्द्रधुनष - 21

- 21 -

मंजरी के पति का देहान्त हुए महीना भर हो गया था। इस अवधि में मृत्योपरान्त मिलने वाले सरकारी अनुदान के लिए मनमोहन ने सभी आवश्यक काग़ज़-पत्र तैयार करके जीजा के ऑफिस में जमा करवा दिए थे। घर में ग़म का माहौल धीरे-धीरे कम होने लगा था। श्यामल ने एन.डी.ए. के लिए अप्लाई किया हुआ था, जिसकी लिखित परीक्षा नवम्बर में होने वाली थी, इसलिए उसने “कौन बनेगा अरबपति” देखना आरम्भ कर दिया था। एक दिन कार्यक्रम आरम्भ होते ही जैसे ही उसकी नज़र प्रतिभागियों की ओर गई तो उसे डॉ. वर्मा दिखाई दी। उसने वहीं से मंजरी को आवाज़ दी - ‘मम्मी, जल्दी आओ, देखो ‘कौन बनेगा अरबपति’ में डॉ. आंटी भी हैं।’

मंजरी ने फटाफट रसोई समेटी और टी.वी. के सामने आ गई। तब तक पहले दिन का रोल ऑवर प्रतिभागी अभिजीत के सामने बैठा सवालों के जवाब दे रहा था। उसने छठे प्रश्न का ग़लत उत्तर दिया और इस प्रकार पच्चीस लाख की जीती हुई धनराशि में से उसने बीस लाख गँवा दिए। इसके बाद डॉ. वर्मा सफल रही ‘सबसे तेज कौन’ में। अब तो मंजरी और श्यामल की निगाहें टी.वी. पर जम गईं। डॉ. वर्मा के साथी के रूप में मनमोहन को देखकर माँ-बेटे दोनों को बड़ी प्रसन्नता हुई। जब डॉ. वर्मा पर बनाया गया वीडियो क्लिप चलाया गया और स्पन्दन को डॉ. वर्मा की गोद में देखा तो मंजरी की आँखें नम हो गईं। अन्ततः मनमोहन की सहायता से जब डॉ. वर्मा ने पचास लाख जीत लिए तो उनकी प्रसन्नता आसमान छूने लगी। श्यामल ने कहा - ‘मम्मी, मामू ने तो हमें बताया ही नहीं कि वे डॉ. आंटी के साथ ‘कौन बनेगा अरबपति’ में जाकर आए हैं। मामू को बधाई दे दूँ?

‘हो सकता है, डॉ. वर्मा ने ही उसे रोका हो! .... बधाई मोहन को तो देंगे ही, डॉ. वर्मा को भी देंगे पचास लाख जीतने के लिए।...... गुड्डू उनकी गोद में कितनी प्यारी लग रही थी, है ना?’

‘हाँ मम्मी, गुड्डू को लाखों लोगों ने देख लिया। ....... मम्मी, मामू को तो मैं अभी फ़ोन लगाता हूँ।’

‘जैसी तेरी मर्ज़ी।’

श्यामल ने मनमोहन को कॉल किया और उधर मोबाइल ऑन होते ही कहा - ‘मामू, मैं और मम्मी आपसे नाराज़ हैं।’

‘क्यों, क्या हुआ?’

‘आप मुझसे पूछ रहे हैं, क्या हुआ? ‘कौन बनेगा अरबपति’ में आप डॉ. आंटी के साथ जा आए, हमें ख़बर तक नहीं दी। वो तो आजकल मैं बिला-नागा ‘कौन बनेगा अरबपति’ देखता हूँ, जो मेरे एन.डी.ए. के एग्ज़ाम में हेल्पफुल हो सकता है। आज के एपिसोड में डॉ. आंटी ने आपकी सहायता से पचास लाख रुपए जीत लिए। मम्मी कल सुबह उन्हें बधाई देंगी। .... मामू, पचास लाख में से पच्चीस लाख तो डॉ. आंटी को आपने जितवाए हैं, डॉ. आंटी आपको कितना दे रही हैं?’ श्यामल ने मनमोहन से मज़ाक़ में पूछा।

मनमोहन ने सीधा जवाब न देकर इतना ही कहा - ‘श्यामल, इसका जवाब अभी नहीं, जब मेरे पास आओगे, तब दूँगा। तेरी एन.डी.ए. की तैयारी कैसी चल रही है?... और दीदी ठीक हैं?’

‘मामू, मेरी तैयारी बढ़िया चल रही है। .... लो, आप खुद ही मम्मी से बात कर लो’, कहकर श्यामल ने मोबाइल मंजरी को पकड़ा दिया।

‘भइया, बड़ा अच्छा लगा तुझे डॉ. वर्मा के साथ ‘कौन बनेगा अरबपति’ में देखकर। गुड्डू भी उनकी गोद में बैठी बड़ी प्यारी लग रही थी।’

‘हाँ दीदी। दरअसल, डॉ. वर्मा ने मुझे एपिसोड प्रसारित होने से पहले इसके बारे में किसी को कुछ भी बताने से मना किया था। इसलिए मैंने आपको भी नहीं बतलाया।’

‘चलो, कोई बात नहीं। ..... भइया, तुमने ठीक फ़ैसला लिया। यदि मैं तुम्हारे जीजा जी के स्थान पर क्लास फ़ोर की नौकरी का ऑप्शन चुनती तो मुझे सारा दिन ऑफिस में ड्यूटी देनी पड़ती, लेकिन तुमने दूसरा ऑप्शन चुनने की सलाह दी तो अब पेंशन के रूप में तेरे जीजा की आख़िरी तनख़्वाह बराबर पैसा हर महीने घर बैठे-बैठे मिल ज़ाया करेगा। ऑर्डर आज ही आया है। ग्रेच्यूटी के पैसे भी मेरे अकाउंट में आ गए हैं। अब घर-खर्च और श्यामल की पढ़ाई के खर्चे की चिंता तो दूर हुई।’

‘चलो, यह तो अच्छा हो गया। ... गया इंसान तो वापस नहीं आ सकता, लेकिन सरकार की ओर से इतनी मदद से जीवन की गाड़ी सुचारू ढंग से चलती रहती है’, मनमोहन ने महसूस किया कि मंजरी का गला रुँध गया है, इसलिए उसने बात को बढ़ाना उचित नहीं समझा, बस इतना ही कहा - ‘एक-दो दिन में किसी वक़्त हम आएँगे आपके पास।’

‘दीदी ने यह तो बड़ी बढ़िया ख़बर सुना दी। आपने ठीक कह दिया। अब हम कल ही चलेंगे। ...... क्यों जी, क्या यह ख़ुशख़बरी डॉ. दीदी को नहीं देनी चाहिए?’ रेनु ने कहा।

‘अवश्य बताएँगे। वृंदा दीदी के बारे में अक्सर पूछती रहती है। मैं अभी फ़ोन करता हूँ।’

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