Vrajesh Shashikant Dave लिखित उपन्यास द्वारावती

द्वारावती द्वारा  Vrajesh Shashikant Dave in Hindi Novels
उस क्षण जो उद्विग्न मन से भरे थे उस में एक था अरबी समुद्र, दूसरा था पिछली रात्रि का चन्द्र और तीसरा था एक युवक। समुद्र इ...
द्वारावती द्वारा  Vrajesh Shashikant Dave in Hindi Novels
समुद्र की शीतल वायु ने थके यात्रिक को गहन निंद्रा में डाल दिया, उत्सव सो गया। समय की कुछ ही तरंगे बही होगी तब दूर किसी म...
द्वारावती द्वारा  Vrajesh Shashikant Dave in Hindi Novels
3 "7 सितंबर 1965 की रात्री। द्वारिका के मंदिर को देख रहे हो? वहाँ दूर जो मंदिर दिख रहा है वही।” भीड़ के भीतर से यह ध्वनि...
द्वारावती द्वारा  Vrajesh Shashikant Dave in Hindi Novels
4उत्सव भागता रहा, भागता रहा। वह उसी दिशा में दौड़ रहा था जिस दिशा से वह आया था। वह भागता रहा। सोचता रहा –‘क्यों भाग रहा ह...
द्वारावती द्वारा  Vrajesh Shashikant Dave in Hindi Novels
5सूरज अभी मध्य आकाश से दूर था। सूरज की किरनें अधिक तीव्र हो चुकी थी। किन्तु समुद्र से आती हवा की शीतल लहरें धूप को भी शी...