Risate Ghaav book and story is written by Ashish Dalal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Risate Ghaav is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
रिसते घाव - उपन्यास
Ashish Dalal
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
बेडरूम के दरवाजे के ऊपर रही खाली दीवार पर लगी हुई घड़ी के दोनों कांटे आपस में एक होकर मिलने के बाद धीरे धीरे बिछुड़ रहे थे । डबल बेड के सामने की दीवार पर टंगी हुई राजीव और रागिनी की मुस्कुराती हुई रोमान्टिक सी तस्वीर कमरे में फैली लाल रोशनी के हल्के से प्रकाश में जैसे बेड पर एक परम तृप्ति के बाद नींद के आगोश में समा गई दोनों की अर्ध अनावृत देहों को निरख रही थी । राजीव के अनावृत चौड़े सीने पर अपनी रेशमी जुल्फों को बिखराकर रागिनी अपना सिर रखकर किसी मीठे सपने में खोई
बेडरूम के दरवाजे के ऊपर रही खाली दीवार पर लगी हुई घड़ी के दोनों कांटे आपस में एक होकर मिलने के बाद धीरे धीरे बिछुड़ रहे थे । डबल बेड के सामने की दीवार पर टंगी हुई राजीव और ...और पढ़ेकी मुस्कुराती हुई रोमान्टिक सी तस्वीर कमरे में फैली लाल रोशनी के हल्के से प्रकाश में जैसे बेड पर एक परम तृप्ति के बाद नींद के आगोश में समा गई दोनों की अर्ध अनावृत देहों को निरख रही थी । राजीव के अनावृत चौड़े सीने पर अपनी रेशमी जुल्फों को बिखराकर रागिनी अपना सिर रखकर किसी मीठे सपने में खोई
राजीव ने इस्कोन आइकोन रेसीडेंसी के पार्किंग एरिया में कार पार्क की तो उसकी कलाई पर बंधी घड़ी सुबह के चार बजा रही थी । एक ही शहर में रहते हुए भी राजीव को यहाँ तक पहुँचने में पूरा ...और पढ़ेघंटा लग गया था । यह रेसीडेंसी शहर की सीमा रेखा के बाहर कुछ सालों पहले ही बनी थी । शहरी सभ्यता के अनुरुप ३०० फ्लैट्स की मध्यमवर्गीय परिवार की तमाम सुख सुविधाओं से युक्त इस्कोन आइकोन रेसिडेंसी के ‘सी’ ब्लॉक की लिफ्ट की तरफ राजीव ने चलना शुरू किया । रागिनी और आकृति उसके पीछे तेज कदमों से चलने
कैसे हो गया यह सब ?’ कुछ देर चुप रहने के बाद राजीव ने श्वेता की ओर देखा ।‘मामाजी, आज जब रात को अपनी जॉब शिफ्ट पूरी कर घर पहुँची तो पाया कि मम्मी के कमरे की लाईट चालू ...और पढ़ेऔर वो गहरी नींद में सो रही है । रोज तो वे मेरे आने तक अक्सर बारह बजे तक जागती रहती है । मैं लाईट बंद करने उनके कमरे में गई तो पता नहीं क्यों मुझे कुछ अजीब सी अनुभूति हुई ।’ कहते हुए श्वेता सिसकियाँ लेने लगी ।‘हिम्मत रख ।’ राजीव ने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे ढाढ़स
उस वक्त उम्र रही होगी राजीव की बीस की, जब सुरभि ने अपने बावीसवें बसंत में कदम रखते ही अपनी जिन्दगी का एक बेहद संजीदा फैसला लिया था । एक ब्राह्मण की लड़की किसी राजपूत के लड़के के साथ ...और पढ़ेगई तो पूरी बिरादरी में हड़कंप सा मच गया । ‘पण्डित रामप्रसाद शुक्ला की लड़की भाग गई ।’ बिरादरी में सम्मानजनक स्थान रखने वाले पण्डित रामप्रसाद शुक्ला अपनी बेटी के इस कदम की वजह से अपमान के कड़वे घूंट तो पी गए लेकिन फिर इस कड़वे घूंट से बने जहर की बूंदों से बेटी को फिर से घर दहलीज में ना लाने
श्मशान से लौटने के बाद राजीव नहाधोकर उसी कमरे में आकर बैठ गया जहाँ सुरभि का पार्थिव शरीर अंतिम समय रखा गया था । खाली पड़े बेड पर सूनी हो चुकी आँखों से नजर पड़ते ही उसकी आँखों की ...और पढ़ेभींग गई । अपना दायाँ हाथ आगे बढ़ाकर वह तकिये पर एक गहरी संवेदना के साथ फेरने लगा । ‘मुझे माफ कर दो दीदी ।’ वह धीमे से बुदबुदाया और फिर आँखों से बह निकली अनवरत अश्रुधारा को हाथ आँखों के पास ले जाकर अपनी शर्ट की बांह से पोंछने लगा । डबडबाई हुई आँखों के सामने वर्षों से मन में