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रिसते घाव - (भाग- ११)



शाम को अमन श्वेता के कहे अनुसार ठीक सात बजे उसके घर पहुँच गया । काले रंग की टी शर्ट और हल्के नीले रंग के जींस में अमन बेहद आकर्षक लग रहा था । श्वेता राजीव और रागिनी को अमन के बारें उसे जितना पता था सबकुछ बता चुकी थी लेकिन शादी के बारें में उसके ख्यालात को लेकर उसने मौन रहना ही ठीक समझा । अमेरिकन कल्चर में पले बढ़े अमन ने घर में प्रवेश कर जब बैठने से पहले राजीव और रागिनी के पैर छुए तो रागिनी का उसे लेकर आधा वहम दूर हो गया । पहली नजर में उसे अमन कुछ संस्कारी सा लगा ।
सिक्स सीटर एल शेप सोफे के एक कोने पर अमन बैठा हुआ था और दूसरे कोने पर राजीव और रागिनी बैठे हुए थे । श्वेता और आकृति अमन के सामने लगी हुई कुर्सियों पर बैठी हुई थी । कुछ औपचारिक बातचीत होने के बाद आकृति और श्वेता रागिनी के कहने पर रसोई में चाय नाश्ता तैयार करने चली गई ।
‘तुमने अपने बारें में सारी बातें बता दी लेकिन यह नहीं बताया कि तुम अमेरिका जैसा समृद्ध देश छोड़कर यहाँ इण्डिया क्यों आ गए ।’ राजीव ने श्वेता के वहाँ से जाते ही अपनी पूछपरख का सिलसिला शुरू किया ।
‘वहाँ की जिन्दगी रास नहीं आई अंकल सो इधर चला आया ।’ अमन ने बड़ी ही सहजता से जवाब दिया ।
‘ये कोई जवाब न हुआ । वहाँ तुम्हारें पेरेंट्स रहते है, तुम्हें उनके साथ रहना चाहिए ।’ राजीव ने अमन का जवाब सुनकर आपत्ति जताई ।
‘अंकल, आपकी बात सही है लेकिन मैं अपना खुद का बँटवारा नहीं कर सकता सो एक सकूनभरी जिन्दगी जीने के लिए यहाँ चला आया ।’ अमन के स्वर में एक दर्द समाया हुआ था ।
‘मैं कुछ समझा नहीं ?’ राजीव ने अमन को विस्तार से बताने के लिए कहा ।
‘दरअसल अंकल, तीन साल पहले उनका डायवोर्स हो चुका है । दोनों ही अपनी अपनी अलग सी जिन्दगी में खुश है ।’ अमन ने अपनी बात पूरी की तो कमरे में दो पल के लिए सन्नाटा छा गया ।
‘तलाक ! इस उम्र में ?’ अमन की बात सुनकर रागिनी के मुँह से निकल गया ।
‘हाँ, आंटी । काफी लम्बें समय तक लड़ते झगड़ते हुए उन्होंने सम्बन्धों का बोझ ढ़ोया । यह फैसला तो उन्हें काफी पहले ले लेना चाहिए था ।’ अमन अपने मम्मी पापा के बारें में यह बात बड़ी सहजता से कह गया । रागिनी अब अच्छी तरह से अमेरिकन कल्चर में पले बढ़े एक युवक के विचारों में छायी स्वतंत्रता को समझ पा रही थी ।
तभी आकृति नाश्ते की ट्रे लेकर आ गई । टेबल पर ट्रे रखकर वह वापस रसोई में चली गई ।
‘लगता है मेरे स्वागत की तैयारी पहले से कर के रखी गई है ।’ अमन ने तंग हो चुके माहौल को हल्का बनाने के लिए टेबल पर रखी प्लेट्स में रखे हुए समोसों पर नजर डालते हुए कहा ।
‘आगुन्तक का स्वागत करना भारतीय परम्परा है ।’ रागिनी ने टेबल से एक प्लेट उठाकर अमन को देते हुए कहा ।
‘थैंक्स आंटी ।’ अमन ने रागिनी के हाथ से प्लेट अपने हाथ में लेते हुए कहा ।
रागिनी के एक प्लेट राजीव को दी और दूसरी खुद अपने हाथ में ले ली ।
‘अमन । श्वेता ने शायद तुम्हें बताया ही होगा । हम दोनों ही प्रेम विवाह के बिलकुल भी खिलाफ नहीं है । हमने खुद प्रेम विवाह किया है ।’ राजीव ने समोसे को न्याय देते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई ।
‘जी अंकल । बताया था और इसी वजह से अपने सम्बन्ध की बात करने के लिए आपके सामने आने की हिम्मत कर पाया हूँ ।’
‘तुम्हारी निखालसता पसंद आई लेकिन अमन मैं श्वेता के भविष्य को लेकर चिन्तित हूँ । तुम्हारी जिन्दगी बहुत ही काम्प्लिकेटेट है । किसी भी लड़की के लिए ऐसे परिवार में एडजस्ट होना मुश्किल है ।’ राजीव ने अपनी बात रखी ।
‘आप प्रेम सम्बन्धों पर विश्वास करते है न ?’ अमन ने राजीव की बात सुनकर प्रश्न किया ।
‘प्रेम अपनी जगह है और शादी के लिए परिवार की सहमति और विश्वास होना जरूरी है । तुम्हारें परिवार में तो विश्वास ही नदारत है ।’
‘अंकल ! लगता है श्वेता ने आपको पूरी बात नहीं बताई । मैं और श्वेता एक दूसरे से प्यार जरूर करते है और साथ रहना भी चाहते है लेकिन....’ अमन अपनी बात अधूरी रख चुप हो गया । तभी श्वेता वहाँ चाय की ट्रे लेकर आ गई ।
‘लेकिन क्या ?’ राजीव ने शंकाभरी नजर अमन की ओर डाली ।
‘मैं शादी नहीं करना चाहता ।’
‘मैं तुम्हारें कहने का मतलब नहीं समझा । जब शादी तक पहुँचना ही नहीं है तो कौन सी बात करने आए हो ?’ अमन का जवाब सुनकर राजीव ने चौंकते हुए कहा ।
‘अंकल, मैं शादी से उपजे दुष्परिणाम का साक्षी काफी करीब से रहा हूँ । जब दिल में प्यार और मन में विश्वास हो तो सम्बन्धों की मोहर गौण हो जाती है ।’ अमन ने अपनी खाली प्लेट टेबल पर वापस रखते हुए कहा । अब तक श्वेता और आकृति दोनों ही चाय का कप लेकर अपनी अपनी जगह पर बैठ चुकी थी ।
‘साफ साफ कहो । वैसे भी मैं खुद तुम्हारें परिवार का इतिहास जानकार इस शादी के पक्ष में नहीं हूँ ।’ राजीव ने अपना फैसला सुनाते हुए अमन से खुलकर बात करने को कहा ।
‘हम लिव इन रिलेशन में रहना चाहते है ।’
‘पागल हो गए हो क्या ? ये इण्डिया है तुम्हारा अमेरिका नहीं कि जब चाहा तब सम्बन्ध जोड़ लिया और तोड़ लिया ।’ राजीव अमन की बात सुनकर गुस्सा हो गया ।
‘आपका गुस्सा होना जायज है । आप एक बार मेरे और श्वेता के पेरेंट्स की शादीशुदा जिन्दगी पर गौर करे । आपको हमारे इस फैसले का उत्तर मिल जाएगा ।’ अमन ने बड़ी ही संयमतापूर्वक जवाब दिया ।
‘एक सम्बन्ध कमजोर हो तो जरूरी नहीं की सारे सम्बन्ध ही कमजोर हो । तुम अमेरिका के कल्चर में पले बढ़े हो इसी से यह बात तुम मेरे सामने इतनी आसानी से कह पा रहे हो लेकिन मेरे लिए तुम्हारी बात को स्वीकार करना नामुमकिन है ।’
‘बात मेरी अकेले की नहीं है अंकल । श्वेता का भी यही फैसला है ।’ कहते हुए अमन ने श्वेता की ओर नजर डाली ।
श्वेता थोड़ा घबराते हुए राजीव के चेहरे को तांक रही थी ।
‘श्वेता, क्या कह रहा है यह ?’ राजीव ने श्वेता को देखा ।
‘मामाजी, बुराई क्या है इसमें । जमाना अब बदल रहा है ।’ श्वेता ने घबराते हुए धीरे से अमन के फैसले पर अपनी सहमति जताई ।
‘अच्छा हुआ जो यह दिन देखने से पहले दीदी चली गई । तुझे यह कहते हुए थोड़ी भी शर्म है ?’ राजीव का स्वर कुछ ढीला हो गया ।
‘मम्मी को पता था हमारें सम्बन्ध और फैसले के बारें में ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।
‘दीदी को पता था और अब तक वह चुपचाप यह तमाशा देखती आ रही थी ?’ राजीव अपनी जगह से खड़ा हो गया ।
‘मामाजी, जिसकी खुद की हथेली पर छाले हो वह किसी और के घाव पर मलहम कैसे लगा सकता है ।’ श्वेता की आवाज में एक विद्रोह झलक रहा था ।

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