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रिसते घाव (भाग -७)

रात के बारह बजने के बावजूद आज एम के बिजनेस सोल्युशन लिमिटेड के कैंटीन में काफी चहलपहल थी । पाँच सौ लोग एक साथ बैठकर जहाँ इस कैंटीन में रोज अपनी गपशप के साथ चाय नाश्ता और भोजन करते वहीं आज यह कैंटीन उन्हीं पाँच सौ लोगों के लिए डान्स एण्ड डायनिंग फ्लोर में तब्दील हो चुका था । कैंटीन के पास इमर्जन्सी एग्जिट डोर के पास रही खाली जगह में डी. जे. लगा हुआ था और धमाकेदार गानों के साथ डांसिग लाइट्स की इफेक्ट से पूरा फ्लोर जगमगा रहा था । शाम को शुरु हुए कम्पनी का वार्षिक अवार्ड समारोह सम्पन्न होने के बाद शुरू हुई पार्टी का माहौल अब रात के गहराने के साथ और ज्यादा रंगीन होता जा रहा था । मेकअप और लेटेस्ट फैशन के कपड़ों में सजीधजी युवतियाँ रोज की तुलना में आज कुछ ज्यादा ही सुन्दर जान पड़ रही थी । लड़के भी साजसज्जा के मामले में लड़कियों से पीछे न थे । अक्सर अपने लुक के प्रति बेपरवाह रहने वाले लड़के भी आज किसी हीरो से कम जान नहीं पड़ रहे थे । अपने अपने ग्रुप में डी जे की ताल पर थिरकते हुए सभी अपनी उम्र के इस दौर का एक अनूठा आनन्द ले रहे थे । इन सबके के बीच समीर एक कोने में खड़ा अपने मोबाइल में फोटो और वीडियों ले रहा था ।
‘समीर, तुमने अमन को कहीं देखा है ?’ तभी श्वेता ने उसके नजदीक आकर पूछा ।
काले रंग के वन पीस में सज्जित श्वेता के अंगों के उभार और खुली टांगों पर एक नजर डालते हुए समीर मंद मंद मुस्कुराया । श्वेता का ध्यान समीर की ओर न होकर उसकी नजरें भीड़ में अमन को खोज रही थी ।
‘समीर, अमन को देखा ?’ समीर से कोई जवाब न पाकर श्वेता ने फिर से अपना प्रश्न दोहराया ।
‘अभी तो जनाब यहीं डांस कर रहे थे । फिर पता नहीं अचानक से कहाँ गायब हो गया ?’ समीर जवाब देते हुए श्वेता के ओर नजदीक जाकर खड़ा हो गया ।
‘इडियट । ये क्या कर रहे हो ?’ तभी श्वेता जोर से चिल्लाई । डी जे के शोरगुल में उसकी आवाज पर समीर के अलावा किसी और का ध्यान नहीं गया ।
‘कुछ नहीं । हाथ ही तो थामा है । टाइम पास के लिए ये समीर भी कुछ बुरा नहीं है । प्लीज डांस विथ मी ।’ समीर ने श्वेता के हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत बनाते हुए बोला ।
‘यू शटअप ! माइंड यओर ओन बिजनेस । आय एम ओनली फॉर अमन ।’ कहकर श्वेता ने एक झटके से समीर की पकड़ से अपना हाथ छुड़ा लिया और वहाँ से चली गई । समीर श्वेता को वहाँ से जाते हुए कुछ देर तक देखता रहा और फिर वापस अपने मोबाइल से वीडियो और फोटो क्लिक करने में व्यस्त हो गया ।
केन्टीन से बाहर निकलकर श्वेता ने मोबाइल पर अमन का नम्बर डॉयल किया । एक बार रिंगटोन पूरी होने पर उसने झुँझलाकर फिर से उसका नम्बर डॉयल किया । दो बार रिंग जाने पर श्वेता को इस बार जवाब मिला ।
‘आ रहा हूँ । सब्र करों श्वेता ।’
‘कहां हो तुम ? कब से ढूंढ़ रही हूँ । मुझे बिना बतायें कहां चले गए ?’ श्वेता बड़ी ही व्यकुलता से सवाल जवाब करने लगी ।
‘अब वॉशरूम में जाने के लिए भी तुमसे परमिशन लेनी होगी ? तुम भी आ जाओ अगर एक पल भी मेरे बिना नहीं रह सकती तो ?’ अमन ने हँसते हुए जवाब दिया ।
‘धत्त ! कुछ भी बोल देते हो । मुझे थोड़े ही पता था कि तुम वहाँ हो ।’ श्वेता ने धीमे से जवाब दिया ।
‘अब पता चल गया न तो फोन रखो और मुझे चैन से अपना पेट साफ करने दो ।’
‘बैठे रहो सारी रात वहीं । जब हजम नहीं होता तो खाते क्यों हो इतना ?’ अमन का जवाब पाकर श्वेता ने बनावटी गुस्सा जताया ।
‘खाऊँगा नहीं तो तुम्हारें लिए जिऊंगा कैसे ? अब फोन रखो । मैं पाँच मिनिट में बाहर आता हूँ ।’ कहकर अमन ने कॉल डिस्कनेक्ट कर मोबाइल शर्ट की जेब में सरका दिया और कमोट के पास रखे टिश्यू पेपर को हाथ में लेकर दूसरी ओर से फ्लश चालू कर दिया ।
अमन मेन्स वॉशरूम से बाहर आया तो देखा कि कोरिडोर में श्वेता उसका इन्तजार कर खड़ी हुई थी ।
‘पगली ! इस तरह मेन्स वॉशरूम के बाहर किसी लड़की का खड़ा होना सभ्यता की निशानी नहीं है ।’ अमन ने पास आकर श्वेता को टोका ।
‘जानती हूँ तुम कितने सभ्य हो । अब अपनी यह सभ्यता यहीं रखो और चलों । सवा बारह हो गए है । पार्टी भी थोड़ी देर में खत्म हो जाएगी ।’ श्वेता ने कहते हुए अपनी एक आँख मिचका दी ।
‘अच्छा ! बड़ी जल्दी है ?’ अमन के चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कुराहट छा गई ।
‘चार बजे वापस घर भी पहुँचना है ।’ कहते हुए श्वेता अमन के साथ चलने लगी ।
‘पहुँच जाओगी । बहुत समय है अभी ।’ कहते हुए अमन ने श्वेता का हाथ थाम लिया और तेज कदमों से बाहर की तरफ पार्किंग की ओर जाने लगा ।
पार्किंग एरिया से अपनी बाइक निकालकर अमन ने अपने घर की राह ली । श्वेता अमन की पीछे उससे लिपटकर बैठी हुई थी । उसका कोमल स्पर्श अमन को मदहोश किए जा रहा था । अमन ने मेन रोड़ पर आकर बाइक की स्पीड बढ़ा दी । रात का समय होने से रोड़ पर वाहनों की संख्या कम ही थी ।
‘अमन ! तुम्हें नहीं लगता अब हमें फैसला लेकर साथ रहना चाहिए ।’ तभी श्वेता ने कुछ देर तक छाई हुई चुप्पी हो तोड़ा ।
‘फैसला तो तुम्हें लेना है । मैं तो तैयार ही हूँ । आज से ही शुरुआत कर दो । शनिवार रविवार की छुट्टी भी है तो सब एडजस्ट हो जाएगा ।’ अमन ने थोड़ा सा पीछे की ओर झुकते हुए श्वेता के गालों को अपने होंठों से चूमना चाहा ।
‘मैंने घर पर मामाजी से बात नहीं की है । यह सब इतना जल्दी नहीं हो सकता ।’
‘कम ऑन बेबी ! एक बार तुम्हारी मम्मी को बताया था तो पता है न कितना काम्लिकेटेड हो गया था मैटर । यू नो ओल्ड जनरेशन डोन्ट वांट टू अंडरस्टेण्ड यंग जनरेशन ।’ श्वेता का जवाब पाकर अमन विचलित हो गया ।
‘नहीं अमन । तुम्हारें आगे पीछे कोई है नहीं तो तुम्हारें लिए यह फैसला लेना आसान है पर मुझे लेकर मेरे मामा मामी बहुत ही पजेसिव है ।’ श्वेता ने जवाब देते हुए अमन का कन्धा जोर से दबाया ।
‘तब तो ऐसे ही चलने तो जिन्दगी जब तक चलती है । फिर तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते ।’
‘बुरा मान गए ? मैं बात करने की कोशिश करुँगी घर पर ।’ अमन को गुस्सा होते देख श्वेता ने पीछे से अपनी दोनों बाहें फैला कर उसे अपने आगोश में समा लेने की कोशिश की ।
तभी अमन ने आम्बेडकर सर्कल से बाइक बायीं ओर मोड़ ली और थोड़ा आगे जाकर दायीं तरफ के कच्चे रास्ते से आगे बढ़ने लगा । यहाँ से ५०० मीटर की दूरी पर स्थित उसके फ्लैट तक स्ट्रीट लाईट की कोई व्यवस्था न होने से चारों और घोर अँधेरा छाया हुआ था । बाइक के हेड लाईट के प्रकाश में अमन धीमी गति से बाइक आगे ले जा रहा था ।
‘अमन, चुप क्यों हो ? कुछ तो बोलो ।’ अमन से कोई प्रत्युत्तर न पाकर श्वेता ने उसे टोका ।
‘अब क्या बोलूँ श्वेता ! तुम खुद ही अपने सम्बन्धों को लेकर कान्फिडेन्ट नहीं हो तो दूसरों को कैसे कन्विस कर पाओगी ?’ अमन ने जवाब दिया ओर तक्ष रेसीडेन्सी के अन्दर अपनी बाइक ले ली ।
सी टॉवर के पार्किग एरिया में बाइक ले जाकर उसने रोक दी । श्वेता उसके बालों को सहलाते हुए उसके पास खड़ी हो गई ।
‘तुम समझ रहे हो उतनी आसान बात नहीं है यह । तुम अमेरिका के कल्चर में पले बढ़े हो तो तुम्हारें लिये ऐसे फैसला लेना बहुत आसान है पर मैं अपने आपको मार्डन कहलाने के बावजूद अन्दर ही अन्दर डरती हूँ ।’ श्वेता ने अमन की बात का जवाब दिया तब तक वह बाइक मेन स्टेण्ड पर खड़ी कर चुका था ।
‘मुझ पर विश्वास करती हो न ?’ अमन ने श्वेता की बात सुनकर उसे घूरा ।
‘पगले ! विश्वास न होता तो आज आधी रात को तुम्हारें संग अकेले यहाँ तक आती ?’ श्वेता ने जवाब दिया और अमन का हाथ पकड़कर लिफ्ट की ओर जाने लगी ।
अमन ने लिफ्ट के पास खड़े होकर बटन दबाया और दरवाजा खुलते ही अन्दर खड़े होकर चार नम्बर का बटन दबा दिया । कुछ ही देर में लिफ्ट का ऑटोमेटिक दरवाजा बंद हो गया और लिफ्ट ऊपर की तरफ जाने लगी ।

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