रिसते घाव (भाग-१) Ashish Dalal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रिसते घाव (भाग-१)


बेडरूम के दरवाजे के ऊपर रही खाली दीवार पर लगी हुई घड़ी के दोनों कांटे आपस में एक होकर मिलने के बाद धीरे धीरे बिछुड़ रहे थे । डबल बेड के सामने की दीवार पर टंगी हुई राजीव और रागिनी की मुस्कुराती हुई रोमान्टिक सी तस्वीर कमरे में फैली लाल रोशनी के हल्के से प्रकाश में जैसे बेड पर एक परम तृप्ति के बाद नींद के आगोश में समा गई दोनों की अर्ध अनावृत देहों को निरख रही थी । राजीव के अनावृत चौड़े सीने पर अपनी रेशमी जुल्फों को बिखराकर रागिनी अपना सिर रखकर किसी मीठे सपने में खोई हुई थी । अपना कामदेव वाला रूप अनुभव कर लेने के बाद राजीव बेखबर सा रागिनी की देह के साथ सिमटकर सोया हुआ था । उसका हाथ पारदर्शक गाउन में लिपटी रागिनी की पीठ पर ठहरा हुआ था । एक आवेग के बाद सम्पूर्ण तृप्ति के साथ पति पत्नी दोनों ही एक दूसरे में खोये हुए से मीठी नींद के रंगीन सफर का आनन्द ले रहे थे ।
“यू नो हाऊ मच आय लव यू ....” तभी एक मधुर संगीत के साथ सिरहाने रखा राजीव का मोबाइल झनझना उठा ।
आवाज सुनकर रागिनी के शरीर में कुछ हरकत हुई लेकिन कुछ देर पहले ही प्यार की बरसात में भींगने के बाद महसूस हो रही मीठी सी थकान के साथ नींद का नशा आँखों में समाया होने से वह राजीव से अलग होकर फिर से सो गई । थोड़ी देर बजने के बाद बंद होकर राजीव का मोबाइल फिर से बजने लगा ।
“यू नो हाऊ मच आय लव यू....आय नो आल्सो यू लव मी टू... ” अबकी बार राजीव के शरीर में थोड़ी सी हरकत हुई । बंद आँखों से ही उसने अपना दायां हाथ बढ़ाकर मोबाइल उठाना चाहा लेकिन रिंगटोन पूरी होकर फिर बंद हो गई । राजीव ने आयी हुई कॉल पर नजर डालने की कोशिश किए बिना नींद के नशे में ही मोबाइल अपने तकिये के नीचे सरका दिया और करवट लेकर रागिनी की कमर पर हाथ रखकर उसकी देह से लिपटकर फिर से सो गया । उम्र की चवालीसवीं पायदान पार कर रहा राजीव जैसे अब भी सुहागरात वाली मीठी सी अनुभति के संग रागिनी की समीपता का आनन्दभरा अनुभव पाने को मचल रहा था । उम्र के इस दायके में भी राजीव शरीर सौष्ठव के मामले में पच्चीस साल के किसी नौजवान से कम न था । उम्र में राजीव से एक साल छोटी रागिनी आज भी अपनी हमउम्र औरतों के बीच अपनी सुन्दरता और कमनीय काया को लेकर चर्चा का विषय थी । अठारह साल की एक बेटी की माँ होने के बावजूद रागिनी अब भी अपनी सुन्दरता को एक नवयौवना की तरह सम्हाले हुए राजीव के रोमांटिक मूड में अपनी सहभागिता बराबर निभा रही थी । एक दूसरे से लिपटकर सो रहे दोनों युगल किसी कलाकार द्वारा पूरी तल्लीनता से गढ़ी गई मूर्ति की भांति अप्रितम सुन्दरता की प्रतिकृति जान पड़ रहे थे ।
“यू नो हाऊ मच आय लव यू....आय नो आल्सो यू लव मी टू.... बट आय एम लोनली व्हेन यू आर नॉट विथ मी.....”
“यू नो हाऊ मच आय लव यू....आय नो आल्सो यू लव मी टू.... बट आय एम लोनली व्हेन यू आर नॉट विथ मी.....”
‘ओफ्हो ! राजीव । देखो न, कौन है जो बार बार इतनी रात को फोन किए जा रहा है?’ राजीव को झिंझोड़ते हुए रागिनी ने झुँझलाकर कहा ।
‘अरे यार ! कौन सी आफत आन पड़ी है जो रात को कोई परेशान कर रहा है ।’ कहते हुए राजीव ने तकिये के नीचे से अपना मोबाइल उठाया । मोबाइल की स्क्रीन पर झलक रहे नाम को देखकर वह चौंककर उठकर बैठ गया ।
‘श्वेता ? इतनी रात को क्यों कॉल कर रही है ?’ कॉल जोड़ते हुए उसके मुँह से निकल गया ।
राजीव को हरकत में आया देख और उसकी बात सुनकर रागिनी भी उठ बैठी और फोन पर हो रही बात को ध्यान से सुनने का प्रयास करने लगी ।
‘हैल्लो ....’ राजीव के कॉल जोड़ते ही एक घबराया हुआ सा धीमा स्वर सुनाई दिया ।
‘श्वेता ! क्या हुआ इतनी रात को ? तुम रो रही हो ?’ राजीव ने आवाज के बीच फोन पर सुनाई दे रही सिसकियों को महसूस करते हुए चिन्तातुर स्वर में पूछा ।
‘मम्मी.... मम्मी...’ श्वेता बड़ी मुश्किल से दो शब्द बोल पाई । फिर राजीव को उसके रोने का स्वर स्पष्ट रूप से सुनाई देने लगा ।
‘पहेलियाँ मत बुझाओं श्वेता । क्या हुआ ? साफ साफ शब्दों में कहो ।’ राजीव ने कहने को कह तो दिया लेकिन अन्दर से उसका मन किसी अनहोनी आशंका से घबराने लगा ।
‘भाई साहब । आप एक पल की देरी किए बिना यहाँ आ जाइये । आपकी बहन ने सुसाइड कर लिया है ।’ तभी श्वेता के मोबाइल से कोई पुरुष स्वर गूँजा । मोबाइल पर आगे कुछ और बातें हुई लेकिन राजीव जैसे कुछ सुन ही नहीं पाया ।
राजीव के हाथ से मोबाइल छूटकर बिस्तर पर गिर पड़ा । कुछ देर पहले प्रेम की खुमारी के साथ नींद के नशे से घिरी आँखें अब एक असहनीय दर्द और घबराहट से गीली हो रही थी ।
‘क्या हुआ राजीव? क्या कहा श्वेता?’ रागिनी के स्वर में घबराहट छा गई । राजीव की आँखों से उमड़ रहे आँसुओं को देखकर उसका स्त्रीमन शीघ्र ही ताड़ गया कि घटना बहुत ही गंभीर और असहनीय हुई है । मन में छुपी हुई एक आंशका से वह घबरा उठी लेकिन होंठों के माध्यम से वह उन्हें शब्दों का रूप नहीं दे पा रही थी ।
‘रागिनी । सब खत्म हो गया ।’ राजीव आगे कुछ न बोल पाया ।
‘हुआ क्या ? ये तो बोलो ?’ रागिनी का चेहरा तंग होने लगा ।
‘दीदी...दीदी... ने सुसाइड... । जल्दी करों, हमें अभी दीदी के यहाँ जाना होगा ।’ सहसा राजीव ने दूसरे ही क्षण अपने आपको सम्हालते हुए आँखों में उभर आये आँसुओं को पोछा और उठ खड़ा हुआ ।
‘हे भगवान् ! ये क्या कर डाला जीजी ने ? अभी दो दिन पहले ही तो बात हुई थी उनसे मेरी ।’ रागिनी चिन्तित होते हुए बड़बड़ा उठी ।
‘कुछ पता नहीं । यह वक्त नहीं है अभी ये सब बातें करने का । जल्दी से तैयार हो जाओ ।’ कहते हुए राजीव ने कमरे की लाईट चालू कर दी और फिर खुद बाथरूम में चला गया । जब तक वह बाहर आया तब तक रागिनी अपने बाल सुलझा कर चोटी गूँथ चुकी थी । उसने राजीव के पेण्ट शर्ट की जोड़ी निकालकर बेड पर रख दी थी और अब खुद कपड़े बदलने की तैयारी कर रही थी ।
‘आकृति को उठाया तुमने ?’ सहसा राजीव को कुछ याद आते उसने रागिनी की तरफ देखा ।
‘हाँ, उसे तो अब भी यकीन ही नहीं आ रहा है कि ऐसा कुछ हो गया है । तैयार हो रही है ।’ रागिनी ने कहा और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई ।
(क्रमशः)