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रिसते घाव - (भाग २०)

श्वेता के जवाब से अमन संतुष्ट न हो पाया और अगले ही पल उसने श्वेता के हाथ से अपनी फ़ाइल छीन ली । फ़ाइल में सहेजकर रखी गई अपनी रिपोर्ट्स देखने के बाद अमन का चेहरा फीका पड़ गया ।

‘इसोफेगल कैंसर मतलब फूड पाइप कैंसर ...’ बड़बड़ाते हुए अमन जैसे खुद ही सोफे पर गिर पड़ा ।

‘सही इलाज होने पर ठीक हो जाएगा अमन । हिम्मत रखो ।’ श्वेता ने उसे सम्हाला ।

अमन श्वेता की बात का कोई जवाब नहीं दे पाया । श्वेता उसे दिलासा देते हुए उसका हाथ थामकर उसके संग अस्पताल में काफी देर तक बैठी रही फिर खुद अमन ही हिम्मत बटोरकर अपनी जगह से खड़ा हो गया और मुस्काराकर श्वेता की ओर देखने लगा ।

‘चलो । घर चलें । यहाँ बैठे रहने से जिन्दगी के दिन बढ़ तो नहीं सकते ।’

‘कुछ नहीं होगा तुम्हें । कैन्सर से भी लड़कर लोग जीते है ।’ श्वेता एक विश्वास के साथ बोली ।

‘जीते होंगे । मैंने कब मना किया । मैं तो अपनी बात कर रहा हूँ । सालभर, छह महीने या दो महीने ....हं...क्या कहा डॉक्टर ने ?’ अमन ने चलते हुए पूछा ।

‘शटअप अमन ! थिंक पॉजिटिव । कल सोनोग्राफी करवाने पर पता चल जाएगा कि तुम्हें कितनी हिम्मत के साथ मौत से लड़कर जीतना है ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।

‘तुम कहती हो तो यही सही । वैसे भी बेचारे इस अमन ने अभी जिन्दगी में देखा ही क्या है । भगवान अगर अभी से उठा लेगा तो मेरे साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.... नहीं श्वेता ?’ अस्पताल के गेट से बाहर निकलकर बाइक स्टार्ट करते हुए अमन ने पीछे मुड़कर श्वेता को देखा ।

‘कुछ भी । अब एक शब्द बोले बिना घर चलो । घर चलकर जितनी बातें करनी हो कर लेना पर अभी मुझे डराओ मत ।’ श्वेता की बात अमन ने एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह मान ली और चुपचाप धीमी गति से बाइक अपने फ़्लैट की ओर ले ली ।

XXXXX

फ़्लैट पर पहुँचने के बाद अमन सोफे पर लेट गया और श्वेता खाना बनाने में जुट गई । तभी अमन ने उसे जोर से आवाज लगाईं और वह घबराती हुए उसके पास दौड़ी चली आई ।
‘क्या हुआ अमन ?’

‘मैं यह कह रहा था कि अब जब मरने की तारीख फिक्स हो गई है तो अच्छा अच्छा खाकर ही क्यों न मरुँ ?’ कहते हुए अमन हँस दिया ।

‘ऐसा बेहूदा मजाक न करो अमन । मैं रो दूँगी ।’ श्वेता ने जवाब दिया और उसके पास बैठ गई ।

‘श्वेता ! मुझे मेरी नहीं तुम्हारी चिन्ता हो रही है । तुम वापस लौट जाओ ।’ सहसा अमन के स्वर में गंभीरता छा गई ।
‘मैं नहीं जा सकती अमन अब । तुम्हें ईश्वर की शक्तियों पर भरोसा भले ही न हो पर मुझे पूरा भरोसा है कि तुम ठीक हो जाओगे ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।

‘मुझसे भी ज्यादा भरोसा है उस पर ?’

‘हाँ । ‘ श्वेता ने जवाब दिया और खड़ी होकर जाने लगी ।
‘दो घड़ी बैठो न । बताओ न डॉक्टर ने क्या कहा ? दिन, महीने या साल ?’ अमन ने श्वेता का हाथ पकड़ लिया ।

‘सौ साल और कल सोनोग्राफी के लिए जाना है ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।

‘नहीं नहीं फिर तो अभी जल्दी चले जाना ही ठीक होगा । सौ साल और गुजर चुके तीस साल । एक सौ तीस साल जी कर क्या करूँगा ?’ अमन फिर से मुस्कुरा दिया ।

‘ठीक है तो जाओ ।’ शेता ने उसकी बात को अब हल्के अंदाज में लेते हुए जवाब दिया और मुस्कुरा दी ।

‘तुम साथ नहीं चलोगी ?’

‘नहीं । मुझे अभी जीने का शौक है ।’

‘ठीक है तो मैं भी अपना प्लान कैंसिल कर देता हूँ । तुम जब उठोगी इस दुनिया से तब ही उठूँगा मैं भी ।’ अमन ने कहा और जोर से हँस दिया । श्वेता भी उसके संग हँसने लगी । तभी अचानक से ही अमन को खाँसी होने लगी और लगातार खाँस खाँसकर वह परेशान हो गया ।

श्वेता घबराई हुई सी उसकी पीठ पर हाथ फेर रही थी । इसी बीच उठकर उसने डॉक्टर को फोन करने का प्रयास किया लेकिन अमन ने उसे रोक दिया । वह कुछ कहना चाह रहा था लेकिन हो रही खाँसी की वजह से कुछ कह नहीं पा रहा था । थोड़ी देर में जब उसकी खाँसी थमी तो वह थककर निढ़ाल हो चुका था । आँखें बंदकर वह बिस्तर पर ही लेट गया ।

श्वेता को अब यह मामला बेहद गंभीर जान पड़ रहा था । वह अकेले इन सब बातों से निपटने के लिए अपने आपको असहाय महसूस कर रही थी । तभी कुछ सोचकर वह गैलरी में आ गई और उसने राजीव को फोन जोड़ा ।
क्रमशः

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