रिसते घाव - भाग २१ Ashish Dalal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

रिसते घाव - भाग २१

चार-पाँच बार प्रयास करने के बाद भी राजीव ने जब फोन नहीं रिसीव किया तो श्वेता ने रागिनी का नम्बर डॉयल किया लेकिन रागिनी का फोन स्विच्ड ऑफ आ रहा था । श्वेता परेशान हो उठी और उसने आकृति का नम्बर डॉयल करने का प्रयास किया लेकिन फिर इस मामले में उसे परेशान न करने की मंशा से उसने अपना यह विचार छोड़ दिया । मोबाइल टेबल पर रखकर वह अमन के पास ही कुर्सी लेकर बैठ गई । काफी देर तक वह कुछ सोचती हुई उसके पास बैठी रही । अमन अभी भी आराम से सो रहा था । तभी श्वेता का मोबाइल बज उठा । श्वेता अपनी जगह से उठी और मोबाइल हाथ में उठाया ।
‘मामाजी !’ कहते हुए श्वेता की रूलाई फूट पड़ी ।
‘श्वेता, क्या हुआ ? बहुत परेशान लग रही हो ?’ राजीव ने श्वेता की घबराई हुई सी आवाज सुनकर पूछा ।
‘मामाजी ... अमन ....अमन को कैंसर ...’श्वेता आगे कुछ नहीं बोल सकी ।
‘व्हाट ?’ श्वेता की अधूरी बात सुनकर उसका मर्म समझकर चौंक गया ।
‘जी मामाजी । फूड पाइप कैंसर बता रहे है डॉक्टर । वह कुछ भी खा नहीं पा रहा है । मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूँ ?’ श्वेता की परेशानी उसके स्वर में स्पष्ट झलक रही थी ।
‘कौन से हॉस्पिटल में है अभी ?’ राजीव ने पूछा ।
‘घर पर है अभी पर डॉक्टर शिरीष मेहता से मिलकर आ रही हूँ । कल सोनोग्राफी के लिए बुलाया है ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।
‘अभी कैसी है उसकी तबियत ?’ राजीव ने आगे पूछा ।
‘कुछ ज्यादा ठीक नहीं है । सो रहा है अभी ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।
‘बेटा, तू घबरा मत । मैं और तेरी मामी अभी तो इन्दौर आये हुए है । तेरी मामी के चाचा की कल रात डेथ हो गई है । मैं जल्दी ही आने की कोशिश करता हूँ ।’ राजीव ने जवाब देते हुए श्वेता को सांत्वना दी ।
‘ठीक है मामाजी ।’ कहते हुए श्वेता ने फोन कट कर दिया और अपनी आँखों में उभर आये आँसुओं को पोंछने लगी तभी अमन धीरे से उठकर बैठ गया ।
‘किसका फोन था ? और तुम रो क्यों रही हो ?’ अमन ने श्वेता का बुझा सा चेहरा देखकर पूछा ।
‘मामाजी से बात कर रही थी । मामी के चाचाजी की डेथ हो गई ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।
‘ओह ! बीमार थे क्या ?’ श्वेता का जवाब सुन अमन ने दुख प्रकट किया ।
‘पिछले एक साल से कैन्सर का इलाज चल रहा था उनका ।’ श्वेता जवाब देकर फिर से अपनी गीली हो चुकी आँखें पोंछने लगी।
‘अरे पगली ! मेरे बारें में सोचकर रो रही है । इन आँसुओं को सम्हालकर रखो अभी, बाद में काम आएँगे । अभी तो जितने दिन है हँसकर बिताओ यार मेरे साथ ।’ कहते हुए अमन ने हँसने का प्रयास किया लेकिन वह खुलकर हँस न सका ।
‘अमन ! प्लीज, ऐसा मत बोलो । मुझे बहुत डर लग रहा है पर मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी ।’ कहते हुए श्वेता उठकर अमन के पास जाकर बैठ गई ।
‘जब उसने तय कर ही लिया है तो तुम क्या कर सकोगी यार । अब तो बस हिम्मत ही रखो ।’ अमन ने कहा तो श्वेता ने उसका हाथ थाम लिया ।
‘सुनो न ! वो प्रार्थना लगा दो न ...इतनी शक्ति देना हमें दाता ....’ अमन ने कहा तो श्वेता ने उसकी आँखों में झाँका । उसकी आँखों में एक अजीब सी विवशता उसे नजर आ रही थी । उसने अपने मोबाइल पर गूगल सर्च कर प्रार्थना चालू कर दी ।
अमन आँखें बंदकर ध्यान से प्रार्थना सुनते हुए उसके शब्दों को गुनगुनाने लगा । श्वेता रह रहकर अपनी आँखों में उभर रहे आँसुओं को पोछ रही थी ।
XXXXX
अगले दिन सुबह श्वेता अमन को लेकर डॉक्टर मेहता के अस्पताल पहुँच गई । सारी कागजी कार्यवाही होने के बाद अमन को सोनोग्राफी के लिए ले जाया गया । श्वेता परेशान सी बाहर बैठकर अपने आगे की जिंदगी के बारें में सोचने लगी । लगभग पौने घण्टे के बाद जब अमन को बाहर लाया गया तो वह बहुत घबराया हुआ सा नजर आ रहा था । उसे देखकर श्वेता दौड़कर उसके पास आ गई ।
‘अमन !’ वह कुछ कहने जा ही रही थी व्हीलचेयर के संग उसके साथ चल रही नर्स ने श्वेता को टोक दिया ।
‘आप घबराइये मत । वार्ड बॉय अभी इन्हें वॉशरूम में ले जा रहा है । इनके कपड़े बदलने होंगे । आप मेरे साथ इधर आइये ।’
नर्स की बात सुनकर श्वेता उसके संग पीछे पीछे चलने लगी । कोरिडोर में आने के बाद नर्स ने श्वेता को दवा की एक छोटी सी शीशी देकर उसे कुछ समझाने लगी, ‘एक लीटर पानी में यह दवा मिलाकर आप मि. अमन को पिला दीजिए । फिर आगे के टेस्ट उसके बाद ही होंगे । हो सकता है उन्हें आज ही एडमिट भी करना पड़ सकता है ।’
‘एक लीटर पानी ? वह तो दो घूंट पानी नहीं पी पा रहा ।’ नर्स की बात सुनकर श्वेता ने अपनी चिंता जताई ।
‘कम से कम लीटर पानी तो पिलाना ही होगा । कोई जल्दी नहीं है । आप आराम से धीमे धीमे पिलाइए ।’ नर्स ने जवाब दिया और वहाँ से आगे चली गई ।
श्वेता ने अपने हाथ में पकड़ी दवा की छोटी सी शीशी की ओर देखा और फिर अपने पर्स में रखी पानी की बोतल निकालकर उसमें सारी दवा उंडेल दी । पानी की बोतल लेकर वह वापस अन्दर आई । सोनोग्राफी रूम के बाहर पेशेंट और उनके साथ आये परिजनों की भीड़ सी लगी हुई थी । श्वेता कोने की खाली पड़ी जगह पर जाकर बैठ गई । वह वहाँ मौजूद सभी लोगों के चेहरों पर छायी घबराहट महसूस कर पा रही थी । तभी वोर्ड बॉय अमन की व्हील चेयर को धकेलता हुआ वहाँ आया । श्वेता ने उठकर अमन पर नजर डाली । अस्पताल के हल्के नीले रंग की पोशाक में वह कुछ उदास सा जान पड़ रहा था । श्वेता ने अमन को सम्हाला और उए व्हील चेयर के साथ बाहर लेकर आ गई ।