Devil's Queen book and story is written by Poonam Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Devil's Queen is also popular in नाटक in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
डेविल्स क्वीन - उपन्यास
Poonam Sharma
द्वारा
हिंदी नाटक
सीढ़ियों से ऊपर की ओर भागती हुई एक लड़की रोती जा रही थी। ना ही उसे होश था ना ही आँसू रुक रहे थे। कॉरिडोर से होते हुए वोह एक कमरे में जा पहुँची। कमरे में दाखिल होते ही उसने अपने पीछे दरवाजे को कस कर बंध कर लिया और दरवाज़े के सहारे नीचे बैठ गई। आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे।
अचानक तेज़ आवाज़ होने से उसी कमरे में बने बाथरूम से हड़बड़ी में एक लड़की निकली।
"अक्षरा..." बाथरूम से अभी बाहर निकली उस लड़की ने अब उसे पुकारा।
लेकिन अक्षरा, उसका तो रो रो के बुरा हाल था।
"अक्षरा, बताओ मुझे क्या हुआ? तुम रो क्यूं रही हो?" वोह लड़की अब उसके नज़दीक बढ़ने लगी थी।
"वोह....वोह आ गए अना...वोही..." अक्षरा ने किसी तरह बोलने की कोशिश की पर डर से वोह कांप रही थी।
"कौन आ गया है? तुम किसकी बात कर रही हो?" अनाहिता अब उसकी हालत देख कर घबराने लगी थी। पर उसने जल्दी जा कर उसे सीने से लगा लिया और माथे पर स्नेह से चूम लिया।
सीढ़ियों से ऊपर की ओर भागती हुई एक लड़की रोती जा रही थी। ना ही उसे होश था ना ही आँसू रुक रहे थे। कॉरिडोर से होते हुए वोह एक कमरे में जा पहुँची। कमरे में दाखिल होते ही ...और पढ़ेअपने पीछे दरवाजे को कस कर बंध कर लिया और दरवाज़े के सहारे नीचे बैठ गई। आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। अचानक तेज़ आवाज़ होने से उसी कमरे में बने बाथरूम से हड़बड़ी में एक लड़की निकली। "अक्षरा..." बाथरूम से अभी बाहर निकली उस लड़की ने अब उसे पुकारा। लेकिन अक्षरा, उसका तो रो
अनाहिता जब अपनी बहन को अपने कमरे में छुपा कर जब अपनी माँ के साथ नीचे हॉल में आई तो वहां कोई नहीं था। बाईं ओर बने एक बंद दरवाज़े पर दोनो की नज़रे टिक गई। उस बंद दरवाज़े ...और पढ़ेबाहर दो बॉडी गार्ड्स खड़े थे। अनाहिता ने उनकी ओर देखा। "माँ यह जाने पहचाने नही लग रहें हैं?" अनाहिता को कुछ अजीब लगा। "हाँ, मुझे लगता है की..." राधिका जी के कुछ कहने से पहले ही उन दोनो बॉडीगार्ड ने उन्हें देख लिया।उनमें से एक ने कहा, "आपको आते ही अंदर जाने को कहा है।" दोनो ने पहले एक
"कॉन्ट्रैक्ट तैयार हो चुका है। हमे बस तुम्हारे सिग्नेचर चाहिए। उसके बाद तुम ऊपर अपने कमरे में जा सकती हो। मुझे पता है तुम्हे बहुत सारा होमवर्क भी करना है।" विजयराज जी ने अपनी बेटी अनाहिता से कहा जो ...और पढ़ेअक्षरा बन कर उनके सामने खड़ी थी। अनाहिता जानती थी की वोह उस फिजिक्स असाइनमेंट की बात कर रहें हैं जो उसने अभी तक पूरा नहीं किया था। उन्हे उसकी सब खबर रहती थी। अनाहिता और अक्षरा के स्कूल टीचर्स और होम ट्यूटर सब उन्हे रोज़ रिपोर्ट करते थे। वोह अब ऊब चुकी थी इतने कड़े अनुशासन से। पर यह
चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था। अचानक सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी। वोह तड़प रही थी, झटपटा रही थी। धीरे धीरे पानी अंदर जाने लगा। आँखों की पुतली फैल गई। कुछ समझ नही आ रहा था, क्या हो ...और पढ़ेहै। हाथ पैर पटक रही थी लेकिन सांस आ ही नही रही थी। ऐसा लग रहा था मानो कोई कस कर दबाए हुए है। अचानक लंबी लंबी सांसे लेने लगी। खाँसते खाँसते मुंह से पानी का फुहार छोड़ने लगी। कुछ एहसास हुआ, आँखें खुली, होश में आई, चारों ओर पानी था। वोह गोल गोल घूम कर चारों ओर देखने लगी
एडवोकेट मनोज देसाई ने जिस तरह से तेज़ आवाज़ के साथ दरवाज़ा बंद किया था उससे अनाहिता के दिल ने घबराहट से रफ़्तार पकड़ ली थी। एक अनजाने डर ने उसे घेर लिया था। सामने उसके पिता बैठे थे ...और पढ़ेऑफिस डेस्क के पीछे रखी उनकी बड़ी सी कुर्सी पर। उन्होंने अपनी दोनो बाजुओं को कुर्सी की बांह पर ही रखा हुआ था और उसे ही बड़े ध्यान से देख रहे थे। अनाहिता जानती थी की उसके पिता को इंतज़ार करना नही पसंद, किसी के लिए भी नही, अपनी खुद को बेटी के लिए भी नही। और शायद वोह उनसे