डेविल्स क्वीन - भाग 26 Poonam Sharma द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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डेविल्स क्वीन - भाग 26


"कहां जा रही हो, स्वीट हार्ट?" अभिमन्यु ने उसके करीब हो कर उसके गाल के पास अपने होंठ ले जा कर पूछा। "हम बस अभी बात कर रहें हैं।" उसने उसे और करीब कर लिया। अनाहिता अपनी पीठ उसके सीने से टिकाए खड़ी थी।

"अभिमन्यु, मुझे जाने दो।" अनाहिता ने अभिमन्यु का हाथ हटाने को कोशिश की।

"नही," अभिमन्यु ने उसे अपने से चिपकाए रखा और फॉर्सफुली उसे कमरे के दीवार तक ले गया। उसके कंधे पर आगे से पकड़ते हुए उसने उसे दीवार से सटा दिया और हिलने नही दिया।

अनाहिता का चेहरा दीवार से सटा हुआ था।

"आई हेट यू। आई रियली फकिंग हेट यू," अनाहिता ने छूटने की कोशिश करते हुए कहा और अभिमन्यु को पीछे धक्का देने लगी।

"मुझे कोई फर्क नही पड़ता। फर्क पड़ता है तो बस इससे की तुम मेरे ऑफिस में तांक-झांक कर रही थी और मुझसे झूठ भी बोला।" अभिमन्यु ने अपने शरीर से उसका शरीर और दबाना चाहा इसलिए वोह उसके बेहद करीब हो गया। उसका हार्ड रॉक अनाहिता को अपने पीछे महसूस हो रही थी।

"मैं तो बस....." अनाहिता अपनी झूठी बात खतम भी नही कर पाई थी की अभिमन्यु तुरंत बोल पड़ा।

"तुम मेरे बारे में जानना चाहती हो? की मैं कौन हूं?" अभिमन्यु ने उसके कान में फुसफुसाया। उसकी खुशबू अभिमन्यु को मदहोश किए जा रही थी पर वोह कैसे सब्र बनाए हुए था वोही जनता था। उसकी जरूरत बढ़ती ही जा रही थी। उसे लगने लगा था की अगर वोह एक सेकंड भी और उसके करीब रहेगा तो वो उसे अपना बनाने से अपने आप को रोक नहीं पाएगा।

"मैं जानती हूं की तुम कौन हो?" अनाहिता फिर लड़ने के लिए तैयार थी। और यह बात अभिमन्यु को बहुत अच्छी लगी थी, की वोह फाइटर है। "यू आर अ फकिंग मॉन्स्टर।"

अभिमन्यु की पकड़ उसकी चोटी पर आ गई और उसने कस कर उसकी चोटी खींची की उसका चेहरा पीछे की ओर झुक सके तब तक जब तक की वोह उसकी गहरी आँखों में ना देख ले।

"तुम्हे क्या लगता है की तुम्हारे पिता मुझसे अलग हैं? तुम्हे क्या लगता है की किसी और इंसान से अगर वोह तुम्हारी शादी कराते तो वो तुम्हारे लिए मेहरबान होता? मैने अभी तक तुम्हे छुआ नही है जब से तुम यहाँ आई हो। बहुत कम लोग होते हैं ऐसे, नही तो वो अब तक जो उनका है ले कर ही रहते हैं।" अभिमन्यु बोल तो गया था पर उसे खुद ही समझ नही आ रहा था की वोह क्या क्यों बोल गया था। उसके लिए कोई जरूरी बात नही थी, पर वोह उसे दिखाना चाहता था की उसी की वजह से वोह अभी तक बची हुई है। उस सुबह के बाद से उसने अपने आप को बहुत ही कंट्रोल किया हुआ था और जितना हो सके उसके सामने से आने से बच रहा था, जब उसका मन उसे पाने की इच्छा से भरा हुआ था। उसके लिए यह सब शादी से पहले करना गलत था और इसलिए उसने अपने आप को रोक रखा था। पर यह लड़की उसे बार बार उसके सामने बत्तमीज़ी करके उसे उकसा रही थी की वोह उसके साथ कुछ गलत करे। और उसे खुद से किए हुए अपने वादे पर टिके रहने में बहुत मुश्किल हो रही थी।

अनाहिता का स्ट्रगल करना बंद हो चुका था और वोह भी अब अभिमन्यु को देख रही थी इस नज़र से मानो चैलेंज कर रही हो की अब क्या? अब क्या करने वाला है वो?

"मैने तुम्हे पहले ही दिन कह दिया था की मैं मेरा निरादर बर्दाश्त नहीं कर सकता, मुझे रिस्पेक्ट पसंद है। ऐसा मैं मेरे आदमियों से भी बर्दाश्त नहीं कर सकता, मेरे घर में मैं ऐसा कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।" अभिमन्यु ने कस कर उसकी चोटी पर पकड़ बनाई और उसके सिर को दीवार पर धक्का दिया पर इतनी भी ज़ोर से नही की उसे चोट लगे। क्योंकि उसे चोट पहुंचाने का उसका कोई इरादा नहीं था। कम से कम इस गुनाह के लिए तो बिलकुल नही।

"मुझे अकेला छोड़ दो। मुझे जाने दो।" अनाहिता फिर से उस से छूटने की कोशिश करने लगी।

अभिमन्यु ने एक हाथ से उसका सिर दबा रखा था और दूसरे हाथ से अपने पैंट की बेल्ट पर पकड़ बना ली। उसने अगले ही पल बकल खोल कर अपनी बेल्ट पैंट के लूप से निकाल ली। बेल्ट की आवाज़ अनाहिता के कानो में पड़ी की उसे समझते देर नहीं लगी और उसका शरीर जम सा गया।

"अभिमन्यु। अभिमन्यु, नही!"

"क्या तुम मुझे अभी भी सच बताओगी या नही?" अपने हाथ में बेल्ट को लहराते हुए उसने पूछा। "तुम यहाँ इस कमरे में क्या ढूंढ रही थी?"

अनाहिता की मुट्ठी कस गई और उसने अपनी मुट्ठी दीवार में गड़ा रखी थी।

"मैं.... मैं तो....कुछ भी नही। मैं कुछ ढूंढ नही रही थी," अपनी किस्मत पर भरोसा रखते हुए अनाहिता ने जवाब दिया। "प्लीज़," अनाहिता ने यह शब्द इतने प्यार से कहा की शायद ही अभिमन्यु पर इसका असर हुआ।

"मैने तुम्हे बहुत सारे मौके दिए सच बताने के लिए।" अभिमन्यु ने कहा और उसके बाल छोड़ दिया। "अपनी ड्रेस ऊपर करो।" अभिमन्यु ने उसे ऑर्डर दिया।

अनाहिता ने अपना सिर ना में हिला दिया पर कहा कुछ नही।

"अगर मैने यह तुम्हारे लिए किया ना, तो पहले मैं तुम्हारे हाथ और पैर बांध दूंगा, और फिर तुम बेल्ट की बस कुछ ही मार नही सहोगी बल्कि तुम्हारे लिए उस से भी बुरा हो जायेगा। अब तुम अपनी ड्रेस ऊपर करो। मैं तुम्हारी खुली ऐस को लैदर का स्वाद चखाना चाहता हूं।"

कुछ पल बाद उसने अपने कंधे सीधे किए, और सीधी खड़ी हो गई। उसने अपनी स्कर्ट को उठा कर हाथ में ले लिया। उसने व्हाइट पतली सी पैंटी पहनी हुई थी, जो की उसके सुरक्षा बिलकुल नही कर सकती थी। अभिमन्यु ने एक हाथ से इलास्टिक पकड़ी और उसकी पैंटी नीच घुटनो तक कर दी। उसके इस कदम से अनाहिता थोड़ा हिल गई पर फिर उसने अपने आप को तुरंत सीधा कर लिया।

"अब आगे की ओर झुको।" अभिमन्यु ने उसके कंधे को हल्का सा पुश किया। "अभी भी तुम सच नही बताना चाहती? अभी भी तुम झूठी बनी रहना चाहती हो?"

"मैं नही हूं।" अनाहिता ने फुसफुसाते हुए कहा।

"तुम हो। अब तुम्हारी लॉयल्टी मेरे लिए होनी चाहिए, अनाहिता। सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए।" अभिमन्यु ने कहा, और बेल्ट को अपने हाथ में लपेटने लगा। वोह उसे चोट नही पहुँचाना चाहता था पर सबक तो सिखाना चाहता था। उसने बेल्ट को इस तरह से अपने हाथ में लपेटा की अनाहिता को ज्यादा ना लगे। उसने बकल को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया।

"अभी भी नही?" अभिमन्यु ने उसे देखते हुए एक और मौका दिया। अभिमन्यु को उसकी आँखों में आँसू दिखे पर अनाहिता ने उसे अपनी आँखों से बाहर आने नही दिया।

अनाहिता जानती थी की आगे क्या होने वाला है और वोह उसके लिए अपने आप को मजबूत कर रही थी। वोह जो भी कर रही थी वोह खुद के लिए नही कर रही थी। इसके पीछे उसके पिता का हाथ था, और यह बात अभिमन्यु जनता था पर वोह उसके मुंह से सुनना चाहता था। बस अनाहिता को उसे सब बताना था और यह सज़ा यहीं रुक जाती। अनाहिता को उस से ईमानदारी दिखानी थी और बस फिर अभिमन्यु उसकी ऐस लाल नही करता।

पर अनाहिता तो जिद्दी थी और इस बात की चेतावनी विजयराज शेट्टी ने अभिमन्यु को पहले ही दे दी थी।

"जब तुम मुझे सब सच बता दोगी, तोह यह सज़ा यहीं रुक जायेगी।" अभिमन्यु बार बार उसे मौका दे रहा था बचने का, उसने अपना हाथ उठाया और बेल्ट से उसके हिप्स पर मारना शुरू किया। अनाहिता ने दर्द से फुंकारी मारी पर उसने इसके अलावा कोई और आवाज़ नही निकाली। बार बार अभिमन्यु अपना हाथ उठाता चला गया और लाल निशान बनाता चला गया। कुछ पल बाद अभिमन्यु रुका, उसे मौका देने के लिए की वोह अब तो कुछ कहे।

पर ऐसा कुछ नही हुआ और अभिमन्यु फिर से उसे मारने लगा। बार बार लगातार वोह उसे मारता जा रहा था। उसकी नजर उसके बैक पर थी जो लाल क्रॉस के निशान से भरा हुआ था। उसने कई मौके दिए थे उसे सच बोलने के पर वोह लड़की थी की चुप ही बनी हुई थी, और मन ही मन उसे कोसने के अलावा कुछ नही कह रही थी।

"फक!" वोह चिल्लाई।
























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अगले भाग में जारी रहेगी...
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©पूनम शर्मा