डेविल्स क्वीन - भाग 17 Poonam Sharma द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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डेविल्स क्वीन - भाग 17

"उनका कॉल आया था, तो वो कॉल अटेंड कर के आ रहें हैं," अनाहिता समझ चुकी थी कि मिस माया शायद अभिमन्यु ओबरॉय को ही ढूंढ रही है। अनाहिता की बात सुनकर मिस माया ने सिर हिला दिया।

"मैं आपके लिए खाना प्लेट में लगा देती हूं।"

"अरे...आप को कष्ट करने की जरूरत नहीं है। मैं खुद ही—"

"नहीं...नहीं आप बैठिए। मैं करती हूं ना। आप वैसे भी थकी हुई होंगी, नई जगह है ना, ठीक से नींद भी नही आई होगी। और कल से कुछ खाया भी नही है।" माया ने कहा। अनाहिता को उनकी बातों में प्यार और परवाह नज़र आ रही थी। उसे अच्छा लग रहा था इसलिए वो चुपचाप बैठ गई।

भूखे रहना कोई नई बात नही थी अनाहिता के लिए। उसने यह सज़ा कई बार भुगती थी जब उसे भूखे प्यासे कमरे में बंद कर दिया जाता था।

उसकी प्लेट में खाना रखने पर उसने माया को धन्यवाद दिया। यह खाना उसके लिए बहुत ज्यादा था और सुबह के समय बहुत हैवी भी। पर क्योंकि कल सारा दिन वोह भूखी थी तो उसे भूख भी जोरों की लगी थी।

अभिमन्यु अभी भी फोन पर ही बात कर रहा था। उसकी आवाज़ अब धीमी हो चुकी थी। वोह लिविंग रूम से जुड़े दूसरे कमरे में था। पर अनाहिता को वोह वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठे बैठे ही दूसरे कमरे में टहलता हुआ दिख रहा था। दूर से ही सही पर अभिमन्यु के चेहरे पर चिड़चिड़ापन दिख रहा था।

मिस माया ने अभिमन्यु के लिए भी सिल्वर प्लेट लगाई और बीयर की एक बाॅटल ओपन कर के रख दी। उसने अनाहिता को भी बीयर ऑफर की पर उसने मना कर दिया। फिर माया ने उसे वाइन ऑफर की पर अनाहिता ने इंकार कर दिया और कहा की वोह बस पानी लेगी।

इस वक्त अनाहिता बस खाना खा कर अपने कमरे में जाना चाहती थी।

"क्या आप भी यहीं रहती हैं?" अनाहिता ने माया से सवाल पूछा। इतना बड़ा घर था और उसमे सिर्फ एक इंसान रहता था तो वो जानना चाह रही थी की यहाँ और कौन कौन रहता है।

माया मुस्कुरा पड़ी। "नहीं मैं यहाँ नही रहती। पर यह घर भी अपने घर जैसा ही लगता है।" माया ने अनाहिता को उसकी प्लेट की तरफ इशारा करते हुए कहा, "आप खाना शुरू कीजिए। कभी कभी सर को बात करने में ज्यादा वक्त लग जाता है। मैं आपके लिए कुछ और लाऊं?"

"नही नही। थैंक यू।" अनाहिता ने स्पून उठाई और खाना खाना शुरू कर दिए। खाने की खुशबू ही ऐसी थी की अनाहिता के मुंह में पानी आ रहा था।

"मुझे किचन में कुछ काम है, उसके बाद मैं अपने घर चली जाऊंगी। अगर आपको मेरी जरूरत पड़े तो मेरा नंबर लिखा है पैंट्री डोर के पीछे या फिर आप अभिमन्यु सर को कह दीजिएगा वोह मुझे फोन कर देंगे।" मिस माया ने कहा और अनाहिता को उनके आखरी शब्द ऐसे लगे मानो वो जानती हो की अनाहिता को बाहरी दुनिया से बातचीत करने की इजाज़त नही है और उसके पास खोद का फोन भी नही है।

अनाहिता ने फिर से थैंक यू कहा और वापिस अपना खाना खाने लगी। तभी उसे खिड़की के परदे के पीछे से एक परछाई आती दिखी जिसे देख कर वोह घबराने लगी।

शायद घबराहट में अनाहिता ने शोर किया होगा तभी तो अभिमन्यु तुरंत फोन कट कर के अनाहिता के पास आ गया था।

अभिमन्यु ने अपना फोन वापिस अपनी पैंट की पॉकेट में रखा और थोड़ा झुक कर खिड़की से झांकने लगा यह देखने के लिए की कौन था।

"यह बस मेरा आदमी है," अभिमन्यु ने अनाहिता से कहा। उसने खिड़की पर नॉक कर उसे इशारे से यहाँ से जाने के लिए कहा। "स्मोकिंग," अभिमन्यु ने कहा और अनाहिता के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। उसने एक नज़र अनाहिता की प्लेट पर डाली।

"आपके घर के आसपास इतने आदमी हैं सिक्योरिटी के लिए?" अनाहिता ने अभिमन्यु से पूछा। उसका एस्टेट सिक्योर गेट से सुरक्षित था। उसके घर के आसपास के घर दूर दूर थे जिसमे की खुद ही पहले से अमीर लोग रहते थे, तो फिर इतनी सिक्योरिटी किस लिए?

"तुम्हारे पिता से भी ज्यादा, पर तुम्हे धीरे धीरे इसकी आदत पड़ जायेगी," अभिमन्यु ने कहा और अपना खाना खाने लगा।

अभिमन्यु खाना चबाते हुए टेबल के दूसरी साइड से ही अनाहिता को घूर रहा था।

अनाहिता को लग रहा था की वोह अभी भी उसे समझने की कोशिश कर रहा है। शायद वोह उसके मंसूबों पर खरी ना उतर रही हो और वोह उसे जल्दी ही उसके घर जाने दे देगा।

अनाहिता का खाना खतम हो चुका था और अब वो उससे और कोई सवाल भी नही पूछना चाहती थी। अनाहिता सोच रही थी की उसके सामने खडूस बने रहने में ही भलाई है। उसे अपनी जिंदगी जीने देते हैं और मैं अपना रास्ता खुद ढूंढ लूंगी। वैसे भी यह कोई सच की शादी तो नही है, तोह फिर हमे रियल कपल की तरह बिहेव करने की क्या जरूरत। दो अलग अलग इंसान भी तो एक ही घर में एक छत के नीचे रही सकते हैं। वैसे भी यह घर है ही इतना बड़ा की यहाँ कोई दुबारा टकरा जाए यह मुश्किल से ही होता होगा। हमे शायद ही एक दूसरे की शकल देखनी पड़े।

"तुम बहुत गहरी नींद में सोती हो," अभिमन्यु ने कहा जब अनाहिता ने अपनी स्पून नीचे रखी और उसे उसके खयालों से बाहर ला दिया।

"मैं बहुत थकी हुई थी। और वैसे भी यहाँ करने के लिए तो कुछ नही था।" अनाहिता हमेशा ही घोड़े बेच कर गहरी नींद में सोती थी। उसे सुबह उठाने के लिए दो दो अलार्म लगाने पड़ते थे। पर वोह यह बात क्यों बताए अभिमन्यु को, और वोह फिलहाल किसी पर भी ट्रस्ट नही कर सकती थी।

"नीचे बेसमेंट में टीवी रूम है," अभिमन्यु ने उसे बताया और बीयर की एक सिप पी ली।

"क्या मुझे मेरे कमरे में बंद कर के नही रखा जाएगा?" अनाहिता ने हैरानी से पूछा।

"नही, जब तक इसकी जरूरत ना पड़े।" अभिमन्यु ने अपनी आँखें छोटी छोटी करते हुए कहा। "क्या मुझे जरूरत है तुम्हे कमरे में बंद करने की? क्या तुम नॉटी गर्ल बनने की कोशिश करोगी और भागने की कोशिश करोगी?" अभिमन्यु ने अपना सिर तिरछा कर के पूछा, शायद वोह उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था।


















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कहानी अगले भाग में जारी रहेगी...
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©पूनम शर्मा