डेविल्स क्वीन - भाग 16 Poonam Sharma द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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डेविल्स क्वीन - भाग 16

"तो आपने फिर मेरे पिता से कैसे यह सब करवाया?" अनाहिता को कोई डिटेल में बात तो पता नही थी, लेकिन वोह दुनियादारी तो समझती थी। जरूर कुछ तो बड़ा हुआ है अभिमन्यु और विजयराज के बीच जिस वजह से वोह यहाँ है। वैसे भी वोह इतनी तो स्मार्ट है की सब समझ सके।


"तुम्हे यह सब जानने की जरूरत नहीं है।" अभिमन्यु ने अनाहिता के गालों पर लटक रही उसकी बालों की लटे उसके कान के पीछे करते हुए कहा।

उसे अनाहिता के कानों में उसके टॉप्स दिखे जो उसने उससे पहली बार मिलने पर भी देखे थे। यह कोई नकली ज्वैलरी नही थी, असली थी। और बहुत ही एक्सपेंसिव भी लग रही थी। उसके बीच में एक डायमंड भी था।

"ऑफकोर्स मुझे तो कुछ भी जानने की जरूरत नहीं है।" अनाहिता ने अभिमन्यु का हाथ झटकते हुए कहा। उस की बातों में नाराज़गी झलक रही थी। शायद ठीक से सोई नहीं हो। शायद अभिमन्यु ने उसे जल्दी ही उठा दिया हो।

"तुम्हे इस वक्त जो जानने की जरूरत है, अनाहिता, वोह यह है की हम शादी कर रहें है।"

अनाहिता की नज़रे ऐसे पड़ रही थी अभिमन्यु पर जैसे की आँखों से ही गोली मार दे। "और फिर उसके बाद क्या होगा?" अनाहिता ने पूछा, उसके कंधे नीचे होने लगे।

अनाहिता ने पूछा तो लॉजिकल क्वेश्चन था पर अभिमन्यु के पास इसका कोई जवाब नही था। वोह लाया था इस से शादी करने के लिए पर फिर उसके बाद क्या? उसे भी नही पता था।

"फिर हम शादीशुदा हो जायेंगे, बस।" अभिमन्यु को कुछ समझ नही आया तो उसने बस यूंही सिंपल सा जवाब दे दिया।

अनाहिता के पेट में हल्की सी हलचल होने लगी जिसकी आवाज़ बाहर तक आ रही थी।

अभिमन्यु मुस्कुराया। "माया ने हमारे लिए खाना बना दिया है। वोह किचन में है। चलो तुम्हारे लिए पहले कुछ खाने को लाते हैं।"

"यह माया कौन है?"

"मेरी हाउसकीपर।" अभिमन्यु तब तक कमरे के दरवाज़े तक पहुँच चुका था। उसने दरवाज़ा खोला और इशारे से अनाहिता को भी चलने को कहा। वोह यहाँ पर कोई बंधी नही थी। सही मायने में तो नही थी। हाँ उसके आने जाने पर कहीं न कहीं रोक तो लगने वाली थी पर यह बस उसकी सेफ्टी के लिए किया जाने वाला था। जो की जल्द ही अनाहिता समझ जायेगी।

या ना भी समझे।

पर इससे फर्क क्या पड़ता है? आखिर उसे करना तो वोही है जो अभिमन्यु चाहे।

अनाहिता कश्मकश में अभी भी अपनी जगह पर ही खड़ी थी। उसके पास दो ऑप्शंस थे या तो वो भूखी प्यासी यही इसी कमरे में रहे या फिर वोह बाहर चल कर अभिमन्यु के साथ खाना खा ले। उसने अपने पेट पर हाथ रखा जिससे साफ जाहिर हो रहा था की उसकी भूख उस पर हावी हो रही है और जीत भी गई है।

अनाहिता अपनी कमर सीधे ही रखे हुए पर नज़रे नीचे किए आगे बढ़ गई। वोह सीढ़ियों से उतरती हुई नीचे डाइनिंग एरिया में अभिमन्यु के साथ बढ़ रही थी। उसकी चाल से साफ पता लग सकता था की वोह बहुत स्ट्रॉन्ग और कॉन्फिडेंट है।

वोह दोनो बस ब्रेकफास्ट के लिए आए थे। पर अनाहिता को देख कर ऐसा लग रहा था मानो वो किसी जंग लड़ने नीचे आई हो।

ऐसी जंग जिसे वोह कभी जीत नही सकती।

कभी भी नही।

अनाहिता को अभिमन्यु का किचन बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। मॉडर्न, स्लीक डिजाइन, जिसमे बहुत सारा ओपन स्पेस था। यह एक बहुत ही वॉर्म और कंफर्टेबल घर था जिसमे वो इमेजिन कर सकती थी बच्चों को इधर उधर खेलते भागते।

वैसे भी अभिमन्यु को देख कर ही लगता था की उसका घर भी उसकी तरह ही परफेक्ट होगा, बड़ा और खूबसूरत।

इस वक्त अभिमन्यु ने अपना बिजनेस सूट बदल कर टी शर्ट और लोअर डाल लिया था पर फिर भी अभी भी वोह बिजनेस मैन ही नज़र आ रहा था। वोह साथ ही शांत और फ्रेश लग रहा था, मानो वो भी अभी सो कर आया हो।

किचन को देखते हुए वोह बाहर आई और किचन के बड़े से ओपन गेट के पास ही रखी डाइनिंग टेबल के एक एंडपार बैठ गई जहाँ पर एक खिड़की थी और वहाँ से बाहर का बैकयार्ड दिख रहा था। और तभी अभिमन्यु का फोन भी बज पड़ा।

अभिमन्यु ने अपनी पैंट की बैक पॉकेट से अपना फोन निकाला और देखने लगा। उसके माथे पर बल पड़ गए। उसने फोन आंसर किया और अनाहिता से कुछ दूरी पर चला। गया।

अनाहिता को कुछ समझ तो नही आ रहा था पर इतना पता चल रहा था की अभिमन्यु बहुत ही जल्दी जल्दी बात कर रहा था। ऐसा लग रहा था की वोह इस कॉल से खुश नहीं था।

"ओह गॉड, आप आ गईं नीचे खाने के लिए," एक साठ वर्षीय महिला अमाहिता के सामने आ गई जिसे उसने पहले भी देखा था। शायद वोह किचन की पैंट्री से बाहर आई थी तब भी तो उसने किचन देखते वक्त उन्हे नही देखा था।

वोह खुशी से मुस्कुराते हुए अनाहिता के सामने हाथ बढ़ा कर खड़ी थी। अनाहिता ने भी अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। पर उस महिला ने अनाहिता के दोनो हाथ पकड़ लिए और हिलाने लगी।

ऐसा लग रहा था की वोह हाथ नही मिला रही बल्कि उस से गले ही लग रही हैं। उन्हे देख कर अनाहिता को ऐसा लग रहा था की वोह सच में उस से मिल कर खुश हैं। इसलिए जब तक उन्होंने अनाहिता का हाथ नही छोड़ा तब तक अनाहिता ने भी अपना हाथ नही खींचा।

"मुझे माफ करना," उस महिला ने अपना हाथ पीछे लेते हुए कहा। शायद उन्हें समझ आ गया था की जोश में उन्होंने कुछ ज्यादा ही कर दिया है।
"मेरा नाम माया है। मैं मिस्टर ओबेरॉय की हाउसकीपर हूं। दो और औरतें यहाँ काम करती है, साफ सफाई के लिए, कपड़े धोने के लिए, और बाकी के दूसरे कामों के लिए। पर आपको जब भी कोई जरूरत होगी आप सीधा मेरे पास आना, मैं आपके सारे काम कर दूंगी।" माया ने कहा।
"मैं आपकी पसंद ना पसंद अभी नही जानती इसलिए सारा खाना सर की पसंद के हिसाब से बनाया है। अगली बार आपकी पसंद के हिसाब से भी खाना बना दूंगी। सर के लिए यह सूप भी है। आप भी ट्राई कीजिए शायद आपको भी पसंद आ जाए।" माया ने कहा और अनाहिता ने सिर हिला दिया। "आपके लिए और मिस्टर ओबेरॉय के लिए खाना तैयार है।" माया ने किचन की तरफ देखते हुए फिर इधर उधर देखते हुए कहा। शायद वोह किसी को ढूंढ रही थी।



















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कहानी अगले भाग में जारी रहेगी...
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©पूनम शर्मा