Tamacha book and story is written by नन्दलाल सुथार राही in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tamacha is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तमाचा - उपन्यास
नन्दलाल सुथार राही
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
यह उपन्यास एक काल्पनिक कथा पर आधारित है जिसका किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से कोई सीधा संबंध नहीं है, अगर कोई संबंध पाया जाता है तो वह केवल एक संयोग मात्र है।
यह उपन्यास एक ऐसी गूंगी लड़की की कहानी है जो अनाथ न होकर भी अनाथ जैसा जीवन गुज़ारती है और जीवन में अनेक कष्ट और यातनाओं को सहती हुई भी अपनी हिम्मत नहीं हारती है । इसके अलग - अलग पार्ट में आपको अलग कहानियाँ मिलेगी पर अंत में सब ऐसे मिल जाएगी जैसे अलग - अलग पहाड़ो और पर्वतों से निकलती हुई नदियाँ किसी स्थान आकर पर मिल जाती है। उपन्यास के अंत में एक ऐसा मोड़ आयेगा जो न केवल इस उपन्यास के केवल एक पात्र वरन् समूचे समाज पर एक तमाचा है।
आशा है यह उपन्यास आपको मेरे हृदय से बाँधे रखेगा। और आपका प्रेम सदा ही मुझ पर बरसता रहेगा। व्यक्ति गलतियों का पुतला होता है और यह मेरा पहला उपन्यास है अतः मुझ जैसे व्यक्ति से कुछ गलतियाँ अथवा त्रुटियाँ होना लाजिमी है आशा है जिसके लिए आप मुझे क्षमा कर मेरी गलतियों को किनारे रखकर मेरे हृदय से निकलने वाले भाव से एकाकार होंगे।
मैं हर संभव कोशिश करूँगा की हर हफ़्ते में इसका एक पार्ट आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ चूंकि अभी मेरा अध्ययन और विद्यालय दोनों चल रहे है अतः समयाभाव के कारण कभी - कभी विलंब होने पर भी आप मुझे क्षमा करेंगे।
आपके प्रेम और आपकी अमूल्य समीक्षा को आतुर आपके हृदय के किसी एक कोने में स्थान की चाह रखने वाला - नन्दलाल सुथार 'राही'।
उपन्यास के बारे में संक्षिप्त परिचय- यह उपन्यास एक काल्पनिक कथा पर आधारित है जिसका किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से कोई सीधा संबंध नहीं है, अगर कोई संबंध पाया जाता है तो वह केवल एक संयोग मात्र है। ...और पढ़ेउपन्यास एक ऐसी गूंगी लड़की की कहानी है जो अनाथ न होकर भी अनाथ जैसा जीवन गुज़ारती है और जीवन में अनेक कष्ट और यातनाओं को सहती हुई भी अपनी हिम्मत नहीं हारती है । इसके अलग - अलग पार्ट में आपको अलग कहानियाँ मिलेगी पर अंत में सब ऐसे मिल जाएगी जैसे अलग - अलग पहाड़ो और पर्वतों से
4 वर्ष पहलेअलार्म को करीब पाँच बार स्नूज करने के बाद राकेश को बिस्तर को अकेला छोड़ना पड़ा। आज से उसकी ज़िन्दगी में बहुत परिवर्तन आने वाला था। उठते ही हमेशा की तरह पहले चिल्लाया "मम्मी , मेरी चाय" ...और पढ़ेराकेश की मम्मी 'रेखा' एक साधारण परिवार की साधारण औरत थी। ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, बस हर मिडिल क्लास फैमिली की औरत की तरह घर के काम और पति की सेवा तथा बच्चों की अच्छी परवरिश को ही अपना कर्तव्य समझती थी। उसने एक मिक्स कलर की साड़ी पहनी हुई थी जो उसकी सबसे नई ड्रेस थी और करीब
(आपके स्नेह और प्रेम के लिए आभार । प्रस्तुत है भाग- 3 -अप्सरा)सूर्य अपने तेज के साथ सूर्यनगरी जोधपुर के किले को प्रातः का प्रणाम कर रहा था। लोग अपने -अपने घरों से अपने कार्यस्थलों की ओर प्रस्थान कर ...और पढ़ेथे। चाय और नाश्ते की दुकानों में भीड़ धीरे-धीरे बढ़ रही थी, जिसमें अधिकतर विद्यार्थी थे ,जो रोजगार पाने के लिए कोचिंगों में जाने की तैयारी में थे।जालोरी गेट के पास नाश्ते की एक दुकान में एक युवती अपने पति साथ प्रवेश करती है और दुकान के अंदर के सभी मर्दो को अपनी और आकृष्ट कर लेती है। उसने एक
संध्या का समय। आकाश में कुछ हल्के श्वेत बादल अपनी आनंदमयी गति के साथ चल रहे थे। हवा भी शीतलता द्वारा अपनी सुहावनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी। जैसलमेर के रेलवे स्टेशन के पास एक हॉटेल में विक्रम नाम ...और पढ़ेएक अधेड़ आदमी सैलानियों को उनके कमरे में ले जा रहा था। "यहाँ के रूम और यहाँ का खाना , दोनों जैसलमेर के बेस्ट है, अभी आप आराम फरमाइए और फिर खाने के लिए मिलते है।""अच्छा! वैसे यहाँ खाने में क्या-क्या फेमस है?" सैलानियों के उस दल में से एक मोटा आदमी जिसका पेट अपनी कमीज से बाहर निकल रहा
एक अच्छे पढ़े - लिखे, सुशिक्षित व्यक्ति का जीवन में जो सबसे बेहतरीन टाइम पीरियड होता है उसमें से एक है ,कॉलेज लाइफ। आज अधिकतर व्यक्ति यही मानते है कि कॉलेज लाइफ बेस्ट लाइफ होती है और काश वो ...और पढ़ेतरफ वापस आ जाए। राकेश पापा के स्कूटर पर आने से बचने के लिए उनसे मिले बिना ही बस के द्वारा अपनी कॉलेज पहुँच गया। नई दुनियाँ , नए लोग, नई खुशियाँ, नई समस्याएँ ; राकेश घर से निकलते ही अपनी कॉलेज लाइफ के बारे में सोच रहा था। मेरा पहला दिन कैसा होगा, मेरे दोस्त कौन बनेंगे, मेरी गर्ल