तमाचा - 28 (पहली नज़र का पहला असर) नन्दलाल सुथार राही द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तमाचा - 28 (पहली नज़र का पहला असर)

ब्लू कलर का गाउन पहने आज बिंदु कई दिनों के बाद इस तरह सजी थी। उसने अपने मन को किसी तरह पापा के साथ जाने को मना लिया। हालाँकि वह नख से शीश तक जँच रही थी; पर एक सबसे सुंदर और प्यारी चीज की उस पर कमी लग रही थी। वह थी उसकी मुस्कुराहट। उसका चेहरा अभी तक अपने मन की उदासी को झेल रहा था। लेकिन उसने तय कर लिया कि अब उसे अपने मन की करनी है। पापा जब ऐसा काम कर सकते है तो वह भी कुछ भी कर सकती है। उसका तेवर आंतरिक तौर से विद्रोही हो गया।
बिंदु को इस तरह तैयार देखकर आज विक्रम थोड़ा प्रसन्नचित हो गया। उसने सोचा कि शायद अब बिंदु फिर से खुश रहने लगे। पर किसी दूसरे के अंदर क्या चल रहा है? इसे जानना किसी के बस की बात नहीं।
"अरे वाह ! मेरी बिटिया रानी, आज तो तुम बहुत सुंदर लग रही हो, बिलकुल परी जैसी। चलो चलते है। " विक्रम अपने बेटी को लेकर पहले हॉटेल जाने लगा। पूरे रास्ते में उसे एक तरह की प्रसन्नता महसूस हो रही थी । जब वह हॉटेल पहुँच गए तब उसका मालिक कहीं जाने की तैयारी में था।
"आओ आओ.. विक्रम जी, कैसे हो? अच्छा हुआ आप सही टाइम पर आ गए! मुझे कहीं अर्जेंट मीटिंग में जाना है। एक नई पार्टी आयी है ; उनका ध्यान रखना।" सुनील ने एक साथ प्रश्नों की बौछार करते हुए कहा।
"हाँ मालिक, मैं उनका ध्यान रखता हूँ। यह मेरी बेटी है बिंदु ;सोचा आज इसे भी घुमा लाता हूँ।" विक्रम ने अपनी बेटी का परिचय सुनील से करवाते हुए बोला।
"अरे वाह ! बहुत अच्छा किया आपने; स्वागत है बिंदु तुम्हारा। तुम भला आती क्यों नहीं यहाँ? पापा मना करे तो मेरे को बोल दिया करो। मैं उनकी खबर ले लूंगा।" सुनील को विक्रम ने पहले ही बेटी की उदासी के बारे में बता रखा था। इसलिए सुनील ने बिंदु की तरफदारी करते हुए कहा ।
"थैंक्स" बिंदु ने अपनी कोमल वाणी से इतना ही कहा। और लज्जा से अपना सिर नीचे कर लिया।
बादलों की तरह नीलिमा लिए हुए उसके वस्त्रों पर उसका मुखड़ा ऐसा लग रहा था जैसे सूर्य बादलों के बीच से निकलकर अपने तेज से सारे वातावरण को ही प्रदीप्त कर रहा हो। झुके हुए लालिमायुक्त नयन, कवियों की सारी उपमाओं से भी ज्यादा कोमल कपोल और उसकी मादक मंद-मंद मुस्कान, उसे देखकर अच्छे से अच्छे तपस्वियों की तपस्या भंग हो जाये।
सुनील ने कुछ देर चोर नजरों से उसे देखा और कुछ ही देर में अपनी मीटिंग के लिए रवाना हो गया। विक्रम बिंदु को वहाँ रुकने का बोलकर उस नई पार्टी को लेने उनके रूम की तरफ़ चले गए जो पंजाब से आई थी।
विक्रम उनके रूम के आगे पहुँचते है; जहाँ मिस्टर गिल, अपनी पत्नी मिसेज गिल और करीब बीस साल का अपना बेटा जगजीत और उससे दो साल छोटी अपनी बेटी सोनम के साथ , घूमने की तैयारी में लगे हुए थे।
"हुण होर किन्ना टाइम लगावेंगी भागवाने। अधा दिन तां तेरा मेक अप विच निकल जांदा है।"मिस्टर गिल ने अपनी पत्नी को व्यंग्य करते हुए कहा।
"हाँ हुण तुस्सी तां लेट कारांदे ही नहीं , सारा टाइम मैं ही खा जांदी हाँ ।" सरगुन ने व्यंग्य का करारा जवाब देते हुए कहा।
"हुण तुस्सी दोनां ने फेर शुरू कर दिता। हुण अपणीयां ए फ़ालतू गल्ला छड्डो ते चलण दी तैयारी करो।" सोनम ने अपने नाखूनों पर पॉलिस करके नेल पॉलिश की डिबिया अपने बैग में रखते हुए कहा। तभी विक्रम रूम के दरवाजे पर आकर डोर बेल बजाता है। डोर खोलने पर विक्रम बोलता है । "हेलो सर् .. मेरा नाम विक्रम है। आज आपके साथ गाइड के रूप में मैं ही रहूँगा। क्या आप चलने के लिए तैयार है?"
"हाँ हाँ हम तैयार ही है बस ये आये। हुण की रे गया पिच्छे ? आ जाओ हुण ते ।" मिस्टर गिल विक्रम जो जवाब देने के बाद अपनी पत्नी को हल्के से गुस्से में बोलते है।
"हाँ हाँ.. आई । चलो हुण ।" पूरी पंजाबी फैमिली विक्रम के साथ चलने लगती है। मिस्टर गिल का बेटा जगजीत अपने ब्रांडेड कपड़ो पर परफ्यूम का स्प्रे करके उनके साथ हो लेता है। सिर पर गेरूए रंग की पगड़ी पहने ,हाथों में कड़ा, लाइट ब्लू जीन्स और उस पर चेक शर्ट पहने जगजीत काफ़ी जँच रहा था।
रिसेप्शन पर आकर विक्रम अपनी बेटी को भी साथ चलने का बोलता है और मिस्टर गिल और मिसेज गिल से कहता है। "यह मेरी बेटी बिंदु है। सोचा आज उसे घुमा लाऊँ। इसलिए साथ ले लिया। आपको कोई एतराज तो नहीं अगर यह हमारे साथ चले तो।"
"नहीं नहीं जी हमें भला क्या दिक्कत होगी। चलो बेटी तुम भी चले चलो साथ में। देखो तां किन्नी सोणी लग रही है बिटिया।" मिसेज गिल ने बिंदु के सिर पर हाथ रखते हुए कहा। और बिंदु ने सभी को हाथ जोड़कर नमस्ते किया। पर एक जगह पर आकर बिंदु का ध्यान थोड़ी देर के लिए अटक सा गया। जगजीत और बिंदु ने जब एक दूसरे की ओर देखा तो अनायास ही उन दोनों में एक आकर्षण सा पैदा हो गया। दोनों ने नजरें दो से चार कर दी थी। बिंदु ने अपने जीवन में पहली बार इस तरह किसी लड़के की आँखों में देखा और उसका हृदय पहली बार किसी को देखकर जोर से धड़कने लगा।

क्रमशः.....