Bepanaah book and story is written by Seema Saxena in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bepanaah is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बेपनाह - उपन्यास
Seema Saxena
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
“शुभी सुनो, कहाँ हो तुम ? आओ यहाँ मेरे पास आकर बैठो ।” मम्मी की हल्की सी आवाज उसके कानों में पड़ी।
हुंह ! बुलाने दो मम्मी को, मैं नहीं जा रही । शुभी मन ही मन बड़बड़ाई ।
“शुभी आओ बेटा ..........।“ मम्मी ने थोड़ा और ज़ोर से आवाज लगाई ।
उसने अपनी मम्मी की बात को फिर से अनसुना करते हुए तकिये में मुँह छिपाया और आँखें बंद कर ली, अब उसकी आँखों के सामने घूम रहे थे कालेज के वे प्यारे दिन, जब ऋषभ उसके साथ में थे। वो और ऋषभ एक दूसरे की जान की तरह, जहां ऋषभ वहाँ शुभी और जहां शुभी वहाँ ऋषभ .... लेकिन अब उसकी जिंदगी के बड़े अजीब से दिन थे, जब पल भर को भी मन में सकूँ नहीं था, न जाने क्यों, पर वो बहुत ज्यादा बेचैन थी। उसने जीवन के बेहद अच्छे दिन उसके साथ बिताए थे ! फिर उसकी ही एक फोन कॉल ने उसे एकदम से तोड़ कर रख दिया था! हालांकि वो उसको बहुत पहले से कुछ अलग सी बातें कर रहे थे लेकिन शुभी उसके प्रेम मे इतनी बुरी तरह से डूबी हुई थी कि उसकी कही हुई किसी भी बात पर उसे यकीन ही नहीं होता था और वो उसे पहले की ही तरह बेइंतिहा प्यार करती और सच्चे मन से रिश्ते को निभा रही थी ! मानों ऋषभ के प्यार में दीवानी सी हो गयी थी ! हालांकि शुभी समझ रही थी कि ऋषभ किसी तकलीफ या परेशानी में भी है तभी उसे फोन किया होगा लेकिन वे अच्छे इंसान होने के बाद भी कभी कभी न जाने कैसी बातें करने लगते हैं जिससे उसे दुख होता और वो उसकी बातों से रो पड़ती।
“शुभी सुनो, कहाँ हो तुम ? आओ यहाँ मेरे पास आकर बैठो ।” मम्मी की हल्की सी आवाज उसके कानों में पड़ी।
हुंह ! बुलाने दो मम्मी को, मैं नहीं जा रही । शुभी मन ही मन बड़बड़ाई ।
“शुभी आओ ...और पढ़े..........।“ मम्मी ने थोड़ा और ज़ोर से आवाज लगाई ।
उसने अपनी मम्मी की बात को फिर से अनसुना करते हुए तकिये में मुँह छिपाया और आँखें बंद कर ली, अब उसकी आँखों के सामने घूम रहे थे कालेज के वे प्यारे दिन, जब ऋषभ उसके साथ में थे। वो और ऋषभ एक दूसरे की जान की तरह, जहां ऋषभ वहाँ शुभी और जहां शुभी वहाँ ऋषभ ..
2 वैसे इस थिएटर ने उसकी कुछ समय के लिए तकलीफ़ें कम की थी, वहाँ पर अपनी अपनी फील्ड के एक से बढ़कर एक बड़ा कलाकार, हर उम्र और हर रंग रूप के, कुछ दिनों में उसको बड़े मजे ...और पढ़ेलगे, सब उस से बातें करते । सबको वो न जाने क्यों इतनी प्यारी लगती । वो सुबह छह बजे घर से रिहर्सल के लिए निकल जाती । मम्मी भी खुश कि चलो ग्यारह बारह बजे तक सोने वाली लड़की अब सुबह पाँच बजे उठ जाती है और अच्छे से नहा धोकर तैयार हो कर जाती है और शुभी तो
3 जिंदगी बेरौनक़ सी लगने लगी, किसी और काम में मन ही नहीं लगता । अब वो चाहती थी कि कोई ऐसा काम करे जिससे निरंतर व्यस्तता बनी रहे । वो एक क्षण को भी खाली नहीं रहना चाहती ...और पढ़ेक्योकि जरा सी देर भी खाली रहना मतलब खुद को दर्द के साये में धकेल देना और यह दर्द इतना असहनीय सा लगता कि जान निकलती, आँखों से आँसू बहते और लगता कि कोई जिस्म से जान खींचे लिए जा रहा है । उसके दिल में ऋषभ ने अपना कब्जा जमा लिया था जो बात बात पर उसकी याद दिलाता,
4 उसकी सारी चिंताएँ लगभग खत्म सी हो गयी थी, अब वो बेफिक्र होकर प्ले में जाने की तैयारी कर रही थी । निश्चित दिन सब लोग निकल गए । उसके घर में सर ने अपनी एक सेविका भेज ...और पढ़ेजो उनके घर में हर समय रहती थी । अब वापस आने तक वो सेविका दिन रात उसके घर में मम्मी के साथ ही रहेगी । वो मम्मी की हमउम्र थी और मम्मी को उसके साथ अच्छा लगेगा यह सोचकर शुभी थोड़ा बेफिक्र और खुश थी क्योंकि अब कहीं भी जाने में कोई परेशानी नहीं थी । आज पहली बार
5 अगले दिन प्ले था अतः सर ने सब लोगों कों कहा, :चलो पहले अपने होटल चलकर आराम करते हैं फिर कल प्ले करने के बाद दो दिन घूमने में लगा देंगे।“ शुभी बहुत खुश थी कि मजे करेंगे ...और पढ़ेऋषभ के कारण अब उसका मन सिर्फ उसमें ही अटक गया था । सभी लोगों के रुकने की जगह कोई ज्यादा ख़ास नहीं थी एक बड़ा सा रूम, अटैच वाथरूम । इसमें पाँच लड़कियों को एक साथ रहना था, लड़कों के लिए भी ऐसा ही एक कमरा था और वे छह लोग थे। खूब बड़ा सा होटल करीब 100 कमरों