Its matter of those days book and story is written by Misha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Its matter of those days is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ये उन दिनों की बात है - उपन्यास
Misha
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
और देखते ही देखते जयपुर सिटी से मेट्रो सिटी हो गया बड़े बड़े मॉल्स, बिल्डिंग्स, मल्टीप्लेक्सेज इत्यादि देखते देखते खड़े हो गए हैं और यहाँ भीड़भाड़ भी बहुत हो गयी है | जब देखो तब जाम लग जाता है निजात ही नहीं मिल पाती| अब तो सब लोग फिल्में देखने के लिए मल्टीप्लेक्सेज का रुख करने लगे है, पहले सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर हुआ करते थे अब भी हैं, पर अब उनकी पूछ नहीं रही कुछ तो बंद भी हो चुके हैं | हाँ, लेकिन राजमंदिर अपनी उसी शान से अभी खड़ा है, जैसा पहले था | इसकी आभा अब
और देखते ही देखते जयपुर सिटी से मेट्रो सिटी हो गया बड़े बड़े मॉल्स, बिल्डिंग्स, मल्टीप्लेक्सेज इत्यादि देखते देखते खड़े हो गए हैं और यहाँ भीड़भाड़ भी बहुत हो गयी है | जब देखो तब जाम लग जाता है ...और पढ़ेही नहीं मिल पाती| अब तो सब लोग फिल्में देखने के लिए मल्टीप्लेक्सेज का रुख करने लगे है, पहले सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर हुआ करते थे अब भी हैं, पर अब उनकी पूछ नहीं रही कुछ तो बंद भी हो चुके हैं | हाँ, लेकिन राजमंदिर अपनी उसी शान से अभी खड़ा है, जैसा पहले था | इसकी आभा अब
मम्मा, चाय!!!! और इतने में समर चाय की ट्रे लिए लॉन में आया |स्वरा दी का कॉल था |पूछ रही थी, "मम्मा, कैसी है"? अच्छा तो बात नहीं कर सकती थी |एक्चुअली उनको कॉलेज के लिए लेट हो रहा ...और पढ़े|अब अपनी मम्मा से झूठ भी बोलने लगा है |नहीं, नहीं, मम्मा ऐसा नहीं है, समर झेंपते हुए बोला | "मुझसे नाराज तो है ही" |ऐसा नहीं है, मम्मा | स्वरा मेरी बेटी इन दिनों मुंबई में है और आईआईटी से इंजीनियरिंग कर रही है और इसलिए उसके पापा ने अपना ट्रांसफर चंडीगढ़ से मुंबई करवा लिया | हालाँकि वो
संजीव कुमार, विकास खन्ना, रणवीर बरार और कुणाल कपूर.................. अगर उनके पेरेंट्स ने उन्हें उनके मुताबिक करियर चुनने की आज़ादी न दी होती तो क्या आज वो जिस टॉप पोजीशन पर अभी है, क्या वहां होते! पर ये सब ...और पढ़ेशेफ हैं | जन्म से तो सेलिब्रिटी नहीं बने | यहाँ तक पहुँचने के लिए इनको भी कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी | और आप ऐसा क्यों सोच रहे हैं कि हमारा समर कुछ नहीं कर पायेगा | ये जो चॉकलेट ब्राउनी आप खा रहे हो ना समर ने ही बनाई है | क्या!!!!!!!! ये सुनकर वे चौंके | उनके चेहरे
मम्मा!!!! दिवाली आने वाली है, "कौन-कौनसी मिठाइयां बनाओगी इस बार आप ?", समर ने पूछा | तुम लोग बताओ इस बार क्या बनाएं ? मम्मा, इस बार कुछ अलग बनाओ, कुछ डिफरेंट!!! नॉट ट्रेडिशनल!!!! और मेरे लिए चॉकलेट फ़ज, ...और पढ़ेऔर एप्पल पाई, स्वरा ने तुरंत अपनी फरमाइश रखी | और तू समर!!!!!! श्रीखंड, रस मलाई और नारियल की मिठाई | पास्ता, पनीर रोल्स एंड मशरूम रिसोतो, स्वरा ने जोड़ा | हर बार की तरह इस बार भी मेरी फ्रेंड्स आ रही है | एंड सम न्यू ऑल्सो, क्योंकि आपको तो पता ही है, आपके हाथ का खाना उनको बहुत पसंद
हम दोनों एक दुसरे से हर बात शेयर करते थे | न तो वो मुझसे कभी कुछ छुपाती थी और न ही मैं | "टिफ़िन शेयर करना, खेलना, मस्ती, खुशियां" सब कुछ था हमारी ज़िन्दगी में | मुझे आज ...और पढ़ेयाद है, उसे मेरी मम्मी के हाथ के बनाये हुए भरवां परांठे पसंद थे और मुझे उसकी मम्मी के हाथ के बनाये हुए छोले भठूरे | वैसे तो आठवीं क्लास से ही हमारा एक ग्रुप बन गया था | मानसी, सोनिया, निशा, राधिका, कामिनी और मैं | लेकिन मेरी और कामिनी की दोस्ती तो बहुत पुरानी है | मम्मा,