Its matter of those days - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

ये उन दिनों की बात है - 29

और फिर उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और वो कहा जो मैं इतने दिनों से सुनने को बेचैन हो रही थी, वो तीन शब्द!!! जो हर लड़की अपने महबूब से सुनना चाहती है |

आई लव यू, दिव्या!!! आई लव यू सो मच!!!

अब वो सुनना चाहता था मुझसे |
फिर मैंने अपनी आँखें बंद की और धीमे से कहा,
"आई.....लव.........यू..........टू"

ये सुनते ही सागर का चेहरा ऐसे खिल उठा जैसे सुबह-सुबह कोई फूल मीठी-मीठी, ताज़ी-सी हवा के झोंके से अंगड़ाई लेकर खिलता है |


हम दोनों को जो कहना था, वो कह चुके थे फिर थोड़ी देर के लिए खामोश हो गए थे |

मैं हर दिन सोते-जागते, उठते-बैठते, ये "तीन शब्द" तुमसे सुनना चाहूँगा | यही मेरी कामना है | क्या मेरी ये विश तुम पूरी करोगी, दिव्या?
हम्म्म्म..........
हाँ.......सागर......

मैं अपनी पूरी लाइफ सिर्फ तुम्हारे साथ ही बिताना चाहूंगा | मैंने इससे पहले कभी भी किसी के लिए इतना स्पेशल फील नहीं किया, कभी किसी को इतना नहीं चाहा, लेकिन जबसे तुम मिली हो यूँ लगता है जैसे मेरी ज़िन्दगी मुझे मिल गई हो |

उसकी आँखें एकटक मुझे ही देखे जा रही थी | मेरी पलकें बार-बार उठती और उसे अपनी ओर देखता हुआ पाकर फिर से नीचे हो जाती | उसके हाथ मेरे हाथों को थामे हुए थे | ये खेल थोड़ी देर और ऐसा ही चलता, अगर हमें किसी ने पुकारा ना होता |

हम दोनों चौंक गए थे |

कोई बच्चा था |

भैया.......वो मेरी बॉल इधर आ गई थी, आपने देखी क्या!!!

हड़बड़ाहट में हम दोनों ही उठ खड़े हुए |

एक मिनट देखता हूँ |

सागर बॉल ढूंढने लगा | तभी अचानक मेरी नजर किसी पर गई | चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा लगा | जैसे ही मैं थोड़ा पास गई, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई | वो कोई और नहीं बल्कि कृतिका थी अपने बॉयफ्रैंड के साथ, जो इधर ही आ रही थी | मैं घबराकर दूसरी तरफ मुड़ गई | सागर अभी भी बॉल ढूँढने में लगा था |

हे भगवान!!! कहीं इसने मुझे देख तो नहीं लिया | मैं घबरा गई थी | हाथ-पैर कांपने लगे | ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे चोरी करते पकड़ लिया हो | मैंने झट से स्कार्फ़ चेहरे पर बाँध लिया |

और इतने में सागर भी आ गया |

क्या हुआ? ऐसे स्कार्फ़ से चेहरा क्यों ढक लिया?

मैंने कृतिका की तरफ इशारा किया |

कौन है वो?

पहले यहाँ से चलो, फिर बताती हूँ |

वो कृतिका है, टेंथ में मेरी क्लासमेट थी | पर अब नहीं क्योंकि उसने साइंस सब्जेक्ट लिया है | अगर कहीं उसने देख लिया तो पूरी स्कूल में ढिंढोरा पीट देगी कि दिव्या का किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है | मेरी तो कहानी ही बन जाएगी पूरी स्कूल में | साथ ही मम्मी पापा को भी पता चल जायेगा, कहते हुए मेरी सांस फूलने लगी |

डोंट वरी!!! ऐसा कुछ नहीं होगा और फिर वो भी तो किसी लड़के के साथ है |

उसका चलता है, वो मॉनिटर है | वो कैसे भी अपनी ज़िन्दगी जी सकती है | उसको कोई कुछ नहीं कहेगा | परेशानी तो हम मिडिल क्लास लड़कियों को उठानी पड़ती है | और कुछ दिनों से तो वो मुझसे जलने भी लगी है, जबसे मैंने वो मैच जीता है |

चलो, चलते हैं |

अभी तो पांच ही बजे हैं | थोड़ा और रुकते हैं, सागर ने घड़ी देखकर कहा |

नहीं!! प्लीज चलो!!

"प्यार किया है तो डर किस बात का!!" क्या मैं हरमन से यहीं कहूंगा की मेरी गर्लफ्रेंड डरपोक है!! सागर हँसते हुए बोला |

उसे हँसता देखकर मुझे गुस्सा आ गया था |

तुम लड़के ना ऐसे ही होते हो | कभी नहीं समझोगे | हर बात में मज़ाक, किसी भी चीज को सीरियसली नहीं लेते |

अच्छा बाबा!! ठीक है, ठीक है, "आई एम सॉरी" | "लेट्स गो" |

सागर ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की मैं थोड़ा झिझक रही थी |
क्या हुआ!! बैठो ना!!
झिझकते हुए मैं मोटर साइकिल पर बैठी पर इस बार उसके कंधे पर हाथ नहीं रखा था मैंने | सागर कुछ देर खड़ा रहा शायद वो मेरे उसके कंधे पर हाथ रखने का इंतज़ार कर रहा था |
चलो!!
ह्म्म्मम्म...........
मैंने कहा, चलो |
हाँ.........मायूस हो गया था वो |

और फिर मैं पूरे रास्ते भगवान जी का नाम रटते-रटते गई |

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