संजीव कुमार, विकास खन्ना, रणवीर बरार और कुणाल कपूर.................. अगर उनके पेरेंट्स ने उन्हें उनके मुताबिक करियर चुनने की आज़ादी न दी होती तो क्या आज वो जिस टॉप पोजीशन पर अभी है, क्या वहां होते!
पर ये सब सेलिब्रिटी शेफ हैं |
जन्म से तो सेलिब्रिटी नहीं बने | यहाँ तक पहुँचने के लिए इनको भी कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी |
और आप ऐसा क्यों सोच रहे हैं कि हमारा समर कुछ नहीं कर पायेगा | ये जो चॉकलेट ब्राउनी आप खा रहे हो ना समर ने ही बनाई है |
क्या!!!!!!!! ये सुनकर वे चौंके | उनके चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी थी | उनकी इस प्रसन्नता को देखकर मैं भी अभिभूत थी |
मेरी सोच को विराम तब लगा जब दरवाज़े की घंटी बजी |
समर और स्वरा थे|
समर के स्कूल की छुट्टी 2 बजे होती है |
आज उसके स्कूल में गेम्स टूर्नामेंट हुए थे इसलिए छुट्टी 5 बजे हुई और स्वरा इसी टाइम पर आती है, उसे हमने स्कूटी दिला रखी है, उसी से कोचिंग क्लास जाती है |
कैसा रहा टूर्नामेंट ? मैंने समर से पुछा |
बहुत बढ़िया | समर ने चहकते हुए बताया |
आपके बेटे को १०० मी रेस में फर्स्ट प्राइज मिला है |
"अरे वाह", मैंने अपने बेटे को गले लगा लिया | मैं तो ख़ुशी से फूली नही समां रही थी |
"कॉन्ग्रैचुलेशन्स"!! स्वरा ने शुभकामनाएं दी |
थैंक्स दी |
दोनों हमारी दुनिया है | स्वरा तो लाड़ली है अपने पापा की | वे उसकी हर ख्वाहिश पूरा करते हैं, इतनी तो समर की भी नहीं |
इन्होंने उसे कभी लड़कियों वाले खिलोने दिलाये ही नहीं | दिलाएं है तो बस बन्दूक, बैट-बॉल, बास्केटबॉल, एयरोप्लेन, कार आदि और समर के लिए पहला खिलौना कौनसा लेकर आये थे, हाँ....याद आया | हा....हा......हा.......हा.......गुड़िया |
स्वरा को वो गुड़िया बहुत पसंद आई थी | उसने ज़िद की मुझे ये गुड़िया चाहिए | बस फिर क्या था उन्होंने गुड़िया स्वरा को दे दी और समर को स्वरा का पुराना खिलौना दे दिया |
समर बहुत रोया था |
स्वरा ज़िद मत करो | समर को उसकी गुड़िया वापस दो, मैंने स्वरा को डांटा |
"नहीं", मैं नहीं दूँगी |
स्वरा ज़िद कर रही थी और समर जोर जोर से रो रहा रहा था | तब समर सिर्फ दो साल का था |
स्वरा!!!!!! और मैंने उसपर थप्पड़ चला दिया |
फिर स्वरा का रोना शुरू |
क्या हुआ? आवाज़ सुनकर धीरज आये |
देखिये ना, स्वरा ज़िद कर रही है |
समर का खिलौना उसे वापस नहीं दे रही |
अरे तो मैंने समर को दूसरा खिलौना दिया था ना |
पापा!!! और स्वरा भागकर उनके पास गई |
मम्मा ने मारा |
क्या? क्यों? उन्हें गुस्सा आ गया |
दिव्या!!!! मैंने तुमसे पहले भी कहा है, बच्चों पे हाथ नहीं उठाना चाहिए | इससे बच्चे बिगड़ते हैं |
हाँ, मैं मानती हूँ, पर देखिये ना, कितनी ज़िद कर रही है |
अब बच्चे ज़िद नहीं करेंगे तो क्या, तुम और मैं ज़िद करेंगे |
तुमको बच्चों को कैसे अटेंड करना है, कुछ भी नहीं आता | जब देखो तब बच्चों पे हाथ उठाती रहती हो | कॉमनसेन्स नहीं है बिलकुल भी | इडियट!!!!
रोते नहीं, मेरे बच्चे | मैं आपके लिए इससे भी अच्छी गुड़िया लेकर आऊँगा और वो स्वरा को लेकर अंदर चले गए |
कितनी आसानी से मर्द कह देते हैं, इडियट!!! कॉमनसेन्स नहीं है |
वे जिनके लिए हम अपना घर-बार, अपने पेरेंट्स, अपना आँगन, अपना घर, यहाँ तक की अपना सरनेम भी छोड़ देते हैं | उनके लिए ये कह देना कितना आसान है | मुझे बहुत बुरा लगा पर इन्होंने मुझे सॉरी तक नहीं कहा |