ये उन दिनों की बात है - 9 Misha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ये उन दिनों की बात है - 9

कामिनी, कामिनी, मैगज़ीन लेकर आई ? मैंने पूछा |

हाँ, हाँ, ये देख |

कितने अच्छे लग रहे हैं ना!!

तू तो ऐसे बोल रही है जैसे................

जैसे?

जैसे................ये तेरा वो हो |

वो? मतलब?

"पति"!!

तू भी पता नहीं, क्या-क्या सोचती रहती है, मैं शरमाई |

आय!! हाय!! हमारी मैडम शर्मा गई |

जिसके बारे में हम बात कर रहे थे ना, वो कुमार गौरव था | जिस फ़िल्मी मैगज़ीन में हम दोनों नज़रें गड़ाए हुए थे, उसमें कुमार गौरव का इंटरव्यू छपा था |

मैं एक औसत छात्रा थी | ठीक-ठाक थी पढ़ाई में | हम दोनों चौथी-पांचवी बेंच पर बैठते थे, क्योंकि आगे तो टॉपर लडकियां बैठती थी | वो मैडमों की चहेती हुआ करती थी और हम लोगों का पढ़ाई में ज्यादा दिमाग नहीं लगता था | लड़कियाँ तीन-तीन के ग्रुप में बैठती थी | कामिनी, सोनिया और मैं एक साथ | मानसी, निशा, राधिका हमारे जस्ट आगे वाली सीट पर बैठती थी | हम छहों की काफी अच्छी पटती थी | हम पीछे बैठकर मैगज़ीन पढ़ा करते थे और हीरो- हीरोइन की फोटो को काटकर अपने पास रखा करते थे |

तुम दोनों मैगज़ीन ही देखती रहोगी या मेरी तरफ भी देखोगी ? सोनिया ने हमारी तरफ देखते हुए कहा |

क्यों ? ऐसा क्या है तुझमें, सोनिया ? डिस्टर्ब मत कर |

और सोनिया ने अपना हेयरबेंड हटा कर दिखाया |

कैसा है मेरा हेयरस्टाइल ?

स्टेप कट!! हम दोनों ने एक साथ कहा |

रह गयी ना अटक के | है ना बिलकुल माधुरी टाइप!! कल ही करवाया था |

कितनी अच्छी लग रही है ना सोनिया !! कामिनी और मैंने एक दुसरे से कहा | सोनिया वाक़ई में बहुत सुन्दर लग रही थी |

इतने में टीचर आ गयी | कविता मेम, हमारी इंग्लिश टीचर और बहुत स्ट्रिक्ट है होमवर्क के मामले में | मैं और किसी विषय का होमवर्क करना भूल जाती थी पर इनका ना बाबा ना, कभी नहीं | इनकी आवाज़ ही इतनी कड़क थी कि पूछो मत | मैंने जल्दी से मैगज़ीन अंदर रखी और होमवर्क की कॉपी निकाल ली|

कृतिका!!

यस मेम |

कम हीयर|

कृतिका!! हमारी क्लास मॉनिटर और पढ़ाई में अव्वल |

चैक ऑल द कॉपीज, टीचर बोली |

उसने सबकी कॉपियां चेक की |

मेम, एवरीवन हेज डन होमवर्क |

नाइस टू हीयर, देट यू आर ऑल वर्किंग हार्ड, मेम ने सबकी तारीफ की | वैसे वो बहुत अच्छा पढ़ाती थी |

ओपन लेसन नंबर 3 एंड स्टार्ट रीडिंग, मैडम बोली | वो इंग्लिश में ही बात करती थी ताकि हम सब पूरा लेसन अच्छे से सीख सकें | वो हम सबसे पढ़वाती और हिंदी में उसका अर्थ भी समझाती | उनकी वजह से आज मेरी इंग्लिश काफी अच्छी है | केवल उनका सब्जेक्ट ही मैं मन लगाकर पढ़ती थी और उसमे मेरे नंबर भी अच्छे आते थे |

इतने में दूसरी घंटी बजी |

रीड दिस चैप्टर एट होम टुमारो एन्ड आई विल आस्क यू, टीचर ने कहा और चली गयी |

इसके बाद हिंदी का पीरियड आया | हिंदी की मेम थोड़ी फैशनेबल थी | जैसी साड़ी पहनकर आती, वैसी ही बिंदी लगाती थी, उसी कलर की चूड़ियाँ, कभी खुले बाल, कभी चोटी तो कभी जूड़ा बनाकर | साड़ियाँ भी एक से बढ़कर एक पहनती थी | जैसे फिल्मों में जया पर्दा, श्रीदेवी और रेखा पहनती थी |

देख, आज मेम मिस्टर इंडिया की श्रीदेवी वाली साड़ी पहन कर आई है, मैंने कामिनी को आँख मारते हुए कहा |

मैं तो अपनी बहन की शादी में ऐसी ही साड़ी पहनूँगी, सोनिया हाथ नचाते हुए बोली |

कब है तेरी बहन की शादी? हमने पूछा |

अक्षय-तृतीया को |

घर पर ही कर रहे हैं शादी ?

अरे नहीं, नहीं!! पापा ने एक बड़ा हॉल बुक किया है | मेरी दीदी तो अभी से ही शॉपिंग कर रही है और शादी के दिन तैयार होने ब्यूटी पार्लर जाएंगी दीदी |

क्या? सब हैरान |

उस समय पार्लर जाना मतलब............... जैसे कोई चोर किसी घर में चोरी करने दबे पाँव आता है ठीक उसी तरह लडकियां भी चोरी छुपे पार्लर जाती थी | अगर बुआ, दादी या ताईजी को पता चल जाता तो हाय तौबा मच जाती थी | फिर उस लड़की की मम्मी की शामत आ जाती थी |

संभाल के रख, छोरी को | नाक कटवाने पर तुली हुई है |

आजकल की छोरियों के तो अभी से पर निकल गए हैं | हमारे ज़माने में तो घर पर ही तैयार उबटन, हल्दी आदि से चेहरा चमक उठता था और इन्हें देखो नाज़ नखरे करने लगी है | राम रे राम !!! कैसा कलजुग आ गया है |

लंच में.....................

और तू क्या लेके आयी है, टिफिन में |

आलू के परांठे और तू |

मैं छोले भठूरे |

मैं आलू पूरी | हमेशा ही एक- दुसरे से पूछते हम सब और खाना शेयर करके खाते थे |

अभी तीज पर दीदी के ससुराल वाले आ रहे हैं और जीजाजी भी आ रहे हैं, इसलिए हम सबने मिलकर आमेर जाने का प्रोग्राम बनाया है, खाना खाते हुए सोनिया बता रही थी |

तेरे मम्मी पापा भी जायेंगे |

अरे नहीं सिर्फ हम बच्चे और दीदी-जीजाजी | इसलिए ही तो मैंने हेयरकट करवाया है |

मेरे जीजाजी इंजीनियर है और रोके पर बहुत सारा सामान लाये थे दीदी के लिए |

काश!!!!! मेरा भी पति ऐसा ही हो, कामिनी बोली |

हाँ यार, सच में, मैंने भी कामिनी के सुर में सुर मिलाया |

मैं तो जीजाजी से जूता छुपाई शगुन के एक-हजार मांगने वाली हूँ |

एक हजार!! हमसभी चौंकी |

और नहीं तो क्या |

यार, तेरी तो किस्मत बहुत ही अच्छी है |

काश!! हमारी भी कोई बड़ी बहन होती ! हम दोनों ने मायूस होते हुए कहा