Dr Vinita Rahurikar लिखित उपन्यास एक जिंदगी - दो चाहतें

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एक जिंदगी - दो चाहतें द्वारा  Dr Vinita Rahurikar in Hindi Novels
बचपन से ही भारतीय सेना के जवानों के लिए मेरे मन में बहुत आदर था। मेरे परिवार में कोई भी सेना में नहीं है। मैंने सिर्फ सि...
एक जिंदगी - दो चाहतें द्वारा  Dr Vinita Rahurikar in Hindi Novels
तनु के चेहरे पर अब थकान लगने लगी थी। परम ने उसे अब बाकी का काम बाद में करने को कहा।
सूप पीकर और नूडल्स खाकर तनु और परम...
एक जिंदगी - दो चाहतें द्वारा  Dr Vinita Rahurikar in Hindi Novels
'अरे ये तुम्हारे चेहरे पर लाल-लाल दाने से क्या हो गये हैं? सुबह-सुबह तनु के गाल और ठोडी पर लाल दाने देखकर परम घबरा...
एक जिंदगी - दो चाहतें द्वारा  Dr Vinita Rahurikar in Hindi Novels
पाँच बरस पहले की वह रात आज भी याद है परम को, बरसात का मौसम था। उस साल आसमान अपनी सारी सीमाएँं तोड़कर बरस रहा था सारी सृष...
एक जिंदगी - दो चाहतें द्वारा  Dr Vinita Rahurikar in Hindi Novels
सैकड़ों मील दूर अहमदाबाद शहर में। रात के डेढ़ बजे एक लड़का और एक लड़की अपनी पीठ पर सामान से भरे बैग लादकर सड़क पर तेजी स...