Kisi ne Nahi Suna book and story is written by Pradeep Shrivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kisi ne Nahi Suna is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
किसी ने नहीं सुना - उपन्यास
Pradeep Shrivastava
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 रक्षा-बंधन का वह दिन मेरे जीवन का सबसे बड़ा अभिशप्त दिन है। जो मुझे तिल-तिल कर मार रहा है। आठ साल हो गए जेल की इस कोठरी में घुट-घुटकर मरते हुए। तब उस दिन सफाई देते-देते शब्द खत्म हो गए थे। चिल्लाते-चिल्लाते मुंह खून से भर गया था। मगर किसी ने यकीन नहीं किया। पुलिस, कानून, दोस्त, रिश्तेदार, बच्चे और बीवी किसी ने भी नहीं। सभी की नज़रों में मुझे घृणा दिख रही थी। सभी मुझे गलत मान रहे थे। मेरी हर सफाई, हर प्रयास घृणा की उस आग में जलकर खाक
किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 रक्षा-बंधन का वह दिन मेरे जीवन का सबसे बड़ा अभिशप्त दिन है। जो मुझे तिल-तिल कर मार रहा है। आठ साल हो गए जेल की इस कोठरी में घुट-घुटकर मरते हुए। ...और पढ़ेउस दिन सफाई देते-देते शब्द खत्म हो गए थे। चिल्लाते-चिल्लाते मुंह खून से भर गया था। मगर किसी ने यकीन नहीं किया। पुलिस, कानून, दोस्त, रिश्तेदार, बच्चे और बीवी किसी ने भी नहीं। सभी की नज़रों में मुझे घृणा दिख रही थी। सभी मुझे गलत मान रहे थे। मेरी हर सफाई, हर प्रयास घृणा की उस आग में जलकर खाक
किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 तभी मेरे दिमाग में पत्नी से पिछली रात को हुई बहस याद आ गई जिसकी तरफ से घर पहुंचने पर ही ध्यान हटा था। उस रात खाने के वक़्त वह उदास ...और पढ़ेलग रही थी। मैंने तब कोई ध्यान नहीं दिया था। ड्रॉइंगरूम में टी.वी. पर देर तक मैच देखकर जब बेडरूम पहुंचा तो देखा लाइट ऑफ थी। नाइट लैंप भी ऑफ था। लाइट ऑन की तो देखा वह बेड पर एक तरफ करवट किए लेटी है। पीठ मेरी तरफ थी इसलिए यह नहीं जान पाया कि सो रही है कि जाग
किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 संयोग यह कि इसे मैंने एक बार संजना के यह कहने पर ही खरीदा था कि यार कब तक पुराने मोबाइल पर लगे रहोगे। इससे आवाज़ साफ नहीं आती। नया लो ...और पढ़ेआज उसी मोबाइल ने हमारी पोल खोल दी थी। मुझे हक्का-बक्का देखकर बीवी कुछ क्षण मुझे देखती रही फिर मोबाइल मेरी तरफ धीरे से उछाल दिया। उसकी आंखें भरी थीं। वह बेड से उतर कर अलमारी से अपना नाइट गाउन निकालने को चल दी। मेरी एक नजर उसके बदन पर गई मगर मेरा मन शून्य हो गया था। भावनाहीन हो
किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 डेढ़-दो महीने में ही हम दोनों के संबंध अंतरंगता की सारी सीमा तोड़ने को मचल उठे। दीपावली की छुट्टी के बाद जब वह ऑफ़िस आई तो बहुत ही तड़क-भड़क के साथ। ...और पढ़ेके फूल सी पीली साड़ी जिस पर आसमानी रंग के चौड़े बार्डर और बीच में सिल्वर कलर की बुंदियां थीं। अल्ट्राडीप नेक, बैक ब्लाउज के साथ उसने अल्ट्रा लो वेस्ट साड़ी पहन रखी थी। अन्य लोग जहां उसकी इस अदा को फूहड़ता बता रहे थे वहीं वह मुझे न जाने क्यों सेक्स बम लग रही थी। मिलते ही मैंने उससे
किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 मगर इन सब के बावजूद मैंने कभी भी संजना के तन को पाने के लिए गंभीरता से नहीं सोचा था। इसलिए जब अचानक ही उसने एल.ओ.सी. अतिक्रमण का अधिकार मुझे देने ...और पढ़ेबात बेहिचक कही तो मैं हतप्रभ रह गया था। मैं व्याकुल हो उठा था इस बात के लिए कि वह अपनी बातों को विस्तार न दे तुरंत बंद कर दे। लेकिन वह चुप तब हुई जब शाम को कहीं अलग बैठकर बात करने का प्रोग्राम तय हो गया। तय स्थान पर पहुंचने के लिए हम दोनों छुट्टी होने से एक