हॉंटेल होन्टेड - उपन्यास
Prem Rathod
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
रात का खामोशी से भरा अंधेरा काला साया, हल्की हल्की गिरती बारिश की बूंदे ,एक पतली सी सड़क और उसके दोनों तरफ घना जंगल।बारिश की वजह से सड़क गीली हो चुकी थी,तभी उस सुनसान सड़क पर एक इंसान नजर ...और पढ़ेजो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।उसने काले रंग का लंबा सा कोट पहना हुआ था, गर्दन में मोटा सा मफलर और हाथों में ब्लैक कलर के ग्लव्ज पहन रखे थे, उसने बारिश से बचने केेेेे लिए छाता ले रखा था,उसके चलने की वजह से अजीब सी आवाज आ रही थी की तभी.............
रात का खामोशी से भरा अंधेरा काला साया, हल्की हल्की गिरती बारिश की बूंदे ,एक पतली सी सड़क और उसके दोनों तरफ घना जंगल।बारिश की वजह से सड़क गीली हो चुकी थी,तभी उस सुनसान सड़क पर एक इंसान नजर ...और पढ़ेजो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।उसने काले रंग का लंबा सा कोट पहना हुआ था, गर्दन में मोटा सा मफलर और हाथों में ब्लैक कलर के ग्लव्ज पहन रखे थे, उसने बारिश से बचने केेेेे लिए छाता ले रखा था,उसके चलने की वजह से अजीब सी आवाज आ रही थी और उस जगह पर इतनी शांति थी की वह उस
मौत का नाम सुनकर उस आदमी की आंखें बड़ी हो गई और कमरे में सन्नाटा छा गया उस आदमी ने फिर आगे कहना शुरू किया।सुबह का समय था अच्छी खासी धूप निकली हुई थी, सूरज ने उस जगह अपनी ...और पढ़ेछाप छोड़ रखी थी,वातावरण भी खुशनुमा था जंगल वाला पहाड़ी इलाका और बहुत सारे घने पेड़ थे।सूरज की रोशनी उन पेड़ों के बीच मेंं से निकलती हुई आ रही थी।उसकी थोड़ी दूरी पर पेड़ काटकर एक बड़ी जगह बनाई गई थी और वह जगह काफी खुली थी,उस जगह पर सब सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था और सभी तरफ काम होने
लाश का नाम सुनकर राजीव कुछ देर के लिए सन्न हो गया।वह बस कुछ देर तक अजय के सामने सवालिया नजरों से देखता रहा।पूरे हॉल में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया।बाहर से बस तेज हवाएं चलने की आवाज ...और पढ़ेरही थी आखिर कार राजीव ने उस सन्नाटे को तोड़ते हुए कहा,' यह क्या कह रहे हो तुम इन सब मजदूरों ने तो कहा था कि लाश अब तक नहीं मिली है।'उन सब को कुछ पता नहीं है,अगर पता चल जाता तो अभी तक बहुत बड़ा बवाल मचा देते और वैसे भी मुझे जिस हालत में वह लाश मिली है
अजय को कंधे पर किसी का हाथ महसूस होते ही वह सहमकर पीछे हट गया। अजय को अंधेरे में किसी का साया दिखाई दिया,जिसे देख कर उसका गला सूख गया, 'कौन........कौन हो तुम? देखो चले जाओ नहीं तो मैं......' ...और पढ़ेहुए वह जमीन पर कुछ ढूंढने लगा,लेकिन तभी उसके कान में आवाज पड़ी ,' साहब मैं हूं ' जिसे सुनकर उसने अपनी सामने की तरफ देखा तो रघु खड़ा था ,जिसे देखकर उसे कुछ राहत महसूस हुई।' तू यहां क्या कर रहा है रघु 'अजय ने अपना चेहरा साफ करते हुए कहा।' साहब आपने जब यहां आने का फैसला किया
दूसरे दिन सब लोग उसी जगह पर खड़े थे पिछली रात जो कुछ भी हुआ उसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चला। इंसान स्वार्थ और लालच में इतना अंधा हो जाता है कि उसे अपने अलावा ...और पढ़ेकुछ भी दिखाई नहीं देता और एक दिन वही लालच उस इंसान को ले डूबती है। देखो यहां पर कुछ भी नहीं है तुुम लोग डरना बंद करो और काम शुरू करो राजीव ने सामनेे खड़ी सभी मजदूरों से कहा। तो फिर अजय साहब कहां गए वहां खड़े मजदूरों में से एक आदमी आगे आते हुए बोला। रही बात उस अजय की तो वहां
'Film Reel कहां गई?' निकुंज की आवाज में परेशानी थी क्योंकि फिल्म जो प्रोजेक्टर में होनी चाहिए थी वह वहां पर नहीं थी। निकुंज ने वहां रूम में ढूंढना शुरू किया पर वह Reel उसे कहीं दिखाई नहीं दी। ...और पढ़ेसब इंतजार कर रहे थे कि तभी वहां चल रही सभी लाइट्स ऑफ हो गई और रूम में अंधेरा छा गया। एक अजीब सी आवाज के साथ प्रोजेक्टर स्टार्ट हो गया,उसने से रोशनी निकली जो सामने स्क्रीन पर जा टकराई और सभी के सामने एक पिक्चर ऊपर कर आ गई।स्क्रीन पर सभी को सामने एक पुरानी सी हवेली दिखाई दी।सामनेेे
'क्या मजाक है यह??... दिल कहां है इनका?'राजीव की बात सुनकर संजय कुछ देर तक उसे देखता ही रह गया,संजय नेेेेे राजीव के चेहरे की और देखा राजीव अपनेेे सवाल के जवाब की उम्मीद में संजय की तरफ़ ही ...और पढ़ेरहा था।'यही तो में जान नहीं पाया आज तक.....'संजय ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा।'क्या मतलब?..आपको नहीं पता कि उनके साथ यह सब कैसे हुआ? बिना शरीर पर एक भी खरोच आए उनकी इस तरह से मौत कैसे हुई?'आपके होटल का काम शुरू हुआ तब मैंने उस समय जिन लोगों के पोस्टमार्टम किए थे,उनकी मौत की बिल्कुल इसी तरीके
एक अजीब सी आवाज आई और उसके साथ होटल का दरवाजा खुल गया। यह देख कर निकुंज की सांस गले में अटक गई।वह कुछ देर तक बस ऐसे ही खड़ा रहा, उसे देखकर पीछे खड़ा पाटिल घबरा गया, उसने ...और पढ़ेनीचे फेंकी और उसे पैरों से बुझा दिया।वह चलते हुए निकुंज के पास आया और आते ही उसने अपना सवाल किया।'तुमने तो कहा था कि होटल बंद है,फिर यह दरवाजा कैसे खुल गया?'पर निकुंज ने पाटिल को सुना नहीं,जैसे वह अपने ही ख्यालों में खोया हुआ हो। उसे इस तरह से देखकर पाटिल ने उसके कंधे को पकड़कर उसे हिलाया,'
पाटिल के जाने के बाद राजीव उन्हीं सब बातों के बारे में सोचता रह गया, उसे अभी भी इसी बात का डर था कि कहीं होटल के Reputation कोई नुकसान ना हो क्योंकि अगर यह बातें कहीं किसी भी ...और पढ़ेसे बाहर आई तो होटल की image पर बहुत बड़ा effect हो सकता था और वैसे भी होटल को opening के दिन जो कुछ भी हुआ उस चीज को लेकर वैसे भी लोग बहुत सारी बातें बना रहे थे।इन्हीं सब बातों के बारे में सोचकर राजीव वहीं सोफे पर बैठ गया,बाहर बादलों के गरजने की अभी भी आवाज आ रही थी।
जयदीप के जाते ही मनीष ने तुरंत ही रूम का दरवाजा जल्दी से बंद कर दिया, क्योंकि अगर जयदीप कुछ देर ओर यहां रुकता तो मनीष पक्का उस से लड़ पड़ता। पर मनीष को एक बात समझ नहीं आ ...और पढ़ेथी कि "इस होटल के स्टाफ का एक मेंबर होकर, इसी होटल में ही काम करते हुए,कोई होटेल के बारे में ऐसी बातें क्यों करेगा?जिससे इसी की होटल वालों को नुकसान हो। ऐसी बात करने से जो लोग यहां आए हैं, वह भी दोबारा डर की वजह से नहीं आएंगे।"पर उसे जयदीप की एक बात याद आती है उसने कहा था कि यह होटल का Theme ही Horror सिलेक्ट किया गया था, यह
अंकिता मनीष से अलग होती है उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी। मनीष उसके चेहरे को देखता है,वह खुश था कि अंकिता को यहां आकर अच्छा लग रहा था।अंकिता वापस कमरे में आकर फ्रेश होने के लिए चली जाती ...और पढ़ेऔर मनीष एक बार फिर वादियों की ओर देखने लगता है। यहां का मौसम उसे एक अलग तरह का सुकून दे रहा थी वह इन सब खयालों में कितनी देर वहां खड़ा रहता है उसे पता ही नहीं चलता कि तभी अंकिता पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है "अरे तुम अभी तक यहीं पर खड़े हो!"
मनीष और अंकिता चलते हुए पार्टी में ही जा रहे थे। पार्टी रखी थी वह हॉल होटल में पीछे की तरफ गार्डन के बिल्कुल बगल में ही था। वहां एक दरवाजा जिसे खोलकर बाहर जाने पर वह लोग सीधा ...और पढ़ेमें पहुंचे जाते थे। मनीष और अंकिता हॉल में पहुंचे दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए चल रहे थे।पूरा हॉल रोशनी में जगमगा रहा था।होल की साइड में बैठने के लिए Arrangement किया गया था और left side में सभी तरह के drinks भी रखे हुए थे।
अंकिता की चीख सुनकर वह तीनों चौंक चाहते हैं और आवाज की दिशा में दौड़ने लगते हैं।वहां पहुंचकर देखते हैं तो अंकिता जमीन पर बैठी हुई थी, उसकी आंखें डर की वजह से खुली की खुली रह गई थी,इतने ...और पढ़ेमौसम में भी उसका चेहरा पसीने से तरबतर था, उसके चेहरे पर डर साफ साफ दिख रहा था। मनीष तुरंत दौड़ते हुए अंकिता के पास पहुंचता है और अंकिता से पूछता है "क्या हुआ अंकिता! तुम चिल्लाई क्यों?" पर अंकिता ने अभी भी मनीष के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया वह बस उन झाड़ियों की ओर अपना मुंह करके बैठी हुई थी
मनीष और राज दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी उन्हें पीछे से आवाज सुनाई देती है "क्या आप लोग उस भूतिया जगह में ठहरे हैं?"यह आवाज सुनकर वह चारों चौक जाते हैं और पीछे मुड़कर देखने लगते ...और पढ़ेवह पीछे देखते हैं तो पाते हैं कि एक आदमी उन लोगों के पीछे खड़ा था उसके कपड़े को देखकर यह कह सकते हैं कि कोई आम आदमी होगा, वह चलते हुए उन चारों के पास आता है।
सभी लोग अंदर जंगल की ओर बढ़ने लगते हैं पर तभी मनीष को अंकिता के पैरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है इसलिए वहां पीछे मुड़कर देखता है तो पाता है कि अंकिता उसके पीछे नहीं है ...और पढ़ेवह चौकते हुए बोल पड़ता है,'अंकिता..!!??!!अरे अंकिता कहां गई?' मनीष की आवाज सुनकर राज और रिया भी रूक जाते हैं और इधर उधर देखने लगते हैं, पर उन्हें अंकिता कहीं नहीं दिखाई देती। तीनों मिलकर अंकिता को जंगल में ढूंढने लगते हैं,वह तीनों दौड़ते हुए जंगल के बाएं हिस्से की ओर बढ़ने लगते हैं। जंगल का यह हिस्सा ज्यादा गहरा
मनीष अभी वापस सोने की कोशिश ही कर रहा था कि तभी उनके रूम के दरवाजे पर दस्तक होती है। उसकी आवाज सुनकर मनीष और अंकिता दोनों की नींद उड़ जाती है। मनीष अंकिता की ओर देखते हुए कहता ...और पढ़े'इतनी सुबह सुबह-सुबह इस वक्त कौन हो सकता है?' अंकिता भी हैरानी भरी नजरों से दरवाजे की ओर देखते हुए कहती है 'पता नहीं मनीष?' बेड पर से उठते हुए मनीष कहता है 'तुम बैठो मैं जा कर देखता हूं।' इतना कहकर मनीष रूम का दरवाजा खोलता है तो उसके सामने राज खड़ा था वह बहुत डरा और सहमा हुआ
'हेलो मैं ऊंटी के सिविल हॉस्पिटल से बोल रही हूं,आपकी पत्नी रिया की हालत बहुत खराब ह,आप जल्द से जल्द यहां आ जाईए' इतना कहने के बाद फोन कट हो जाता है। नर्स की बात सुनकर राज जैसे पत्थर ...और पढ़ेहो गया था। वह कुछ बोल नहीं रहा था उसके हाथ में फोन था। उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी। दोनों इस वक्त रोड के साइड पर खड़े थे, हवाएं इस वक्त बहुत तेज चल रही थी और ऊपर से बादलों के गरजने की भी आवाज आ रही थी। इन सब माहौल के बीच पास से गुजरती गाड़ियों