हॉंटेल होन्टेड - भाग - 5 Prem Rathod द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 5

दूसरे दिन सब लोग उसी जगह पर खड़े थे पिछली रात जो कुछ भी हुआ उसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चला। इंसान स्वार्थ और लालच में इतना अंधा हो जाता है कि उसे अपने अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं देता और एक दिन वही लालच उस इंसान को ले डूबती है।

"देखो यहां पर कुछ भी नहीं है तुुम लोग डरना बंद करो और काम शुरू करो" राजीव ने सामनेे खड़ी सभी मजदूरों से कहा।
"तो फिर अजय साहब कहां गए"वहां खड़े मजदूरों में से एक आदमी आगे आते हुए बोला।
"रही बात उस अजय की तो वहां भगोड़ा सब कैसे लेकर यहां सेे कल रात को भाग गया मैं भी इसी बात से परेशान हूं।"
"अजय साहब का अचानक ईस तरह से भाग जाना हमारेेे दिमाग में कई सवाल
पैदा कर रहा है,कहीं आप हमसे कुछ छुपाा तो नहीं रहे हैं?"
"देखो तुम लोग बेकार में अपनाा दिमाग चलाना बंद करो और काम शुरू करो जो सच्चाई थी मैंने तुम्हें बता दी अब और मुझे कुछ सुनना नहीं है" राजीव ऊंची आवाज मेंं बोला।

"और वैसेे भी मैं तुम लोगों को यहां काम करने के सबसेे ज्यादा पैसे लेता हूं फिर भी तुम लोग यह काम छोड़़ कर गए तो, इस इलाके में कोई तुम्हें काम पर नहीं रखेगा फिर तुम लोग अपना कर कैसे चलाओगे?"
राजीव ने सभी मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए इस तरह से अपनी बात कही की,वहांं खड़े सभी लोगों में से कोई कुछ नहीं बोला और सब लोग वहां काम करने के लिए तैयार हो गए,राजीव ने उन्हें कल से काम शुरू करने के लिए कहा और सभी लोग अपनेेेेे घर की ओर चले गए।

मजदूरों के जाने के बाद राजीव अपने ऑफिस की तरफ चल पड़ा,ऑफिस पहुंचकर उसनेेे सबसे पहले फोन उठाया,"हेलो मिस्टर पाटिल आप जहां पर भी हो तुरंत मेरे ऑफिस आ जाइए,मैं इसी वक्त आपसे मिलना चाहता हूं"राजीव थोड़ी देर तक अपने ऑफिस में बैठकर कुछ सोचता है,तभी उसके ऑफिस का दरवाजा खुुलता है और उसके सामने एक आदमी पुलिस Uniform में खड़ा था।

"आईए मिस्टर पाटील बैठीए"
कहींए सर आपको ऐसी क्या बात थी कि जिसको कहनेेेे के लिए आपने मुझे यहां बुलाया"
"आपने वह जगह तो देखी ही है ना, जहां पर मेरा काम चल रहा है"
"हां सर"
"मुझेेे उस जगह की और उससे जुड़ेे सभी लोगों की डिटेल्स चाहिए"
"ठीक है सर पर... मैं एक बात पूछ सकता हूं कि आप उस जगह के बारे में क्योंं जानना चाहते है?"
"सब मजदूर कह रहे हैंं कि वहां पर कोई आत्मा है इसीलिए में कुछ जगह के बारे में जानना चाहता हूं"
"आपको क्या लगता है मिस्टर पाटिल, क्या सच मेंं वहां पर कोई आत्मा है?"
"नहीं सर मुझे उस जगह के बारे में कुछ पता नहीं है इसलिए मैं कुछ नहीं कह सकता"
"ठीक है आप जा सकते हैं अगर आपको कोई जानकारी मिले तो मुझे जरूर इन्फॉर्म करना"
"ओके सर"इतना कहकर पाटिल वहां से निकल गया।

पाटील के जाते ही राजीव ने किसी को फोन लगाया,"हेलो सर काम शुरू हो गया है, आप चिंता मत कीजिए मैं यहां पर सब कुछ संभाल लूंगा"कुछ देर सुननेे के बाहर उसने वापस बोलना शुरू किया,"नहीं सर फिलहाल तो मुझे उस जगह के बारे में कुछ पता नहीं है ,जैसे ही कुछ पता चलेगा, मैं आपको बता दूंगा...हां... हां सर आपने सही कहा कुछ बड़ा करने के लिए छोटी मोटी कुर्बानियां तो देनी ही पड़ती है, हां सर...ओके" इतना कहकर उसने फोन रख दिया।

पुलिस स्टेशन में....

"अरे कमलेश मेरा एक काम करना"पाटिल ने अंदर घुसते ही उसने एक सब इंस्पेक्टर को ऑर्डर दिया।
"जी,सर बोलिए"
"राजीव सर का जिस जगह पर काम चल रहा है और उसके आगे जो पुलिस स्टेशन है,उन दोनों जगह की मुझे डिटेल्स्स चाहिए।"
"वो खंडहर सर?"
"हां...हांं वही"
"आपको उस जगह में क्या काम आ गया सर?"
"मुझे यह जानना है कि वहां पर किस की पोस्टिंग हुई थी और उसके बाकी यूनिट के बारे में भी, क्योंकि मेरे यहां पोस्टिंग की वजह मुझेेे बताई नहीं गई थी। मैं सोच रहा हूं कि उसके बारे में कुछ पता कर लूं मुझे लगताा है की उन दोनों जगह का आपस में कुछ तो लिंक है।"
"हम सभी को भी यहां पोस्टिंग का रीजन नहीं बताया है आप चिंता मत कीजिए आपका काम हो जाएगा" इतना कहकर कमलेश वहां से चला गया।

3 दिन बाद

पता नहीं क्यों पर उस जगह पर एक अजीब सा बदलाव देखने को मिला। अब वहां शांति से काम हो रहा था, किसी को कोई भी परेशानी नहीं हो रही थी, चारों तरफ बड़ी-बड़ी मशीनें थी और सब लोग अपना अपना काम कर रहे थे, तभी राजीव का फोन बजता है।

"हां, मिस्टर पाटिल बोलिए"
"सर आपने जो काम दिया था वह पूरा हो भी गया और नहीं भी"
"क्या मतलब?आपको उस जगह के बारे में पता चल गया?"
"उस जगह एक बहुत बड़ा घर था किसी मेंशन के जैसा और वहां पर एक परिवार भी रहता था, पर उस जगह बहुत बड़ा हादसा हुआ था, उसके बाद किसी को पता नहीं कि वह लोग कहां गए उसके थोड़ी दूर पर जो पुलिस स्टेशन था, उसमें भी उस हादसे के बाद कोई नहीं बचा ,बड़ी मुश्किल से मैंने एक फाइल निकलवाई है।"
"वह तो मुझे पता है कि उस जगह पर एक बहुत बड़ा घर था,पर उस घर के मालिक के बारे में आपको कुछ पता चला या उनके परिवार के बारे में? क्या उनका कोई सदस्य उस हादसे में नहीं बच पाया?"
"उसके बारे में तो मुझे ज्यादा नहीं पता सर?"
"ठीक है उसके थोड़ी दूर पर जो पुलिस स्टेशन था... उसमें कौन-कौन थे?"
"उसने एक इंस्पेक्टर और कुछ हवालदार थे बस"
"हमम.... चलिए कोई बात नहीं, आगे अब इसकी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी अगर कोई और काम होगा तो आपको फोन करूंगा"
"जी बिल्कुल" इतना कहकर पाटिल ने फोन रख दिया।

पुलिस स्टेशन में

"क्या हुआ सर?आप किस चीज के बारे में सोच रहे हैं?"कमलेश ने पाटिल की तरफ देखते हुए कहा।
"कुछ खास नहीं है,पर.... वह जगह सचमुच बहुत अजीब है।"
"मतलब आप भी.....?"
"नहीं....नहीं पर जब ने उस दिन वहां पर गया तो अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी।"
"आपके कहने का मतलब नहीं समझा मैं?"
"उस जगह पर कोई बहुत बड़ा राज छुपा हुआ है,जिससे हम लोग अभी तक अनजान है"पाटिल की बात सुनकर कमलेश उनके चेहरे को देखता ही रह गया।

उस दिन के बाद फिर कोई हादसा नहीं हुआ। सभी मजदूर जल्दी से जल्दी काम खत्म करके उस जगह से पीछा छुड़ाना चाहते थे।2 दिन का काम 1 दिन में खत्म हो रहा था,पर साथ ही साथ कुछ अजीब सी घटनाएं भी होती थी,अगर कोई मजदूर से काम में कोई कमी रह जाती तो वह अपने आप ठीक हो जाती,जैसे कोई हो जो चाहता हो कि Hotel बनने में कोई भी कसर बाकी ना रहे,पर उससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचा और ऐसे ही कई दिन बीत गए।

5 साल बाद

रात का वक़्त था वही जगह थी, पर इस बार माहौल कुछ अलग ही था, उस जगह पर काफी सारे लोग इकट्ठे हुए थे ,वह जगह रोशनी के कारण जगमग आ रही थी आसमान बिल्कुल साफ था चांद की चांदनी पूरे जगह में बिखरी हुई थी और सामने एक शानदार होटेल था।

"You are very funny Mr.Robert" धवल ने रोबर्ट से हाथ मिलाते हुए कहा।
"सर आ जाइए रिबन काटने का वक्त हो गया है" राजीव ने मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ रोबर्ट के पास आते हुए कहा।
"Here,you go Mr Robert" धवलने रोबर्ट के हाथ में कैंची देते हुए कहा।
"Thank you Dhaval" इतना बोल कर रोबर्ट ने रिबन काटी और उस जगह पर तालियों का शोर गूंज उठा।

उन सबके सामने एक बड़ी बिल्डिंग थी,जिस पर बड़े से लाल अक्षरों में लिखा हुआ था "Dark Haunted Night Hotel" जिस दिन का राजीव को कई दिनों से इंतजार था आखिरकार वह दिन आ गया था, क्योंकि आज होटेल का Inauguration था इसलिए वह बहुत खुश था।

सब लोग होटेल के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगे, होटेल के दरवाजे पर बहुत अच्छा काम किया हुआ था और बहुत ही अद्भुत कलाकृतियां बनाई हुई थी। सामने खड़े स्टाफ ने उन सबको वेलकम किया और सब लोग एक-एक करके अंदर चले गए।
अंदर का नजारा वाकई बहुत खूबसूरत था,एक बहुत बड़ा हॉल था, पूरे हॉल के एक एक कोने पर बड़े-बड़े स्टेचूस लगे हुए थे,ऊपर छत की तरफ डरावने चेहरे लटकाए हुए थे ,जिसमें से रोशनी आ रही थी।होल में ज्यादा लाइट्स नहीं थी क्योंकि इस होटल का Theme ही Horror Decoration पर था,होटल की दीवार पर बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स लगी हुई थी, जैसे कुछ कहना चाहती हो।बहुत ही अद्भुत कलाकारी की गई थी, इस सजावट ने उस जगह को ओर भी आकर्षक और डरावना बना दिया था।

"Wow.... this is amazing मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि यह सब कुछ इतना खूबसूरत है जैसे सब कुछ रियल हो"रॉबर्ट ने खुश होते हुए कहां।
"Yeah it's really nice यह सब कुछ कितना रियल और ब्यूटीफुल है" धवलने रोबर्ट की बात का समर्थन करते हुए कहा।
तभी एक आदमी हुई सबके सामने आकर खड़ा हो गया उसने ब्लैक रंग का सूट पहना हुआ था और उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
"Welcome to the Hotel sir मैं हूं निकुंज शर्मा यहां का मैनेजर,आप सब लोगों का स्वागत है"
"निकुंज सब तैयारी तो अच्छे से हो गई है ना?" राजीव ने कहा।
"बिल्कुल सर सब चीज तैयार है I hope you like it"
"मैंने आपको कहा था ना कि काम ऐसा होगा के सब लोग देखते रह जाएंगे इस जगह का नाम चमक उठेगा और यहां आने के लिए लोगों की लाइन लग जाएगी"राजीव खुश होते हुए बोला।
"तुमने एकदम सही कहा राजीव, बेशक तुमने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी, उम्मीद से ज्यादा तुमने इसे खूबसूरत बनवाया है"
"थैंक्यू सर हमने हर छोटी से छोटी चीज का खयाल रखा है इसका आर्किटेक्चर इतना बेहतरीन है कि शायद ही इंडिया में मिले।"
"मैं जानता था इसलिए मैंने तुम्हें यह काम सौंपा था तुमने बहुत अच्छा काम किया है।"

राजीव के चेहरे से खुशी हटने का नाम नहीं ले रही थी, वह इधर उधर घूमने लगा सभी लोग होटेल की तारीफ कर रहे थे ,जिसे सुनकर उसकी खुशी ओर भी बढ़ गई। राजीव अपनी मेहनत से बनवाई हर चीज को निहार रहा था ,उसने छत की तरफ देखा तो Mirrors का काम बहुत खूबसूरत किया था, इसके अलावा पूरे हॉल में झूमर लगाए गए थे और की छत की लंबाई इतनी बड़ी थी कि कुछ फीट की दूरी पर हर एक झूमर लगा था,जो उस होल को अलग ही खूबसूरती दे रहा था उसकी Wood Flooring भी लाजवाब थी।

"सच में यार जगह कितनी खूबसूरत बनाई है, देखकर मजा आ गया"एक लड़के ने ड्रिंक लेते हुए कहा।
"Yeah this place is awesome पर मुझे तो डर भी लग रहा है देखो ना कैसे मास्क कि वह आकर मुझे घूर रही है"उस लड़के के साथ खड़ी लड़की ने कहा।

लड़की की बात सुनकर उस लड़के ने मास्क की तरफ देखा मास्क की आंखों में से लाइट निकलते हुए आ रही थी उसके चेहरे पर अजीब से निशान बने हुए थे और उससे ऐसा लग रहा था कि सच में वह आंखे सबको घूर रही हो। उसे देख कर एक पल के लिए तो वह लड़का भी डर गया,पर उसने अपने आप को संभाला और कहा
" This is your illusion मुझे तो ऐसा कुछ नहीं लग रहा, वो मास्क थोड़ी ही तुम्हें घूर सकता है, अच्छा चलो उस तरफ चलते हैं" हॉल में सब लोग अंदर का नजारा देखने में लगे हुए थे ,होटेल के बाहर दरवाजे पर दो गार्ड्स खड़े हुए थे और कुछ पुलिसवाले घूम रहे थे।

"प्लीज....प्लीज अटेंशन एवरीवन"राजीव होल के साइड में खड़े होते हुए बोलता है और सब लोग अपनी बातें छोड़ कर उसकी तरफ देखने लगते हैं।
"Thanks to everyone जो आप लोग इस होटेल में आए और इस पल का हिस्सा बने। मैं मिस्टर रोबर्ट को भी शुक्रिया कहूंगा जिनकी वजह से यह सब कुछ मुमकिन हुआ और दूसरे हमारे धवल सर जिन्होंने मुझे इस काम के लिए चुना" राजीव ने इतना कहा और ऑल में तालियों की आवाज गूंज उठी।

"अब मैं आप सब से रिक्वेस्ट करना चाहता हूं कि आप सब मेरे साथ फिल्म रूम में आए, मैं आप सबके साथ कुछ शेयर करना चाहता हूं ,मैं आप सब को वह मेहनत दिखाना चाहता हूं, जो हमने इस होटेल को बनाने के लिए की है,एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री फिल्म making of Dark Haunted Night Hotel"

"निकुंज सबकुछ रेडी है ना?"
"Yes sir, Everything is Perfect"
"Good so, please आप सब मेरे पीछे आ जाइए" राजीव ने इतना कहां हो और सब लोग उसके पीछे चले गए।
निकुंज वहां से जाकर एक प्रोजेक्टर रूम में पहुंच गया। उसके सामने एक बड़ी स्क्रीन थी,वहां पर कुछ chairs रखी हुई थी ,जिस पर सभी लोग बैठे हुए थे और आपस में बातें कर रहे थे कि क्या दिखाया जाएगा?
"Ladies and Gentlemen Thanks for your Patience अब मैं आप सबके सामने एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री रखूंगा और मुझे विश्वास है कि आपको यह जरूर पसंद आएगी निकुंज प्लीज"

इस तरफ निकुंज ने फिल्म प्रोजेक्ट करने की कोशिश की पर वह स्टार्ट ही नहीं हुई, उसने दो-तीन बार ओर ट्राई किया पर कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार उसने चेक किया तो वह चौक गया "फिल्म की रील" कहां गई क्योंकि फिल्म रील वहां पर नहीं थी, वह आस-पास ढुंढने लगा पर उसे वह नहीं मिली, तभी अचानक वहां की लाइट्स ऑफ हो गई और सामने स्क्रीन पर एक पिक्चर उभरकर आई, जिसे सब लोग देखते ही रह गए।

To be Continued.......

अगर आपको यह Story पसंद आई हो और Love or Friendship की Story पढ़ना पसंद है तो मेरी दूसरी Story यारी जरूर check out करे,उम्मीद करता हूं कि आपको वह पसंद आएगी और एक बहुत जरूरी बात Story को Rate जरूर करें, जिसे देखकर ओर भी Stories लिखने की Motivation मिलती रहे।

🙏.......THANKS FOR READING.......🙏