Hotel Haunted - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 7

'क्या मजाक है यह??... दिल कहां है इनका?'
राजीव की बात सुनकर संजय कुछ देर तक उसे देखता ही रह गया,संजय नेेेेे राजीव के चेहरे की और देखा राजीव अपनेेे सवाल के जवाब की उम्मीद में संजय की तरफ़ ही देख रहा था।
'यही तो में जान नहीं पाया आज तक.....'संजय ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा।
'क्या मतलब?..आपको नहीं पता कि उनके साथ यह सब कैसे हुआ? बिना शरीर पर एक भी खरोच आए उनकी इस तरह से मौत कैसे हुई?'
'आपके होटल का काम शुरू हुआ तब मैंने उस समय जिन लोगों के पोस्टमार्टम किए थे,उनकी मौत की बिल्कुल इसी तरीके से हुई थी मुझे तो लगता है की शायद यह तो शुरुआत है इन मौतों की.....'संजय ने इस तरह से कहा कि राजीव से देखता ही रह गया।
डॉक्टर संजय की बातें और उस जगह पर हुई घटनाओं के बारे में सोचते हुए राजीव का इस तरह से दिमाग घूम गया की वह सीधा उस कमरे से बाहर निकल गया।वह जल्द से जल्द उस जगह से निकल जाना चाहता था, उसने अपने माथे पर आएं पसीने को पोछा और जाकर गाड़ी में बैठ गया,गाड़ी में बैठते ही वह लंबी लंबी सांसे लेने लगा, उसने सामने अपने अतीत के कुछ पल दौड़ रहे थे,उसके सांस लेने का शोर पूरी गाड़ी में गूंज रहा था।
तभी उसका फोन बजा और वह अपने ख्यालों से बाहर आया उसने अपनी जेब में से फोन निकाला। उसने फोन के स्क्रीन पर देखा तो निकुंज का नाम फ़्लैश हो रहा था। 'निकुंज इस वक्त......अब क्या हुआ होगा?' इतना बोल कर उसने फोन रिसीव किया।
'हां बोलो निकुंज...ठीक है तुम रुको मैं बस अभी पहुंचता हूं.....'इतना कहकर राजीव ने फोन कट कर दिया।उसने अपनी कार स्टार्ट की और घर की तरफ चल पड़ा।करीब 20 मिनट ड्राइव करने के बाद वह अपने घर पर पहुंच गया,उसने देखा तो निकुंज उसके घर के बाहर खड़ा उसका इंतजार कर रहा था।
'सॉरी निकुंज तुम्हें इंतजार करवाने के लिए..'
'नो...सर इट्स ओके'
'आओ अंदर'इतना कहकर राजीव ने लोक खोला और दोनों अंदर चले गए।अंदर आकर राजीव ने सबसे पहले लकड़िया जलाई,क्योंकि बाहर आज मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा था। निकुंज बिल्कुल चुपचाप खड़ा यह सब देख रहा था वह कुछ कहना चाहता था पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि शुरू कहां से करें? आखिरकार उसने अपनी बात कही।
'सर आज जो कुछ हुआ क्या आपको कुछ आईडिया है कि यह सब क्या था?'निकुंज के पहले ही सवाल से राजीव समझ गया था कि वह किस बारे में पूछना चाहता है पर इस वक्त उसका दिमाग पहले से ही उन सब बातों के बारे में सोच सोच कर परेशान हो गया था। इस वक्त वह उन सब बातों मैं वापस से उलझना नहीं चाहता था पर अब कोई रास्ता नहीं था इसलिए उसने भी किसी तरह उसका जवाब दे दिया।
'मुझे कैसे पता होगा उन सब के बारे में मैं भी तो था तुम्हारे साथ वही।'
'मैंने पहली बार अपनी जिंदगी में ऐसा मंजर देखा है,मेरा दिमाग अभी भी उस बात को मानने के लिए इनकार कर रहा है और ऊपर से.....'इतना कहकर निकुंज चुप हो गया।
'ऊपर से क्या निकुंज??...'
'सर वह लड़का भी नहीं बचा...'
'क्या?..??.. क्या कह रहे हो तुम?...पर कैसे यह सब?..' यह सुनकर राजीव की आंखें बड़ी हो गई।
'सर जब वहां पर भागदौड़ मची थी तब वह वहीं पर गिर गया था,मैंने उसे उठाने की कोशिश की पर वह नहीं उठा और क्यों ना हो अपनी वाइफ की ऐसी हालत देख कर कोई भी.....'इतना बोल कर वह चुप हो गया।
'ओह गॉड पहले दिन ही इतना सब...आज जो कुछ हुआ उसने मेरे सोचने की ताकत खत्म कर दी है ऊपर से मिस्टर धवल भी नहीं बचे.....'
'क्या वह भी...यह क्या बोल रहे हैं आप!!!...निकुंज चौकते हुए बोला।
'हां Dhaval is no more जितनी शॉकिंग न्यूज़ है तुम्हारे लिए है उतनी ही मेरे लिए भी...' इतना बोल कर वह कुर्सी पर जाकर बैठ गया, उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपना चेहरा ऊपर की तरफ किया 'गलत कर रहे हो तुम बहुत गलत....तुम सब को भुगतना होगा'उसके दिमाग में बस यही आवाज बार-बार गूंज रही थी।
'क्या सोच रहे हैं सर आप?'
'होटल के स्टेटस की क्या कंडीशन है?'
'कंडीशन तो एकदम नॉर्मल है दोनों बॉडीज को भी पुलिस के हवाले कर दिया है वहां जितने भी लोग पार्टी में थे शुक्र है सब लोग ज्यादातर जान पहचान वाले ही थे इसलिए ज्यादा प्रॉब्लम नहीं हुई।'
'हम्म्.... पर मुझे नहीं लगता कि सिर्फ यह बात कहने तुम सुबह 5:00 बजे यहां आओगे.…. बात जरूर कुछ और है..'
'आपने सही कहा सर यह बात तो मैं फोन पर भी बता सकता था,असली बात तो कुछ और ही है पर कैसे कहूं यह समझ में नहीं आ रहा है'
'साफ-साफ बताओ क्या कहना चाहते हो?'
'सर वह दोनों कार्ड्स भी मिसिंग है...'निकुंज ने राजीव को ऐसा झटका दिया कि वह एक पल के लिए सांस लेना भूल गया,वह कुछ पलों के लिए निकुंज को ही देखता रहा,उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे, वह बिना पलक झपकाए एक टक उसे ही देखे जा रहा था।
'सर....सर...!!!...' इतना बोलकर निकुंज ने राजीव को हिलाया 'कुछ तो बोलिए'।
'क्या बोलूं निकुंज...!. आज जो कुछ हुआ उसके बाद बोलने के लिए बचा ही क्या है?क्यों हो रहा है यह सब?आखिर कौन कर सकता है यह? कौन है जो नहीं चाहता कि वह होटल वहां पर रहे...??.'राजीव ने टेबल पर पड़े हुए गिलास को उठाते हुए कहा।
'शायद लोग जो इस जगह के बारे में कहते हैं वह सब सच है सर..'निकुंज की बात सुनकर राजीव चौक गया, वह उसे देखने लगा, वह जानता था कि निकुंज क्या कह रहा है...पर इस वक्त उसके पास इसका जवाब नहीं था।
'मैं जानता हूं सर कि आप इन सब बातों पर यकीन नहीं करते हैं,मैं भी नहीं करता हूं....पर...पर ज्यादातर लोग यही कहते हैं कि वहां पर बहुत बुरी आत्मा है, वह जगह इंसानों की नहीं बल्कि शैतानों की है।'
निकुंज इतना बोला ही था कि तभी राजीव ने एक बोतल उठाई गिलास भरा और उसे एक सांस में पूरा पी गया,उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी हॉल में एक खामोशी थी, दूसरी तरफ लकड़ियों के चलने की आवाज आ रही थी।
'It was my Dream, Dream of my Life मैंने अपने 5 साल दिए है इस प्रोजेक्ट को जानते हो.... जब मुझे यह प्रोजेक्ट मिला तब मैं कितना खुश था,मैंने दिन रात एक कर के इस होटल का आर्किटेक्चर डिजाइन किया,फिर उसे उसी मेहनत के साथ बनाया....I don't want to Lose,I want to be sucess कोई भी बकवास मेरी मेहनत बेकार नहीं कर सकती,ना तो मैं किसी भगवान में मानता हूं और ना ही आत्माओं में।जो कुछ भी है बस हम इंसान ही है सब कुछ...' राजीव नशे की हालत में गुस्से में बोल रहा था, उसने गिलास को दीवार पर मारा और कांच टूटने की आवाज पूरे हॉल में गूंज उठी।
'आप चिंता मत कीजिए सर सब ठीक हो जाएगा,आई थिंक अब मुझे चलना चाहिए आपको भी आराम की सख्त जरूरत है... गुड नाइट सर.....'निकुंज इतना बोल कर वहां से जाने लगा।
'1 हफ्ते के लिए होटल को बंद कर दो, तब तक यह सब कुछ शांत हो जाएगा'राजीव निकुंज की तरफ देख कर बोला 'ठीक है सर.....' निकुंज बस इतना बोल कर निकल गया।
राजीव कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा,निकुंज की बातें उसके दिमाग में गूंज रही थी, उसने अपने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ लिया।जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोच सोच कर उसके सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था और यह दर्द ऐसा था मानो उसका सर फट जाएगा, उसने सामने पड़ी बोतल उठाई और उसे एक सांस में पी गया। बोतल पूरी होते ही उसके हाथ से छूटकर फर्श पर गिर गई और राजीव वहीं पर बेहोश हो गया, पूरे हॉल में एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था, बस कुछ लकड़ियों के जलने की आवाज आ रही थी।
अगले दिन सुबह....
आसमान में काले बादल छाए हुए थे,पर आसमान एकदम शांत था।काले बादल हवा की मदद से आगे बढ़ रहे थे,आसमान में छाई हुई खामोशी अजीब सा एहसास दिला रही थी,तभी बिजली की तेज गड़गड़ाहट ने वातावरण में खलबली मचा दी। आसमान में छाए घने बादलों ने अपने होने की चेतावनी दे डाली। बस कुछ ही पल बीते थे कि तभी बादलों ने खुद को हल्का करने का काम शुरू कर दिया। आसमान से पानी की बूंदे बरसने लगी और धीरे-धीरे बारिश ने अपनी रफ्तार पकड़ ली....
इतनी तेज बारिश में एक आदमी लाठी के सहारे आगे बढ़ रहा था,उसने पुराने जूते पहन रखे थे,वह अपनी लाठी के निशान गीली मिट्टी पर छोड़ते हुए आगे बढ़ रहा था,उसने अपने शरीर पर एक कपड़ा लपेट रखा था, उसके घुटनों के नीचे आधे हिस्से को वह कपड़ा ढक रहा था, उसके बाल काफी लंबे थे,उसके चेहरे की दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी, उसके चेहरे पर अजीब से निशान बने हुए थे,जैसे किसी ने नाखूनों से उसका चेहरा नोच लिया हो। बारिश की वजह से वह शख्स पूरा गीला हो चुका था, वह पेड़ों के बीच में से लड़खड़ाते हुए चलकर होटल की तरफ बढ़ रहा था।
उसके चेहरे पर गुस्से के भाव थे, वह होटल को घूरता हुआ उसके दरवाजे तक पहुंच गया।होटल का दरवाजा बंद था, उसने होटल के दरवाजे पर हाथ रखा,उसने होटल के ऊपर तक अपनी नजर घुमाई और उसे घूरने लगा।
'आखिर बना ही लिया उन्होंने मौत के इस रहस्यमई महल को.......' उसकी आवाज काफी भारी थी, उसकी नजरें होटल पर ही अटकी हुई थी 'इसे बनाकर उन्होंने खुद मौत को न्योता दिया है,उस आत्मा को उसका घर दिया है उन्होंने.... हे भगवान,क्या चाहता है तू और कितने मौतों की तो गवाही देगा?... ना जाने कितने मरेंगे? कुछ तो कर इसे रोकने के लिए.....' ऊपर की तरफ देखकर चिल्लाया।
उसके चेहरे पर पानी की बूंदे गिर रही थी,आसमान में बादल अब और भी घने हो गए थे, चारों तरफ तेज बारिश गिरने की आवाज आ रही थी,काले बादलों की वजह से अंधेरा ओर भी घना हो गया और आसमान में एक जोरदार बिजली कड़की जिसकी वजह से उसका चेहरा चमक उठा और चारों तरफ बिजली की आवाज फैल गई।
बिजली की आवाज की वजह से सोफे पर सो रहे राजीव की नींद खुल गई, वह एकदम से उठकर सोफे पर बैठ गया, उसने अपनी नजर पीछे की तरफ की तो पाया कि बाहर तेज बारिश हो रही थी और खिड़की खुली होने की वजह से तेज हवा अंदर आ रही थी। उसने उठ कर उसे बंद कर दिया,वह अभी भी कल की चीजों को लेकर परेशान था,उसने टेबल पर पड़ा न्यूज़पेपर उठाया तो फ्रंट पेज पर ही हैडलाइन थी की, "शहर के मशहूर बिजनेसमैन मिस्टर धवल की रहस्यमय तरीके से मौत....." इतना पढ़ते ही उसने न्यूज़पपर साइड पर रख दिया और टीवी ऑन किया।

'कल रात ऊटी के जाने माने बिजनेस मैन मिस्टर धवल की रहस्यमई तरीके से मौत हो गई,उनके मौत के पीछे का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है...,पर असलियत क्या है किसी को नहीं पता....उनकी मौत की वजह को उस होटल से जोड़ा जा रहा है,जो हाल ही में खुला है और वह काफी चर्चा में है... सूत्रों की मानें तो यह कहा जा रहा है कि कल होटल का इनॉग्रेशन था और कल के दिन ही वहां पर बहुत बड़ा हादसा हुआ... पुलिस के पास भी इस बात का कोई पुष्टि नहीं है..धवल की मौत को लेकर लोग काफी अचंभित है,कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि जिस जगह पर वह होटल बना है वह सच में हांटेड है और इसी की वजह से मिस्टर धवल की मौत हुई है,,,,अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता... फिलहाल के लिए बस इतना'
राजीव नहीं इतना सुना और टीवी बंद कर दिया उसने अपने दोनों हाथों से अपने सर को पकड़ लिया।
'क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा है?अगर यह न्यूज़ में ऐसे ही आता रहा तो कौन आएगा यहां? सब लोग तो यही सोचेंगे कि यहां जरूर कोई भूत प्रेत या आत्मा है क्या करूं?' राजीव इन सब के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसे कुछ याद आया उसने फौरन अपना फोन उठाया और एक नंबर डायल किया।
'हेलो निकुंज.....'
'यस सर गुड मॉर्निंग कैसे याद किया आपने?'
'तुमने आज की न्यूज़ देखी?'
'हां देखी सर मैं जानता हूं आप क्या सोच रहे हैं लेकिन न्यूज़ वालों का काम ही होता है यह सब दिखाना... पर सर तब उनकी मौत के बारे में जिन लोगों को पता चला उन सब का तो यही कहना है कि....'
'क्या निकुंज?'
'की उनको उस आत्मा ने मारा है...'
'हम लोगों ने यह सब वक्त रहते नहीं संभाला तो बहुत नुकसान हो जाएगा हमारा'
'आपने ठीक कहा सर पर फिलहाल हम इंतजार के अलावा कुछ नहीं कर सकते..'
'हां शायद यही बेहतर होगा...वैसे मैंने तुम्हें एक काम के लिए फोन किया था'
'हां सर बोलिए क्या काम था?'
'उन दोनों गार्ड्स के बारे में कुछ पता चला??' दोनों गार्ड्स के बारे में सुनकर निकुंज चुप हो गया और एक गहरी सोच में पड़ गया। एक यही सवाल उसके मन में कब से था और वही सवाल उसे खाए जा रहा था कि वह दोनों आखिर कहां गए
'नहीं सर अभी तक कुछ पता नहीं चला..'
'जल्दी ढूंढो उन्हें निकुंज मुझे आज शाम तक उन दोनों के बारे में इंफॉर्मेशन चाहिए कैसे भी करो...'
'मैं कोशिश करूंगा पर आज जिस तरह का मौसम है मुझे नहीं लगता कि कुछ हो पाएगा'
इतना सुनकर राजीव ने खिड़की के पास जाकर देखा तो बहुत तेज बारिश हो रही थी।आसमान में बहुत घने बादल छाए हुए थे,हवाएं तेज चल रही थी और बार-बार बिजली कड़कने की आवाज आ रही थी,बाहर का मौसम बहुत डरावना था जैसे वह आने वाले आफत की चेतावनी दे रहा हो।
'हां वैसे तो तुम ठीक कह रहे हो जब बारिश कम हो जाए तब तुम अपना काम करना... मैं तुम्हारी मदद के लिए एक इंस्पेक्टर को भेज दूंगा वह तुम्हारी मदद करेगा'
'ओके सर जैसा आप कहें....बाय' इतना बोल कर राजीव ने फोन रख दिया। ऐसे ही दोपहर हो गई।निकुंज अपने कमरे में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था,बाहर बारिश अब काफी धीमी हो चुकी थी तभी उसके दरवाजे पर दस्तक होती है और वह अपने ख्यालों में से बाहर निकलता है, निकुंज आकर दरवाजा खोलता है तो उसके सामने एक ओफीसर खड़ा था।
'जी बोलिए....'
'क्या आप ही मिस्टर निकुंज है?'
'जी हां मैं ही हूं पर आपको मुझसे क्या काम है?'
' मेरा नाम मिस्टर पाटिल है,मुझे राजीव सर ने भेजा है आपसे मिलने के लिए'
'और हां अच्छा अच्छा आप अंदर आइए'
पाटिल के अंदर आते ही निकुंज ने दरवाजा बंद कर दिया। निकुंज ने पाटिल को सोफे पर बैठने को कहा और उसे एक चाय का कप दिया,दोनों सोफे पर बैठे हुए थे, कमरे में बिल्कुल शांति थी, बाहर से थोड़ी बारिश गिरने की आवाज आ रही थी तभी पाटिल ने चाय की चुस्की ली और निकुंज से कहा चाय अच्छी बनी है।
'जी शुक्रिया....'
'तो क्या आप अकेले रहते हैं?'
'जी हां....'
'और उस होटल की आप ही एक मैनेजर है..?'
'हां बिल्कुल....'
'अब काम की बात पर आता हूं आप तो जानते ही हैं कि मैं यहां पर क्यों आया हूं...'
'जी हां... अच्छी तरह से जानता हूं पर आप अकेले ही आए हैं ना? कोई और तो साथ नहीं है ना आपके?' निकुंज ने सवालिया नजरों से पूछा।
'मैं जानता हूं कि यह काम बहुत सेंसिटिव है इसलिए यह बात मेरे सिवा किसी को नहीं पता'
'अच्छी बात है वैसे मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूं कि क्या आप भूत प्रेत में मानते हैं?' निकुंज ने चाय के कप को घूरते हुए पाटिल से सवाल किया पर उसने बड़ी सरलता से जवाब दे दिया।
'जब मेरे सामने आएगा तब मान लूंगा'पाटिल का जवाब सुनकर निकुंजो से घूरने लगा, जैसे उसके सवाल का मजाक बना दिया हो। दोनों ने चाय खत्म की और होटेल जाने के लिए तैयार हो गए। निकुंज के घर से होटल ज्यादा दूर नहीं था,पाटिल ने जीप स्टार्ट की और होटल की तरफ बढ़ा दी, दोनों होटल के बाहर खड़े उसे देख रहे थे, जो बाहर से देखने में बहुत खूबसूरत था पर उसके पीछे क्या राज छुपा था शायद किसी को नहीं पता था।
आसमान में अभी भी काले बादल छाए हुए थे, बारिश की हल्की हल्की बूंदे आसमान से गिर रही थी, बारिश की वजह से वातावरण में काफी ठंडक फैल गई थी और ठंडी हवाएं भी धीरे-धीरे चल रही थी।
'क्या आपको कुछ आईडिया है कि वह दोनों कहां गए होंगे?' निकुंज ने पाटिल से पूछा।
'वह तो नहीं पता.... पर अंधेरा होने से पहले हम दोनों को वापस लौटा होगा'
'हां यह तो आपने ठीक कहा पर...शुरुआत कहां से करेंगे?'निकुंज ने पाटिल की तरफ देखते हुए कहा।
'जहां पर वारदात होती है वजह भी उसके आसपास ही होती है,पर इस वक्त मैं कुछ नहीं कह सकता क्योंकि यह होटल जंगल के पास बनाया गया है और जंगल में कब क्या हो जाए किसी को नहीं पता..'
पाटिल की बात सुनकर निकुंज एक पल के लिए सोच में पड़ गया क्योंकि होटल बनने से पहले जितनी भी मौतें हो या घटनाएं हुई थी, वह जंगल के अंदर या उसके आसपास ही हुई थी और कुछ लोगों की लाशें भी जंगल से मिलती थी।
'क्या हुआ सर कहां खो गए आप?'पाटिल ने निकुंज के कंधे को पकड़ते हुए कहा।
'कुछ नहीं बस ऐसे ही...'
'शायद हर सवाल यही से जुड़ा हुआ है...'यह बात पाटिल ने होटल के हांटेड शब्द को देखते हुए कही।
'शायद हमें पहले होटल के आसपास देख लेना चाहिए क्या पता हमें कुछ मिल जाए..'निकुंज ने पाटिल को देखकर कहा जो अभी भी ऊपर की तरफ ही देख रहा था।
'हां तुम ठीक कहते हो चलो' इतना बोल कर दोनों जंगल में और उसके आसपास ढूंढने में लग गए यह सब करते हुए कब शाम हो गई पता ही नहीं चला।
'निकुंज चलो वापस चलते हैं,अब शाम हो गई है, यहां पर ना तो सुराग और ना ही वह लोग मिले..' पाटिल ने इतना कहा और वह दोनों जंगल से बाहर निकल आए। बारिश की कुछ बूंदों के साथ ठंडी हवाएं चलने लगी थी और पहाड़ी इलाका होने की वजह से यहां पर ठंड कुछ ज्यादा ही थी।
'हमें जल्दी से घर पहुंचना होगा वरना बीमार पड़ जाएंगे' निकुंज ने कपकपाते होंठों के साथ कहा।
'हां सही कहा बहुत ठंड लग रही है'इतना कहकर पाटिल ने चाबी घुमाई पर जीप स्टार्ट ही नहीं हुई, पाटिल ने कई बार कोशिश की पर जीप स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रही थी।
'शीट... इसको भी अभी ही खराब होना था?' पाटिल ने स्टेरिंग पर अपना हाथ मारते हुए कहा।
'शायद ठंड की वजह से इंजन में खराबी आ गई होगी'
अभी दोनों बातें ही कर रहे थे कि तभी आसमान में बादलों ने अपनी गर्जना करते हुए तेज हवाओं के साथ बरसना शुरू कर दिया, सुबह की बारिश से कई ज्यादा बरसात हो रही थी और आसमान में बिजली भी कड़क रही थीं,जीप में बैठे होने के बावजूद दोनों भीग गए थे,इसलिए दोनों दौड़कर होटल के दरवाजे के पास खड़े हो गए।
'ओ गॉड बारिश को भी अभी शुरू होना था'निकुंज हाथ मलते हुए बोला।
'हां और इसे देखकर लगता नहीं कि यह रुकने वाली है' इतना कहकर पाटिल अपनी जेब में से फोन निकालने लगा क्योंकि किसीको फोन करके मदद के लिए बुला सके।
'शीट नेटवर्क ही नहीं है निकुंज तुम अपना फोन देखो तो...'
'ओह नो सुबह जल्दी बाजी में मैं अपना फोन घर पर ही छोड़ आया'
'1 मिनट हम लोग यहां पर क्यों खड़े हैं? हम लोग होटल के अंदर क्यों नहीं चले जाते कम से कम इस बारिश और इस ठंड से तो बच जाएंगे..'
'कैसी बात कर रहे हैं अगर अंदर जा सकते तो क्या मैं अभी तक यहां खड़ा रहता? मैं क्या होटल की चाबियां जेब में लेकर घूमता हूं...'
'लगता है इस सर्दी में तो कुल्फी ही जम जाएगी' इतना कहकर पाटिल ने एक सिगरेट निकाली और एक कश लगा लिया, उसने निकुंज को ऑफर किया पर उसने मना कर दिया। 'अब आई शरीर में कुछ गर्मी...'
'गांव वाले कहते हैं कि यह जगह श्रापित है यहां पर कोई बुरी आत्मा है.... आप क्या सोचते हैं इस बारे में??' निकुंज ने पाटिल की तरफ देखकर का जो सिगरेट के कश लगा रहा था।
'अगर सच में यहां पर कोई आत्मा है तो मैं उसे यही कहूंगा कि बस इस होटल का दरवाजा खोल दे...' निकुंज पाटिल की बात सुनकर मुस्कुराने लगा।
दोनों खड़े होकर बातें कर रहे थे कि तभी दोनों के कानों में एक आवाज पड़ी जैसे कोई भारी चीज गिरी हो,यह आवाज सुनकर दोनों डर गए। उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो आवाज होटल के अंदर से आ रही थी, ठंड की वजह से दोनों के दिल की धड़कनें तेज चल रही थी,निकुंज ने कुछ सोचा और चलते हुए होटल के दरवाजे के सामने जाकर खड़ा हो गया। उसकी सांसे तेज चल रही थी, उसने कांपते हुए हाथ को उठाया और दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया,निकुंज के धक्का लगाते ही होटल का दरवाजा एक अजीब सी आवाज के साथ खुल गया....

To be continued.......

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