Hotel Haunted - 40 books and stories free download online pdf in Hindi

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 40

मैं emergency वॉर्ड मैं बेंच पर बैठा हुआ था मेरे सामने की बेंच पर ट्रिश के मोम डेड बैठे हुए थे,आंटी लगातार यही भगवान से प्रार्थना कर रही थी की उनकी बेटी जल्दी से ठीक हो जाए तभी डॉक्टर ने बाहर आते हुए कहा "देखिए टेंशन की बात नहीं है कल तक इन्हे होश आ जायेगा पर कुछ घाव ज्यादा गहरे होने की वजह से 2 दिन तक यही Admit रखना पड़ेगा।"डॉक्टर की बात सुनकर आंटी ने राहत की सांस ली।मैने गौर किया तो उनके हाथों पर भी bandages और पट्टी लगी हुई थी पर अपनी बेटी की यह हालत देखकर वो अपने सारे दर्द भूल गई थी।अपने डेड के साथ अनबन के चलते हुए भी ट्रिश को उसकी मां ने बहुत प्यार से बड़ा किया था।उसकी हर वो जिद और ख्वाहिश उन्होंने पूरी की थी ताकि ट्रिश को अपनी जिंदगी में कोई कमी महसूस ना हो। मैने उनको अपने पास बेंच पर बैठकर आराम करने के लिए कहा।मैं उनके बगल मैं जाकर बैठ गया,ट्रिश के साथ आखिर ऐसा किसने किया होगा यही सोचकर मेरा गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा था तभी मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा।मैने उनकी ओर देखा तो पापा थे और उनके साथ इंस्पेक्टर जावेद भी आए हुए थे।



ट्रिश को अभी तक होश नही आया था इसलिए उन्होंने मुझसे कुछ सवाल किए।मैने जो कुछ हुआ था वो सब उन्हे बता दिया और उस वेन का नंबर भी उन्हे दे दिया ताकि उनके investigation मैं कुछ मदद हो सके। मुजसे पूछताछ करके वो वहा से चले गए,पापा ने मुझे घर चलने के लिए कहा पर मैंने वहा के हालात देखते हुए घर जाने के लिए मना कर दिया।मैं पूरी रात वही बेंच पर बैठा रहा और सुबह होते हुए कब आंख लग गई पता ही नही चला।
सुबह होते ही सूरज की रोशनी खिड़की से आकर कमरे को रोशन कर रही थी तभी एक मुझे एक चीख सुनाई दी और उसके साथ ही मेरी नींद टूट गई।यह चीख सुनकर मैं घबरा गया क्योंकि यह ट्रिश की आवाज़ थी।मैं जल्दी से कमरे मैं पहुंचकर देखा तो ट्रिश अपनी आंखे खोलकर चारो और देख रही थी,उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग चुका था और बहुत घबराई हुई लग रही थी।उसे इस तरह से देखकर लग रहा था की कल के incident की वजह से वो अभी भी सदमे में थी।मैं दौड़कर उसके पास पहुंच गया और उसके चेहरे को हाथो मैं लेते हुए कहा "Trish.....Trish क्या हुआ?"पर वो अभी भी घबराते हुए इधर उधर देख रही थी। मैंने उसकी आंखों में देखकर कहा "Trish में श्रेयस शांत हो जाओ प्लीज़......तुम इस वक्त हॉस्पिटल मैं हो।" मेरी बात सुनकर उसने मेरी और देखते हुए कहा "श्रेयस....श्रेयस तुम ठीक हो?!....Thank God की तुम्हे कुछ हुआ नहीं" इतना कहते हुए वो मुझसे लिपटकर रोने लगी।



उनकी बात सुनकर मैं सोच मैं पड़ गया की आखिर ट्रिश ने ऐसा क्यों कहा पर ट्रिश का इस तरह से रोना मुझे बहुत तकलीफ पहुंचा रहा था और यह दर्द मेरी आंखो से निकलकर बाहर आ गया।कुछ देर वो ऐसे ही मेरी बाहों मैं लिपटकर बैठी रही फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया उर उसका हाथ पकड़कर वही पर बैठ गया,कुछ देर तक वो मुझे देखती रही और धीरे धीरे नींद के आगोश मैं चली गई।थोड़ी देर बाद आंटी ने मेरे पास आकर मुझे कहा "बेटा तुम कबसे यही पर बैठे हुए हो जाओ जाकर थोड़ा आराम कर लो।"उनकी बात सुनकर मैं भी से खड़ा हो गया और थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने चेक अप करके कहा कि "इनकी condition अब ठीक है और कल आप इन्हे घर ले जा सकते है।" डॉक्टर से बात करने के बाद मैं कुछ medicines लेने के लिए चला गया।यही सब करते हुए कब दोपहर हो गई पता ही नही चला।


मैने कमरे जाकर देखा तो ट्रिश बेड पर बैठी हुई थी और आंटी उसे fruits खिला रही थी तभी इंस्पेक्टर जावेद कमरे मैं एंटर हुए और उनके साथ पापा भी थे,जिसकी वजह से हम तीनो का ध्यान उनकी तरफ गया।

कमरे के अंदर आते हुए इंस्पेक्टर जावेद ने ट्रिश की तरफ देखते हुए कहा।"क्या तुम अब ठीक हो?"जिसे सुनकर ट्रिश ने बस हा मैं अपना सर हिलाया,जावेद ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा "अच्छा हुआ तुम्हे होश आ गया,अब तुम ठीक हो तो क्या तुम हमे उन Kidnapers के बारे मैं कुछ बता सकती हो जिससे हमे investigation मैं कुछ help मिल सके।" यह बात सुनकर हम सभी का ध्यान ट्रिश पर ही था जो इस वक्त अपनी नजरे बचाकर इधर उधर देख रही थी।ट्रिश के पास आते हुए इंस्पेक्टर जावेद ने कहा"देखो अगर तुम्हे कुछ पता है तो तुम हमे बिना किसी डर के बता सकती हो।"जावेद की बात सुनकर ट्रिश ने अपने आप को संभालते हुए कहा"नही सर ऐसी कोई बात नही है उस दिन उन लोगो के साथ हाथापाई होने के बाद उन्होंने मुझे बेहोश कर दिया था और उन सभी ने अपना चेहरा मास्क से ढका हुआ था जिसकी वजह से उन्हे पहचानना भी मुश्किल था, उसके बाद जब मेरी आंख खुली तो श्रेयस Ven का पीछा कर रहा था और उसके बाद जो कुछ हुआ वो सब तो आपको पता ही है।"उसने आखरी बात कहते हुए मेरी तरफ देखा पर मेरी ओर ज्यादा देर तक न देखते हुए उसने अपनी नजरे घुमा ली।उसकी यह हरकत देखकर मुझे बहुत अजीब लगा क्योंकि आज से पहले कभी भी ट्रिश ने मुझसे नजरे चुराकर बात नही की थी,उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो कुछ छिपा रही थी।ट्रिश की बात सुनकर जावेद ने कहा"Okay कोई बात नही अगर तुम्हे कुछ ऑर याद आता है तो तुम मुझे बिना किसी डर के बता सकती हो।"


जावेद की बात सुनकर उसने अपना सर हा मैं हिला दिया पर उसका यह बर्ताव मेरी समझ मैं नही आ रहा था और अब मेरे लिए ये सह पाना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने ट्रिश के पास जाते हुए कहा "क्यों....आखिर क्यों तुम जूठ बोल रही हो ट्रिश?मैं जानता हूं जरूर कोई बात है इसलिए तुम किसी डर की वजह से हमसे सब बाते छुपा रही हो।"
"मैने कहा ना मैं उस वक्त बेहोश थी इसलिए मुझे कुछ नहीं पता तो फिर तुम क्यों बात को बेवजह खींचकर Drama create कर रहे हो?"
"अच्छा मैं drama कर रहा हूं तो फिर जिसकी नजरे किसी के सामने नहीं जुकती वो आज नजरे चुराकर क्यों बात कर रही है?"मैने थोड़ा गुस्से मैं कहा।"जरा मेरी तरफ देखकर कहो की तुम्हे कुछ पता नही है उन लोगो के बारे मैं।"मेरी बात सुनकर उसने मेरी तरफ देखा तो उसकी आंखे भीग चुकी थी उसने हिम्मत करके मेरी आंखों मैं देखकर कहा"मुझे कुछ भी पता नही है तो तुम मेरे लिए यह सब चीजे मुस्किल क्यों बना रहे हो?"ट्रिश की बात सुनकर सब लोग शांत हो गए कमरे मैं पूरी तरह से शांति छाई हुई थी।


श्रेयस ने खड़े होते हुए ट्रिश की ओर देखकर कहा"तुम्हे नही बताना है तो मत बताओ मैं तुम्हारी मुश्किले ज्यादा नही बढ़ाऊंगा पर मेरा वादा है तुमसे जिसने तुम्हारे साथ यह सब किया उसकी सजा तो उसे मिलकर ही रहेगी,जितना दर्द उसने तुम्हे दिया है उससे कई ज्यादा दर्द उसे सहन करना होगा।"इतना कहने के बाद मैं गुस्से मैं कमरे से निकल गया मेरे साथ मेरे पीछे इंस्पेक्टर जावेद और डेड भी निकल गए।हम लोग कॉरिडोर से गुजरते हुए हॉस्पिटल के बाहर निकल रहे थे तभी मेरे दिमाग मैं एक खयाल आया और मैंने जावेद से कहा"sir क्या आप मेरी एक help कर सकते है? अगर मेरा अंदाजा सही हुआ तो हमें उन Kidnapers के साथ उस शख्स का भी पता चल जाएगा जिसने ट्रिश के साथ यह किया है।"

मेरी बात से कर उन्होंने हैरान होते हुए पूछा" तुम जो कुछ भी कहना चाहते हो साफ साफ कहो।"
मैने बात को आगे बढ़ते हुए कहा"सर क्या आप इस नंबर की उस रात की location पता कर सकते हो जिस रात को ट्रिश के साथ यह हादसा हुआ था?"
"आखिर यह नंबर है किसका?"
"वो तो सर आपको पता चल ही जाएगा पर यह बात हमारे अलावा किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए मैं आपसे request करता हू।"मेरी बात सुनकर वो कुछ देर तक मेरी ओर देखते रहे उसके बाद उन्होंने कहा"ठीक है जैसे ही मुझे कुछ पता चलेगा मैं तुमसे contact करूंगा।"इतना कहने के बाद वो चले गए और मैं पापा के साथ घर चला गया।

2 दिन बाद.....

ट्रिश को discharge मिल गया था इसलिए हम aunty और मैं उसे सहारा देकर कमरे की ओर ले जा रहे थे। डॉक्टर ने कहा था की वैसे तो कोई प्रॉब्लम नही है पर घाव गहरे होने की वजह से उसे 2 दिन complete rest करना पड़ेगा। Aunty ने उसे बेड पर लिटा दिया,उसके डेड घर मैं आते ही बाहर होल मैं बैठ गए थे तभी मैने कार की आवाज सुनी।मैने खिड़की से देखा तो इंस्पेक्टर जावेद कार से उतरकर घर के अंदर ही आ रहे थे,1-2 मिनट के बाद वो ट्रिश के डेड के साथ कमरे मैं एंटर हुए।आते ही पहले उन्होंने ट्रिश की तरफ देखा,उन्हे यह देखकर ट्रिश भी हैरान थी।उसके बाद वो मेरे पास आए ओर कहा "तुम्हारा अंदाज़ा बिलकुल सही था,उस रात जहा पर वो वेन लास्ट मैं रुकी थी वहा पर उस नंबर की location show हो रही थी।उसका मतलब वो आदमी भी उस रात उसी वेन मैं मौजूद था और कल रात को हमे वो वेन मिल गई,उसके साथ ही दो आदमी भी पकड़े गए है जिन्होंने अपना बयान दे दिया है।अब हमारे पास पक्के proof होने की वजह से हम उसे गिरफ्तार कर सकते है।"जावेद की बात सुनकर सभी लोग हैरानी भरी नजरो से उनकी तरफ देख रहे थे,आखिरकार Aunty ने पूछा "कोन है वो?किसने ट्रिश के साथ ऐसा किया?"


"Dhananjay Group के चेयरमैन का बेटा अभिनव धनंजय" मेरी बात सुनकर सब लोग मेरी ओर देखने लगे।मेरा ध्यान ट्रिश पर गया तो उसके चेहरे पर हैरानी के साथ आंखो मैं देख अजीब सा डर दिख रहा था।मैने बात आगे बढ़ाते हुए कहा"मुझे तो पहले ही शक था पर कोई proof ना होने की वजह से मैं चुप रहा इसलिए मैने जावेद सर से मदद ली,मैं जानता था की ऐसा बुजदिलो वाला काम उस कमीने के अलावा कोई नहीं कर सकता।"इतना कहते हुए मेरे चेहरे पर गुस्सा उभर आया।जावेद ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा"शांत हो जाओ श्रेयस हमारे पास गवाह होने की वजह से हम उस पर जरूर action लेंगे।"अभी जावेद ने अपनी बात कही थी की तभी ट्रिश ने कहा"इसकी कोई जरूरत नहीं है सर,मुझे कोई केस नही करना उनके खिलाफ।"


ट्रिश की बात सुनकर जावेद ने उसके पास बैठकर कहा"ट्रिश मैने तुमसे पहले भी कहा था अगर उसने तुम्हे कोई धमकी दी है तो डरने की कोई जरूरत नहीं है मैं तुम्हारे साथ हूं,मैं तुम्हारी पूरी मदद करूंगा।" जावेद की बात सुनकर Aunty ने कहा "हा बेटा कोई भी फैसला जल्दबाजी मैं मत करो,उसने जो तुम्हारे साथ किया वो बहुत गलत था इसलिए इसकी सजा तो उसे मिलनी ही चाहिए।"Aunty ने अभी अपनी बात खत्म नहीं की थी तभी ट्रिश के डेड ने बीच मैं बोलते हुए कहा"कोई ज़रूरत नही है इन सबकी" उनकी बात सुनकर सब लोग उनकी तरफ देखने लगे " पहली बार जिंदगी मैं इसने कोई सही फैसला लिया है,यह सब करने से Dhananjay Group के साथ हमारे Business Relations खराब होंगे इसलिए मैं इस बात को ज्यादा बढ़ाना नही चाहता और वैसे भी अभिनव को थप्पड़ मारकर इन सब की शुरुआत इसी ने की थी तो अब इस मामले को यही रफा दफा करो।" ट्रिश चुप चाप अपना सर जुकाये यह सब बाते सुन रही थी जैसे उसके लिए कोई नई बात नही थी और वो उसके डेड से कोई हमदर्दी की उम्मीद भी नही रखती थी।


"अब तो डेड ने भी कह दिया इसलिए मैं इस बात को ज्यादा बढ़ाना नही चाहती आप जा सकते है सर।" ट्रिश की बात सुनकर जावेद वहा से निकल गया जाते हुए उसने श्रेयस की तरफ देखा तो वो अपना सारा गुस्सा अपने हाथो मैं दबाए वही पर खड़ा था।जावेद के जाने के बाद हम तीन ही ट्रिश के कमरे मैं खड़े थे तभी मैने आंटी से कहा "आंटी क्या मैं ट्रिश से अकेले मैं कुछ बात कर सकता हूं?"मेरी बात सुनकर वो कुछ देर तक मेरी ओर देखती रही और फिर वो कमरे से निकल गई।


To be continued.......


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