Hotel Haunted - 41 books and stories free download online pdf in Hindi

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 41

हर्ष, आंशिका, निधि, प्राची और अविनाश कॉलेज के पीछे गार्डन मैं बैठकर अविनाश की बातें सुन के हंस रहे थे तभी हर्ष हंसते हंसते शांत हो गया, जब उसकी नजर गार्डन मैं एंटर हो रहे अभिनव पे पडी, अभिनव की नज़र भी हर्ष पे पडी तो वो उसकी तरफ देखते हुए अंदर आया, उसको अपना पास आता हुआ देखकर हर्ष अपनी जगह से खड़ा हो गया, उसे खड़ा देख बाकी सब ने भी हंसना बंद कर दिया।सब उसकी तरफ़ हैरानी भरी नज़रों से देखने लगे, अभिनव चलता हुआ हर्ष के पास आया और उसे घूरते हुए कहा "ज्यादा दिन की हंसी नहीं है ये,जल्द ही तेरी बारी भी आयेगी'' अभिनव ने पहले हर्ष की तरफ देखा फिर आंशिका की तरफ देखने लगा।अभी को देखकर आंशिका ने अपनी नजरे घुमा ली।


अभिनव को देखकर हर्ष का गुस्सा और बढ़ गया उसने गुस्से के साथ कहा "कुत्ता जब जंगल मैं अकेला घूम रहा हो तो उसे ध्यान रखना चाहिए वरना किसी दूसरे जानवर का शिकार बन सकता है।" हर्ष ने अभिनव की आँखों में देखते हुए कहा, उसकी बात सुन के अभिनव को गुस्सा तो इतना आया कि अभी हर्ष को मार डाले लेकिन वो जानता था कि इस वक़्त वो अकेला है और हर्ष को कुछ नहीं कह पायेगा, "जा...जाकर अपने कुतों की फौज़ के साथ जाकर बैठ जा वरना कही शेर आ गया तो तुम सबको खा जायेगा "हर्ष ने एक बार फिर अभिनव को गुस्से भरे लहज़े में कहा, ये सुन अभिनव का गुस्सा उसके हाथ से निकल गया "तेरी तो" कहते हुए जैसे ही वो हर्ष को punch मारने वाला था की तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।


अचानक से अपने हाथ के ऊपर हाथ का दबाव मेहसुस कर अभिनव ने अपनी नज़रें घुमाई और जैसी ही उसकी नज़रें ने अपने सामने खड़े शक्स को देखा तो उसका पारा ओर चढ़ गया, उसके ठीक सामने श्रेयस खड़ा उसकी तरफ देख रहा था, जिसका हाथ पकड़ा हुआ था, लेकिन आज ये श्रेयस वो श्रेयस नहीं था जो हर रोज़ होता था, आज उसकी आखों मैं गुस्सा भरा हुआ था और एक तकलीफ का दर्द था जो उसके किसी पाने को मिला था।
"देखो कौन आ गया अपने भाई को बचाने,लगता है कि मेरे हाथ की मार खाकर तेरा मन अभी तक नही भरा है जो दुबारा मुंह उठाकर चला आया तेरी इतनी हिम्मत की तू मुझे....." अभिनव ने भड़कते हुए गुस्से मैं इतना ही कह पाया क्यों कि उसके बाद श्रेयस ने उसे आगे बोलने का कोई मौका नहीं दिया....श्रेयस ने उसके पकड़े हाथ को पकड़कर इतनी जोर से मरोड़ा की अभिनव के मुंह से चीख निकल गई,अभी वो कुछ सोच पाता उससे पहले श्रेयस ने उसे गले से पकड़कर जोर से दीवार पर सटा दिया,दीवार से टकराने की वजह से अभी के सर के पीछे से खून निकल रहा था पर श्रेयस ने एक हाथ से अभिनव की बांह को मजबूत किया से पकड़ा हुआ था वहीं दूसरे हाथ ने उसके गले को दबौचा हुआ था जिसकी वजह से अभिनव की आंखों की पुतलियां बाहर आ रही थी, उसके चेहरे पर ऐसा डर फैल गया कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे?



वहा खड़ा हर एक शख़्स हैरान होकर इसी मंजर को देख रहा था।हर्ष, अविनाश,आंशिका और प्राची ऐसे देख रहे थे मानो यह एक सपना हो लेकिन उस इंसान के लिए ये वो दर्दनाक सच्चाई थी जो उसे पल-पल तकलीफ दे रही थी,जिसकी वजह से श्रेयस की आखों का एक कोना आंसूओ से भीगा हुआ था और और बीतते हुए लम्हे के साथ श्रेयस के गुस्से को बढ़ा रहा था।अभी अब सांस लेने मैं दिक्कत हो रही थी इसलिए उसके हैं मैं जितनी ताक़त बची हुई थी उससे वो श्रेयस के हाथो पर मार रहा था पर इसका कोई फायदा नही हुआ।श्रेयस ने अपनी पकड़ उर मजबूत कर दी,जिसकी वजह से अभी के मुंह से हल्की सी सभी हुई आवाज निकली और उसकी आंखें धीरे धीरे बंद होने लगी मानो उसकी सांसे उसके शरीर का साथ छोड़ रही हो तभी श्रेयस की पीठ पर लकड़ी के टुकड़े का वार हुआ और यह वार इतनी जोर से किया गया था की वो पूरा टुकड़ा टूट गया इसके साथ ही उसके दाहिने कंधे पर एक लात पड़ती है जिसकी वजह से वो कुछ दूर जाकर गिरता है,उसने खड़े होकर देखा तो अनमोल और सेम उसके सामने खड़े थे।



अभिनव का गला आजाद होने की वजह से वो जोर जोर से सांसे बटोरने लगा और वो दीवार का सहारा लेकर वही बैठ गया।समीर ने उसके पास जाते हुए कहा "अभी क्या तुम ठीक हो?"पर अभी इस वक्त कोई भी जवाब देने की हालत मैं नही था।अभी की हालत देखकर अनमोल ने एक ओर लकड़ी का टुकड़ा उठाया और गुस्से मैं चिल्लाते हुए श्रेयस की ओर दौड़ पड़ा,यह नजारा देखकर हर्ष अभी आगे बढ़ने ही वाला था की तभी उसकी नज़र श्रेयस पर गई जो उठकर खड़ा हुआ था जैसे उस वार का उस पर कोई असर ही ना हुआ हो।श्रेयस के गुस्से को देखकर हर्ष के कदम वही रुक गए।श्रेयस ने अपने पास पड़ी हुए एक लोहे रोड उठाई और अनमोल के सामने दौड़ पड़ा,दोनो आमने सामने आ रहे थे पर श्रेयस ने मौका देखकर नीचे झुका और पूरी ताकत से उसने अनमोल के पैरो पर वार किया,जिससे वो वही गिर गया,अनमोल जमीन पर पड़ा कराह रहा था की श्रेयस ने उसके चेहरे पर एक लात मारी और उसे वही बेहोश कर दिया।अनमोल के के मुंह और नाक से खून बह रहा था।अनमोल की यह हालत देखकर प्राची को समीर की फिकर होने लगी,समीर अभी आगे बढ़ता उसके पहले श्रेयस ने Rod दिखते हुए कहा"अगर पिटना नहीं चाहता तो इस मामले से दूर रह समझा?" श्रेयस की आंखो मैं वो गुस्सा देखकर उसके कदम वही थम गए।



दीवार का सहारा लेते हुए अभिनव खड़ा हुआ उसके चेहरे पर वही गुस्सा और Attitude दिख रहा था पर श्रेयस ने दौड़कर वो Rod उसके पेट पर मारी जिससे उसके मुंह से खून निकल आया,तेज़ वार होने से वो आगे की ओर जुक गया और पीछे से श्रेयस ने पीठ पर दूसरा वार किया इसलिए वो जमीन पर गिर गया।श्रेयस ने अभी का हाथ पकड़ा और उसे घसीटते हुए गार्डन के बीचों बीच खड़ा कर दिया।अभी ने कराहते हुए कहा "क्यों कमीने...?आखिर तू यह सब किस लिए कर रहा है?"अभिनव कुछ आगे बोलने ही वाला था की तभी उसकी नज़र गार्डन मैं एंटर हो रहे एक शख्स पर पड़ी जिसे देखकर वो चौंक गया।श्रेयस के साथ सभी का ध्यान इस तरफ गया तो ट्रिश चलते हुए श्रेयस के पास आ रही थी,उसने एक चुनरी और स्कार्फ से अपने हाथो और गले को ढका हुआ था।ट्रिश को देखकर श्रेयस ने अभी की और देखकर कहा "मैने तुजसे से कहा था ना अगर ट्रिश को कुछ भी हुआ तो मैं तेरा वो हाल करूंगा वो तूने कभी सोचा भी नही होगा।"श्रेयस की बात सुनकर अभी का चेहरा पसीने से भीग गया उसने सामने देखा तो ट्रिश श्रेयस के पास ही खड़ी थी।



"क..क....क्या?कहना क्या चाहता है तू?"अभी ने हकलाते हुए अपनी बात कही,उसकी बात सुनकर श्रेयस ने उसके दाई कॉलर को खींचकर नीचे किया जहा पर bandage लगी हुई थी,उस Bandage को खींचकर अलग कर दिया जिसकी वजह से अभी के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और उस घाव से खून निकलने लगा।अभी ने तुरंत ही उस जगह अपना हाथ रख दिया।"अब तो याद आ गया होगा" श्रेयस ने अभी की ओर घूरते हुए कहा।"यह वही घाव है जो उस रात Ven मैं हाथा पाई करते हुए ट्रिश के नाखून की वजह से तुझे लगा था।"इतना कहने के बाद श्रेयस ने ट्रिश की और देख जो अपनी नजरे जुकाए खड़ी थी।

"लगता है तू समझी नहीं की उस रात मैंने क्या कहा था?अब यह बात तूने श्रेयस को बताई है तो इसके अंजाम के लिए भी तैयार रहना।"अभिनव ने हंसते हुए ट्रिश की और देख जिसे देखकर ट्रिश के कदम डर की वजह से पीछे हो गए।अभी आगे कुछ बोलता उससे पहले श्रेयस ने एक लात अभी के पेट पर मारी और उसके कॉलर को पकड़ कर उसकी आंखो मैं देखकर कहा"देख मेरी आंखों मैं कमीने क्या तुझे अभी भी लगता है की तू मेरा कुछ बिगाड़ सकता है?"मेरा ध्यान ट्रिश की ओर गया जो सहमी हुई इस दुनिया से बेखबर अपना सर जुकाकर खड़ी थी।मैं जानता था की अब को मैं करने जा रहा हूं जिसकी वजह से उसकी तकलीफ और बढ़ेगी पर अभिनव की सच्चाई सामने लाने के लिए यह जरूरी था।


मैं ट्रिश के पास पहुंचा,जो चेहरा हमेशा खिला रहता था उस पर आज खामोशी छाई हुई थी,उसके चेहरे को ज्यादा देर देखने की हिम्मत मुझमें नही थी इसलिए धीरे से उसके स्कार्फ और चुनरी को उसके गले और हाथो से अलग किया।ऐसा करते ही काले निशान,घाव और गले पर उंगलियों के निशान सबके सामने आ गए।सब लोग वो निशान देखकर चुप हो गए थे,सबके दिमाग मैं एक ही सवाल आ रहा था की कोई इंसान की के साथ इतनी बतसलूखी कैसे कर सकता है।वहा खड़ी लड़कियों ने अपने मुंह पर हाथ रख दिया था और कुछ ने अपनी नजरे वहा से हटा ली थी क्योंकि एक लड़की दूसरी लड़की का दर्द अच्छे से समझ सकती है,उन्हे पता था कि इस वक्त ट्रिश पर क्या बीत रही होगी,नर्क का एहसास कराने वाला वो दर्द अंदर से उसे पल पल तोड़ रहा होगा,क्या पता यहां आने के लिए उसने कितनी हिम्मत जुटाई होगी?ज्यादा देर न करते हुए आंशिका,प्राची और निधि तुरंत उसके पास पहुंच गए और उन घावों को फिर ढक दिया।श्रेयस ने अभी के बालो को पकड़ते हुए कहा"देख कमीने ऐसे और कई घाव तूने दिए है जिसे मैं दिखा भी नही सकता।" पर जैसे इन सब बातो का अभी पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा था,उसके चेहरे पर अभी भी वो मुस्कान थी इसलिए श्रेयस ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा" बहुत घमंड है न तुझे अपने आप पर तो जरा इस पर हंसकर बता वो Ven और उसके साथ वो आदमी पुलिस के हाथ लग गए है या उन दोनो ने अपना बयान भी दे दिया है अब अगर ट्रिश ने केस किया तो पक्का सबूत होने की वजह से तुझे जेल जाने से तेरा बाप भी नही बचा सकता।"


ये बात सुनकर अभी का शरीर जैसे ठंडा पड़ गया,उसका गला सुख गया और उसके हाथ पैर कांपने लगे "श्रेयस प्लीज ऐसा मत करो,तुम जो बोलोगे वो में करने को तैयार हूं पर मुझे जेल नही जाना।"इतना कहने के बाद वो ट्रिश के पास गया और उसके पैरो गिरकर गिड़गिड़ाने लगा"ट्रिश प्लीज मुझे माफ करदो मैं तुम्हारा गुनेगार हूं,मैने तुमसे बदला लेने के लिए किया था, तुम जो सजा दोगी वो मुझे मंजूर है,मैं ही वो नीच इंसान हो जिसने तुम्हारे साथ यह सब किया पर तुम श्रेयस को समझाओ मुझे जेल नही जाना प्लीज।"श्रेयस ने पीछे से पकड़कर खड़ा करते हुए कहा"बहुत घमंड है ना तुझे अपने Image और power पे,जिसके आगे तुझे किसी का दर्द दिखाई नही देता।"इतना कहते हुए श्रेयस ने अभी को पकड़कर उसके सब बटन तोड़ दिए और उसे उतरकर दूर फेक दिया,अभी कुछ कर पाता उसके पहले उसने अभी के पेट से उसकी बेल्ट को भी अलग कर दिया। Ground मैं इस वक्त सभी स्टूडेंट्स अभी को घेरकर खड़े थे और उन सभी के बीच मैं अभिनव अपना सर जुकाए खड़ा था और उसके सामने श्रेयस बेल्ट लेकर उसकी ओर देख रहा था।"क्यों अब क्यों शर्म आ रही है तुझे यह तो तेरा Favorite Game है ना?तो फिर इसमें शर्म कैसी?अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है।"श्रेयस का ध्यान ट्रिश पर गया तो वो भीगी आंखों से यह सब देख रही थी।
"चल अब पेंट उतार अपनी"श्रेयस की बात सुनकर अभिनव ने चौंकते हुए कहा "क्या?"
"बिलकुल सही सुना तूने.....I said remove your pants" इस बार श्रेयस ने गुस्से मैं कहा।श्रेयस की बात सुनकर अभी की आंखें भरने लगी उसने रुआंसे गले से कहा"श्रेयस मुझे चाहे जितना मार लो पर मेरे साथ यह सब मत करो प्लीज,मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूं।"
"क्यों अब क्या हुआ? उस रात को भी ट्रिश के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था तब कहा गई थी यह शर्म?क्या तुझे ट्रिश की इज्जत का एक बार भी ख्याल नही आया की उस पर क्या बीत रही होगी।" श्रेयस ने जोर से वो बेल्ट अभी की पीठ पर मारी जिसकी वजह से उस बेल्ट की आवाज के साथ उसकी चीख सभी के कानो मैं पड़ी,उसकी पीठ से खून बह रहा था।
"चल तेरे लिए इसे थोड़ा आसान बना देता हूं,अगर अपनी पेंट नही उतारनी तो इस बेल्ट को सहना पड़ेगा Choice is yours"


श्रेयस की यह बात सुनकर अभी की खुली रह गई "नही श्रेयस,मैने जो किया मुझे उसका वाकई अफसोस है ऐसा फिर कभी किसी के साथ नही करूंगा,ट्रिश प्लीज तुम कुछ कहती क्यों नहीं?"अभिनव आगे बोलता उससे पहले ही श्रेयस ने उसके गले मैं बेल्ट लपेटकर उसे जमीन पर पटक दिया और अपनी पूरी ताकत के साथ अभी को उस बेल्ट से मारने लगा।पूरे गार्डन मैं बेल्ट की आवाज के साथ अभी की चीखें गूंज रही थी,साथ ही श्रेयस की आंख से गुस्सा और दर्द आंसू के रूप मैं बाहर निकल रहा था।वहा खड़ी लड़कियों ने अपनी आंखें बंद कर ली थी।



"रुक जाओ श्रेयस अब बस बहुत हुआ" यह सुनकर श्रेयस के हाथ रुक गए उसने पीछे कूदकर देखा तो ट्रिश उसकी तरफ देख रही थी।
"नही ट्रिश आज मैं इसका वो हाल करूंगा की ये मुझसे अपनी जिंदगी की भीख मांगेगा।"
"अगर तुम यही सब करना चाहते हो तो फिर इसमें और तुममे क्या फर्क रह जायेगा,अब बस करो और मेरी तकलीफ को ओर मत बढ़ाओ।" इतना कहते हुए ट्रिश की आंखो से आंसु बह निकले।ट्रिश का यह हाल देखकर श्रेयस ने बेल्ट फेक दिया इस तरफ अभी का शरीर लाल पड़ चुका था उसकी पीठ,हाथ और पेट से खून बह रहा था।अगर श्रेयस कुछ देर और मारता तो दर्द को वजह से वो बेहोश हो जाता,चीखने की वजह से उसका पूरा गला बैठ गया था।अभी का चेहरा पकड़ते हुए श्रेयस ने कहा "देख कमीने जिस लड़की के साथ तूने ऐसा किया आखिर मैं उसी को तुझ पर तरस आ गया।"इतना कहने के बाद श्रेयस दौड़कर ट्रिश के पास जा पहुंचा,श्रेयस को देखकर ट्रिश उससे लिपटकर रोने लगी" श्रेयस तुमने अभी तक मेरे लिए जो भी किया है वो ही बहुत है,मैं तुम्हे ऐसे नहीं देख सकती इसलिए प्लीज शांत हो जाओ।"श्रेयस का गला बहुत भारी हो गया था इसलिए उसके लिए कुछ कहना बहुत मुश्किल हो गया था।इस तरफ समीर अभिनव और अनमोल को लेकर हॉस्पिटल जा रहा था,प्राची और निधि भी ट्रिश को लेकर क्लास मैं चले गए थे।गार्डन मैं अब धीरे धीरे भीड़ कम होने लगी थी तभी मिलन ने श्रेयस के पास आकर कहा"यह ले भाई तूने कहा था ठीक मैने वैसा ही किया है।" यह सुनकर श्रेयस ने उसे Thanks कहा और वहा से चला गया।



हर्ष वही पे खड़ा श्रेयस को जाते हुए देख रहा था,उसके बगल मैं खड़े अविनाश ने कहा"क्या था भाई ये?....यार सच मैं डरा दिया तेरे भाई ने आज तो,उससे पंगा ना लेने मैं ही मजा है।" यह सुनकर हर्ष ने अविनाश की ओर देखा और आगे देखते हुए कुछ सोचने लगा।क्लास शुरू हो गईं थी पर श्रेयस क्लास मैं कही नजर नहीं आ रहा था।आंशिका,ट्रिश,मिलन अपनी नजर इधर उधर घुमा रहे थे पर पूरी क्लास खत्म होने पर भी श्रेयस क्लास मैं नही आया।


class खत्म होते ही आंशिका क्लास से निकलकर इधर उधर देखते हुए जा रही थी"कहा गया ये?" बड़बड़ाते हुए वो आगे बढ़ रही थी पर श्रेयस उसे कही नजर नहीं आ रहा था तंभी उसके दिमाग़ मैं खयाल आया की श्रेयस किसी भीड़ भाड़ वाली जगह पर नही होगा,यही सोचते हुए उसे वो सीढ़िया दिखाई दी जो उपर टेरेस की ओर जाती थी।वो जल्दी से सीढ़िया चढ़ते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगी।उपर पहुंचकर उसने देखा तो श्रेयस वही पर था,उसने अपने Glasses हाथ मैं पकड़े हुए थे और सामने की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था।आंशिका चुपचाप आवाज किए बिना उसके बगल मैं जाकर बैठ गई और सामने बिछे हुए कुदरत के उन हसीन लम्हों को महसूस करने लगी,सामने कुछ घने बदलो ने सूरज को ढक रखा था,जिसकी वजह से ठंडी हवाएं चेहरे को छूकर निकल जाती थी"अब समझ आया की तुम यह पर क्यों बैठते हो क्योंकि यह कुदरत ही है जो तुम्हे इन लोगो की भीड़ मैं अपना महसूस कराती है।"इतना कहते हुए उसने श्रेयस की ओर देखा।
श्रेयस की नजर अभी सामने की ओर ही थी"क्या ट्रिश ठीक है?"
"हां वो ठीक है....पर तुम्हारा क्या?"आंशिका की बात सुनकर उसने कोई जवाब नही दिया।


"कभी कभी जिंदगी के कुछ पल या हिस्से ऐसे होते है जिसे हम याद नही करना चाहते,भूल जाना चाहते है पर ये जिंदगी ना जाने क्यों उन्ही पलो को किसी न किसी रुप मैं दोबारा हमारे सामने खड़ा कर देती है और हम उसी दर्द को सहने के लिए मजबूर हो जाते है।"
"क्या मतलब?"आंशिका ने हैरानी से पूछा।
"मतलब यही कि आज जो ट्रिश के साथ हुआ उसके लिए यह कोई नई बात नही थी,जिंदगी ने एक बार फिर अभी के रूप मैं ट्रिश के पुराने दर्द को उसके सामने लाकर रख दिया है।"इतना कहने के बाद मैंने आंशिका की ओर देखा"मेरे गुस्से की वजह अभिनव से ज्यादा वो तकलीफ है जिसे मैं चाहकर भी उसकी जिंदगी से मिटा नही सकता।"
"शायद यही सही वक्त है ट्रिश के बारे मैं वो बात बताने का,क्या पता शायद में कुछ मदद कर सकूं।"


यह बात सुनकर एक पल के लिए मैने उसकी ओर सके और फिर कहा"कहते है जिंदगी मैं हर किसी को वो चीज नही मिलती जिसे वो चाहता है,पर किसी १३ साल के बच्चे की सबसे पहली जरूरत उसके मां बाप होते है और वो सिर्फ यही चाहता है की वो उसके साथ रहे,उसे प्यार करे।ट्रिश की life में मां का प्यार तो था पर उसके Dad का नही,उसके पापा को एक बेटा चाहिए था,जो उनके Business को आगे बढ़ा सके इसलिए ट्रिश बचपन में अपने पापा के प्यार के लिए हमेशा तरसती रही,उसके पापा की नफरत को वो एक बार से शायद बर्दाश भी कर लेती पर एक लड़की के लिए उस घर मैं रहना मुश्किल हो जाता जब उसके पापा ही उसकी ओर गंदी नजर से देखता हो,उसकी मोम इस बात से अनजान थी,शायद उसके पापा समझ जायेंगे और वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा इस उम्मीद मैं ट्रिश हमेशा चुप रही पर एक रात उस वहशी आदमी ने अपनी सारी हदें पार कर दी,उस रात नशे की हालत मैं घर आया,उसने इतनी पी रखीं थी की उसे किसी बात का होश नहीं था।


उस वक्त ट्रिश घर पर अकेली थी इसलिए उसने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की,अपना सारा गुस्सा, इतने सालो की भड़ास उसने उस मासूम बच्ची पर निकाली,ट्रिश को बुरी तरह से पीटा,वो चीखती रही पर उसने जरा भी रहम नहीं किया पर एक तरह से शायद उसकी किस्मत अच्छी थी की उसकी मोम वक्त रहते वहा पहुंच गई।" इतना कहते हुए श्रेयस की आंख से एक कतरा बह निकला,उसने आंशिका की ओर देखा तो उसकी आंखो मैं भी आंसु थे, शायद वो समझ गई थी कि श्रेयस की कही गई बात तो इस दर्द का सिर्फ एक टुकड़ा है पर ट्रिश का दर्द तो उससे कई ज्यादा बड़ा है जिसे वो सोच भी नहीं सकती।


To be continued.......


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