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कौन दिलों की जाने! - उपन्यास
Lajpat Rai Garg
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
कौन दिलों की जाने! एक दीपावली के पश्चात् शादी—विवाह के लिये शुभ मुहूर्त आरम्भ हो जाता है। नवम्बर मास के अन्तिम दिनों में ‘महफिल' बैंक्वट, जो सम्भवतः ट्राईसिटी का सबसे बढ़िया व महँगा विवाह—स्थल है, में एक विवाह—समारोह का आयोजन था। अमावस्या की रात्रि थी। आसमान में लाखों—करोड़ों तारों का वैभव फैला हुआ था। हल्की—हल्की, मीठी—मीठी, तन को सुहाती ठंड थी। बैंक्वट में विभिन्न प्रकार की लाईटों तथा अनुपम फूल—सज्जा की व्यवस्था की गई थी। कुल मिलाकर अलौकिक दृश्य प्रस्तुत था। वरपक्ष मोहाली का नामी—गिरामी परिवार है। वधुपक्ष वाले चाहे पटियाला के रहने वाले थे, फिर भी उपस्थित मेहमानों में
कौन दिलों की जाने! एक दीपावली के पश्चात् शादी—विवाह के लिये शुभ मुहूर्त आरम्भ हो जाता है। नवम्बर मास के अन्तिम दिनों में ‘महफिल' बैंक्वट, जो सम्भवतः ट्राईसिटी का सबसे बढ़िया व महँगा विवाह—स्थल है, में एक विवाह—समारोह का ...और पढ़ेथा। अमावस्या की रात्रि थी। आसमान में लाखों—करोड़ों तारों का वैभव फैला हुआ था। हल्की—हल्की, मीठी—मीठी, तन को सुहाती ठंड थी। बैंक्वट में विभिन्न प्रकार की लाईटों तथा अनुपम फूल—सज्जा की व्यवस्था की गई थी। कुल मिलाकर अलौकिक दृश्य प्रस्तुत था। वरपक्ष मोहाली का नामी—गिरामी परिवार है। वधुपक्ष वाले चाहे पटियाला के रहने वाले थे, फिर भी उपस्थित मेहमानों में
कौन दिलों की जाने! दो रविवार को नित—प्रतिदिन की अपेक्षा रानी कुछ जल्दी उठी। आसमान साफ था। मौसम बड़ा सुहावना तथा खुशनुमा था। गुलाबी ठंड तन—मन को स्निग्धता तथा स्फूर्ति प्रदान कर रही थी। आलोक से मिलने की उत्कंठा ...और पढ़ेचालढाल तथा भाव—भंगिमाओं में स्पष्ट झलक रही थी। उस समय यदि कोई व्यक्ति आसपास होता तो रानी के मन की यह प्रफुल्लता उससे छिपी न रहती। विवाह—समारोह में तो आलोक से कुछ विशेष बातचीत हो न पायी थी, लेकिन आज उसे आलोक के साथ निर्बाध समय व्यतीत करने का अवसर मिलने वाला था। अपने नित्यकर्म निपटाकर उसने लच्छमी के आने
कौन दिलों की जाने! तीन रमेश के मुम्बई जाने के बाद उसी दिन सायं रानी अपनी सहेली के संग ‘नॉर्थ कन्ट्री मॉल' गई थी। वहाँ कई प्रसिद्ध कलाकरों की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगी हुई थी। प्रसिद्ध चित्रकार सरदार शोभा ...और पढ़ेकी दो पेंटिंग्स रानी को बहुत पसन्द आईं — एक, आशीर्वाद की मुद्रा में गुरु नानक की पेंटिंग जोकि सरदार शोभा सह की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति है तथा दूसरी, सोहनी—महिवाल की सर्वाधिक लोकप्रिय पेंटिंग जिसमें सोहनी नदी पार रह रहे अपने प्रेमी महिवाल से मिलन—हेतु कच्चे घड़े के सहारे नदी पार करते हुए दिखाई गई है — और वह इन्हें खरीदे
कौन दिलों की जाने! चार क्रिसमस से अगला दिन रानी ने सुबह उठकर जैसे ही बाहर का दरवाज़ा खोला तो देखा कि बाहर कोहरे की चादर फैली हुई थी। कोहरा इतना गहरा था कि सामने वाले घरों के खिड़की—दरवाज़े ...और पढ़ेदिखाई न देते थे। स्ट्रीट लाईट्स की रोशनी सड़क तक भी नहीं पहुँच पा रही थी, ट्यूब—रोड के चार—पाँच फीट के घेरे में ही सिमट कर रह गई थी। चारों तरफ पूर्ण निस्तब्ध्ता छाई हुई थी, कहीं किसी पंछी तक का स्वर सुनाई नहीं देता था। छः बज चुके थे, फिर भी घुप्प अंधेरा था। रात टी.वी. पर दिखा रहे
कौन दिलों की जाने! पाँच रमेश दिल्ली से रात को देर से आया था, इसलिये नौ बजे तक सोता रहा। उठते ही उसने रानी को कहा — ‘कल तुम्हें बताया था कि मैंने एक जरूरी मीटिंग अटैंड करनी है, ...और पढ़ेजल्दी जाना है। मैं तैयार होता हूँ, तुम नाश्ता और खाना बनाओ।' ‘मुझे याद है। आप तैयार होकर आइये, मैंने नाश्ता और खाना तैयार कर रखा है।' ‘वैरी गुड।' रमेश के ऑफिस जाने के बाद लच्छमी से जल्दी से घर के बाकी बचे काम करवा कर रानी ग्यारह बजे के लगभग आलोक के पास होटल पहुँच गई। कमरे में दाखिल