Kahaani Sangrah book and story is written by Shakti Singh Negi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kahaani Sangrah is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कहानी संग्रह - उपन्यास
Shakti Singh Negi
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
रोहन अपने यान में बैठकर अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है। यह सन 3001 का समय है। पृथ्वी के सभी देश एक देश बन चुके हैं। सभी धर्मों की एकता स्थापित हो चुकी है। सभी के लिए समान कानून हैं। कोई अगड़ा नहीं कोई पिछड़ा नहीं। कोई आरक्षण नहीं कोई झगड़ा नहीं। कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं कोई समस्या नहीं। पृथ्वी स्वर्ग बन चुका है। बुद्धिमान मानव की औसत आयु 500 वर्ष हो चुकी है। मानव लगभग अजर-अमर हो चुका है।
अचानक रोहन के यान में कुछ खराबी आ जाती है। रोहन को मजबूरी में निकट के सौर मंडल के एक ग्रह पर अपना यान उतारना पड़ता है। यह ग्रह पूरी तरह पानी से निर्मित है। रोहन को कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि इस समय तक मानव जल थल नभ में रहने के लिए ढल चुका है।
रोहन अपने यान में बैठकर अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है। यह सन 3001 का समय है। पृथ्वी के सभी देश एक देश बन चुके हैं। सभी धर्मों की एकता स्थापित हो चुकी है। सभी के लिए समान कानून ...और पढ़ेकोई अगड़ा नहीं कोई पिछड़ा नहीं। कोई आरक्षण नहीं कोई झगड़ा नहीं। कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं कोई समस्या नहीं। पृथ्वी स्वर्ग बन चुका है। बुद्धिमान मानव की औसत आयु 500 वर्ष हो चुकी है। मानव लगभग अजर-अमर हो चुका है। अचानक रोहन के यान में कुछ खराबी आ जाती है। रोहन को मजबूरी में निकट के सौर मंडल के
मेरे पास एक 32 कमरों का मकान है। एक दिन मैंने सोचा की बेरोजगारी तो है ही क्यों न इस मकान का कुछ सदुपयोग किया जाये। मैंने बाजार से कुछ चूना लिया और सारे मकान का सामान एक जगह ...और पढ़ेलिया। सारे मकान को खुद चूना किया और फालतू सामान व पुराने सामान को कबाड़ी को दे दिया। इससे मुझे ₹2000000 की इनकम हुई। तीन चार कमरों को अपने परिवार के लिए रखकर मैंने बाकी मकान को किराए पर चढ़ा दिया। अब मुझे हर महीने 200000 किराया आने बैठ गया। मेरे पास कुछ छोटे-छोटे छितरे हुए खेत भी थे। मैंने
दीपक एक साधारण किसान था। उसके घर में कुल 15 सदस्य थे। उसका परिवार एक संयुक्त परिवार था। इनमें 3 बच्चे, चार स्त्रियां, पांच युवक व तीन वृद्ध थे। अचानक उसके परिवार में दो वृद्धों, दो स्त्रियों, एक युवक ...और पढ़ेएक बच्चे की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। अब परिवार में मात्र 9 व्यक्ति ही बचे। अब दीपक परिवार का मुखिया बन गया। दीपक ने चकबंदी में हिस्सा लिया। घर के सभी बचे लोगों को खेती में लगा दिया। 8 गाय - भैंस आदि उसने ने बेच दी और प्राप्त धन में कुछ धन और मिलाकर उसने एक सुंदर
ढाबे में नौकरीदिनेश एक संपन्न परिवार से है। उसका बचपन सुख सुविधा में गुजरा। पर वह 42 वर्ष की उम्र तक कंपटीशन की तैयारी करता रहा। आखिर वह असफल रहा। आर्थिक तंगी आने लगी। आखिर अपने बच्चों का पेट ...और पढ़ेके लिए उसने किसी होटल-ढाबे में नौकरी करने की सोची। वह देहरादून गया। 2-4 ढाबों में पूछने पर आखिर उसे एक ढाबे में नौकरी मिल गई। रोज 5-6 बजे सुबह उठकर वह अन्य कर्मचारियों के साथ काम पर लग जाता। और रात 1:30-2:00 बजे तक वह काम करता रहता। लगभग 20 घंटे की रोज ड्यूटी होती। दिनेश सोचता आखिर इन
मैं बना करोड़पति मित्रों कुछ समय पहले मेरे एक दूर के चाचा जी गुजर गए। मरने से पहले वह मेरे नाम 400 करोड़ रुपए और चार बहुत बड़ी कोठियां छोड़ गए। मेरी तो लॉटरी ...और पढ़ेगई। मैं बहुत खुश हुआ। मैने चारों कोठियों की मरम्मत और सफाई करवाई और फालतू सामान बेच दिया। इससे मुझे ₹200000000 का फायदा हुआ। यह 420 करोड रुपए मैंने बैंक में जमा कर दिए। इनसे मुझे अच्छा खासा ब्याज प्रतिमाह मिलने लगा। अब चारों कोठियों को मैं ने 500 करोड़ में बेच दिया। इन्हें भी बैंक में जमा कर दिया। अब बैंक में मेरे 920