दीपक सेन रूप ग्रह के सम्राट बने। यहां की आबादी 8 अरब थी। दीपक सेन ने चयनित जनन करवाया। जिससे यहां की आबादी कुछ ही वर्षों में एक अरब ही रह गई और एक अरब पर स्थिर हो गई।
दीपकसेन ने सब की संपत्ति लेकर सब में बराबर बांट दी। अर्थव्यवस्था को तगड़ा बनाया गया। अब सभी अमीर हो गये। एक कानून, एक मानवीय धर्म, एक ध्वज, एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक भाषा, एक मुद्रा, एक स्रेष्ठ पाठ्यक्रम चलाया गया। 5000000 सैनिकों की अत्याधिनिक श्रेष्ठ फौज गठित की गई। सारे ग्रह को साथ महाप्रांतों में बांटा गया। हर प्रांत में शुरू में एक - एक स्मार्ट सिटी राजधानी के रूप में विकसित की गई। सात प्रांत पालों की नियुक्ति की गई। शिक्षा व्यवस्था श्रेष्ठ व प्रैक्टिकल बनाई गई। सभी को ग्रेजुएशन के बाद 2 साल फौजी ट्रेनिंग देना अनिवार्य किया गया । थल सेना, नभ सेना, जल सेना का विकास किया गया।
दीपक सेन के राज्य में रूप ग्रह संपन्न और समृद्ध हो गया। सभी सब्सिडी व आरक्षण खत्म करवा दिया गया। आय का 10% टैक्स के रूप में दिया जाने लगा।
दीपक सेन ने अब पड़ोसी ग्रह सोनग्रह को गोद लिया। इस छोटे से सुंदर ग्रह की आबादी मात्र 10 लाख थी। दीपक सेन ने वहां भी अपने सिद्धांत लागू किये। जिससे यहां की आबादी 100000 पर स्थिर हो गई। वहां के लोग बहुत गरीब थे। दीपक सेन ने उन्हें पौष्टिक भोजन, मकान, दवाई व विद्या प्रदान की। इनके लिए ग्रह के एक सुंदर स्थान पर एक सुंदर स्मार्ट सिटी बनाई गई। हर परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार दिया गया।बाकी के सारे ग्रह में सुंदर उद्यान बनवाए गए।
दीपक सेन ने सोनग्रह की राजकुमारी से विवाह किया। रूपग्रह के अन्य लोग भी सोन ग्रह के लोगों से विवाह संबंध करने लगे। दोनों ग्रहों में सुंदर बडे-बड़े खेत बनाए गए। बाग बगीचे लगवाये गये। अत्याधुनिक तरीके से खेती की जाने लगी।
बहुत समय पहले की बात है। पृथ्वी पर कोई राजा या शासक प्रशासक नहीं था। पृथ्वी लोक में अराजकता थी। चोर डाकू लुटेरे यह सब प्रजा को लूटते थे। आखिर सभी लोगों ने मिलकर एक श्रेष्ठ व्यक्ति को अपना राजा बनाया।
सभी लोगों ने उसे (राजा को) अपने धन व श्रम का कुछ हिस्सा प्रदान किया। एक सेना व एक पुलिस बल का निर्माण किया गया और राजा को इनका भी प्रमुख माना गया। सबके लिए समान कानून का निर्माण किया गया। और इसमें भी राजा को सर्वश्रेष्ठ माना गया। राजा ने श्रेष्ठ लोगों का उच्च पदों पर चुनाव कर अपने देश को शक्तिशाली बनाया। चोर डाकू लुटेरे सब का वध किया गया। जनसंख्या नियंत्रित की गई। एक श्रेष्ठ संविधान बनाया गया।
प्रिय मित्रों बागवानी मेरा शौक है। आज मैं अपने बगीचे में बागवानी कर रहा था। सब काम निपटा के जब मैं अपने रूम पर आया तो मैंने स्नान वगैरह किया।
इसके बाद मैं अपने अन्य कामों में जुट गया। कुछ देर बाद मैंने देखा कि मेरे हाथ में पहना हुआ लोहे का कड़ा सोने का बन गया है। मैं चकित रह गया।
मैं दौड़ते हुए सुनार के पास पहुंचा। सुनार ने इसे 24 कैरेट सोने का बताया। आखिर लोहा सोने में कैसे बदल गया? क्या बगीचे में कोई पारस पत्थर था? आपकी राय क्या है?
उत्तराखंड में एक स्थान का नाम है अलकापुरी। कहा जाता है कि यहां कुबेर की राजधानी थी और यहां पारस पत्थर पाया जाता है। वहां के जंगलों में वहां के गांव की औरतें जब घास काटने के लिए जाती हैं तो कभी-कभी उनकी आधी हंसिया सोने की बन जाती हैं। वहां के भेड़ - बकरी पालने वाले लोग अपनी भेड़ - बकरियों के पैरों में लोहे की नालें लगा कर रखते हैं। साल भर में वहां के हर व्यक्ति की लगभग 1 - 2 बकरियों की लोहे की नाल सोने की बन जाती है। मैं भी अपने बगीचे के लिए वहीं से चार ट्रक मिट्टी लाया था। क्या यह उसी का कमाल तो नहीं? आपकी क्या राय है?
खानवा का युद्ध
राणा सांगा चित्तौड़ की महारथी योद्धा राजा थे। राणा के विशाल शक्तिशाली शरीर पर लगे घावों से राणा की वीरता झलकती थी।
उन दिनों दिल्ली पर इब्राहिम लोदी का शासन था। इब्राहिम एक नाकारा शासक था। उधर फरगना का छोटा सा राजा बाबर अपने क्षेत्र में युद्धों से जूझ रहा था। बार-बार जय - पराजय से जूझते बाबर ने निराश होकर आखिर में भारत की ओर प्रस्थान किया।
इब्राहिम लोदी से उसका जोरदार युद्ध हुआ। तुगुलुमा युद्ध में माहिर बाबर ने इब्राहिम लोदी को करारी शिकस्त दी।
राणा सांगा सारे भारत पर भगवा झंडा लहरा कर हिंदू साम्राज्य की स्थापना करना चाहते थे। अब बाबर और राणा सांगा का युद्ध अनिवार्य हो गया था।
अपने देश में बार-बार हारे बाबर के सैनिकों ने जब सुना कि उनका मुकाबला महाराणा सांगा जैसे अजेय योद्धा से होने वाला है तो उनके रोंगटे खड़े हो गए। राणा सांगा तलवार के धनी थे।
भारत के नरेश अभी तोपों का उचित इस्तेमाल रण क्षेत्र में करना नहीं सीखे थे। सामूहिक वीरता से अधिक व्यक्तिगत वीरता को महत्व दिया जाता था।
राणा सांगा - सेनापति, बाबर की सेना ने हम से युद्ध करने के लिए प्रस्थान कर दिया है। आपकी तैयारियां कैसी हैं?
सेनापति - महाराज हम क्षत्रिय वीरों का रक्त युद्ध के लिए उबल रहा है। हम शीघ्र से शीघ्र उस बाबर से युद्ध कर उसका समूल नाश करना चाहते हैं।
राणा सांगा - हमारी अजेय सेना उस दुर्दांत बाबर का अवश्य ही विनाश कर देगी। चलिये सेनापति युद्ध क्षेत्र की ओर प्रस्थान करते हैं।
असुर बाबर की सेना युद्ध क्षेत्र में आ गई। राणा की सेना भी आगे बढ़ती है।
राणा सांगा - क्षत्रिय वीरों आगे बढ़ो। इन दुष्ट असुरों का विनाश करो। हम सूर्यवंशियों ने हमेशा राक्षस और असुरों के रक्त से अपनी तलवारों की प्यास बुझाई है।
सैनिक घनघोर युद्ध करते हैं। दस्यु बाबर के सैनिक घबरा कर भागने लगते हैं। राणा सांगा की तलवार बड़ी तेजी से दानवों का वध कर रही है।
बाबर - बाप रे बाप मारे गये। हम लुटेरों का आज सिंहों से मुकाबला हो गया। कहां वो शेर। कहां हम धोखे से वार करने वाले गीदड़। आगे बढ़ो सेनापति हम छल बल से जीत भी सकते हैं।
बाबर का सेनापति - आज तो मारे गये हुजूर। मैंने पहले ही कहा था कि शेर से पंगा मत लो। चारों तरफ हमारे कायर सैनिकों के रक्त रंजित शव पड़े हैं।
बाबर के सैनिक भागने लगते हैं।
बाबर - अब तो केवल छल से ही हम प्राण बचा सकते हैं। तोपों का प्रयोग करो सेनापति।
सेनापति - जो आज्ञा।
तोपों के प्रयोग से रणक्षेत्र में आग ही आग दिखाई पड़नी दिख जाती है।
राणा के सैनिक फिर भी पीछे नहीं हटते हैं। और तीरों की बौछार से बाबर के अनेक तोप चलाने वाले तोपचियों का वध कर डालते हैं।
राणा का सेनापति - अब युद्ध बराबर का हुआ। काश हमारे पास भी यह तोपें होती तो अब तक इस दानव बाबर की संपूर्ण सेना का विनाश हो जाता।
महाराणा सांगा - बढते जाओ वीर सैनिकों। इन दैत्यों के शवों से आज रणभूमि को पाट दो।
बाबर - काश ऐसे क्षत्रिय वीर मेरी सेना में होते तो मैं पूरी दुनिया का फतह कर देता। युद्ध का पलड़ा अभी भी उनके पक्ष में है।
चुपके से एक विषभरा तीर राणा की तरफ छोड़ता है। राणा घायल हो जाते हैं। फिर भी वह अपनी चेतना को नियंत्रित कर भयानक युद्ध करते रहते हैं।
बाबर - अब तो हमें भागना ही पड़ेगा। इस पुरुष सिंह पर मेरे छल - बल का कुछ भी असर नहीं हुआ।
बाबर के दानव भागने लग जाते हैं।
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