कहानी संग्रह - 8 - दीप का कारनामा Shakti Singh Negi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

कहानी संग्रह - 8 - दीप का कारनामा




दीप भरतखंड का राजा बना। दीप ने देखा कि उसके राज्य में सब खुशहाल हैं। परंतु दीप यह देख कर बहुत दुखी हुआ कि उसके राज्य में लेखक लोग बहुत ही गरीब और बेरोजगार हैं। दीप ने 1 परसेंटेज टैक्स बढ़ा दिया और प्राप्त धन से लेखकों के लिए रोजगार की व्यवस्था की। दीप ने लेखकों के लिये पेंशन मकान, भोजन, वस्त्र आदि की व्यवस्था की। और लेखक लोग अब बहुत ही संपन्न और अमीर हो गये।


दीपक अमेरिका में रहता है। अमेरिका में उसके कई बिजनेस हैं। वह भारत अपने पुश्तैनी गांव आता है। वह अपने पुश्तैनी हवेली का जीर्णोद्धार व आधुनिकीकरण करवाता है। हवेली से लगे पर्सनल जंगल को साफ कर खेती और पशुपालन करवाता है। अपने गांव वालों को झेपडियों की जगह फ्लैट्स बनवा कर देता है। गांव में कॉलेज, हॉस्पिटल, रोड आदि बनाता है। इस सब में उसके 50 करोड़ रुपये व्यय होते हैं। कृषि व पशुपालन से वह हर वर्ष 100 करोड़ रु अपने ही गांव में कमाता है। गांव के हर परिवार से 1-2 व्यक्तियों को रोजगार देता है। गांव में वह आधुनिक हैलीपैड बनवाता है। गांव के अगल-बगल के 84 गांवों को भी दीपक गोद ले लेता है और उनका भी विकास करता है। दीपक लोगों व पशुओं की नस्ल का संवर्धन करता है. अब दीपक 84 गांवों के क्षेत्र में हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, ट्रेन, आधुनिक बस सेवा आदि भी चालू करवाता है। 84 गांव की अर्थव्यवस्था से 84 सौ करोड़ की बचत होने लगी। इनमें से कुछ धन 84 गांवों के विकास पर लगाया जाने लगा।



शक्ति सेन पिग्मी राज्य के राजा बने। शक्ति सेन 7 फीट ऊंचे हृष्ट - पुष्ट विद्वान व गोरे चिट्टे थे। पिग्मी लोगों की जनसंख्या 5 करोड़ थी। परंतु अधिकांश पिग्मी 3.5 से 4.5 फुट तक लंबे व काले कलूटे थे।
शक्ति ने जनसंख्या नियंत्रण कर दिया और साढे 6 फुट ऊंचे गोरे - चिट्टे, सुंदर, विद्वान पिग्मियों का चुनाव कर सुजनन करवाया। आर्थिक विकास करवाया। आधुनिक विज्ञान कॉलेज अस्पताल की स्थापना की।
अब शक्ति सेन ने पिग्मी राज्य का नया नाम महाकाय नगर रखा। राज्य का इतिहास लिखा गया। राज्य को हर क्षेत्र में सारे विश्व से जोड़ा गया। राज्य में अंतरिक्ष विज्ञान का विकास किया गया।
अब राज्य विकास की दौड़ में आगे बढ़ता जा रहा है। शक्ति सेन ने इस देश के विकास के लिए अब कुछ और कदम उठाए। उन्होंने सभी सब्सिडी हटा दी। सभी विभागों को फायदे में चलाया। फोरेक्स व अन्य साधनों से विदेशी ऋण चुका दिया। नई मुद्रा छाप कर घरेलू (केंद्रीय व राज्य की) देनदारी चुका दी। किसानों व गरीबों के ऋण माफ कर दिए।



रमा एक सुंदर सुसंस्कृत गृहणी है। रमा अपने पति विपिन के साथ उत्तराखंड के एक गांव में रहती है। विपिन की एक गेंहू का आटा निकालने की चक्की (गेहूं पीसने की मशीन) है। विपिन की चक्की बहुत अच्छी चलती है। विपिन ने पिछले साल ही अपना एक शानदार मकान बनवाया।


रमा के बच्चे एक अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। रमा 2 घंटे एक स्कूल में कंप्यूटर का शिक्षण करती है। रमा ने एक भैंस भी पाल रखी है। रमा सुबह ही भैंस के लिए चारा ले आती है। इससे पहले वह अपने बच्चों को नाश्ता, भोजन आदि कराकर निपटा कर स्कूल भेज देती है। इसके बाद वह घर का काम निपटाती है। फिर थोड़ा आराम कर नहा -धोकर कंप्यूटर शिक्षण के लिए जाती है।


शाम को 8:00 से 10:00 बजे वह अपने बच्चों को पढ़ाती है। फिर वह सब सो जाते हैं।


रमा को अपने पुराने घर के तहखाने में अकूत धन मिला। पूरा तहखाना सोने, चांदी, तांबे की मुद्राओं से भरा था। हीरे, मोती, माणिक आदि भी असंख्य थे।


रमा ने सोने की समान आकार की ईंटे बनवाई। चांदी, तांबे, हीरे, मोती, माणिक आदि को उसने बेच दिया। और प्राप्त धन को उसने बैंक में रख दिया और हर माह अच्छा -खासा पैसा ब्याज के रूप में प्राप्त करने लगी।