बचपन से मुझ में एक इच्छा थी कि मैं डॉक्टर बनूं. लेकिन फिर कोई कारण ऐसा हुआ कि मैं डॉक्टर नहीं बन पाया. 1 दिन मैं किसी बड़े हॉस्पिटल में अपने मित्र को लेकर इलाज कराने गया. मित्र को कोई बीमारी थी इसलिए मुझे उसके साथ कुछ दिन वहां रहना पड़ा.
इस बीच मेरी एक डॉक्टरनी से मुलाकात हुई और प्यार हो गया. मैंने सोचा मैं डॉक्टर नहीं बन पाया. कोई बात नहीं, लेकिन एक डॉक्टर तो मेरी मित्र बन गई है. कुछ दिन बाद उस डॉक्टरनी और मैंने शादी कर ली.
उत्तराखंड में आज हर गांव से पलायन जारी है. उत्तराखंड के लोग ज्यादातर दिल्ली मुंबई और अन्य से बड़े-बड़े शहरों में बस चुके हैं. तो आप सोचते होंगे आखिर उनके गांव में कौन रहता है.
अब तो उनके खाली पड़े गांवों में अब बाहर के बिहारी और नेपाली रहने बैठ गए और कई गांव तो बिल्कुल निर्जन पड चुके हैं. वहां मकान टूट चुके हैं और टूटे हुए मकानों पर जंगली घास जमी हुई है और कई गांव में तो जवान मर्द दिखाई ही नहीं देते. केवल बच्चे औरतें और बूढ़े ही दिखाई देते हैं.
अक्सर लोग कर्ण को बहुत बड़ा योद्धा और धनुर्धारी मानते हैं. लेकिन क्या कर्ण एक सच्चा योद्धा व सच्चा क्षत्रिय था? मेरी राय में नहीं.
क्योंकि एक सच्चे योद्धा और एक सच्चे क्षत्रिय का कर्तव्य धर्म की रक्षा करना होता है. लेकिन कर्ण अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण अधर्म के पक्ष में था और वह दुर्योधन की तरफ से ही लड़ा.
वास्तव में दुर्योधन के पक्ष से कोई सच्चा क्षत्रिय ही नहीं था क्योंकि वह सभी अधर्म के पक्ष में ही थे. कुछ अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण तो कुछ अपनी प्रतिज्ञाओं के कारण.
इसलिए तथ्यों के आधार पर यह निश्चित किया जाता है कि कर्ण न तो एक सच्चा योद्धा था और न एक सच्चा क्षत्रिय.
प्रतिलिपि पर मेरे साथ इनबॉक्स में कई प्रकाशक मित्रों से बातें होती हैं जो मेरी पुस्तकें प्रकाशित करना चाहते हैं. तो मैं उनको अपनी पुस्तकें प्रकाशित करने की इजाजत दे सकता हूं, बशर्ते वह मेरी अनुमति लें और मेरे कुछ शर्तों को मानें.
इसके लिए आप इनबॉक्स पर इस विषय में मुझसे बातें कर सकते हैं धन्यवाद.
एक बच्चा एक मासूम सा जान होता है. समाज को उससे अच्छे ढंग से व्यवहार करना चाहिए. परिवार और समाज में उसकी अच्छी परवरिश होनी चाहिए ताकि वह आगे चलकर एक श्रेष्ठ नागरिक बन सकें.
जिंदगी में कभी भी रुकने का मतलब नहीं होता है. जिंदगी का मतलब होता है, लगातार आगे बढ़ते रहना. आर्थिक रूप में, बौद्धिक रूप में और आध्यात्मिक रूप में अपना निरंतर विकास करते जाना है. यही जिंदगी है.
निरंतर चलते रहने का नाम है जिंदगी. जिंदगी खुशी-खुशी जिये जाओ और विकास करते जाओ. यही जिंदगी है.
जब फौजी अपने घर लौटता है तो उसके चेहरे पर एक सुंदर सी मुस्कान होती है. वह पब्लिक को देखकर सोचता है यह तो उसके अपने लोग हैं. जिनकी रक्षा के लिए वह बॉर्डर पर गया था.
घर आकर वह सबसे बड़े प्यार से मिलता है. अड़ोस पड़ोस के लोगों और जान पहचान के लोगों से भी वो मृदुल स्वर में बातें करता है.
सभी लोगों की नन्हीं नन्हीं, छोटी-छोटी उम्मीदें होती हैं. अगर व्यक्ति इन उम्मीदों के अनुरूप अपने कार्य करता है तो यह उम्मीदें हकीकत में बदल जाती हैं.
इसके दूसरी तरफ छोटे छोटे नन्हे नन्हे बच्चों की अपने मां बाप से और गुरुजनों से भी नन्ही नन्ही उम्मीदें होती हैं. छोटे-छोटे बच्चे नन्ही नन्ही उम्मीदों के दम पर बहुत खुश रहते हैं. आपकी क्या राय है?
दुनिया में बड़े-बड़े खोजी हुए हैं जिन्होंने नई-नई खोजें की हैं. इन लोगों की खोजों से ज्ञान विज्ञान का बहुत विकास हुआ है ज्ञान विज्ञान के इस विकास से मानवता को बहुत लाभ प्राप्त हुआ है.
खोजो में ज्यादातर बड़े बड़े वैज्ञानिक आते हैं. इन वैज्ञानिकों के कारण ही धरती आज इतनी सुंदर और विकसित है. खोजियों के कारण ही मनुष्य को नई-नई खोजें प्राप्त हुई हैं और वह पाषाण युग से आज के आधुनिक युग में आ पाया है.
कई जगहें शापित होती हैं. यह जगहें किसी ऋषि मुनि के श्राप की वजह से या किसी बुरी आत्मा के प्रकोप की वजह से या वहां के लोगों के कुछ बुरे कर्मों की वजह से बंजर या शापित हो जाती हैंं.
इन जगहों का श्राप केवल अच्छे कर्मों परोपकार और भगवान की भक्ति के द्वारा ही तोड़ा जा सकता है.
कोई भी भाषा पहले शुरुआत में केवल कुछ संकेतों और कुछ ध्वनियों से उत्पन्न होती है. धीरे-धीरे भाषा में शब्दों की संख्या बढ़ती जाती है और यह परिष्कृत बोली का रूप धारण कर लेती है. धीरे-धीरे समय के अनुसार यह बोली परिष्कृत होती जाती है और व्याकरण सम्मत बन जाती है. और इस बोली का एक व्याकरण और एक लिपि भी हो जाती है. अब यह एक पूर्ण भाषा का दर्जा प्राप्त कर लेती है.
कुछ समय बाद अन्य भाषाओं के संपर्क से इस भाषा के कुछ शब्द पुराने पड़ने लगते हैं और बोलचाल की भाषा से दूर होने लग जाते हैं और अन्य अगल बगल की भाषाओं के नवीन और फैशन के शब्द भाषा में आने लग जाते हैं. अब भाषा धीरे-धीरे अधिक विकसित और अधिक स्वीकार्य होने लग जाती है.
छोटे समूहों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को लोग धीरे-धीरे छोड़ने लग जाते हैं और अधिक बड़े समूह के द्वारा बोली जाने वाली भाषा को स्टैंडर्ड मानकर उसको बोलने लगते हैं. इसी कारण धीरे-धीरे सारे विश्व और भारत में भाषाओं की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है. शायद एक समय ऐसा आएगा कि सभी भाषाएं मिलकर एक विश्व स्तरीय भाषा का रूप धारण कर ले और सारे विश्व की एक ही भाषा हो. लेकिन यह समय शायद सैकड़ों हजारों साल बाद आएगा.
वैज्ञानिकों ने शोध मैसेज किया है कि जो ईश्वर पर विश्वास करता है, वह हम ज्यादा सकारात्मक और ज्यादा मजबूत होता है. हर दुख के बाद मनुष्य ईश्वर के नाम पर दुख को हटाने की सोचता है और सुख को प्राप्त करने की सोचता है. यह दुनिया जितनी भी अच्छी है शायद ईश्वर के नाम पर विश्वास करने के कारण ही है.
कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम. शायद इसी नाम के कारण ही हर मनुष्य नकारात्मकता के भंवर जाल से निकलकर सकारात्मकता की ओर आगे अग्रसर होता है.
मनुष्य का विवेक ऊपर वाले की आवाज ही है. ऊपरवाला प्रत्येक मनुष्य के अंदर उसके विवेक के रूप में उपस्थित होता है.
आजकल तो चैट रूम का जमाना है. सोशल मीडिया में आप अपना चैट रूम बना सकते हैं. इससे आप अपना मनोरंजन कर सकते हैं, अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और कुछ गंदे लोग अभद्र टिप्पणी भी करते हैं. चैट रूम के कई फायदे हैं और आजकल के जमाने की यह एक सच्चाई भी है.
थोड़े से साइड इफेक्ट इसके भी हैं. लेकिन कुल मिलाकर चैट रूम आजकल की डिजिटल दुनिया का एक अच्छा सच है. क्योंकि हर चीज को सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए और हर चीज के साइड इफेक्ट भी हैं. उनको ज्यादा नजरअंदाज भी नहीं करना चाहिए और ज्यादा उन पर ध्यान भी नहीं देना चाहिए.
मां शब्द सभी जीव धारियों के लिए और स्पेशली मनुष्य के लिए एक वरदान की तरह है. मां वह होती है जो बच्चे को 9 माह अपनी पेट में रखती है. पैदा होने पर उसे संरक्षण देती है.
उसके दिमाग और शरीर को वलिष्ठ करने में अपना सहयोग देती है. बच्चे की शिक्षा दीक्षा और हर जरूरत पूरी करती है. मां अपने बच्चे की सबसे पहले की गुरु होती है. मां के चरणों में स्वर्ग होता है.