afsar का abhinandan book and story is written by Yashvant Kothari in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. afsar का abhinandan is also popular in हास्य कथाएं in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अफसर का अभिनन्दन - उपन्यास
Yashvant Kothari
द्वारा
हिंदी हास्य कथाएं
कामदेव के वाण और प्रजातंत्र के खतरे यशवन्त कोठारी होली का प्राचीन संदर्भ ढूंढने निकला तो लगा कि बसंत के आगमन के साथ ही चारों तरफ कामदेव अपने वाण छोड़ने को आतुर हो जाते हैं मानो होली की पूर्व पीठिका तैयार की जा रही हो । संस्कृत साहित्य के नाटक चारूदत्त में कामदेवानुमान उत्सव का जिक्र है, जिसमंे कामदेव का जुलूस निकाला जाता था । इसी प्रकार ‘मृच्छकटिकम्’ नाटक में भी बसंतसेना इसी प्रकार के जुलूस में भाग लेती है । एक अन्य पुस्तक वर्ष-क्रिया कौमुदी के अनुसार इसी त्योहार में सुबह गाने-बजाने, कीचड़ फेंकने के
कामदेव के वाण और प्रजातंत्र के खतरे यशवन्त कोठारी होली का प्राचीन संदर्भ ढूंढने निकला तो लगा कि बसंत के आगमन के साथ ही चारों तरफ कामदेव अपने वाण छोड़ने को आतुर हो जाते ...और पढ़ेमानो होली की पूर्व पीठिका तैयार की जा रही हो । संस्कृत साहित्य के नाटक चारूदत्त में कामदेवानुमान उत्सव का जिक्र है, जिसमंे कामदेव का जुलूस निकाला जाता था । इसी प्रकार ‘मृच्छकटिकम्’ नाटक में भी बसंतसेना इसी प्रकार के जुलूस में भाग लेती है । एक अन्य पुस्तक वर्ष-क्रिया कौमुदी के अनुसार इसी त्योहार में सुबह गाने-बजाने, कीचड़ फेंकने के
आज़ादी की तलाश में ..... ...और पढ़े यशवंत कोठारी आज़ादी की साल गिरह पर आप सबको बधाई, शुभ कामनाएं .इन सालों में क्या खोया क्या पाया , इस का लेखा जोखा कोन करेगा.क्यों करेगा . हर अच्छा काम मैने किया हर गलत काम विपक्षी करता है , ये लोग देश को आगे नहीं बढ़ने देते हैं , देश आजाद हो गया . हर आदमी को आज़ादी चाहिये. सरकार को अच्छे दिनों व् काले धन के जुमलों से आज़ादी चाहिए . अफसर को फ़ाइल् से आज़ादी चाहिए, बाबु को अफसर से आज़ादी चाहिए, मंत्री को चुनाव से आज़ादी चाहिए.जनता को महँगाई से
चुनाव में खड़ा स्मग्लर ...और पढ़े यश वन्त कोठारी वे एक बहुत बड़े स्मगलर थे। समय चलता रहा। वे भी चलते रहे। अब वे समाज सेवा करने लग गए। सुविधाएं बढ़ने लगीं। उनके पास सभी कुछ था। शा नदार कार, कोठी, और कामिनी। कोठी में सजा हुआ है डाइ्रग रुम और डाइंग रुम में आयातित राजनीति है। बड़े अजीब आदमी है। चूना भी फांक लेते है। क्यों कि पुरानी आदत है, छूटती नहीं। पाइप भी पीते है, नई-नई आदत है, होंठ तक जल जाते हैं। सूट भी पहन लेते हैं। इधर खादी भण्डार से भी कपड़े
चुनावी - अर्थशास्त्र यशवंत कोठारी विश्व के सबसे महंगे चुनाव ...और पढ़ेमें होने जा रहे हैं .सत्रहवीं लोक सभा के लिए ये चुनाव पैसों की बरसात के सहारे सहारे चलेंगे. इस बार पैसा बरसेगा सत्तर लाख की सीमा बहुत पीछे रह जायगी. पिछले चुनाव में लगभग ४० हज़ार करोड़ लगा था ,बढ़ी महंगाई के अनुसार यह आंकड़ा एक लाख करोड़ तक जा पहुचे तो कोई आश्चर्य नहीं. अमेरिका के विशेषज्ञ इसे ७१००० हज़ा र करोड़ का मान कर चल रहे हैं,चंदा कहाँ से कितना आया इसपर चर्चा करना बेकार है.सब प्रत्याशी चुनाव जीतना चाहते है,कुछ भी खर्च
व्यंग्य-- चुनाव ऋतु –संहार यशवंत कोठारी हे!प्राण प्यारी .सुनयने ,मोर पंखिनी ,कमल लोचनी,सुमध्यमे , सुमुखी कान धर कर सुन और गुन ऐसा मौका बार बार नहीं आता ,इस कुसमय को सुसमय समझ और रूठना बंद ...और पढ़े,चल आ जा ,मइके से लौट आ वहां रहने की ऋतुएं तो और भी आ जायगी .लेकिन हे मृग नयनी यह जो चुनाव रुपी बसंत आपने बाणों के साथ हिमालय से उतर कर पूरे आर्याव्रत में महंगाई की तरह बढ़ रहा है ,ऐसा सुअवसर बार बार नहीं आता है.इसका स्वागत करने के लिए तू मेके से लौट आ. देख! बाहर खिड़की से बाहर