Kavita Verma लिखित उपन्यास छूटी गलियाँ

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छूटी गलियाँ द्वारा  Kavita Verma in Hindi Novels
शाम होते ही मुझे घर में अकेलापन खाने को दौड़ता है इसलिए कॉलोनी के पार्क की ओर चल देता हूँ। आज भी शाम से ही पार्क में आ गय...
छूटी गलियाँ द्वारा  Kavita Verma in Hindi Novels
अरे कितना अँधेरा हो गया है बातों में कुछ पता ही नहीं चला, राहुल अकेला होगा ट्यूशन से आ गया होगा। तू कैसे जायेगी? नेहा न...
छूटी गलियाँ द्वारा  Kavita Verma in Hindi Novels
शॉपिंग घूमना फिरना मिलना जुलना सब से फुर्सत होकर सनी और सोना की पढ़ाई लिखाई के बारे में बात की तो दोनों के मुँह ऐसे बने म...
छूटी गलियाँ द्वारा  Kavita Verma in Hindi Novels
साब बंद करने का टाइम हो गया है पार्क के चौकीदार की आवाज़ ने तन्द्रा भंग की। रात के सन्नाटे में खुद को पार्क में अकेला पा...
छूटी गलियाँ द्वारा  Kavita Verma in Hindi Novels
मेरी वापसी का दिन आ गया, मैं सनी को खींच कर अपने सीने से लगाना चाहता था पर हमारे बीच की दूरी ने मेरे हाथ उसके कंधे तक पह...