Kamsin book and story is written by Seema Saxena in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kamsin is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कमसिन - उपन्यास
Seema Saxena
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
न तौलना, न मापना, न गिनना कभी
हूँ गर्भगृह में समाया
निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग
पवित्र प्रेम मैं ! !
होस्टल के कमरे में मनु ने हिलाकर उसे जगाते हुए कहा था, उठो भई, जाना नहीं है क्या ? राशी ने एकदम से चौंक कर घडी की तरफ नजर दौड़ाई ! जब घडी में साफ नजर नहीं आया तो उसने पास में पड़े मोबाईल का बटन किल्क करके देखा !
न तौलना, न मापना, न गिनना कभी
हूँ गर्भगृह में समाया
निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग
पवित्र प्रेम मैं ! !
होस्टल के कमरे में मनु ने हिलाकर उसे जगाते हुए कहा था, उठो भई, जाना नहीं है क्या ? राशी ने एकदम ...और पढ़ेचौंक कर घडी की तरफ नजर दौड़ाई ! जब घडी में साफ नजर नहीं आया तो उसने पास में पड़े मोबाईल का बटन किल्क करके देखा !
बुआ जी का दो कमरे का घर, वैसे तो काफी बड़ा घर है, चार मंजिल तक बना हुआ पर और कमरे किराये पर उठे हुए हैं ! वे अकेले ही रहती है, उनके दोनों बेटे इंडिया से बाहर जॉब ...और पढ़ेहैं ! एक बेटी जिसकी शादी हो चुकी थी !
वो सड़क तक ही पहुची थी कि फिर से रवि का फोन आ गया !
घर से निकल कर सड़क तक आ गयी हूँ !
ठीक है आप वहीँ पर रुको ! मैं आ रहा हूँ !
5 मिनिट ...और पढ़ेगए थे पर अभी तक नहीं आये ! शान्तम के दोस्त भी आ गये थे और उससे जल्दी चलने को कह रहे थे !
मासी आपकी बस कहाँ है ? मैं जा रहा हूँ, आप यहाँ पर ही खड़ी रहिये, ठीक है न !
कुछ खाना है ? रवि ने पूछा !
नहीं, अभी मेरा मन नहीं कर रहा !
चलो नाश्ता कर ले ! काफी समय हो गया है !
कहीं रुकेंगे ?
नहीं कार में ही खा लेंगे ! देखो पीछे सीट ...और पढ़ेएक बैग रखा है ! उसे उठा !
अब कार में वे दोनों ही बचे थे ! इतना प्यारा मौसम और साथ में अपना प्यार, मन बड़ा भावुक सा हो रहा था ! और अभी अभी ईश्वर ने नूर की बूंदें भी उनपर बरसा दी थी ! ...और पढ़ेएकदम शांत बैठे कार चला रहे थे !
अँधेरा घिरता जा रहा था और खतरनाक मोड़ बार बार आ रहे थे परन्तु रवि अपने सधे हाथों से कुशलता से कार चलाये जा रहे थे !