कमसिन - 27 Seema Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कमसिन - 27

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(27)

सुबह हो गयी थी ! आज कल्पना को उठने की इच्छा नहीं हो रही थी ! वह ऐसे ही लेटी रहना चाहती थी लेकिन माँ की पूजा और उनकी घन्टी की ध्वनि ने उसे उठने को मजबूर कर दिया था वह राजीव के बालों को हौले से सहलाकर प्यार की नजर से देखती हुई हंस दी थी कितने प्यारे लगते हैं और कितने भोले भी लेकिन सिर्फ सोते समय रात की खुमारी बरकरार थी, प्यार भी, शरारतें जो राजीव ने की थी सोंचती हुई वह मुस्कुरा उठी थी यहीं तो दाम्पत्य जीवन का सुख है इसी में सृष्टि समाई हुई है, उसके बिना तो दुनिया चल ही नहीं सकती, हर स्त्री-पुरूष एक दूसरे के बिना अधूरे हैं उनका अलग-अलग कोई अस्तित्व ही नहीं जब दोनो मिल जाते हैं तो एक हो जाते हैं तो उस समय पृथ्वी आकाश भी संगीत लहरिया छोड़ने लगते हैं और प्रकृति मृदुगान करने लगती है सारा वातावरण मधुमय मनोरम लगने लगता है तभी एक रचना का अनावरण होता है। कल्पना आज क्या बात है बहुत नींद आ रही है अभी भी अलसाई सी लग रही हो क्या तबियत ठीक नहीं है, वह माँ की आवाज सुनकर, नहीं, नहीं माँ मैं ठीक हूँ .....

पापा जी बाहर आराम चेयर पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे वह जल्दी से रसोई घर में घुस गई वहाँ जमुना काफी बर्तन साफ कर रही थी वे उसकी ओर देखते हुए बोली, बहू क्या बात है क्या आज तबियत ठीक नहीं है? यही बात माँ जी ने भी पूछी थी क्या हुआ है उसे वह तो ठीक है उसने काफी बनाकर कप में डाली और उसे लेकर कमरे में आ गई वहाँ राजीव अभी निद्रा देवी की गोद में विश्राम कर रहे थे उसने काफी मेज पर रख दी तथा स्वयं दर्पण में जाकर देखने लगी उसे अपनी शक्ल देखकर हंसी आ गई ना माथे पर बिन्दी थी ना एक कान में कुण्डल था बाल भी बेतरतीब से थे उसे शरम आ गई अपने आप पर माँ और जमुना काकी क्या सोच रही होंगी अच्छा ही हुआ जो पापा जी की नजर उसपर नहीं पड़ी। उसने डेसिंग टेबल से बिन्दी का पैकेट उठाकर एक बिन्दी अपने माथे पर लगा ली राजीव ने करवट बदली लेकिन उठे नहीं वह हिलाते हुए बोली, उठो राज काफी ठन्डी हो रही है समय देखो आफिस नहीं जाना है आज क्या?

राजीव आँखे मलते हुए उठे और काॅफी पीने लगे,

कल्पना बोली राजीव मेरा एक कुण्डल नहीं मिल रहा देख लो कहाँ खो गया है राजीव ने उसकी तफर देखा लेकिन कुछ बोले नहीं, अच्छा तो अभी तक नाराज हैं कल बोल नहीं रहे पर बदमाशियाँ उनमें कमी नहीं, राजीव काफी पीकर बाथरूम की ओर बढ़ गये, उसने देखा उसका कुण्डल राजीव के ट्रैक सूट की शोभा बढ़ा रहा था उसने भागकर राजीव के ट्रैक सूट से अपना कुण्डल निकाला लेकिन इस सब में वह और राजीव दोनो लड़खड़ाकर जमीन पर गिर गये वह ऊपर थी और राजीव नीचे वह मुस्कुरा दी तो राजीव भी हँसते हुए बोले ‘‘क्या रात दिल नहीं भरा’’ वह शरमा गई और बोली, ‘‘मेरा कुण्डल आपके कपड़ों पर चिपक गया था।

सब अपने-अपने कार्यों में लगे हुए थे राजीव भी आफिस के लिए तैयार हो रहे थे माँ-पापा जी के लिए नाश्ता लगा रही थी और जमुना काकी रसोई में गर्म-गर्म परांठे सेंक रही थी बस वही चुपचाप बैड पर बैठी थी वह नहा धोकर तैयार हो गयी थी लेकिन सुबह की शरम अभी तक उसपर हावी थी जिस वजह से उसकी कमरे से बाहर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी तभी जमुना काकी नाश्ता लगाकर कमरें में ही ले आई थी और मेज पर रखती हुई बोली बहू तुम दोनो आज यहीं नाश्ता कर लो आज तुम्हारी तवियत भी ठीक नहीं थी तो मैं ही लेकर आ गई वह नाश्ता रखकर चली गई थी रिया सोच रही थी कि यह जमुना काकी भी कितनी प्यारी और देखभाल करने वाली है इस उम्र में भी उन्हें सबकी फिक्र रहती है कि बिल्कुल माँ जैसी देखभाल करती है राजीव की और यह भी उन्हें इज्जत देते हें हमेशा सम्मान के साथ ही बोलते हैं एक गैर इंसान भी प्रेम के वशीभूत होकर अपना सब कुछ समर्पित कर देता हैं

राजीव ने नाश्ता किया और आॅफिस चले गये कल्पना ने उठकर बरतन उठाकर रसोई में रखे और माँ के पास आ गई माँ जमुना काकी के पास बैठी थी काकी सब्जी काट रही थी और माँ से बातें भी कर रही थी अब तेरी बेटी रूपा ससुराल में खुश है अब कोई तकलीफ तो नहीं। नहीं अब तो बहुत खुश है।

अच्छा !

हाँ मालकिन अब दामाद भी कमाने लगे हैं। कोई परेशानी ना है अब उसका लड़का भी छः महीने का हो गया है चलो यह खबर अच्छी है दामाद कमाने लगे हैं कल्पना भी वहीं आकर बैठ गई। उसे देखकर जमुना काकी बहुत मुस्कुराई और उससे बोली बहू अब तुम भी राजीव को औलाद का मुँह दिखा दो मैं उसे भी अपने हाथों पाल-पोस लूँ फिर इन बूढ़ी हड्डियों का क्या भरोसा। काकी ऐसा क्यों कहती हो अभी तो आप मेरे बच्चों के बच्चे भी पालोगी।

जमुना काकी हँस पड़ीं और उसकी बात सुनकर अरे बहू हाँ मैं क्या जन्मभर बैठी रहूँगी !

माँ भी मुस्कुराते हुए बोली तू नहीं होगी तो हमारे खानदान के बच्चे कौन पालेगा तभी डोर बैल बजी थी काकी ने जाकर दरवाजा खोल दिया माँ और कल्पना उधर देख रही थी कि इस समय कौन आया है और देखा सामने से राशी आते दिखी काकी ने दरवाजा बन्द किया और सब्जी काटने बैठ गई

कल्पना नैपूछा आज इस समय कैसे, क्या आज स्कूल की छुट्टी मार ली है? भाभी आज स्कूल में स्ट्राइक हो गयी !

क्यों?

क्योंकि एक सर को स्टूडेन्ट से थप्पड़ मार दिया !

सर को ही मार दिया!

हाँ भाभी बड़ा झाड़ फैल गया !

उस लड़के को पुलिस तो नहीं ले गई !

ले गई ! सर ने पुलिस में कम्प्लेन्ट कर दी थी !

अब छोड़ो कोई और बात करो, वह बोली आजकल नैना बेहद खूबसूरत लगने लगी थी ! आज उसने सफेद स्कर्ट पर लाल रंग की वी नेक टाप पहन रखा था, लेकिन उसके चेहरे पर आज कुछ तनाव था जिसकी वजह से सुन्दर सा चेहरा दुखा-दुखा सा लग रहा था !

तभी कल्पना पूछ बैठी कौन से सर को मारा था, तेरे मैथ वाले सर को तो नहीं,

हाँ भाभी मैथ वाले सर से ही झगड़ा हो गया था, किस बात पर झगड़ा हुआ, सक्षम मैथ के पीरियड में बातें कर रहा था तो सर ने डाँटकर क्लास से बाहर जाने को कहा लेकिन वह उनसे झगड़ने लगा बात बढ़ गई और सक्षम ने एक थप्पड जड़ दिया सर के गाल पर !

सर ने नहीं मारा उसको ?

एकदम से सब कुछ हुआ सक्षम का थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा था कि वह लड़खड़ा कर गिर पड़े थे !

अच्छा फिर तो काफी झगड़ा फैल गया होगा !

हाँ भाभी वह तनाव के कारण बहुत परेशान नजर आ रही थी, कल्पना ने उसके लिए एक गिलास पानी लाकर दिया और बोली चलो पानी पियो टेंशन ना लो वह पानी गटागट पी गई थी।

जमुना काकी और माँ जी वहाँ से चली गई थी ! माँ अपने कमरे में और जमुना काकी रसोई में शाम के लिए तैयारी करने में लग गयी थीं ! दोपहर के एक बज रहे थे राशी ने भाभी का हाथ पकड़ते हुए कहा, भाभी मुझे तो बहुत डर लग रहा है अब क्या होगा ?

अरे तू इतना परेशान मत हो, सब ठीक हो जायेगा।

कल्पना ने उसे समझाया ! राशी सोफे पर ही लेट गई थी और कुशन को सीने से दबा लिया ! उसकी आँखों में परेशानी और चिन्ता की लकीरें उभरी हुई थीं। वह अपनी उम्र से कहीं बहुत बड़ी नजर आ रही थी ! प्यार में इंसान कितना बदल जाता है बिल्कुल उसके ही रंग में रंग जाता है उसके जैसा ही बन जाना चाहता है उसकी एक नयी दुनिया बन जाती है जहाँ वह विचरने लगता है अपने उस साथी का हाथ पकड़ कर जो उसका अपना होता है। सबसे ज्यादा प्यारा अनोखा।

इतनी अल्हड़ कम उम्र की लड़की कितनी गम्भीर नजर आ रही थी अपने प्रेम के लिए, सच उसको कितना बदल कर रख दिया था आज कल्पना को उस पर तरस आ रहा था कि इस खेलने कूदने हंसने मुस्कुराने की उम्र में यह कैसा गम्भीर रोग पाल बैठी है ! सब कुछ भूल कर उसे याद है तो सिर्फ रवि सर का सुख खुशी, और अपना दुःख दर्द भूलने लगी है ! कुछ देर लेटने के बाद वह जाने लगी तो रिया ने उससे कहा, राशी खाना खाकर ही जाना क्योंकि अभी लंच का समय हो रहा है !

मम्मी (माँ) पापा के लिए खाना लगा रही थी तो वह भी कहने लगी राशी खाना खा ले ! तेरी पसंद का राजमा चावल बने हैं, लेकिन राशी ने खाया नहीं वह चली गई यह वही राशी थी जो जबरदस्ती घुस कर अपनी पसंद की चीजें निकालकर खा जाती थी और कुछ अपने घर भी ले जाती थी बाद में खाने के लिए।

अब तो राशी जब भी आती थी छोड़ जाती थी पीछे से अनगिनत सवाल ! आज भी छोड़ गई थी किन्तु आज कल्पना परेशान नहीं थी उसे अब भी डर नहीं रह गया था कि राशी किसी गलत व्यक्ति से प्यार कर रही है वह जिससे भी प्यार कर रही है वह बेहद समझदार इंसान है और उसके प्रेम को उसकी भावनाओं को समझता था।

बहू पापा को खाना दे दिया है अब चलो हम दोनो खाना खा ले माँ ने उसे कहा तो वह बोली ठीक है माँ मैं लगा लेती हूँ। दोपहर का खाना माँ और दोनो साथ ही खाते थे।

कुछ दिन यूँ ही निकल गये राशी आई ही नहीं थी ! एक दिन सुबह-सुबह ही आ गई ! रिया उस समय किचिन में काफी बना रही थी ! वह भी वहीं घर पर आ गई कुछ उदास सी लग रही थी ! नैना कैसी हो ? सब ठीक-ठाक चल रहा है ? तुम्हारी पढ़ाई और सब कुछ एक साथ कई सवाल पूछ डाले थे !

नहीं भाभी सब ठीक कहां है वह उदास सी बोली। क्या बात है।

भाभी सर उस घटनासे बहुत डर गये हैं। और उन्होंने निर्णय ले लिया है वे इस काॅलेज में नहीं पढ़ायेंगे और अभी वे अपनी रिसर्च करने में लिए जा रहे हैं।

कहाँ जा रहे हैं।

बड़े शहर जहाँ बायों में रिसर्च करेंगे।

अच्छा

हाँ भाभी अब मैं कैसे रहूँगी मेरा पढ़ने में भी मन नहीं लगेगा

तुम परेशान ना हो सब अच्छा ही होगा, रिया ने काफी ली और राशी से बोली चलो काफी पी लो राजीव भी कमरे में काफी का इन्तजार कर रहे हैं वह रसोई से बाहर आई तो उसे कुछ चक्कर से महसूस हुए मानों सब घूम रहा है उसने राशी को ट्रे पकड़ाई और बोली मैं आती हूँ तू राजीव को काफी दे आ ! वह वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ गई थी ! जब ठीक लगा तो उठकर कमरें में आई वहाँ राजीव और राशी बाते कर रहे थे वह भी काफी वहीं बैठ गई पर उसका मन कुछ अच्छा ना था काफी पीने के बाद राजीव फ्रेश होने को चले गये और वह वहीं पर बैठ कर राशी से बात करने लगी !

वो बोली, भाभी सर तीन महीने बाद चले जायेंगे !

तो जाने दो न उन्हें ! वह जितनी अच्छी पढ़ाई करेंगे उनको उतना अच्छा जाब मिलेगा और शिक्षा तो अच्छी होनी ही चाहिए अगर वह तुझसे सच में प्यार करते हैं तो वहाँ रहकर भी नहीं भूलेंगे।

पर भाभी इतनी दूर परदेश में और मैं यहाँ कैसे जी पाऊँगी, उनको अगर वहीं जाॅब मिल गई तो आयेंगे भी या नहीं !

पागल प्यार में जितनी दूरी होती है उतना ही प्रेम मजबूत होता है सच्चा प्यार कभी नहीं मरता ! वह वापस आयेंगे तेरे लिये।

हूँ वह गहन मुद्रा में आती हुई बोली !

आज तुम्हें अपने स्कूल नहीं जाना !

जाना तो है बस अब जाकर तैयार होती हूँ !

वह चली गई।

कल्पना कमरे को समेटने लगी उफ यह राजीव भी ना सारा सामान बिखरा देते हैं कहीं पर भी फेंक देते हैं उसे बिल्कुल भी पसन्द नहीं फैला हुआ सामान किन्तु राजीव उन्हें कोई मतलब नहीं बेपरवाह से अचानक उसका जी मचलाने लगा वह वाशरूम की तरफ भागी लेकिन उबकाई का दौर इतना भयंकर था कि वह वहीं पर बैठ गई और उसने जो काफी पी थी वह भी पूरी की पूरी वहीं जमीन पर निकल गई तब तक राजीव भी आ गये थे, यूँ उल्टी करते देख वे घबरा गये उसकी पीठ सहलाते हुए बिस्तर पर लिटा दिया पानी देकर उसके बालों में उंगलियाँ फिराने लगा रिया ने राजीव को परेशान देखा तो बोली, कोई खास बात नहीं है बस डिहाईड्रेशन हो गया है, ठीक हो जायेगा।

राजीव बोले, तुम लेटी रहो माँ और जमुना काकी को बुलाकर लाता हूँ, कल्पना के मना करने के बाद भी वह माँ और काकी को बुला लाया ! काकी ने देखा कमरे में उल्ठी बिखरी पड़ी है ! वे उसे साफ करने लगी और माँ वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए बोलीं, क्या हुआ बेटा रात तो हल्का-फुल्का ही खाना बना था और कुछ तो खाया नहीं था ! वो उठने लगी ! उठो नहीं अभी तुम लेटी रहो और अभी राजीव के साथ जाकर डा0 को दिखा लेना, तब तक जमुना काकी कमरे की साफ सफाई करके उसके लिए नीबू की शिकंजी लेकर आ गई थी और देते हुए बोली, पी लो बेटा हल्कापन लगेगा ! उसने गिलास मूँह से लगाया ही था उसे जोर से उबकाई आई अब माँ भी घबरा सी गई थी और राजीव से कहने लगी कि तुम अभी इसे डा0 को दिखाओ न जाने क्या हो गया है। कल्पना भी परेशान होने लगी उसे अन्दर से काफी कमजोरी महसूस हो रही थी उसने तो कल इतना कुछ खाया नहीं था ! ना जाने क्या हुआ जो उसे उल्टियाँ आने लगीं ! राजीव ने डा. को दिखाया कुछ टेस्ट भी हुए और वह घर वापस आ गये ! इस समय राजीव और कल्पना के चेहरे चमक रहे थे खुशी से लेकिन उसकी तबियत अभी भी ठीक नहीं थी। घर में माँ काकी और पापा जी चिन्ताग्रस्त बैठे थे ! आज रिया को एहसास हुआ कि वे सब उसे कितना प्यार देते हैं कितने परेशान हो गये हैं उसकी बीमारी को लेकर सच ही एक शादी के बाद लड़की एक परिवार को छोड़कर दूसरे परिवार में आती है तो वहाँ उसे सब कुछ मिल जाता है माँ जैसी सास तो पिता जैसे ससुर और पति का प्यार तो मिलता ही है जिसके सहारे जीवन कितना सुखमय हो जाता है हर सुख-दुःख में साथ निभाने वाला। सबसे पहले जमुना काकी ने पूछा क्या हुआ क्या बताया डा0 ने,

यह सवाल सुन राजीव मुस्कुरा दिया माँ डाटते हुए सी बोली तू मुस्कुरा रहा है बहू की तवियत खराब है क्या कहा डा0 ने।

‘अरे माँ कुछ खास नहीं कहा बस अब आप यह समझो कि आप पर एक जिम्मेदारी और आने वाली है’’

क्या कौन सी जिम्मेदारी, इस बात का तबियत से क्या मतलब!

मललब है, क्योंकि आप दादी जो बनने वाली हो !

क्या सच ?

हाँ माँ आपकी बहू अब माँ बनने वाली हैं !

कल्पना कमरे में जा चुकी थी जमुना काकी पापा और माँ बहुत ही खुश हुए थे इस जवाब को सुनकर कितने दिनों से इसकी आस लगाये बैठी थी पूजा के समय हर बार वह यह प्रार्थना जरूर करती थी कि अब उसके घर में भी किलकारियाँ गूँजे जब से राजीव हुआ तो अब उसके बाद उसके बच्चे की ही वजह से घर में रौनक आयेगी और शादी को भी करीब दो साल होने को आये थे तो माँ बेहद चिंता ग्रस्त भी हो गई थी आजकल तो साल भीतर ही हों जायें तो ठीक अन्यथा फिर इलाज कराते फिरो तब भी बच्चा हुआ ना हुआ राजीव के साथ ही उसके ममेरे भाई के बेटे की शादी हुई थी तो उसका बच्चा अब साल भर का होने को आया। आज घर में बेहद खुशी का माहौल था सब कल्पना की देखभाल में लगे हुए थे। आखिर उनके घर चिराग जो आने वाला था घर भर में खुशियाँ छाई हुई थीं सब अपने-अपने तरीके से उसे व्यक्त कर रहे थे काकी माँ सबसे ज्यादा खुश थीं और भाग-भाग कर काम कर रही थीं और साथ देती जा रही थीं नसीहतें कि अब तुम ऐसे करना ऐसे चलना, उठना बैठना खाना-पीना आदि आदि सब समझा रही थीं। माँ भी बार-बार आकर हाल ले रही थीं, दोनो ननदों को माँ ने फोन पर खुशखबरी दे दी थी वे बुआ बनने वाली थीं तो उनका भी हक था यह जानने का मायके में भी सबको पता चल गया था माँ ने राजीव ने सबने फोन करे बता दिया था अब रिया के मोबाइल पर फोन करके उसे बधाईयाँ दे रहे थे वे सब बेहद खुश थे दोनो ननदों ने जल्दी आने को कहा था क्योंकि वे स्वयं आकर बधाइ्र जो देना चाहती थीं। उसके मम्मी-पापा भाई बहिन सबने अपने-अपने तरीके से उसे समा था और खुशी व्यक्त की थी। माँ ने कहा बेटा कुछ दिनों यहाँ आकर रह लेना आराम मिल जायेगा तो वह फौरन बोली थीं, माँ आप परेशान क्यों होती हो एक माँ वहाँ छोड़कर आई तो मुझे यहाँ दो, दो मायें मिली हैं एक जमुना काकी और दूसरी सासू माँ वे दोनों मेरा बहुत ही ध्यान रखती हैं। मम्मी चुप रह गई थी बेटियाँ शादी के बाद कितना बदल जाती हैं, पहले मायके में होती हैं तो कितना अपनापन प्यार दिखाती हैं शादी के बाद ससुराल को ही अपना सब कुछ समझने लगती हैं, उनमें ही अपनी खुशियाँ खोज लेती हैं सच है लड़कियाँ एक बहते दरिया के समान होती हैं जिधर बहा दो उधर ही अपनी लय में बहने लगेगी और एकदम कोरे कागज के समान जिस पर जैसी चाहें इबारत लिख लो, लेकिन माँ अपनी बेटी को विदा तो करती है फिर भी वे उसकी फिक्र में लगी रहती हैं भले ही बेटी ससुराल में कितना भी सुखी क्यों ना हो लेकिन माँ का दिल माँ का ही होता है, जिनसे नौ माह अपनी कोख में रखकर अपने खून से सीचकर पैदा किया होता है और पालने-पासने में जी जान लगाकर बड़ा किया होता है ! बेटी के परेशान ना होना, माँ कहने से वह उसकी चिन्ता करना कैसे छोड़ सकती है।

आज माँ बता रही थी कि हमारे यहाँ देहरी नहीं लाँघते जब तक बच्चा ना हो जाये ! राजीव की दादी ने बड़ी के जन्म के समय घर से बाहर तक ना निकलने दिया था फिर जब गुड़िया हुई तो भी लेकिन मेरी हालत उस समय सही नहीं थी तो राजीव के पापा मुझे डा0 के यहाँ दिखाने ले जाते थे पीछे से वो खीचती रहती गुड़िया के पैदा होने में मेंरी हालत बहुत खराब हो गई थी, साल भीतर दूसरा बच्चा होने वाला था ! बड़ी और छोटी में मात्र ग्यारह महीने का ही अन्तर तो है इसलिए खून की बहुत कमी हो गई थी शरीर में तो डा0 को खून भी चढ़ाना पड़ा थी आपरेशन से पैदा हुई थी गुड़िया ! उन्हें और चीखने-चिल्लाने का मौका मिल गया, मैं ना कहती थी देहरी मत लाँघो मत जाओ डा0 के पास तब नहीं मानी मेरी बात, बडकी हुई कोई भी परेशानी नहीं हुई सब अच्छी तरह से घर में ही निबट गया था और अब डा0 अस्पताल आपरेशन सब झेल लिया ! पैदा भी लली करी है ! जो माने बड़े की सीख सो ले माँगे खपटा भीख यह कहावत तुम पे बिल्कुल ठीक बैठती है !

मैं भी उस वक्त सोच में पड़ गई थी कि माँ जी शायद ठीक कह रही हैं मान लेती उनकी बात, ना लाँघती देहरी, तो जैसे बड़ी ठीक प्रकार से घर में ही पैदा हो गई थी वैसे ही यह गुड़िया भी पैदा हो जाती ! यह आपरेशन का दश तो ना झेलना पड़ता ! ना इतना कष्ट होता लेकिन राजीव के पापा ने बताया था कि डा0 कह रही थी एक साल में ये बच्चों की पैदाइश की वजह से शरीर बेहद कमजोर हो गया है इसको बहुत ऐतिहात और आराम की जरूरत है और हाँ अगला बच्चा कम से कम पाँच साल से पहले ना हो ! अब ध्यान रखना अगर इस बार तुम इसे समय से ना लाते तो बचना भी मुश्किल होता ! बच्चे को तो किसी भी कीमत पर बचाया ही नहीं जा सकता था ! फिर राजीव गुड़िया के सात साल बाद पैदा हुआ था हम लोग तो तीसरे बच्चे की सोंच भी नहीं रहे थे फिर दादी माँ ने लड़के की जिद ठान ली ! वंश कैसे चलेगा, खानदान का नाम रोशन कौन करेगा ! ना जाने क्या-क्या ! सबुह से शाम तक कहती रहती फिर राजीव होने वाला था तो चल बसीं तीन माह का गर्भ था लेकिन मरते समय सकून था कि अब तो लड़का ही पैदा होगा और उनका वंश चल जायेगा मिटेगा नहीं राजीव बाद में पैदा हुआ उनकी ही जिद की वजह से लेकिन वे उसका मुँह ना देख पाई पोते के लिए कहते कहते परेशान हो गयीं थीं। आज बहुत बाते बताई थीं माँ ने अपने बारे में ! रिया को लग रहा था सच में जब तक बड़ों का साया सर पर होता है तब तक कोई भी बुरा नहीं सोच सकता ना गलत राह दिखा सकता है।

माँ जी तो सब बातें बता कर चली गई थीं किन्तु उसके के मन में एक टीस पैदा कर गईं क्या वह भी नौं महीने तक घर में ही कैद रहेगी वह भी देहरी नहीं लांघ पायेगी माँ जी की तरह ना मायके ही जा पायेगी और उसकी तो हालत भी ठीक नहीं मुंह में पानी डालते ही उल्टी आना शुरू हो जाता है वह तो कुछ खा भी नहीं पा रही है डा0 के यहाँ तो जाना ही होगा उनहोंने तीसरे दिन ही तो बुलाया था उसे अब माँ यह बातें वह यदि बतानाचाहती थी कि अब तुम भी नहीं जा सकोगी नहीं माँ ऐसा नहीं सोच सकती वे तो बहुत सहृदय हैं और वे भी तो गुड़िया दी और राजीव के समय पर अस्पताल गई थीं वह इन सब बातों में मग्न थी कि उसी समय काकी साबूदाना बनाकर ले आई थी लो बहू पी लो धीरे-धीरे ठीक लगेगा खाली पेट उबकाई आती ही रहेंगी। उनका मन रखने को उसने ले लिया पर उसका मन कुछ भी खाने को नहीं कर रहा था ना जाने कैसा हल्का पन सा महसूस हो रहा था अन्दर से माँ कह रही थी कि जब बच्चा पैदा होने वाला होता है या गर्भ की शुरूआत में ऐसा ही लगता है फिर सब ठीक हो जाता है काकी माँ फिर आ गई थी उसके पास पूछने और तो नहीं लोगी कुछ उसने वही साबूदाना भी अभी तक खत्म नहीं किया था अभी यह खा लो तो में तुम्हारे लिये सेब भी काटकर ला देती हूँ शाम को रोटी खा लेना, वैसे तुम अपने को बीमार मत समझो यह दिन तो खुश रहने चलने फिरने के है ! अच्छा कुछ पढ़ो बीमार बन के उदास हो कर मत बैठो ! वे उसे समझा-बुझा कर चली गई थी ! राजीव आ गये थे तभी राशी भी आ गई !

भाभी क्या हुआ आज इस तरह क्यों लेटी हो, !

कुछ नहीं नैना काई खास बात नहीं आज सुबह से जी उबका रहा है उल्टियाँ आ रहीं थीं,

डा0 को दिखाया, उसकी मुस्कुराता मुख चिन्ताग्रस्त हो गया था !

पागल तू इतना परेशान क्यों हो गई ! मैं ठीक हूँ ! डा0 को दिखा दिया है ! मुस्कुराते चेहरे को देखकर वह खुश हो गई और ढेर सारी बातें बताने लगी !

भाभी अब बोर्ड के एक्जाम होने वाले हैं !

अब पढ़ाई में जुट जाओ !

हाँ सर का काॅल आया था कि तुम मन लगाकर पढ़ो तो तुम्हें आगे की पढ़ाइ्र के लिए स्कालरशिप मिल जायेगी और तुम फिर मेरी तरह रिसर्च कर सकती हो ! यही बात बताने आई थी अगर मन लगाकर नहीं पढूँगी तो नं0 कैसे आयेंगे तो अब आना बन्द पेपर के बाद ही।

अगर मैं बीमार हूँ तो क्या तब भी तुम मिलने नहीं आओगी।

क्यों नही मैं तब कैसे रह पाऊँगी मैं तो आती रहूँगी रोज ही !

बड़ी जिम्मेदार हो गई है अब तो ।

हाँ भाभी बनना पड़ा, !

चलो अच्छी बात है ! यह जिम्मेदारी आगे चलकर काम आयेगी।

वो कैसे ?

वो ऐसे जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो जिम्मेदारियों से तुम घबराओगी नहीं क्योंकि आदत पड़ चुकी होगी।

जब इतनी समझदार और प्यारी भाभी मेरे साथ है तो क्यों ना जिम्मेदार बनूगीं, वह मुस्कुराकर बोली सच में मुस्कुराती हुई कितनी प्यारी लगती है नैना गालों में गड्ढ़े पड़ जाते हैं पूरा चेहरा चमक उठता है आँखे कुछ ज्यादा ही बोलने लग जाती हैं उसकी वह जाती हुई बोली, अच्छा भाभी आती रहूँगी आप अपना ध्यान रखना, ओके मेरी जिम्मेदार ननद जी रिया ने चुटकी लेते हुए कहा !

राशी जाते ही वापस आ गई थी और उसके गले में बाँहे डालती हुई बोली, क्यों भाभी मुझे नहीं बताया, कि मैं अब बुआ बनने वाली हूँ !

तुम्हें पता तो चल गया ना !

हाँ आण्टी जी ने बताया वे अगर ना बताती तो मुझे पता ही ना चलता, !

क्यों नही पता चलता तुम्हारा सबसे पहला हक बनता है जानने का।

हाँ तभी तो बताया नहीं वह रूठती से बोल पड़ी, !

अरे बाबा गलती हो गई अब ध्यान रखूँगी, !

अब तो मेरा यहाँ से जाने का मन ही नहीं किया करेगा,!

अच्छा !

हाँ, आप और अब यह! , वह शरारत से मुस्कुरा उठी थी आज कई दिनों क्या महीनों बाद राशी को यूँ मुस्कुराते देखा था छोटी सी बात सबको खुश होने और मुस्कुराने का मौका दे रही थी।

***