कमसिन - 11 Seema Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कमसिन - 11

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(11)

जाने कैसे वे उसके मन की बात समझ गए और देव से फोन पर कह दिया, देख भाई आज तो बहुत थका हुआ हूँ और रात भी हो रही है इन पहाड़ी रास्तों पर अँधेरे में कार चलाने में थोड़ी मुश्किल होगी ! कल आऊंगा !

हाँ जी, आपकी बात ठीक है क्योंकि यहाँ प्रोफेशनल ड्राइवर भी रात में गलतियाँ कर देते हैं !

रात गहराने लगी थी वैसे वह बहुत अँधेरी रात थी ! बहुत तेज गर्जना के साथ बारिश हो रही थी ! बिजली चमक रही थी ! बादल तो येसे गरज रहे थे मानों फट ही पड़ेगे ! राशि का दिल डर से सहमा जा रहा था ! उसने आज तक कभी भी इतनी तूफानी रात को नहीं देखा था ! आज तो निश्चित ही कोई भयंकर तूफ़ान आने वाला है ! कही ये तूफ़ान सब कुछ मिटा कर ख़त्म ही न कर दे !

वह घबराकर अपने रवि के सीने से चिपट जाना चाहती थी ! उनके गले लगकर अपने दर्द को ख़त्म करना चाहती थी ! क्योंकि आज जिस तरह से रवि ने उसे डांट लगायी थी उससे वो बहुत डर गयी थी और उसे उनकी इस डांट में अपनापन भी नजर नहीं आ रहा था ! फिर भी उसने खुद को संभाला और चैन की नींद में सोये रवि की तरफ खिसक गयी ! जैसे कोई मासूम बच्चा डर के कारण अपनी माँ के आँचल से सिमट जाना चाहता है ! ताकि वो महफूज हो जाए दुनियां के हर डर से !

उनके सीने से लिपट कर इस तूफान के खौफ को ख़त्म करके निजात पाना चाहती थी ! इसीलिए अपनी मोटी भारी रजाई जो उसके बदन को दबा रही थी ! उसे अपने दोनों हाथों से खींचकर अपना मुँह खोला ! चारो तरफ घना अँधेरा छाया हुआ था ! जब बिजली चमकती तो पल भर को कमरे में रोशनी बिखर जाती और फिर अँधेरा ! अचानक से बहुत तेज बादल गरजने लगे उसे लगा अब ये जरुर किसी पहाड़ी को गिरा देंगे ! वो सरक कर रवि के नजदीक पहुचना चाहती थी, बहुत नजदीक, इतना करीब कि सुन सके दिल की धड़कन, एक साथ धडकते हुए दो दिल और आवाज सिर्फ एक ! मिला देना चाहती थी उनकी धड़कन में अपनी धड़कन और उस धड़कन की आवाज में ख़त्म कर देना चाहती थी अपना डर किन्तु उन्होंने अपनी रजाई को चारो तरफ से कसकर लपेट रखा था !

बिजली की तेज गरज के साथ पल भर को रोशनी कमरे में बिखर गयी उनका एक हाथ रजाई के बाहर था ! राशि ने उस हाथ को अपने हाथ में पकड़ लिया और अपने डर पर काबू पाना चाहा !

और कुछ हद तक डर को कम भी महसूस किया !

उनका दिन में डांटते समय गुस्से वाला चेहरा याद आया ! मन को खुद ही समझाते हुए सोचा, कोई बात नहीं अपने तो प्यार और डांट दोनों से ही समझाते हैं ! और रवि तो उसके अपने हैं अगर वे सही गलत नहीं बताएँगे तो फिर कौन बताएगा !

वे कुछ भी करें उन्हें हक़ है ! उसने उनको यह हक़ स्वयं दिया है और वे उसके लिए कितना कुछ करते हैं सबकुछ उसकी ख़ुशी के लिए ही तो करते हैं ! वो भी अपनी जान से ज्यादा प्यार करती है ! अपना सब उनपर बार दिया है !

राशि ने रवि के हाथ को प्यार से अपने गाल पर रख लिया ! डर कम हो गया था ! हाँ पूरी तरह ख़त्म तो नहीं हुआ था किन्तु कम अवश्य हुआ था !

अब वो सोने का प्रयास करने लगी ! नींद आने लगी थी और रवि का हाथ इस समय किसी अस्त्र से कम नहीं लग रहा था ! जो उसके गाल पर रखा हुआ था ! वो अपने किसी भी दुश्मन को इससे काट कर दूर भगा देगी !

बादल अभी भी तेज गरज रहे थे, बिजली भी अपनी रौ में चमक रही थी और इन सबके बीच घनघोर बारिश भयंकर रोमांच पैदा कर रही थी ! लेकिन कोई बात नहीं अब डर कैसा ?

वो धीरे धीरे नींद के आगोश में समां गयी ! कितने सुखद सपने उसकी पलकों पर समां गए ! वो मन ही मन मुस्कुरा उठी !

पल भर पहले जो डर उसे डरा रहा था सहमा रहा था ! अब न जाने कहाँ गायब हो गया था !

सपने वाकई बहुत सुखद होते हैं और जब मन के अनुसार होते हैं तो दिल ख़ुशी से प्रफुल्लित हो जाता है !

वैसे एक बात तो है, हम जैसा सोचते हैं, ठीक वैसा ही होता भी है और वही सपने बनकर आँखों में छा जाते हैं !

रवि के साथ बिताये सुखद पल उसकी आँखों में सपने बन कर तैर रहे थे !

जब वो उसकी बात बात पर केयर कर रहे थे ! हर बात मान रहे थे !

बिन कहे ही हर बात समझ लेते हैं जैसे कोई माँ अपने बच्चे की बात बिन कहे ही समझ जाती है !

सच्चे प्रेम में सिर्फ जिस्म भर ही नहीं होता है, वो तो नाममात्र का होता है ! हमारी बहुत सारी भावनायें मिलकर प्रेम को मजबूत बनाती हैं !

प्रेम में सुरक्षा और विश्वास का होना जरुरी है ! वैसे दूसरे से ज्यादा खुद पर विश्वास का होना ज्यादा जरुरी है ! और उसे अडिग विश्वास है जिसे तोडना तो दूर बल्कि उसे डिगाया भी नहीं जा सकता !

प्रेम हिंडोले में झूलती राशि सुखद सपनों में खोयी हुई थी कि अचानक से उसे अपने गाल पर जोर का खिंचाव महसूस हुआ जैसे किसी ने कटीली झाडियों से उसे घायल कर दिया हो !

वो जग गयी ! रवि ने अपना हाथ खींच लिया था और रवि की उंगलियों में पहनी अंगूठियों ने उसके गाल को छील दिया था ! उसको दर्द की तीव्र पीड़ा ने डुबो दिया क्योंकि उसने उस दर्द को गाल से ज्यादा अपने दिल में महसूस किया था !

क्या हो गया है अचानक से रवि को? वे तो उसके अपने हैं ! फिर ये गैरों जैसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं ? गैरों नहीं बल्कि दुश्मन जैसा !

जब हमारा दिल किसी को प्यार करता है तो बिन कहे ही हर बात को सुन लेता है ! प्यार में दिमाग की शक्तियां काम करती हैं और वे हमारी हर बात को बिन कहे ही दूसरे तक पहुँच देती हैं ! आखिर दिल की बात दिल ही समझ सकता है !

वो सबकुछ समझ गयी ! उसकी आँखों से आंसुओं की धार बह निकली !

आसमान से बरसता तूफान उसके भीतर बरसने वाले तूफ़ान से अब कम नज़र आ रहा था !

आँखों में सैलाब उमड़ आया था ! जैसे बारिश सब गीला कर रही थी वैसे ही मन गीला हो रहा था ! जो आँखों से बह कर पूरा तकिया गीला कर रहा था !

बाहर आया तूफान अब एकदम रुक गया था ! लेकिन उसके भीतर एक भयंकर तूफ़ान घिर आया था !

क्या यह वही रवि हैं ? जिनके लिए अपने घरवालों से झूठ बोला था ! झूठ क्या बोला बल्कि सबको भुला दिया था !

अगर कुछ याद रहा था तो रवि और उनका प्यार ! क्या प्यार सचमुच इतना अँधा बना देता है कि उसमें सिर्फ अपने प्यार के सिवा कुछ और दीखता ही नहीं ! कब कहाँ कौन मन को भा जाए ! कुछ पता ही नहीं होता !

कैसे करेगी अब वो इनको प्यार ? नहीं, नहीं, नहीं ! वो जोर से चीत्कार करना चाहती थी !

वो तो सिर्फ इनको प्यार करती है ! इनका विश्वास करती है ! ये चाहें जो करें, करने दो !

उसकी आँखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे ! पूरा तकिया गीला हो गया था ! उसका जी चाह रहा था कि वो कमरे से बाहर जाकर खुली हवा में स्वांसे ले ले ताकि इस घुटन से मन को शांति मिल जाए ! कमरे में एकदम अँधेरा था ! लाइट जलाने को हाथ बढाया फिर न जाने क्या सोच कर हटा लिया ! लग रहा था मानों प्राण हलक में आकर अटक गए हैं !

अपने घर से दूर आज उसे किसी अपने की जरुरत महसूस हो रही थी ! जिसे अपना समझा था वो अपना नहीं लग रहा था ! पूरी रात यूँ ही ख्यालों में गुजर गयी !

जब सुबह 5 बजे का अलार्म बजा तो रवि थोडा सा कुनमुनाए !

लेकिन बजते अलार्म की वजह से वे उठे और बाथरूम में चले गए ! वो चुपचाप दम साधे पड़ी रही !

जागते हुए ही रात निकल गयी थी ! अब जब जागना था तो वह सोना चाहती थी ! आँखों में नींद भर आई और उसे झपकी लग गयी !

राशि अब उठ जाओ भई ! रवि की प्यार भरी आवाज जब उसके कानों में पड़ी तो वह बोल पड़ी, ठीक है उठ रही हूँ !

उनको वह किसी भी बात के लिए मना कर ही नहीं सकती ! उसके मुँह से न निकल ही नहीं सकता !

वो फ़ौरन उठ कर बैठ गयी ! आँखें रात भर न सो पाने के कारण एकदम से लाल और कडवी कडवी सी हो रही थी !

रवि ने इलेक्ट्रिक केतली में चाय का पानी डाल दिया था ! वे सुबह की चाय हमेशा इसी तरह खुद अपने हाथ से बना कर ही पीते हैं ! वे अपना सारा सामान साथ लेकर ही चलते हैं ! उनका एक बेग इन सब चीजों से भरा हुआ था ! मिल्क पावडर, चीनी, टी बेग्स और डिस्पोजल गिलास !

साथ ही पन्नी पर रखकर बालों में लगाने के लिए कलर बना रहे थे ! उनके बाल पता नहीं कैसे इतनी कम उम्र में सफ़ेद हो गए ! वैसे इसमें क्या है आजकल छोटे बच्चों तक के बाल सफ़ेद हो जाते हैं !

उनके बाल दूर से ही कलर किये हुए लगते हैं जो थोड़े थोड़े ब्राऊन से हो गये हैं!

राशि जल्दी से उठकर बाथरूम में चली गयी अगर वो अभी नहीं उठी तो कहीं रवि फिर से अपनी मधुर आवाज को कड़वा न कर लें !

कमोड में बैठकर वो ख्यालों में खो गयी, क्या प्यार करना गुनाह है ?

अगर हाँ गुनाह है तो उसने किया है ये गुनाह ! अब उसकी सजा उसे मिलनी निश्चित है ! क्योंकि हर गुनाह की सजा मुकर्रर है ! और सजा चाहें कानून दे या कुदरत का कानून दे !

राशि आपकी चाय !

लो अब चाय कप में डाल कर रख भी दी !

हे भगवान ये रवि भी न !

जब हम कहीं बाहर घूमने आये हैं तो हमें खुश होकर मस्ती करनी चाहिए या फिर हर काम पंचुअल्टी से करना चाहिए !

आ रही हूँ जी ! उसने वही से प्यार से कह दिया ! कहीं वे फिर से आवाज लगायें और इस बार गुस्से या डांट कर कहें ! अब उनको सहज या सरल ही रहने दो तो बेहतर है !

वो बाहर निकल आई थी उसने देखा रवि ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने बालों में कलर लगा रहे थे !

उसका मन कर रहा था कि रवि उससे बात करें, पर वे आराम से अपने बालों में लगे हुए थे एकदम बेपरवाह से ! वही बात कर ले, लेकिन कोई अजनबीयतपन सा खिंच गया था उन दोनों के बीच और चाह कर भी कोई शब्द उसके मुँह से निकल नहीं पाए !

राशि ने चाय का कप उठाया और खिड़की से बाहर देखते हुए पीने लगी ! चाय ख़त्म की और गिलास डस्टबिन में डाल दिया !

राशि तुम जब तक नहा धोकर तैयार हो जाओ तब तक मेरे बालों का कलर थोडा सूख जायेगा !

हालाँकि नहाने का बिलकुल भी मन नहीं था ! लेकिन बेग से कपड़े निकाल कर वो नहाने चली गयी !

अचानक शीशे पर नजर पड़ी देखा गाल पर एक खरोंच का निशान है ! शायद रवि की अंगूठी से लग गया होगा !

ज्यादा गहरा तो नहीं बहुत मामूली सा है पर दर्द बहुत हो रहा था ! क्योंकि ये चोट उसके गाल पर नहीं बल्कि उसके दिल पर ज्यादा लगी थी जो बहुत महसूस हो रही थी !

उसके भीतर से दर्द भरी एक टीस उभरी ! उसकी क्या गलती है ? क्या गलत किया है उसने ?

मन में आत्मग्लानि का भाव भर आया घर वापस लौटने की तीव्र इच्छा होने लगी ! उसे जाना है, जाना ही होगा, आज और अभी ही !

लेकिन अकेले कैसे जा सकती है ! उसके पापा कितने अच्छे हैं कभी आज तक तो तेज आवाज में कोई बात तक नहीं कही ! हर मांग तो यूँ ही चुटकियों में पूरी कर देते हैं ! जब हम अपनो से दूर होते हैं तब हमें उनकी अच्छाई या बुराई का पता चलता है ! उसे उनकी बहुत याद आ रही थी ! वो पापा का नंबर याद करने लगी ! उन्हें फ़ोन कर देगी और सब बता देगी, कह देगी, उसे वापस लौटना है ! वे जब पूछेंगे कि क्यों गयी थी बिन बताये और अब क्यों आना चाहती हो ? तब क्या बताएगी ?

आज घर से दूर आने पर अहसास हुआ कि दुनियां में स्वार्थ और खुदगर्जी के अलावा और कुछ भी नहीं है !

अब सोचती ही रही तो फिर नहाएगी कब और कहीं रवि ने कह दिया तुझे नहाना भी नहीं आता, कहीं इतनी देर लगती है नहाने में ! जब किसी के लिए दिल में वहम हो जाता है तो फिर व जल्दी दूर ही नहीं होता है !

वो जल्दी से नहाकर बाहर निकल आई उसके गीले बालों से पानी झर रहा था जो उसके कुरते को गीला कर रहा था !

टावल से बालों को लपेटकर ड्रेसिंग टेबल के आदमकद आईने के सामने खड़े होकर अपनी छवि को निहारने लगी ! दरअसल जब हम किसी को प्यार करते हैं तो खुद को प्यार करते हैं !

आँखे लाल हो रही थी चेहरे पर खरोच का निशान फिर भी उसे अपने चेहरे से नूर बरसता हुआ लगा ! बहुत ही आकर्षक लग रहा था उसे खुद का ही चेहरा !

वो प्रेम में है, हाँ है वो प्रेम में, सच्चे प्रेम में, सिर्फ रवि के ही प्रेम में लेकिन यह कैसा प्रेम ?

रवि उसके लिए क्या सोचते हैं उसे नहीं पता ! वे उसे पसंद हैं वो उनको अपने गले से लगाकर अपने दर्द को दूर कर कम करना चाहती है ! बस सोचती ही रह जाती है कर नहीं पाती ! कैसे किसी के प्रति हमारा नजरिया ही उसके प्रति द्रष्टिकोण बनाने को मजबूर कर देता है ! वैसे अगर सही मायने में देखा जाए तो सब कुछ हमारे भीतर ही है !

खुशियाँ गम, अच्छाई या बुराई ! हम जिस किसी को भी जिस नजरिये से देखेंगे वो हमें हुबहू बिल्कुल वैसा ही नजर आएगा !

शायद उसे खुद से ही भय का अहसास हो गया था ! तभी तो हर बात से डर लग रहा था ! सब गलत लग रहा था !

वो कमरे से बाहर निकल कर डाइनिंग एरिया में आ गयी थी ! काफी बड़ी टेबल जिसके चारो तरफ लगभग 20 कुर्सियां पड़ी थी !

एक तरफ वाशबेसिन लगा हुआ था उसके ऊपर चमकता हुआ शीशा और टावल हैंगर ! दूसरी तरफ शीशे की कवर्ड जहाँ कांच की कैट्लारी सजी हुई थी ! चारो तरफ शीशे की ही दीवारें जिन पर मोटे मोटे मैरून कलर के मखमली परदे लगे हुए थे !

उसने परदे को थोडा सा हटाकर देखा तो सामने हरी भरी पहाड़ियां नजर आने लगी उनपर उतरती हुई सुनहरी धूप आखों को ख़ुशी से भर रही थी वो मुस्कुरा उठी ! ये छोटी छोटी बातें ही तो जीवन में खुशियाँ भरती हैं !

हम इन पर घ्यान ही नहीं देते और फिर इनसे वंचित हो जाते हैं ! रात भर हुई बारिश से वे पहाड़ियां अभी भी नम थी ! उनका गीलापन मन को मोह रहा था !

यह पहाड़ कितने सख्त होते हैं फिर भी इतने आकर्षक लगते हैं अपनी ओर खींचते है और मन को बहुत भाते हैं !

ठीक वैसे ही तो जैसे कोई इन्सान स्वभाव से जितना कठोर होता है उतना ही मन को भाता है ! पहाड़ियों पर दूर दूर तक फैले सेब के बाग़ सारे द्रश्य को बेहद मनोरम बना रहे थे ! सेब के पेड़ों पर सफ़ेद रंग की जाली डली हुई थी ! यहाँ से देखने पर कितने करीब लग रहे हैं लेकिन वहां तक जाने में न जाने कितनी ही पहाड़ियां चढनी और उतरनी पड़ती होंगी, तब वहां तक पहुँच पाते होंगे !

चलो जाया जाए लेकिन क्या फायदा होगा इतनी मेहनत करके वहां पहुँच पाएंगे और फिर भी अभी खाने को मिलेंगे केवल खट्टे फल ! जरुरी तो नहीं कि हर बार मेहनत का फल मीठा ही होता हो ! कभी कभी खट्टा भी होता है ! ये सोचकर वो फिर से मुस्कुरा दी ! उसे लगा कि किसी ने बाहर से नॉक किया है, उसकी तन्द्रा टूट गयी ! उसने दरवाजा खोल दिया !

देखा, सामने उस गेस्टहाउस का कुक खड़ा हुआ था ! उसके हाथ में ब्रेड और ढूध के पैकेट थे !

आओ, अंदर आ जाओ ! कहकर उसके लिए रास्ता दे दिया ! वो अंदर आया और सारा सामान फ्रिज में रख दिया और उस बड़े से किचिन में गैस पर फ्राइंग पेन में चाय का पानी चढा दिया !

राशि वापस कमरे में आ गयी उसके बाल हलके फरेरे मतलब थोड़े सूख गए थे !

उसने कंघी से काढ कर बालों को सेट किया ! रवि नहा कर तैयार हो गए थे और अपना सामान समेट रहे थे !

राशि !

जी !

क्या आपको अपना सामान नहीं समेटना है !

जी अभी समेट लेती हूँ ! आपका ये बेग खुला हुआ है ! रवि के एक बेग की चैन खुली देखकर कहा !

राशी आप नहीं सुधरेगी ! तुझे अपने सामान की नहीं बल्कि मेरे सामान की फ़िक्र है ! पहले अपना देखो फिर और लोगों की तरफ !

सही ही तो कह रहे हैं ! पहले खुद को देखो फिर दूसरों की तरफ ! वो अनमने मन से हौले से मुस्कुरा दी !

चलिए साब जी, नाश्ता तैयार है ! कुक ने आकर कहा !

ठीक है आते हैं !

वो लोग सामान समेट कर, डायनिंग रूम में आ गए ! कुक ने टेबल पर चाय, कोर्नफ्लेक्स,बॉईल एग और ब्रेड बटर सजा कर रख दिए थे ! कांच के एक बड़े से बौउल में गर्म मीठा दूध रख गया ! रवि ने एक छोटे बौल में सफ़ेद रंग के थोड़े से कोर्नफ्लेक्स डाले और ऊपर से मीठा और गर्म दूध डाल लिया !

राशि का यह सब कुछ खाने का बिलकुल भी मन नहीं था ! उसे नहीं खाना लेकिन रवि के कुछ भी कहने से पहले ही उसने बेमन से कोर्नफ्लेक्स ले लिए ! उसने एक चम्मच मुँह में डाला ! ओह्ह कितने मीठे हैं ये दूध ही बहुत मीठा है, चाय इससे भी ज्यादा मीठी होगी ! ओफ्फो यहाँ के लोग इतना मीठा क्यों खाते हैं !

वो कहना चाहती थी लेकिन मौन ही रही आखिर कभी चुप भी रहना चाहिए ! क्योंकि उसे पता था कि मौन बहुत बातें करता है, बिन कहे ही सब कह देता है !

नाश्ता ख़त्म करके वो सोफे पर आकर बैठ गयी ! उसने सोफे के पीछे के पर्दे को हटा दिया ! सुनहरी धूप कमरे में बिखर गयी, गुनगुनी सी धूप में बैठकर चाय पीना अच्छा लग रहा था !

रवि भी अपनी चाय का कप लेकर वही सोफे पर बैठ गए ! वे एकदम शांत थे, कुछ बोल नहीं रहे थे !

चाय हमेशा की तरह बहुत ज्यादा मीठी थी !

***