Is Pyaar ko kya naam dun book and story is written by Vaidehi Vaishnav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Is Pyaar ko kya naam dun is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
इस प्यार को क्या नाम दूं ? - उपन्यास
Vaidehi Vaishnav
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
यह कहानी है एक चुलबुली सी लड़की और धीर गंभीर लड़के की। लड़की के लिए प्रेम संसार की सबसे खूबसूरत भावना है वहीं लड़के को प्रेम शब्द से ही नफ़रत है। जिंदगी के एक मोड़ पर दोनों टकराते है और फिर शुरू होती है इन दोनों की तक़रार । यह देखना रोचक होगा कि प्रेम जीतता है या प्रेम से नफ़रत करने वाला ।
कहानी के मुख्य पात्र :-
अर्नव - नायक
खुशी - नायिका
देवयानी - अर्नव की नानी
मनोहर - अर्नव के मामा
मनोरमा - अर्नव की मामी
अंजली - अर्नव की बहन
श्याम - अर्नव के जीजाजी
आकाश - अर्नव का ममेरा भाई
मधुमती - खुशी की बुआ
पायल - खुशी की बहन
गरिमा - खुशी की मौसी
शशि - खुशी के मौसा।
संगीत की तेज़ धुन से पूरा कमरा गूंज रहा था। धुन इतनी अधिक तेज़ थी कि जिसके कारण कमरे की खिड़कियों के शीशे हिल रहे थे, न सिर्फ़ खिड़कियों के शीशे बल्कि कमरे में रखा हर एक सामान इस तरह से थरथरा रहा था, मानो हर एक सामान संगीत लहरियों पर थिरक रहा हो। सामान के साथ ही एक छरहरी काया भी थिरक रही थी।
(1) यह कहानी है एक चुलबुली सी लड़की और धीर गंभीर लड़के की। लड़की के लिए प्रेम संसार की सबसे खूबसूरत भावना है वहीं लड़के को प्रेम शब्द से ही नफ़रत है। जिंदगी के एक मोड़ पर दोनों टकराते ...और पढ़ेऔर फिर शुरू होती है इन दोनों की तक़रार । यह देखना रोचक होगा कि प्रेम जीतता है या प्रेम से नफ़रत करने वाला । कहानी के मुख्य पात्र :- अर्नव - नायक खुशी - नायिका देवयानी - अर्नव की नानी मनोहर - अर्नव के मामा मनोरमा - अर्नव की मामी अंजली - अर्नव की बहन श्याम - अर्नव के
(2) नौजवान लड़के ने ख़ुशी की बातों को अनसुना कर दिया। वह बिना ख़ुशी की ओर देखें मन्दिर की सीढ़ियों की तरफ़ जाने लगा। ख़ुशी को उसका ऐसा बर्ताव बुरा लगा। वह दौड़कर उस लड़के के सामने चली गई ...और पढ़ेअपने दोनों हाथ फैलाकर उसका रास्ता रोकते हुए बोली- "बहरे हो या गूंगे या फिर दोनो ही हो ? पहले एक शरीफ़ लड़की का दुप्पटा खींच लेते हो फिर मन्दिर में जूते सहित प्रवेश करते हो। इन सबके बाद अकड़ भी दिखाते हो। रौबदार आवाज़ में नौजवान ने कहा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा रास्ता रोकने की औऱ मुझसे इस
(3) अनुलता का नाम सुनकर ख़ुशी की आँखों में चमक आ जाती है। जैसे अचानक अमावस्या की रात सितारों से झिलमिला उठी हो। वह एड़ियों को उचकाकर अनुलता को देखने का प्रयास करती हैं पर भीड़ अधिक होने के ...और पढ़ेदेख नहीं पाती हैं। उसे सड़क किनारे एक कार दिखतीं है। वह सोचती हैं कार पर चढ़ जाए तो हम बहुत आसानी से अनुलता जी को देख पाएंगे। अपने इस विचार से खुश होकर उसे मूर्त रूप देने के लिए ख़ुशी कार की तरफ़ तेज़ कदमो से बढ़ने लगती है। वह कार के पास पहुंच जाती है। वह सोचती हैं
(4) अर्नव की ज़हर उगलती कड़वी बातों को सुनकर ख़ुशी गुस्से से कहती है - बस कीजिए मिस्टर अर्नवसिंह रायजादा । आपके लिए रुपये सबकुछ होंगे जिससे आप जो चाहे खरीद सकते हैं, जिसे चाहें जो कह सकते हैं। ...और पढ़ेन ही आपके गुलाम है और न ही हमें आपके इन कागज़ के टुकड़ों की चाह है। अब तक तो हम सोच रहे थे कि आप भोले बाबा द्वारा भेजा हुआ कोई फ़रिश्ता है जो हमारी रक्षा के लिए आए हैं। पर अब हमें समझ आ गया कि आप ही इस लंका के रावण है। हमने आपसे मन्दिर में जो
(5) अम्मा ! अम्मा ! रोते हुए ख़ुशी औऱ पायल गरिमा को जगाने का प्रयास करती है। अचानक ख़ुशी उठती है और फ़ोन के पास जाकर एक डायरी उठाती है वह डायरी के पन्नो को जल्दी जल्दी पलटते हुए ...और पढ़ेदेखती है। जैसे ही उसे नम्बर मिल जाता है वह तुरन्त नम्बर डायल कर देती है। कॉल रिसीव होते ही खुशी कहती है- हेलो, हम ख़ुशी, सराफा बाजार के महाकाल मिष्ठान से। उधर से एक शख्स कहता है- हाँ बेटा बोलो क्या हुआ ? सब ठीक तो है न ? ख़ुशी हड़बड़ाहट में कहती है- अंकल अम्मा बेहोश हो गई