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शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - उपन्यास
Praveen kumrawat
द्वारा
हिंदी जीवनी
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा नीति, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, वित्त, प्रबंधन —सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी। जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी। अपनी अतुलनीय निर्णय क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया। अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, अटीला आदि शासकों से की जाती है।
यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
6 अप्रैल सन् 1980 शिवाजी महाराज की 300वीं पुण्य तिथि का महत्त्वपूर्ण दिन! इसे स्वयं स्व. प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की गरिमामय उपस्थिति में रायगढ़ परिसर में मनाया गया। परिसर मनुष्यों से खचाखच भरा था। सबके मन में असीम उत्साह भरा हुआ था। समारोह की प्रमुख अतिथि, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में शिवाजी महाराज का गुणगान करते हुए कहा
यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक,
नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो
उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।..
[पृष्ठभूमि]प्राचीनकाल से हिंदुओं की पुरानी युद्ध-प्रणाली प्रचलित थी, जिसमें दोनों पक्षों के बीच में खंबे के रूप में एक चिन्ह रखा जाता था शंख, भेरी, आदि बजाकर युद्ध प्रारंभ किया जाता था। शत्रु को बिना इशारा दिए युद्ध प्रारंभ ...और पढ़ेनिंदनीय माना जाता था। शत्रु को सावधान करना अनिवार्य था। यह प्रथा पुर्तगीजों के आगमन तक जारी थी। दक्षिण में मुसलमानों के आक्रमण कभी-कभार ही हुए। पुर्तगीज एवं केरल के नायर लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत थी। नायरों ने कभी रात्रि में युद्ध नहीं किया। छिपकर भी आक्रमण नहीं किए। युद्ध सुबह होने के बाद ही प्रारंभ किया जाता था।
[ शिवाजी महाराज का बचपन ]सन् 1626 में मलिकंबर की मृत्यु के बाद मुगलों ने लखोजी जाधवराव की मदद से निजामशाही से लड़ाई शुरू की, उसी समय जहांगीर बादशाह की मृत्यु हो गई जिससे शाहजहाँ को दिल्ली जाना पड़ा। ...और पढ़ेराजा ने अल्पायु मुर्तुजा एवं उसकी माँ को कल्याण के पास माहुली के किले में रखा। जाधवराव व मुगल सेना ने इस किले को घेर लिया। जाधवराव व निजामशाह की माँ में एक गुप्त समझौता हुआ, जिसके तहत शहाजी राजे व उनकी पत्नी जीजाबाई माहुली के किले से बाहर निकल गए। तब जीजाबाई सात महीने की गर्भवती थीं। उनका प्रथम
[ शिवाजी महाराज एवं डेविड व गोलिएथ ]फिलिस्तीन एवं इजराइल में युद्ध शुरू हो गया था। दोनों छावनियों के बीच एक खाई थी। फिलिस्तीन की सेना में एक सात फीट ऊँचा राक्षसी योद्धा था। वह लगातार चालीस दिनों से ...और पढ़ेपहनकर युद्ध के लिए रोज ललकार रहा था। उसका नाम था गोलिएथ। इस नाम को सुनते ही संपूर्ण इजराइली सेना थरथर काँप उठती थी। इशाय नामक एक बकरियों के चरवाहे के आठ पुत्र थे। उनमें से सात इजराइली सेना में थे। आठवें पुत्र का नाम था डेविड। एक दिन इशाय ने डेविड को अपने भाइयों के लिए नाश्ता लेकर भेजा।
[ शिवाजी महाराज और थर्मोपीली.. ]थर्मोपीली की लड़ाई ग्रीस इतिहास की अत्यंत महत्त्वपूर्ण लड़ाई थी। लिओनी डास के असीम त्याग के फलस्वरूप ग्रीस की स्वतंत्रता, ग्रीक संस्कृति व यूरोपियन संस्कृति का मूल स्वरूप सुरक्षित रहा। थर्मोपीली के सँकरे रास्ते ...और पढ़ेस्पार्टा की ओर जाते समय बीच राह एक शिला-स्तंभ आता है, जिस पर लिखा यह वाक्य यात्रियों को आज भी यह सूचना देता है कि हे यात्री! तुम जब स्पार्टा पहुँचो, तब वहाँ के बाशिंदों से जरूर ऐसा कहो कि आप सबकी आज्ञा सिर-माथे पर लेकर हम इस भूमि पर न्योछावर हुए हैं और यहाँ आज भी उपस्थित हैं।इस स्वतंत्रता