दैनंदिन जीवन की सामान्य घटना हो या संसार की कोई महत्त्वपूर्ण घटना हो, हम उनकी आपस में तुलना करते ही हैं। उनके बीच फर्क क्या है, इसे हम स्पष्ट समझना चाहते हैं। यही तत्त्व भूतकाल एवं वर्तमान काल में कार्यरत व्यक्तियों के लिए भी लागू होता है। ऐसी तुलना से किसी घटना अथवा व्यक्ति की अद्वितीयता को प्रत्यक्ष समझने का मौका मिलता है।
शिवाजी महाराज कितने अद्वितीय थे? आइए, महाराज का मूल्यांकन करें। जैसा कि इस ग्रंथ के प्रकरणों से स्पष्ट होता है—
● डेविड एवं गोलिएथ।
● थर्मोपीली एवं लिओनिडास।
● महान् पलायन।
● ट्रॉय का घेरा।
● चीन की दीवार जैसी पर्वतीय किलों की रेखा।
● नौसेना की स्थापना।
● युद्ध-संधि।
● जिनेवा।
● मैग्नाकार्टा।
● स्वतंत्रता, समता एवं बंधुत्व (फ्रांस की राज्य क्रांति।)
इनके अतिरिक्त ये भी
● स्वयं नेतृत्व करके उन्होंने लड़ाइयाँ जीतीं।
● स्वयं नेतृत्व न करते हुए भी प्रत्येक लड़ाई का योजनाबद्ध नियोजन।
● छुआछूत प्रथा का नाश।
● सती प्रथा पर रोक।
● धर्म परिवर्तन पर रोक।
● दूसरे धर्म में जा चुके हिंदुओं का वापस हिंदू धर्म में प्रवेश।
● गुलामी पर रोक।
मराठी राजभाषा कोश जारी किया गया
● जातिवाद पर रोक।
● निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया अपनाई।
● शिवाजी महाराज में कोई भी दोष या दुर्गुण नहीं था।
● महिलाओं को सम्मान देना।
● धार्मिक सहिष्णुता दिखाई।
● दुश्मन का कभी कत्ले आम नहीं किया।
● कैदियों को गुलाम नहीं बनाया।
● कोई व्यसन नहीं था।
● स्वयं के लिए कोई स्मारक, बुलंद दरवाजा या आलीशान महल आदि का निर्माण नहीं किया।
● प्रजा के साथ समान व्यवहार।
● हारे हुए शत्रु को मारकर उनके नरमुंडों का अंबार नहीं लगाया।
● माता, पिता, भाई एवं साथियों को सम्मान दिया।
● ईश्वर का प्रतिनिधि बनकर सेवक के रूप में राज्य किया।
● स्वयं में देवत्व होने का अलौकिक आभास मिलने के बावजूद कभी भी इस देवत्व को प्रचारित या स्थापित करने का प्रयास तक नहीं किया।
शिवाजी महाराज की तुलना विश्व विख्यात राज-योद्धाओं से करते समय उपर्युक्त बातें यथाक्रम विश्लेषित की जाएँगी।
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दैनंदिन जीवन की सामान्य घटना हो या संसार की कोई महत्त्वपूर्ण घटना हो, हम उनकी आपस में तुलना करते ही हैं। उनके बीच फर्क क्या है, इसे हम स्पष्ट समझना चाहते हैं। यही तत्त्व भूतकाल एवं वर्तमान काल में कार्यरत व्यक्तियों के लिए भी लागू होता है। ऐसी तुलना से किसी घटना अथवा व्यक्ति की अद्वितीयता को प्रत्यक्ष समझने का मौका मिलता है।
शिवाजी महाराज कितने अद्वितीय थे? आइए, महाराज का मूल्यांकन करें। जैसा कि इस ग्रंथ के प्रकरणों से स्पष्ट होता है—
● डेविड एवं गोलिएथ।
● थर्मोपीली एवं लिओनिडास।
● महान् पलायन।
● ट्रॉय का घेरा।
● चीन की दीवार जैसी पर्वतीय किलों की रेखा।
● नौसेना की स्थापना।
● युद्ध-संधि।
● जिनेवा।
● मैग्नाकार्टा।
● स्वतंत्रता, समता एवं बंधुत्व (फ्रांस की राज्य क्रांति।)
इनके अतिरिक्त ये भी
● स्वयं नेतृत्व करके उन्होंने लड़ाइयाँ जीतीं।
● स्वयं नेतृत्व न करते हुए भी प्रत्येक लड़ाई का योजनाबद्ध नियोजन।
● छुआछूत प्रथा का नाश।
● सती प्रथा पर रोक।
● धर्म परिवर्तन पर रोक।
● दूसरे धर्म में जा चुके हिंदुओं का वापस हिंदू धर्म में प्रवेश।
● गुलामी पर रोक।
मराठी राजभाषा कोश जारी किया गया
● जातिवाद पर रोक।
● निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया अपनाई।
● शिवाजी महाराज में कोई भी दोष या दुर्गुण नहीं था।
● महिलाओं को सम्मान देना।
● धार्मिक सहिष्णुता दिखाई।
● दुश्मन का कभी कत्ले आम नहीं किया।
● कैदियों को गुलाम नहीं बनाया।
● कोई व्यसन नहीं था।
● स्वयं के लिए कोई स्मारक, बुलंद दरवाजा या आलीशान महल आदि का निर्माण नहीं किया।
● प्रजा के साथ समान व्यवहार।
● हारे हुए शत्रु को मारकर उनके नरमुंडों का अंबार नहीं लगाया।
● माता, पिता, भाई एवं साथियों को सम्मान दिया।
● ईश्वर का प्रतिनिधि बनकर सेवक के रूप में राज्य किया।
● स्वयं में देवत्व होने का अलौकिक आभास मिलने के बावजूद कभी भी इस देवत्व को प्रचारित या स्थापित करने का प्रयास तक नहीं किया।
शिवाजी महाराज की तुलना विश्व विख्यात राज-योद्धाओं से करते समय उपर्युक्त बातें यथाक्रम विश्लेषित की जाएँगी।
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