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भ्रम - उपन्यास
Surbhi Goli
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
भाग - 1'तुम उस कमरे के पास क्या कर रही हो? पता है न, वहां क्या है? भूल कर भी वहां कदम मत रखना समझी तुम? वरना यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। मेरी बात मानने में ही भलाई है, याद रहे।' अंधेरे डरावने कमरे के बाहर खड़ी इक पतली दुबली सी औरत "सेजू" को पूरी शिद्दत से डांट रही थी। हाव-भाव मे कोई कमी नहीं। आँखे बड़ी-बड़ी और उन्हें भी जैसे बाहर निकाल कर रखने की कोशिश में थी। आवाज में रोष ऐसा की आस-पास की दीवालों पर घूमती हुई छिपकलियां भी दौड़ लगाकर भाग जाएं। हाथ लकड़ी से,
भाग - 1'तुम उस कमरे के पास क्या कर रही हो? पता है न, वहां क्या है? भूल कर भी वहां कदम मत रखना समझी तुम? वरना यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। मेरी बात मानने में ही भलाई ...और पढ़ेयाद रहे।' अंधेरे डरावने कमरे के बाहर खड़ी इक पतली दुबली सी औरत "सेजू" को पूरी शिद्दत से डांट रही थी। हाव-भाव मे कोई कमी नहीं। आँखे बड़ी-बड़ी और उन्हें भी जैसे बाहर निकाल कर रखने की कोशिश में थी। आवाज में रोष ऐसा की आस-पास की दीवालों पर घूमती हुई छिपकलियां भी दौड़ लगाकर भाग जाएं। हाथ लकड़ी से,
सेजू (सेजल) ने मुड़ कर देखा। तो वह चौक गई। पास खड़े सेजू के दोस्त भी आश्चर्यचकित हो गए। देव को भी कुछ समझ नही आ रहा था कि अचानक से ये कैसे प्रकट हुई, लेकिन देव समझ चुका ...और पढ़ेकि यही वह औरत है जिसके बारे में सेजू बात कर रही थी। "जी..जी..नानी जी।" सेजू थोड़ी हड़बड़ा कर बोली।"चलो तुम्हें कुछ दिखाना है।" कमलाबती ने सेजू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। "मैं..आती हूँ अभी नानी जी, अपने दोस्तों को बाय बोल कर।"सेजू की आँखों मे कमलाबती के लिए गुस्सा तो दिख रहा था। मगर जुबान पर उसका
तीसरा भाग "भ्रम" सेजू उस मूर्ति की ओर बढ़ी तभी उसका पैर किसी चीज में फसा, वह सामने की ओर गिरने लगी, सामने इक दीवार थी। जिसपर सेजू ने अपना हाथ जमा लिया और वह गिरते गिरते बची। सेजू ...और पढ़ेसंभलते हुए अपने पैर में फ़सी किसी चूनर को निकाला और दूसरा हाथ दीवार पर लगे इक शीशे पर रख दिया। अब सेजू बुरी तरह लड़खड़ा कर गिरी। जब सेजू ने सिर उठा कर देखा तो वह किसी और ही दुनिया में थी। सेजू इक बार फिर आश्चर्यचकित रह गयी। उसने अपने को घास पर गिरा पाया। उसके चारों और
बुढ़िया के गायब होते ही गुफा की चट्टानें चटकने लगीं थी। सारी कांच की शीशियां कंपन के साथ गिरने लगीं। सेजू को ना चाहते हुए भी अब उस गुफा से बाहर जाना था। उसने अपने कदम गुफा के बाहर ...और पढ़ेवाले रास्ते पर बढ़ा दिए। चारों तरफ से शीशियों के टूटने और चट्टानों के चटकने की आवाजें आ रहीं थीं। जगह जगह कांच के टुकड़े और उसमें शीशियों से निकला पदार्थ पड़ा हुआ था। सेजू अब असमंजस में पड़ गयी थी उसके इक ओर कुआँ तो इक और खाई थी। यहां गुफा में तूफान आया हुआ था और बाहर न
पांचवा भाग "भ्रम" ■■■ "सर रास्ते में कुछ लोग खड़े हैं बस रोकने को कह रहे हैं।" बस ड्राइवर ने बस की स्पीड कम करते हुए टीचर से कहा। "हां! भाई तो रोको। उनके ऊपर थोड़े ही चढ़ानी है।" ...और पढ़ेने मजाक करते हुए कहा। "ओके! सर!" बस ड्राइवर ने आदेश का पालन करते हुए कहा। टीचर और कुछ स्टूडेंट्स बस से बाहर निकले। "बस यहां से आगे नहीं जायेगी।" बस को रोकने वाले आदमियों में से इक आदमी ने कहा। "बस आगे क्यों नही जायेगी भाई?" टीचर ने बड़ी विनम्रता से पूछा। "क्योकि इसके आगे खाई है?" उन चारों