भ्रम - भाग-15 Surbhi Goli द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

भ्रम - भाग-15

पार्ट - 15

शाम के 7 बज रहे थे, सेजू की मां सेजू के आने का इंतजार कर रही थी। उसने सेजू की फेवरेट डिशेज़ तैयार कर रखी थीं, और सेजू का रूम सेजू कि पसंद के हिसाब से तैयार कर दिया था। कमलावती अपने कमरे में ध्यान की मुद्रा में बैठी हुई थी। जैसे ही डोरबैल बजी सपना किचिन के काम-काज छोड़ कर भागी। कमलावती की तंद्रा भी भंग हुई। सपना ने उताबलेपन से दरवाजा खोला तो पाया कि उसकी प्यारी बेटी सेजू अपने लगेज़ के साथ थकी हुई सी सामने खड़ी है। सपना ने सेजू को देखते ही अपने गले से लगा लिया था।

"तुझे कब से कॉल कर रही थी, मैंने सोचा था मैं तुझे लेने आ जाऊंगी मगर तेरा कुछ अता-पता ही नहीं था।" सपना सेजू से बोली।

"मां! मैं अपने दोस्तों के साथ घर तक आई हूं, आपके आने की जरूरत नहीं थी। अच्छा अब क्या मुझे यहां ही खड़ा रहना है?? अंदर न आऊं??" सेजू काफी थकी हुई लग रही थी।

"अरे ऐसे कैसे!" सपना ने कुछ सामान सेजू के साथ से लिया और अंदर आ गयी। सेजू भी उसके पीछे चली आई।

"आ गयी मेरी बच्ची!" कमलावती का चेहरा खुशी से खिला हुआ लग रहा था, वो सेजू को देख कर अपने हाथ पसारते हुए बोली।

"हां! नानी माँ! सच में, मैं तो आज बहुत ज्यादा थक गयी हूँ।" सेजू कमलावती के गले से लग कर बोली।

"ठीक है फिर तू फ्रेस हो कर आ उसके बाद हम साथ में डिनर करते हैं। और फिर बताना वहां क्या क्या हुआ??" कमलावती सेजू से बोली।

"ओके नानी मां!" सेजू कमला से बोली और अपने रूम की ओर बढ़ गयी।

सेजू अपने कमरे में एंट्री लेते ही सबसे पहले बेड पर धड़ाम से गिरी। बिस्तर पर पड़े पड़े उसके दिमाग में समर का ही ख्याल था। और अचानक वो झल्ला उठी..."उफ्फ्फ...इस समर के बारे में सोच सोच कर कहीं मैं पागल न हो जाऊं!" इसी के साथ वो उठी और तेजी से अपने कबड़ से कुछ नार्मल कपड़े और टॉविल निकाल कर अपना सिर जोर से दवाते हुए वाशरूम में चली गई।

जैसे ही सेजू ने वाश रूम में मुँह पर पानी डालते हुए आईने को देखा तो वो घबरा उठी। उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगीं थीं। उसने अपने आपको संभाला और बोली.."शायद ये सब समर के बारे में सोचने की वजह से हो रहा है, मुझे ज्यादा स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए!" सेजू ने खुदको समझाया और कुछ देर बाद ही फ्रेस होकर अपने बालों को टॉविल से पोछते हुए बाहर आ गयी।

"मां...ये क्या? आपने अभी तक खाना टेबल पर नहीं लगाया?? मुझे कितनी भूख लगी है यार!" जब सेजू ने डायनिंग टेबल को खाली देखा तो उसकी भूख दोगुनी हो गई।

"बस आ रही हूं!" सपना किचन से चिल्लाई।

सेजू डायनिंग टेबिल की एक चेयर पर बैठ गई और चम्मच से प्लेट को बजाने लगी। तभी कमलावती वहां आ गयी।

"ये क्या कर रही हो सेजू?? अब तुम कोई छोटी बच्ची नहीं हो!" कमलावती को देख कर सेजू सहम गई और शांति से बैठ कर अपनी मां का इंतजार करने लगी।

"परेशान क्यों हो?? ट्रिप पर मजा नहीं आया??" कमलावती खुद भी चेयर पर बैठते हुए बोली।

"क्या बताऊँ नानी! मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा कि वो सब आप लोगो को कैसे बताऊं? सच कहूं तो ये ट्रिप कम सपना ज्यादा लगा!" सेजू का मुँह लटका हुआ था।

"ऐसा क्या हुआ..??" सपना किचन से खाने की ट्रे लेकर आते हुए टेंशन के साथ बोली।

"सबसे पहले खाना दो मॉम!" सेजू ने खाना देखते ही कहा। सपना ने जल्दी जल्दी खाना सर्व कर किया था। तब तीनो साथ में बैठ कर खाना खाने लगी थी।

"अब कुछ बोलना चाहोगी??" सपना ने सेजू से खाते हुए कहा। सेजू ने शुरुआत से अब तक की सारी स्टोरी कमलावती और सपना को सुना दी।

सपना ने जैसे ही सेजू की बात सुनी उसके हाथ से चम्मच छूट कर प्लेट में गिर गई।

"तेरा दिमाग तो खराब नहीं है?? क्या बोल रही है ये सब...!"

"वही मम्मा! वही तो..मैं समझ नहीं पा रही हूं, मैंने सबकुछ अपनी आंखों से देखा। हाँ!मैं मानती हूं कि मुझे हॉरर स्टोरीज़ पढ़ना पसंद हैं, पर वो सब मैंने कभी उन बातों पर भरोसा नहीं किया था।" सेजू ने पानी पीते हुए कहा। सपना और सेजू की बातें चल रही थी मगर कमलावती बिल्कुल शांति से अपना काम कर रही थी।

"मौसी जी! आप को नहीं लगता ये हम दोनों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है??" सपना ने सेजू को शक की निगाहों से देखते हुए कमलावती से कहा।

"दुनिया चमत्कारों से भरी है सपना! सेजू की बात पर यकीन करना मेरे लिए भी मुश्किल हो सकता था, मगर मैंने अपने ध्यान से बहुत सी चीजों को जाना है, मैंने क़ई किताबें पढ़ी हैं, और प्रयोग भी किये हैं!
मैंने उन प्रयोगे में ऐसी बहुत सी चीजें देखी जो आज की पढ़ी लिखी पीढ़ी को अंधविश्वास लगती हैं, उसी के लिए में तुम्हारे घर आई हूं! मैं अपने प्रयोगों से एक किताब लिख रही हूं। जो बहुत जल्द पूरी होने वाली है।" कमलावती आराम से बोली, उसकी बातें सुन कर सेजू और सपना दोनों ही के मुँह खुले रह गए।

"इसका मतलब ये है नानी जी की! जो मैंने उस दिन देखा था वो सही है...?? आप उस दिन मेरे कमरे की खिड़की के बाहर जो कर रही थीं वो सही है???
देखा मां! मैंने कहा था न नानी मां उस दिन कोई मंत्र पढ़ रही थीं और किसी को बुला रही थी शायद।" सेजू उताबली हो कर बोली।

"लेकिन इस सच्चाई को तुम किसी को नहीं बताओगी! अगर ये बात तुम्हारे दोस्तों या किसी और को पता लगी तो मैं फिर कभी तुम पर भरोसा नहीं करूंगी!" कमलावती ने सेजू को चेताते हुए कहा।

"लेकिन! अगर मेरे दोस्त ये जान भी गये तो क्या होगा??" सेजू ने डरते हुए कहा।

"इस से मेरा एक प्रयोग खतरे में पड़ जायेगा!" कमलावती ने पानी पिया और उठ कर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।

सेजू कमलावती की बात को समझ नहीं पाई थी। वो कमलावती से और भी सवाल करना चाहती थी, मगर उसकी मां ने उसे रोक दिया।

■■■■

दो दिन बाद आज सभी लोग कॉलेज के पास वाले एक पार्क में मिल रहे थे, जिसमें सेजू, देवीना, पिहू और देव भी था।

"इतने दिन से तू कहाँ थी सेजू??" देवीना सेजू की चोटी खींचते हुए बोली। सेजू देवीना का सवाल सुन कर खीझते हुए बोली..."मर गई थी! तू नहीं जानती क्या मैं कहाँ गई थी??"

देवीना ने पिहू को देख कर अपने कंधे उछाले और सेजू से बोली..."अगर मुझे पता होता तो मैं क्यूशचन ही क्यों करती??"

"प्लीज यार! मैं वैसे ही समर के लिए परेशान हूँ और तुम लोग ये सब नौटंकी लगा कर रखे हो!"

"समर के लिए परेशान तू भी है??" पीहू ने चौक कर कहा।

"क्यों? क्या मैं उसकी दोस्त नहीं थी??" सेजू गुस्से से उठी और पीहू के बेहद करीब जा कर चिल्लाई।

"अरे मैं तो बस..!" पीहू सहम गया।

सेजू पीछे मुड़ी ही थी कि तभी उसने सामने से आते हुए समर को देखा, जो सेजू को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था। सेजू उसे देख कर जड़ रह गई, उसके माथे से पसीना रिशने लगा था।

"जा सेजू! मैं तुझसे बात नहीं करूंगा! तू अब हम लोगो को कुछ नहीं समझती! इतने दिन तक कॉलेज नहीं आई और फोन भी नहीं लगा तेरा! तेरे घर गए वॉचमेन ने बताया तू अपनी नानी और मम्मी के साथ बाहर गई है। सच में यार! अब तुझसे भरोसा उठता जा रहा है..." समर उदास सा बोलता गया। सेजू के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला। कुछ देर बाद जब सबका ध्यान सेजू पर गया तो वो लोग हैरान होकर एक साथ बोले.."सेजू! क्या हुआ तुझे???"

"अरे यार! इसे इतना पसीना कैसे आने लगा इतने जल्दी..अभी तो बिल्कुल फ्रेस थी। " देवीना ने उसे छूते हुए कहा।

अचानक सेजू ने अपनी उंगली समर की तरफ की और हकलाते हुए बोली - "तू..तुम..समर के डुप्ली..डुप्लिकेट हो न!"

सेजू की बात सुन कर एक बार फिर सबका सर चकरा गया। पीकू ने सेजू को झटके से पकड़ा और एक पेड़ के नीचे बिछी चेयर पर बैठा दिया।

"ये लड़की पूरी तरह पागल हो चुकी है गाइज! हम जितना इससे दूर रहेंगे उतना हमारे लिए अच्छा होगा! भूतों की किताबें ये पढ़े, और डरें हम! मैं तो कहता हूँ इसे यही छोड़ो और कॉलेज चलो.., फंक्शन में बोर ही होना पड़ेगा न! चलेगा! पर मुझे इसका ड्रामा देख कर अपना सिर दर्द नहीं चाहिए!" पीकू बहुत सीरियस दिखाई दे रहा था। उसकी आँखों में जो गुस्सा था वो शायद आज पहली बार सबने देखा था।

सेजू पीकू की बात सुन कर पागल सी हो गई थी, उसने अपने सिर को जोर से दबाया और खीझते हुए बोली..."यस! मैं पागल हो गई हूं..प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो! मुझे खुद समझ नहीं आता कि तुम लोग क्या बोलते हो?? कभी कभी तुम सब मुझे पागल लगते हो कभी मैं खुद। मुझे किसी मेडिटेशन केम्प की जरूरत है..हां! मैं आज ही मॉम से बात करूंगी। मैं ऐसे नहीं जी सकती!" सेजू की हालत देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वो ड्रामा कर रही है। वो वहां से उठी और बाहर जाने लगी। तभी देव ने सबको समझाया..

"गाइस! मुझे लगता है सेजू किसी बड़ी प्रोब्लेम में है। जिसे हम सब नहीं समझ पा रहे...मुझे लगता है उसके साथ कोई माइड गेम खेल रहा है!"

"व्हाट.?? तुम कहना क्या चाहते हो??" देवीना ने कहा।

"हां! माइंड गेम अलग अलग तरह के होते हैं, कुछ ब्लैक मैजिक होते हैं, जिसमें किसी नॉर्मल इंसान से बुरे लोग ऐसे काम करवाते हैं जिनसे उन्हें पावर मिलती है या फिर वो किसी ऐसी चीज को हासिल करना चाहते हैं जो वो खुद नहीं कोई दूसरा कर सकता है।" देव ने उन लोगो को गंभीरता से समझाते हुए कहा।

"मगर तुम इतने श्योर कैसे हो??" देवीना ने देव को शक की नजरों से देखते हुए पूछा।

"मैं इसी की स्टडी कर रहा हूँ! इस वक़्त इन सब सवालों से ज्यादा जरुरीं है कि हम सेजू की प्रॉब्लम पता करने की कोशिश करें!" देव ने देवीना के सवाल का जबाब दे दिया। समर काफी परेशान मालूम पड़ रहा था।

"देव! मैं तुम्हारे साथ हूँ...प्लीज चलो जल्दी!" समर ने देव से कहा।

देवीना भी तैयार हो गई थी।

"सॉरी गाइस! मेरे पास इन सब फालतू बातों में पड़ने के लिए टाइम नहीं है। सी यू..." पीकू ने अपना बेग चेयर से उठाया और पार्क से चला गया।

देव, देवीना और समर सेजू का पीछा करते हुए उसकी स्कूटी के पास गए। उन लोगो ने देखा कि सेजू स्कूटी पर बैठ कर रो रही थी।

"मैं कार लेकर आता हूँ! हम किसी शांत जगह चलेंगे, जहां सेजू से अच्छी तरह बात कर सके!" देव ने देवीना और समर से कहा और पार्किंग की तरफ भागा।

देवीना और समर सेजू के पास जा कर उससे सॉरी बोलने लगे। कुछ देर बाद देव कार लेकर आया।

"मैं नहीं जाऊंगी! प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो तुम लोग!" सेजू ने कहा और स्कूटी में चाबी लगाने लगी।

समर ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और प्यार से बोला.."प्लीज सेजू! तुम टेंशन में रहोगी तो हम लोगो का मन कैसे लगेगा यार!"

"हां! सेजू! अब तुम जो भी बताओगी न! हम लोग ध्यान से सुनेंगे! उसके बाद देखेंगे कि क्या सोलुशन होना चाहिए। इस बार पक्का हम तेरी अच्छे से हेल्प करेंगे।" देवीना ने कहा।

"कम ऑन सेजू!" देव कार की ड्राविंग सीट पर बैठा हुआ कार के अंदर बैठने का इशारा करते हुए बोला। सेजू सबकी बात मान कर कार में बैठ गई थी। कार अपनी स्पीड से आगे बढ़ रही थी, सभी लोग बिल्कुल चुप बैठे हुए थे। देवीना और सेजू कार की पीछे वाली सीट पर बैठी थी, समर देव के बाजू में बैठा था। कुछ ही देर बाद देव ने कार को एक पहाड़ी के पास पार्क किया।

"यहां तो झील है न देव!" देवीना से कार से उतरते हुए कहा।

"हां! इस झील के बारे में मैंने पढा है। यहां एक ऐसी जगह है जहां बैठ कर हम कोई भी बात करेंगे, तो दूसरा उसको जादू या किसी पावर से सुन नहीं पायेगा, हां! मगर वहां बहुत से अजीब काम हो जाते हैं।" देव सीढ़िया उतरते हुए बोला, वहां हर कहीं पेड़ों की पत्तियां बिखरी पड़ी थी। पक्षियों की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं। बहुत शांत माहौल था वो। झील के पास ही कुछ पुराने समय के मंदिर और खण्डर नुमा घर थे। उनके इर्द - गिर्द काफी सारे पेड़ थे।

"देव! तुम ये कैसी अजीब बात कर रहे हो??" देवीना लगभग डरी हुई सी बोली। "मैं तो यहां क़ई बार आई पर मैंने यहां के बारे में ऐसा तो कुछ नहीं सुना.."

"लेकिन मैंने पढा है। और मैं यहां पर आ भी चुका हूं क़ई बार, यहां के एक पुजारी हैं, बात नहीं करते किसी से, लेकिन मैंने जब उनसे ये बात कन्फर्म करने की कोशिश की थी तब उन्होने मुझे बताया था।" देव ने कहा। अब वो लोग झील के पास आ गए थे। बहुत ही ठंडक थी, उसके पास। वे लोग झील में पैर डाल कर बैठ गए थे।

"सेजू! अब तुम हमें वो सब बातें बताओ जिनसे तुम परेशान हो??" समर ने सेजू की ओर देख कर कहा।

सेजू शांति से पानी को देख रही थी। "समर! हम सब एक ट्रिप पर गये थे..., जहां!" सेजू ने इसी तरह सारी बातें उन सबसे कह दी थी।

देव सोच में पड़ गया था, समर और देवीना तो बोराये हुए थे। उन्हें विश्वास नहीं था, मगर फिर भी वो कुछ कहना नहीं चाहते थे।

देव कुछ बोलने ही जा रहा था कि तभी अचानक पानी के अंदर बुलबुले उठते दिखाई देने लगे।

"ये..ये सब क्या हो रहा है देव.." देवीना ने तुरंत अपने पैर बाहर निकाले।
अचानक किसी के दो हाथ बाहर आये। बिल्कुल सामान्य, शायद वो किसी लड़के के थे। मगर इस तरह से कौन पानी के अंदर से निकल रहा था।

"लगता है कोई स्विमिंग कर रहा था।" देव ने कहा। और अचानक वो लड़का ऊपर आ गया। उसने जैसे पानी के अंदर से अपना मुँह निकाल कर यहां वहां देखा उसकी नजर सेजू और उसके दोस्तों पर गई।

वो लड़का हैरानी से बोला..."सेजू..!"

क्रमशः....