भ्रम - भाग-17 Surbhi Goli द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भ्रम - भाग-17


सेजू नहीं समझ पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए और कैसे?? वो इतनी रात में देव से मिलने के लिए राजी भी हो जाती पर वो उस से मिलने कैसे आये???



सेजू ने अपनी परेशानी देव से कही,



"उसकी चिंता तुम मत करो, तुम्हे सिर्फ और सिर्फ..अपने घर से बाहर आना है, मैं अपनी कार ले कर आ रहा हूँ..." देव ने सेजू से तेजी से कहा।



सेजू थोड़ी घबरा भी रही थी, देव को तो वो ठीक से जानती तक नहीं थी, फिर वो उसकी ये बात कैसे..???



"देव...क्या हम सुबह तक वेट नहीं कर सकते??" सेजू ने झिझक के साथ कहा।



"नहीं! बिल्कुल नहीं सेजू, देखो मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुम इस वक़्त क्या सोच रही हो?? तुम एक लड़की हो और मैं एक लड़का, तुम मुझे बहुत अच्छे से नहीं जानती! पर तुम्हे मुझ पर आज विश्वास करना ही होगा सेजू! तुम्हे विश्वास करना होगा..." देव ने फोर्स के साथ कहा।



सेजू ने कॉल कट कर दी और उसने अपनी सिक्योरिटी के लिए अपनी डायरी में "देव का इस वक़्त उसे मिलने के लिए बुलाने वाली बात लिख दी!" इसके बाद वो कपड़े चेंज कर के, अपने कमरे से बाहर आ गयी।



बाहर एक दम अंधेरा था, इसलिए उसे टॉर्च जलानी पड़ी।



"ओ गॉड! प्लीज मेरी रक्षा करना! कहीं इस वक़्त मुझे मां या नानी मां घर से बाहर जाते हुए न देख लें, वरना...वरना क्या जवाब दूँगी मैं उन्हें..." सेजू एक एक डग बढाते हुए भगवान को याद कर रही थी,



किसी तरह उसने ये रास्ता भी पार किया और वो बाहर चली गई,



रास्ता एक दम सुनसान था, दूर दूर तक कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था, सेजू उसी वीरान रास्ते पर देव का इंतजार कर रही थी, यूं तो सेजू काफी हिम्मती थी मगर जब से वो टूर से लौटी, तब से उसका बर्ताब बिल्कुल बदल सा गया,



वो काफी डरने लगी थी,



अचानक बहुत से कुत्तों के भोखने की आवाजें आने लगी, सेजू पसीना - पसीना हो गई,



वो अपने घर के मेन गेट से जरा सी दूर खड़ी थी, उसे डर था कि कहीं कोई भी उसे बाहर न देख ले।



पर तभी सेजू ने कुछ ऐसा देखा जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।



"मां...मां कहाँ जा रहीं है इस वक़्त! और.. और उनके हाथ में क्या है...??" सेजू की आंखे फटी हुई थी, उसकी मां सपना बाहर गेट से बाहर निकली और सेजू के अपोजिट साइड बढ़ने लगी, वो एक दम सीधी चल रही थी, उसने अपने हाथ में एक कुत्ते का बच्चा पकड़ा हुआ था,



"मैं तो उन्हें टोक भी नहीं सकती, अगर टोक कर कोई सवाल पूछा तो वो उल्टा मुझसे ही पूछ लेंगी की मैं इतनी रात में बाहर क्या कर रही हूं और फिर देव भी आने वाला है उसे जरुरीं काम है अगर मां से बात की तो देव से बिल्कुल भी नहीं मिल पाऊंगी!" सेजू मन में ही सोच रही थी, तभी उसने देखा कि उसकी मां ने दूसरा रास्ता पकड़ लिया है....



"मां श्मशान की तरफ क्यों जा रहीं है???" सेजू बड़बड़ाई, "उस साइड तो सिर्फ श्मशान ही है.."



तभी देव की गाड़ी की आवाज उसे सुनाई दी और सड़कों पर पड़ती उसकी लाइट दिखी,



देव की कार सेजू के सामने आ कर रुकी, देव ने दरवाजा खोला, सेजू उसकी पास वाली सीट पर भगवान का नाम ले कर बैठ गई।



"क्या हुआ सेजू...तुम उस साइड क्यों देख रही हो और तुम्हे इतना पसीना क्यों आ रहा है?? सब ठीक तो है न!" देव ने सेजू को देख कर कहा।



"पता नहीं..! पर..पर मैं देखना चाहती हूं कि माँ श्मशान की तरफ क्यों गई हैं वो भी इस वक़्त!" सेजू डरते हुए बोली और उसने थूक निगला।



सेजू की बात सुन कर देव उछल पड़ा, "व्हाट.....??? ये...ये तुम क्या कह रही हो?? तुम्हारी माँ इस वक़्त वहां क्यों जायेगीं??"



"मैं..मैं नहीं जानती?? उनके हाथ में कुछ था भी..." सेजू ने घबराई हुई आवाज में कहा, इसके बाद देव ने बिना कोई देर किए कार बढ़ा दी,



और श्मशान वाले रास्ते की ओर मोड़ी!



"मुझे बहुत घबराहट हो रही है देव...ये रास्ता कितना भयानक है..कितनी अजीब अजीब सी आवाजें यहां आ रही हैं..और मां! मां कितनी आसानी से आगे बढ़ रही हैं, अच्छा हुआ तुमने यही गाड़ी रोक दी.." सेजू ने अपनी मां को आगे बढ़ते देख कहा।



"मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा की आखिर ये सब है क्या?? ये तो मैं समझ गया की तुम्हारे साथ कोई खेल खेल रहा है, पर पहले मुझे सिर्फ एक पर शक था लेकिन अब..अब नहीं कह सकता कि वो ही है जो ऐसा कर रहा है।" देव बेहद परेशान लग रहा था।



"व्हाट..?? खेल?? कौनसा खेल?? और तुम्हे किस पर शक था..." सेजू ने बेचैनी से पूछा।



"सेजू...इस वक़्त हमें ये देखना ज्यादा जरुरीं है कि तुम्हारी माँ इस वक़्त श्मशान में क्यों जा रहीं है, वो देखो...वो श्मशान के अंदर जा चुकी हैं।" देव ने कहा और गाड़ी स्टार्ट कर दी।



सेजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था, एक तो उसकी मां की ये नई सच्चाई ऊपर से देव की परेशान कर देने वाली बातें।



देव ने गाड़ी श्मशान के बाहर पर! एक पेड़ के पीछे झाड़ियों में रोकी।



सेजू और देव कार से बाहर आये,



"सेजू...! अंदर कुछ भी हो सकता है, इसलिए तुम्हे हिम्मत रखनी होगी, किसी तरह का शोर नहीं होना चाहिए वरना...मुआमला बिगड़ जायेगा।" देव ने सेजू को आगाह करते हुए कहा,



सेजू ने तभी देव का कस कर हाथ पकड़ लिया, देव ने भी सेजू को ये अहसास दिलाया कि वो उसके साथ है, वो उसे कुछ नहीं होने देगा।



सैकड़ो पेड़ो से घिरा श्मशान! जहां अब भी क़ई चितायें सुलग रहीं थी, लकड़ियां अंगारों में बदल गई थीं और अंगारे राख में तब्दीली कर रहे थे,



सेजू और देव की नजरें सेजू की मां सपना को तलाश रहीं थीं,



कुछ ही देर में वहां घंटियों की आवाजें सुनाई देने लगीं, देव की नजरें कुछ दूरी पर बने श्मशान के बीचों बीच एक मंदिर पर गई..



"लगता है..तुम्हारी माँ वहां! उस मंदिर में हैं सेजू.." देव ने कहा,



सेजू ने खुदको संभाला, "शायद वो कोई खास तरह की पूजा करने आई हैं, इस वक़्त!" सेजू ने खुदको सन्तुष्ट करने के लिए कहा और थोड़ा सा मुस्कुराई,



"बस भी करो सेजू! रात के वक़्त...किसी देवी देवता की पूजा नहीं होती! तुम चलो मेरे साथ..." देव ने डांटते हुए कहा और उसे खींचते हुए मंदिर की ओर ले जाने लगा।



देव और सेजू ने देखा कि सपना एक तांत्रिक के सामने बैठी हुई है, जिसने काले रंग के कपड़े और गले में नरमुंडो की मालाएं पहनी हुईं हैं, वो एक हवनकुण्ड में तमाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए उसमें क़ई तरह की सामग्रियां फेंक रहा है,



सपना अभी भी अपने हाथ में एक कुत्ते के बच्चे को लिए बैठी है,



"मां ये सब क्या कर रही हैं???" सेजू के मुँह से निकला,



देव ने उसे चुप रहने का इशारा किया और सब कुछ ध्यान से देखने लगा।



थोड़ी ही देर में उस तांत्रिक ने सपना को हवनकुंड में कुछ डालने का इशारा किया,



सपना ने एक बार आंखे बंद की और मन में कुछ बुदबुदा कर खोल दीं,



उसने कुत्ते के बच्चे को ऊपर उठाया,



सेजू की आंखें फटी हुई थीं,



और तभी,



विशाल हवन कुंड में वो कुत्ते का बच्चा बिलबिला उठा, उसकी दर्द भरी चींखें श्मशान में गूंज उठी...



सेजू के मुँह से ये सब देख कर एक जोरदार चींख निकलने ही वाली थी कि तभी देव ने उसके मुँह को अपने दोनों हाथों से बंद कर दिया,



सेजू ये हादसा देख कर खुद को संभाल नहीं पाई और देव की बाहों में बेहोश हो गई,



क्रमशः...