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गुमशुदा की तलाश - उपन्यास
Ashish Kumar Trivedi
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
रंजन चर्च में प्रार्थना कर बाहर निकल रहा था। आज उसका जन्मदिन था। उसे पंद्रह साल पहले का अपना जन्मदिन याद आ रहा था। वह अंतिम जन्मदिन था जब उसके पिता उसके साथ थे। चर्च के आहते में रंजन को फादर फ्रांसिस मिल गए।"हैप्पी बर्थडे रंजन।"थैंक्यू फादर.."तुम्हारा काम कैसा चल रहा है ?"बहुत अच्छा फादर। मेरे बॉस सरवर खान पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है। एक के बाद एक केस की लाइन लगी रहती है।"अब शर्ली को तुम्हारे
गुमशुदा की तलाश (1)रंजन चर्च में प्रार्थना कर बाहर निकल रहा था। आज उसका ...और पढ़ेथा। उसे पंद्रह साल पहले का अपना जन्मदिन याद आ रहा था। वह अंतिम जन्मदिन था जब उसके पिता उसके साथ थे। चर्च के आहते में रंजन को फादर फ्रांसिस मिल गए।"हैप्पी बर्थडे रंजन।""थैंक्यू फादर..""तुम्हारा काम कैसा चल रहा है ?""बहुत अच्छा फादर। मेरे बॉस सरवर खान पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है। एक के बाद एक केस की लाइन लगी रहती है।""अब शर्ली को तुम्हारे
गुमशुदा की तलाश (2)रंजन लौटा तो घर में अंधेरा ...और पढ़ेउसने आवाज़ दी।"मम्मी.…कहाँ हैं आप ?"उसकी पुकार पर कोई जवाब नहीं मिला। वह ढूंढ़ते हुए बैकयार्ड में गया। शर्ली कुर्सी पर चुपचाप बैठी थी। रंजन जाकर सामने की कुर्सी पर बैठ गया। आहट पाकर शर्ली अपने खयालों से बाहर आई।"तुम कब आए रंजन ?"रंजन ने अपनी माँ का हाथ पकड़ कर कहा।"आप इस तरह अंधेरे में क्यों बैठी हैं ?"शर्ली ने कोई जवाब नहीं दिया। "इसका मतलब आज फिर से चिठ्ठी आई है।
गुमशुदा की तलाश (3)रंजन सबसे पहले जाँच अधिकारी इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह से मिला। उनसे ...और पढ़ेकर उसने बिपिन की गुमशुदगी के केस की सारी जानकारी तफ्सील से ली। अब तक की जाँच के अनुसार दस महीने पहले उसके रूममेट कार्तिक मेहता ने अपने प्रोफेसर दीपक बोहरा को सूचना दी कि तीन दिन हो गए बिपिन हॉस्टल नहीं लौटा है। प्रोफेसर दीपक ने यह बात डीन धर्मपाल शास्त्री को बताई। मामले की गंभीरता को समझते हुए डीन शास्त्री ने पुलिस में बिपिन के हॉस्टल से
गुमशुदा की तलाश (4)सरवर खान ने रंजन के रहने की व्यवस्था ...और पढ़ेके पास ही एक लॉज में करा दी थी। लॉज में पहुँच कर उसने सरवर खान को फोन पर कार्तिक से मिली सारी जानकारी दे दी। "सर आप इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह से बात कीजिए कि वह बिपिन की नोटबुक दिला दें। हो सकता है उसमें बिपिन ने कुछ ऐसा लिखा हो जिससे कोई सुराग मिल सके।""हाँ बिल्कुल मैं इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह से बात करता हूँ। तुम अब उस लड़की
गुमशुदा की तलाश (5)सरवर खान अपने ऑफिस में बैठे उस नोटबुक के पन्ने ...और पढ़ेरहे थे जो पुलिस को बिपिन के सामान से मिली थी। सरवर खान इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह के सीनियर ऑफिसर को जानते थे। उन्होंने उनसे कहलाया कि इंस्पेक्टर सुखबीर उनकी इस केस में मदद करें। रंजन ने इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह से मिल कर वह नोटबुक ली। नोटबुक नई थी। उसमें केवल दस बारह पन्ने ही लिखे गए थे। सरवर खान ने रंजन को उन्हें स्कैन कर मेल करने को कहा।