Gumshuda ki talash - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

गुमशुदा की तलाश - 23


गुमशुदा की तलाश
(23)


सरवर खान ने जैसा सोंचा था वैसा ही हुआ। मदन ने उसे लक्ष्य पर रख कर दरवाज़ा खोलने को कहा। मेन डोर तक पहुँचने के लिए दो अर्धगोलाकार सीढ़ियां थीं। सरवर खान ऊपर की सीढ़ी पर खड़े थे। मदन उनके नीचे वाली सीढ़ी पर खड़ा था।
मदन ने दोनों गन सरवर खान पर तान रखी थीं। सरवर खान दरवाज़ा खोलते हुए पूरे सतर्क थे। मदन बहुत सट कर खड़ा था। यदि दरवाज़े का पल्ला ज़ोर से खोला जाता तो वह हड़बड़ा सकता था।
सरवर खान ने पूरे ज़ोर से दरवाज़ा खोला। जैसा उन्होंने सोंचा था मदन लड़खड़ा गया। सरवर खान ने फुर्ती दिखाते हुए उसे लात मारी। मदन गिर गया। एक गन हाथ से छिटक कर दूर गिर गई। सरवर खान ने लपक कर उसे उठा लिया।
गन लेकर सरवर खान पास पड़े काउच के पीछे चले गए। मदन ने दो फायर किए। पर सरवर खान बच गए। मदन तेज़ी से दरवाज़े की ओर लपका। सरवर खान ने भी फायर किया। किंतु निशाना नहीं लगा। मदन दरवाज़े के बाहर भाग गया।
सरवर खान गन लेकर उसके पीछे भागे। मदन भागते हुए किनारे पर बंधी अपनी मोटरबोट के पास पहुँचा। वह मोटरबोट में बैठ कर भागना चाहता था। सरवर खान ने उसे चेतावनी दी। पर मदन ने अनसुना कर दिया। सरवर खान ने गन तानते हुए दोबारा चेतावनी दी।
मदन ने सरवर खान पर गोली चलाई। गोली उनके पैर में घुटने के नीचे लगी। मदन ने एक और गोली चलाने की कोशिश की। पर गोली नहीं थी। उसने गन फेंकी और मोटरबोट में बैठ कर भाग गया।
सरवर खान अपने ज़ख्म की परवाह किए बिना उठे और किसी तरह से चलते हुए अपनी मोटरबोट पर आए। वो मदन की मोटरबोट का पीछा करने लगे।
कुछ ही आगे जाने पर उन्हें मदन की मोटरबोट दिखाई पड़ी। सरवर खान पूरी कोशिश कर रहे थे कि अपनी मोटरबोट उसके पास ले जा सकें। दोनों मोटरबोट समुद्र की लहरों को चीरती हुई आगे बढ़ रही थीं। मदन अपनी मोटरबोट को लेकर दूर भाग जाना चाहता था। सरवर खान किसी भी तरह उसे पकड़ना चाह रहे थे।
एक समय सरवर खान की मोटरबोट मदन की मोटरबोट के बगल में आ गई। सरवर खान ने गन तानते हुए उससे खुद को उनके हवाले करने की चेतावनी दी। पर मदन नहीं माना। सरवर खान ने दो फायर किए। एक गोली मदन के कंधे पर लगी। दूसरी सीने में।
मदन गिर पड़ा। उसके गिरने से मोटरबोट का संतुलन बिगड़ गया। वह पलट गई। मदन समुद्र में डूब गया। सरवर खान भी अपनी मोटरबोट पर संतुलन नहीं रख सके। वह एक चट्टान से टकरा गई। सरवर खान किसी तरह तैर कर चट्टान पर चढ़ गए।

कहानी सुनाते हुए सरवर खान चुप हो गए। सब इंस्पेक्टर राशिद बहुत ध्यान से उनकी कहानी सुन रहा था। सरवर खान अपने भीतर उमड़ती भावनाओं को काबू करने का प्रयास कर रहे थे।
"राशिद....जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल में था। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें मेरी बाईं टांग काटनी पड़ी....."
कहते हुए वह एक बार फिर चुप हो गए। सब इंस्पेक्टर राशिद उनके मन के दर्द को समझ रहा था। पर वह कुछ नहीं कर सकता था। इस समय कुछ बोलना उनके ज़ख्मों को कुरेदने जैसा था।
सरवर खान ने एक बार फिर अपनी भावनाओं को काबू किया।
"मुझे एसटीएफ छोड़नी पड़ी। वह बहुत मुश्किल दौर था राशिद। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरी ज़िंदगी का अब क्या होगा। खुदा का शुक्र है कि उस वक्त शकीना थी। उसने मुझे संभल लिया।"
"सर आपने बहुत बहादुरी से अपनी ज़िंदगी को सभाल लिया। आज आप एक कामयाब डिटेक्टिव हैं।"
"जब मैं परेशान होता था तो शकीना कहती थी कि पुलिस और एसटीएफ में इतने सालों का तजुर्बा है। कहीं ना कहीं तो काम आएगा। फिर फोर्स के मेरे एक साथी ने सुझाया कि मैं डिटेक्टिव ऐजेंसी खोल लूँ। फिर बस एक के बाद एक चीज़ें बनती चली गईं।"
सब इंस्पेक्टर राशिद कुछ सोंचते हुए बोला।
"सर आपने कहा था कि रॉकी और मदन में कोई रिश्ता है। रॉकी की आँखें मदन की आँखों से मिलती हैं।"
"हाँ....यही पहेली तो समझना है।"
"सर आपके कहने का मतलब है कि आँखें वही हैं बस चेहरा बदल गया।"
सब इंस्पेक्टर राशिद की बात सुन कर सरवर खान के दिमाग में जैसे बिजली सी कौंधी।
"वाह...राशिद तुमने तो पहली सुलझा दी।"
सब इंस्पेक्टर राशिद को आश्चर्य हुआ कि उसने ऐसा क्या कर दिया।
"मैं समझा नहीं सर...."
"देखो तुमने कहा कि आँखें एक हैं पर चेहरे अलग अलग। राशिद आँखें एक हैं और आदमी भी एक है। बस पुराना चेहरा बदल कर नया अपना लिया। मदन और रॉकी एक ही हैं।"
"हाँ सर यह हो सकता है। तभी रॉकी आपके बारे में इतना कुछ जानता है।"
"अब यह देखना है कि रॉकी मुझसे चाहता क्या है ? क्यों उसने हमें यहाँ कैद करके रखा है ?"
"सर आपसे एक बात पूँछना चाहता हूँ।"
"बोलो क्या कहना है ?"
"सर जहाँ तक मुझे पता है कि आप बिपिन दास के लापता होने के केस की पड़ताल कर रहे हैं। तो हम उस दिन रॉकी के क्लब में क्यों गए थे ?"
"बिपिन को रॉकी के साथ स्कोडा कार में जाते देखा गया था। मैं यही जानना चाहता था कि बिपिन और रॉकी एक दूसरे को कैसे जानते थे ?"
"हो सकता है कि बिपिन खुद नशे का आदी हो या वह भी ड्रग्स के कारोबार का हिस्सा हो।"
"नहीं राशिद.. बिपिन ना तो नशे का आदी है और ना ही इस कारोबार का हिस्सा हो सकता है। मैंने उसके बारे में जो जानकारी जुटाई है उसके अनुसार तो उसने दो लोगों को नशे की लत से बाहर निकालने में मदद की थी।"
"अच्छा...."
"राशिद बिपिन फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ में पीएचडी का छात्र था। वह नशे और अवसाद के बीच के संबंध पर स्टडी कर रहा था। उसका मकसद ऐसी दवा बनना था जो अवसादग्रस्त लोगों को लाभ पहुँचाए।"
"सर तब तो यह सोंचने वाली बात है कि रॉकी जैसे नशे के व्यापारी से उसका क्या संबंध हो सकता है ?"
"बिपिन अक्सर अपने हॉस्टल से गायब रहता था। शायद वह किसी चीज़ की खोज में था। अंतिम बार जब वह अपने हॉस्टल से गायब हुआ तब उसके साथ एक लंबी लड़की थी। सीसीटीवी फुटेज में वह दिखी थी। पर शक्ल नज़र नहीं आ रही थी। उस लड़की के बारे में पता चल जाए तो बहुत कुछ पता चल सकता है।"
सरवर खान की बात सुन कर सब इंस्पेक्टर राशिद के मन में एक बात आई। पर वह समझ नहीं पा रहा था कि इसका बिपिन के केस से संबंध हो सकता है या नहीं। उसने सकुचाते हुए कहा।
"सर....एक बात मन में आई है...पता नहीं कितने काम की है..."
"राशिद जो भी है खुल कर कहो।"
"सर आपने लंबी लड़की का ज़िक्र किया। सर मदन की गर्लफ्रेंड जैसमिन भी लंबे कद छरहरे शरीर की थी। अगर रॉकी और मदन एक ही हैं तो वह लड़की जैसमिन हो सकती है।"
"राशिद...बिंदू तो तुमने सही उठाया है। पर जैसमिन ने फिल्मों में काम किया था। उसका चेहरा लोग पहचान सकते थे।"
"सर जैसमिन ने महज़ दो फिल्मों में काम किया था। दोनों सुपर फ्लॉप थीं। वो भी पाँच साल पहले। हो सकता है कि जैसमिन ने भी अपने लुक्स में कुछ बदलाव कराए हों। अपनी पहचान बदल ली हो।"
"बदल ही ली होगी राशिद। जैसमिन मदन से गुस्सा होकर चली गई थी। पर बाद में हो सकता है कि उसके प्यार में या किसी और वजह से वह पार्टनर इन क्राइम बन गई हो।"
सब इंस्पेक्टर राशिद के चेहरे पर मुस्कान थी कि उसने जो सोंचा वह सरवर खान को ठीक लगा। सरवर खान ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा।
"राशिद तुम्हारे अंदर एक अच्छा पुलसवाला बनने के गुण हैं। तुम खूब तरक्की करोगे।"
"शुक्रिया सर...."
"तुम्हारी शादी एक अच्छी सी लड़की से होगी।"
सरवर खान की ये बात सुन कर सब इंस्पेक्टर राशिद शरमा गया।
गोदाम का दरवाज़ा खुला। अनीस और ज़फर थे। सरवर खान और सब इंस्पेक्टर राशिद दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे कि अनीस और ज़फर दोबारा इतनी जल्दी कैसे आ गए।
हर बार की तरह अनीस ने कहा।
"खान साहब चलिए....बॉस मिलना चाहते हैं।"

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