Gumshuda ki talash - 33 books and stories free download online pdf in Hindi

गुमशुदा की तलाश - 33


गुमशुदा की तलाश
(33)



ऐलेक्ज़ेंडर ने कुछ समय पहले ही अपने गैंग में कुछ नए लोगों को भर्ती किया था।
उसके गैंग में नए व्यक्ति को शामिल होने के लिए पूरी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता था। इस प्रक्रिया के चार दौर होते थे।
ऐलेक्ज़ेंडर की एक टीम थी। इस टीम का काम था उन नौजवानों पर नज़र रखना जो गरीबी और बेरोज़गारी का शिकार हों। खासकर एशिया तथा अफ्रीका महाद्वीप के मुल्कों से गैरकानूनी तरीके से लंदन आए लोग। ऐसे लोगों के पास ना तो सही काम होता था और ना ही रहने की सही व्यवस्था। टीम इन नौजवानों में से ऐसे लोगों को चुनती थी जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हों। जो जल्दी पैसा कमाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हों।
पहले दौर में चुने गए लोगों को कुछ छोटे छोटे काम दिए जाते थे। इस दौरान टीम उनकी क्षमता को परखती थी। उनकी ईमानदारी और वफादारी की जाँच करती थी।
दूसरे दौर में जो सफल होते थे उन्हें तीसरे दौर में और भी कठिन व महत्वपूर्ण काम दिए जाते थे। यहाँ उनकी क्षमता, ईमानदारी व वफादारी का सही आंकलन होता था।
टीम इस दौरान पूरा खयाल रखती थी कि उन लोगों को संगठन के बारे में पूरी जानकारी ना होने पाए। करीब एक साल तक तीसरे दौर में चुने गए लोगों को परखा जाता था। उनमें से चुने गए लोगों को सही तरह से संगठन का हिस्सा बनाने के लिए चौथे दौर में ऐलेक्ज़ेंडर के सामने पेश किया जाता था।
यह दौर सबसे कठिन होता था। यहाँ हर एक को ऐलेक्ज़ेंडर की पैनी निगाहों से गुज़रना पड़ता था। जिसे ऐलेक्ज़ेंडर नकार देता था उसे जान से हाथ धोना पड़ता था।
ऐलेक्ज़ेंडर की परीक्षा में पास होने वाले ही गैंग के सक्रिय सदस्य बन पाते थे। ये लोग ऐलेक्ज़ेंडर की खास टीम का हिस्सा होते थे।
अली अमानी ने बहुत चतुराई से जावेद हक नाम के एक बांग्लादेशी युवक को ऐलेक्ज़ेंडर के गैंग का हिस्सा बनवा दिया था।
जावेद हक अली का वफादार था। वह बहुत ही दिलेर और बुद्धिमान था। अपनी दिलेरी और बुद्धिमत्ता के कारण ही वह चौथे दौर में ऐलेक्ज़ेंडर की पैनी निगाहों को छल सका था।
जावेद हक ऐलेक्ज़ेंडर के गैंग में अली अमानी की आँख और कान बन कर काम कर रहा था। लेकिन साथ ही उसने ऐलेक्ज़ेंडर का विश्वास भी पूरी तरह जीत लिया था। ऐलेक्ज़ेंडर अब अपने पुराने साथियों से अधिक उस पर यकीन करता था।
रॉकी को अली अमानी की इस चाल का पता लग गया था। अब ज़रूरत थी तो जावेद हक की असलियत सामने लाकर अली अमानी का पर्दाफाश करने की। ऐसा होने पर ऐलेक्ज़ेंडर का विश्वास आसानी से जीता जा सकता था। वह जावेद हक को फंसाने की युक्ति सोंचने लगा।
रॉकी ने भी बहुत सावधानी से दो लोगों को अपने साथ काम करने के लिए चुना था। एक बेंजामिन था जो की केन्या का रहने वाला था। वह बहुत ही फुर्तीला व मार्शल आर्ट का जानकार था। दूसरा भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक रोहित वासवानी था। रोहित भी टेक्नोलॉजी का एक्सपर्ट था। वह एक कमाल का हाइकर था।
अली अमानी एक बहुत ही शानदार बंगले में रहता था। इस बंगले के चप्पे चप्पे पर सिक्योरिटी कैमरा लगाए गए थे। जिस कमरे में अली दूसरों के साथ मीटिंग करता था वहाँ भी कैमरा था। सिर्फ अली अमानी की ख्वाबगाह को छोड़ कर हर हिस्सा कैमरे की नज़र में था। बंगले के एक हिस्से में कंट्रोल रूम था। जहाँ कुछ लोगों की टीम हर कैमरे से मिली फुटेज को बड़े ध्यान से देखती थी। पूरी मुस्तैदी रखी जाती थी कि अली अमानी की इस दुनिया में कोई अनचाहा प्रवेश ना पा सके।
रॉकी ने रोहित से कहा कि वह किसी तरह अली अमानी के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक कर उस कमरे की फुटेज प्राप्त करे जहाँ अली अमानी लोगों के साथ मीटिंग करता था।
ऐसेक्ज़ेंडर पिछले कुछ समय से महसूस कर रहा था कि उसके बिज़नेस की बातें अली अमानी तक पहुँच रही हैं। जावेद हक ने उसका विश्वास इस तरह जीत रखा था कि उसने यह बात अपने पुराने साथियों से ना कर जावेद के साथ ही साझा की। जावेद ने उसे आश्वासन दिया कि वह जल्दी ही गुनहगार का पता लगा कर बताएगा।
जावेद हर जुम्मे को नमाज़ के लिए मस्जिद जाता था। नमाज़ के बाद वह वहीं से सीधा अली अमानी के बंगले पर जाता था। पर ऐलेक्ज़ेंडर ने जब उसे बताया था कि कोई उसके बिज़नेस के राज़ बाहर भेज रहा है तब से वह सचेत हो गया था। उसने अली अमानी से कह दिया था कि कुछ दिनों तक वह उससे नहीं मिलेगा। अगर कोई बहुत महत्वपूर्ण बात होगी तब ही वह उसके पास आएगा।
ऐलेक्ज़ेंडर के पुराने साथियों में एक मॉरिस था। उसे जावेद का इस तरह ऐलेक्ज़ेंडर के करीब आना पसंद नहीं था। पिछले कई सालों से वह ऐलेक्ज़ेंडर का वफादार रहा था। पर जावेद के आ जाने से उसका महत्व कम हो गया था। वह जावेद को रास्ते से हटाना चाहता था।
रॉकी ने बेंजमिन के ज़रिए मॉरिस से संपर्क साधा। मॉरिस से मिल कर उसने कहा कि वह जावेद को रास्ते से हटाने में उसकी मदद कर सकता है। शर्त यह है कि वह उसे ऐलेक्ज़ेंडर का विश्वासपात्र बनने में मदद करे। मॉरिस किसी भी कीमत पर जावेद को हटाना चाहता था। उसने हाँ कर दी।
रॉकी ने पूरा प्लान तैयार कर लिया था। उसने मॉरिस से कहा कि जब ऐलेक्ज़ेंडर द डार्क लेन बार में जाए तो उसे सूचित कर दे। वहाँ वह जब ऐलेक्ज़ेंडर से मिले तो मॉरिस उससे उसकी सिफारिश कर दे।
मॉरिस ने रॉकी ने जैसा कहा था वैसा ही किया। बार में रॉकी ने ऐलेक्ज़ेंडर को बताया कि उसके बिज़नेस की गुप्त बातें बाहर ले जाने वाला जावेद हक है। वह उसका नहीं अली अमानी का वफादार है। अपनी बात को साबित करने के लिए रॉकी के पास सबूत थे।
रोहित ने अली अमानी के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक कर उस कमरे की फुटेज प्राप्त की थीं जिनमें जावेद अली अमानी से मिल रहा था। रॉकी ने अपने मोबाइल पर वह फुटेज ऐलेक्ज़ेंडर को दिखाईं। फुटेज को देख कर ऐलेक्ज़ेंडर आग बबूला हो गया।
रॉकी ने ऐलेक्ज़ेंडर से कहा कि यदि वह जावेद को रंगे हाथों पकड़ना चाहता है तो उसके पास एक प्लान है। ऐलेक्ज़ेंडर जावेद को रंगे हाथों पकड़ कर सख्त सज़ा देना चाहता था। उसने रॉकी का प्लान सुना तो उसे अच्छा लगा।
जावेद ताज़ा मिली महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए अली अमानी से मिलने जा रहा था। वह बहुत सावधानी बरत रहा था। उससे कुछ दूरी बना कर एक कार में ऐलेक्ज़ेंडर अपने साथी मॉरिस के साथ उसका पीछा कर रहा था। वह एक ऐसी कार प्रयोग कर रहा था जो उसने कभी प्रयोग नहीं की थी।
जावेद ने अपनी कार बंगले से कुछ पहले ही रोक दी। वह उतर कर पैदल बंगले की ओर बढ़ने लगा। बंगले के चारों तरफ कई पेड़ लगे थे। जावेद सावधानी से बंगले की तरफ बढ़ रहा था। अभी बंगला कोई चार सौ मीटर दूर था।
ऐलेक्ज़ेंडर ने भी अपनी कार रोक दी। वह अपने साथी मॉरिस के साथ जावेद के पीछे लग गया। कुछ आगे जाकर ऐलेक्ज़ेंडर ने जावेद को घेर लिया। उसे सामने देख कर जावेद का हलक सूख गया। उसके पास कहने को कुछ नहीं था। ऐलेक्ज़ेंडर ने अपनी मजबूत बांह में दबा कर उसकी गर्दन तोड़ दी।
जावेद की असलियत सामने लाने के कारण रॉकी ऐलेक्ज़ेंडर की निगाह में चढ़ गया था। धीरे धीरे उसने ऐलेक्ज़ेंडर से दोस्ती कर ली। वह उसके साथ मिल कर ड्रग्स का कारोबार करने लगा।
रॉकी बड़े धैर्य से काम ले रहा था। वह अपने आचरण के माध्यम से ऐलेक्ज़ेंडर का भरोसा पूरी तरह जीतना चाहता था। पर जावेद के हाथों छला गया ऐलेक्ज़ेंडर अब किसी पर भी पूरा यकीन नहीं कर सकता था। रॉकी इस बात को समझ रहा था। अतः वह किसी तरह की जल्दबाज़ी नहीं कर रहा था।
रॉकी संयम के साथ बड़ी चतुराई से लंदन में ड्रग्स के कारोबार की सारी जानकारियां प्राप्त कर रहा था। उसका धैर्य रंग लाया। एक साल तक ऐलेक्ज़ेंडर के साथ साए की तरह रहने के बाद आखिरकार वह उसका विश्वास जीतने में सफल रहा।



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