Gumshuda ki talash - 40 books and stories free download online pdf in Hindi

गुमशुदा की तलाश - 40


गुमशुदा की तलाश
(40)



रॉकी के आदमी सरवर खान को कार में बैठा कर जंगल की तरफ ले जा रहे थे। एक आदमी कार चला रहा था। दूसरा सरवर खान के साथ पिछली सीट पर बैठा था।
पिछली सीट पर बैठे आदमी ने सरवर खान से कहा।
"खान साहब....बस कुछ ही देर में आप इस दुनिया को छोड़ कर जन्नत के लिए निकलने वाले हैं। कैसा लग रहा है ?"
अपनी बात कह कर वह खी खी कर हंसने लगा। कार चलाने वाला आदमी बोला।
"तुम भी क्या पूँछ रहे हो कैसा लग रहा है ? अरे ये भी कोई पूँछने वाली बात है। हिली पड़ी होगी...."
दोनों लोग ज़ोर से ठठा कर हंसने लगे।
सरवर खान एकदम शांत बैठे थे। उनका दिमाग तेजी से सोंचने में लगा था कि कैसे इन लोगों से बचा जाए। ज़रा भी ढीले पड़े तो सचमुच अभी ही कब्र में सोना होगा। कुछ ना कुछ करके खुद को बचाना होगा।
हंस लेने के बाद दोनों चुप हो गए। पिछली सीट वाला आदमी फिर बोला।
"घबराइए मत....हम हौले से गोली मारेंगे।"
"अबे क्या बकवास कर रहा है। गोली तो अपने हिसाब से निकलेगी। भेजा चीरती हुई पार निकल जाएगी। पर सुना है इसका भेजा बड़ा कीमती है।"
"होगा....पर मेरी गोली से परखच्चे उड़ जाएंगे।"
दोनों फिर हंसने लगे। अपने बड़बोलेपन में पिछली सीट पर बैठा आदमी लापरवाह था। वह गन हाथ में लिए ज़ोर ज़ोर से हंस रहा था।
सरवर खान ने सोंचा। अब या तो आर या पार। उन्होंने फुर्ती से गन उससे छीन ली। जब तक वह कुछ करता उसकी कनपट्टी पर गोली मार दी।
गोली चलते ही कार चलाने वाले ने ब्रेक मार कर गाड़ी रोकी। पर जब तक वह भी कुछ करता सरवर खान ने उसके सर में भी गोली मार दी। वह फौरन कार से उतर कर बाहर आए। कार इस समय जंगल के रास्ते में एक सुनसान सड़क पर खड़ी थी।
सरवर खान ने ड्राइविंग सीट पर पड़े आदमी की जेब से उसका मोबाइल निकाला और रंजन का नंबर डायल किया।
उन्होंने रंजन को सारी बात बता दी। रंजन ने बताया कि वह इंस्पेक्टर सुखबीर की टीम के साथ गोवा में ही है। इंस्पेक्टर सुखबीर ने रॉकी की गर्लफ्रेंड को गिरफ्तार कर सारा सच निकलवा लिया है। सरवर खान समझ गए कि वह जैसमिन ही होगी।
सरवर खान ने रंजन से कहा कि वह इंस्पेक्टर सुखबीर की टीम के साथ रॉकी के ड्रीम मैंशन पहुँचे। बिपिन के वहाँ होने की पूरी संभावना है। वह भी वहीं पहुँच रहे हैं।
सरवर खान ने ड्राइविंग सीट पर पड़ी लाश को किसी तरह से खींच कर पिछली सीट पर डाला। उसके बाद कार लेकर ड्रीम मैंशन की ओर चल दिए।
गोवा पुलिस के इंस्पेक्टर नितिन बोरबंकर को साथ लेकर इंस्पेक्टर सुखबीर और उनकी टीम ड्रीम मैंशन पहुँची। उनके पास सर्च वारेंट था। कुछ ही समय में सरवर खान भी वहाँ पहुँच गए।
सरवर खान पुलिस को लेकर फिफ्त फ्लोर पर गए। उन्होंने पुलिस से कमरे का दरवाज़ा खुलवाने को कहा। दरवाज़ा खुलते ही इंस्पेक्टर सुखबीर, नितिन, सरवर खान तीनों कमरे में दाखिल हुए।
बिपिन बेड पर लेटा था। अचानक पुलिस को कमरे में देख कर वह कुछ समझ नहीं पाया। उसकी सेहत बहुत खराब लग रही थी। इंस्पेक्टर सुखबीर ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा।
"हम तुम्हें यहाँ से छुड़ाने आए हैं।"
इंस्पेक्टर सुखबीर की बात सुन कर बिपिन बहुत खुश हुआ। खुशी के अतिरेक में उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। भावुक होकर वह इंस्पेक्टर सुखबीर के गले लग कर रोने लगा। इंस्पेक्टर सुखबीर उसे शांत कराने लगे।
सब लोग बिपिन को लेकर मैंशन के बाहर आ गए। सब इंस्पेक्टर नीता और रंजन भी बहुत खुश हुए। बिपिन को पहले अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डॉक्टरों ने उसकी जांच की।
डॉक्टरों ने कहा कि बिपिन को लगभग एक साल तक कमरे में बंद करके रखा गया था। इससे उसकी सेहत पर बुरा असर पड़ा है। बिपिन मजबूत इच्छा शक्ति का है। इसलिए टूटा नहीं। पर अच्छा होगा यदि कुछ दिन रुक कर उसका बयान लिया जाए।
बिपिन को राकेश तनवानी के मैंशन से बरामद किया गया था। जैसमिन ने भी बयान दिया था कि राकेश तनवानी और रॉकी एक ही हैं। राकेश तनवानी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
सरवर खान ने इंस्पेक्टर सुखबीर को बताया कि कैसे उस दिन ईगल क्लब में रॉकी ने उन्हें और सब इंस्पेक्टर राशिद को बंदी बना लिया था। सब इंस्पेक्टर राशिद को अपने लिए खतरा समझ कर उसने उसे जान से मार दिया। इंस्पेक्टर सुखबीर अपने सब इंस्पेक्टर की मौत की खबर सुन कर बहुत दुखी हुए।
"इंस्पेक्टर सुखबीर....यह राकेश तनवानी उर्फ रॉकी मानवता का दुश्मन है। इसे कानून की तरफ से कड़ी सज़ा दिलाइएगा।"
"सरवर जी....हम इसे कानून के शिकंजे में ऐसा फंसाएंगे कि यह जाल में फंसी मछली की तरह तड़पेगा।"
सब इंस्पेक्टर नीता और रंजन भी वहाँ आ गए। इंस्पेक्टर सुखबीर ने बधाई देते हुए कहा।
"सरवर जी आपने एक और केस सॉल्व कर लिया। आपको यूं ही देश का बेहतरीन जासूस नहीं कहा जाता है।"
"इंस्पेक्टर सुखबीर यह सब आपके और आपकी टीम के सहयोग के कारण ही हो पाया है। आपका बहुत शुक्रिया।"
रंजन ने भी आभार प्रकट करते हुए कहा।
"सर आप ठीक कह रहे हैं। इंस्पेक्टर सुखबीर और सब इंस्पेक्टर नीता ने इस केस में हमारी बहुत मदद की है।"
सब इंस्पेक्टर नीता ने कहा।
"रंजन हम पुलिसवाले है। यह हमारा कर्तव्य है।"
बिपिन के मिलने की खबर पाते ही नीलिमा दास गोवा पहुँच गईं। उन्होंने सरवर खान और पुलिस का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।
सरवर खान उन्हें बिपिन से मिलाने अस्पताल ले गए। नीलिमा एकदम से बिपिन के सामने नहीं जाना चाहती थीं। वह बाहर रुक गईं।
सरवर खान को देख कर बिपिन बहुत खुश हुआ। तकिए के सहारे बैठते हुए बोला।
"सर मैं आपका और पुलिस का बहुत एहसानमंद हूँ। अब मेरी हिम्मत टूटने लगी थी। अगर आप लोगों ने मुझे मुक्त ना कराया होता तो मैं वहीं घुट घुट कर मर जाता।"
सरवर खान गंभीरता से बोले।
"एहसान मानना है तो उसका मानो जिसने मुझे तुम्हारा केस सौंपा।"
"सर मैं भी जानना चाहता हूँ कि किसने आपको मेरा केस सौंपा।"
सरवर खान ने बिपिन की आँखों में देखते हुए कहा।
"तुम्हारी माँ नीलिमा जी के अलावा तुम्हारी इतनी फिक्र किसे हो सकती है।"
अपनी माँ का नाम सुन कर बिपिन कुछ असहज हो गया।
"बिपिन मैं तुम्हारे व्यक्तिगत मामलों में दखल नहीं दे रहा हूँ। लेकिन यदि मुझ पर यकीन हो तो मैं बता दूँ कि नीलिमा जी के दिल में तुम्हारे लिए अथाह प्यार महसूस किया है मैंने। वो बाहर खड़ी हैं। मैं उन्हें अंदर भेजता हूँ।"
सरवर खान बाहर चले गए। कुछ ही देर में नीलिमा कमरे में आईं। बिपिन नज़रें झुकाए अपने बिस्तर पर बैठा था। नीलिमा पास पड़े स्टूल पर बैठ गईं।
"कैसे हो बेटा ?"
बिपिन कुछ नहीं बोला।
"मैं जानती हूँ कि तुम मुझे पसंद नहीं करते। पर क्या करूँ। माँ हूँ...मन नहीं माना तो आ गई। तुम्हारे लापता हो जाने से मेरे लिए जीना मुश्किल हो गया था।"
नीलिमा अपने मन की बात कहती जा रही थीं। पर बिपिन के मन में एक हलचल सी मची थी। जब रॉकी की कैद में वह हालात से लड़ रहा था तब रह रह कर एक ही चेहरा उसकी आँखों के सामने आता था। उसकी माँ का। वह लाख भुलाने की कोशिश करता था। पर अपनी माँ का चेहरा उसकी आँखों में घूमता रहता था। धीरे धीरे उसने अपनी माँ के चेहरे को स्वीकार कर लिया। वह चेहरा उसे तसल्ली और हिम्मत देने लगा।
नीलिमा उठ कर जाने लगीं। वह दरवाज़े तक पहुँची थीं कि बिपिन की आवाज़ आई।
"मम्मी...."
नीलिमा को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने बिपिन की तरफ देखा। उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे।
उन्होंने दौड़ कर बिपिन को गले लगा लिया।
बाहर सरवर खान नीलिमा की राह देख रहे थे। नीलिमा बाहर आईं। हाथ जोड़ कर बोलीं।
"आपने सचमुच मेरे खोए हुए बेटे को ढूंढ़ दिया।"

बिपिन के ठीक होने पर पुलिस ने उसका बयान दर्ज़ किया।
उस रात बिपिन को एक अंजान जगह ले जाया गया। वह उस आदमी के आने की राह देख रहा था जिससे उसे मिलना था। पर किसी ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया।
जब वह होश में आया तो उसने खुद को एक प्रयोगशाला में पाया। वह समझ गया कि उसके साथ धोखा हुआ है। रॉकी जब उससे मिलने आया तो उसे धमका कर बोला कि अब वह उसके चंगुल में है। अतः जैसा वह चाहता है उसे करना पड़ेगा। रॉकी चाहता था कि उसकी खोज का प्रयोग वह नशा बनाने में करे।
बिपिन ने दिमाग से काम लिया। उसने सोंचा कि यदि वह मना करेगा तो वह उसकी रीसर्च जो उसके लैपटॉप में है का प्रयोग किसी और से करा लेगा। इसलिए उसने हाँ कर दी।
जब उसे अपनी फाइल और लैपटॉप मिल गए तो उसने चालाकी से उन्हें नष्ट कर दिया। रॉकी बौखला गया। उसने बिपिन को ड्रीम मैंशन के उस कमरे में कैद कर दिया। उसे धमकी दी कि या तो उसकी बात माने वर्ना यहीं घुट घुट कर मर जाएगा।
राकेश तनवानी उर्फ रॉकी को कानून ने कड़ी सज़ा दी। जैसमिन को भी उसका साथ देने के लिए सज़ा मिली।
पूरी तरह से ठीक होने के बाद बिपिन ने चिंता हरण फूल से अवसाद की दवा बना ली। एक फार्मास्यूटिकल कंपनी उसे सस्ते दामों में बाज़ार में ले आई।












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