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स्वयंवधू - उपन्यास
Sayant
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
मैंने सुना था कि ज़िंदगी सभी को मौका देती है, यहाँ तक कि उसे भी जो इसके लायक नहीं होते। मैंने सोचा कि मेरे पास भी एक मौका है, लेकिन यह मेरा भ्रम था, वो आज मिटने वाला था...
"कितना लंबा लाइन है। आधे घंटे से यहाँ खड़े हैं, और कितना वक्त लगेगा?!", मैं शिकायत करते हुए लाइन में खड़ी थी,
"चुप-चाप खड़े रहो मैं भी तो यह खड़ा हुआ हूँ!", भाई मुझे डांट रहा था,
"तुम्हें तो आदत है, ना...भाई", उसके ऊपर टेकी लेने की कोशिश कर रही थी,
"पीछे हटो गधी! मुझे तुम्हारी एक शिकायत नहीं सुननी। तुम्हारे ही अलास के कारण हम यहाँ देर से पहुँचे और यहाँ एक घंटे से फँसे हुए हैं। अब दूर हटो और सीधे खड़ी हो!", मुझे पीछे ढकेलते हुए कहा,
"गलती किसकी थी बताना, हाँ? तुम्हारे ही पेट का इंतज़ाम कर रही थी!", मैं भी आज अच्छे मूड में नहीं थी, सुबह से लग रहा है कुछ होने वाला है, कुछ होने वाला है।
मैंने सुना था कि ज़िंदगी सभी को मौका देती है, यहाँ तक कि उसे भी जो इसके लायक नहीं होते। मैंने सोचा कि मेरे पास भी एक मौका है, लेकिन यह मेरा भ्रम था, वो आज मिटने वाला था... ...और पढ़ेकितना लंबा लाइन है। आधे घंटे से यहाँ खड़े हैं, और कितना वक्त लगेगा?! , मैं शिकायत करते हुए लाइन में खड़ी थी, चुप-चाप खड़े रहो मैं भी तो यह खड़ा हुआ हूँ! , भाई मुझे डांट रहा था, तुम्हें तो आदत है, ना...भाई , उसके ऊपर टेकी लेने की कोशिश कर रही थी, पीछे हटो गधी! मुझे तुम्हारी एक शिकायत नहीं सुननी। तुम्हारे
"...फिर से कहना?", मुझे एक पल के लिए अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ,"अभी नहीं!", वह इतना शांत था जैसे कि वह इस जगह का मालिक हो।(त-तुम! मैं जानती थी! मैं जानती थी! मुझे पता था ये मानसिक रूप ...और पढ़ेपरेशान आदमी होगा!)उसने वो दवाइयाँ मुझ कर फेंक दीं और वो वही उस कुर्सी पर जाकर बैठ गया।(इस आदमी में रत्तीभर कि भी शर्म नहीं है। ऐसे ही बैठ गया?!)दवाइयाँ मेरे हाथ में बड़ी लग रही थी। थोड़ी देर बाद...उसकी नज़र मुझ पर थी जैसे वो मुझसे कह रही थी कि इसे ले लो। मैं घबरा गयी, कुछ समझ नहीं
'समीर बिजलानी और मान्या बिजलानी के बेटे, वृषा बिजलानी अब एकमात्र प्रतिभाशाली उत्तराधिकारी हैं, जो इस कॉर्पोरेट जगत में कदम रखने के दिन से ही अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं और पहले से ही शीर्ष पर हैं। वह एक ...और पढ़ेव्यवसायी हैं और वर्तमान में बिजलानी को भारत और दुनिया भर में अग्रणी ब्रांड बनाने के लिए दुनिया भर में काम कर रहे हैं।'और भी बहुत सी बातें लिखी गईं थी लेकिन वह वृषा जी के बारे में नहीं थी।'समीर बिजलानी ने कैसे इस ब्रांड को सफल बनाने के लिए अपनी सारी जवानी लगा दी और अभी भी काम कर
अभी तक वृषाली का अपहरण किए उसे कैद में रख, उसका जीवन सामान्य ही चल रहा है लेकिन मासिकधर्म एक लड़की के लिए काफी मुश्किल समय होता है खासकर जब उसके पास उसका मानसिक चैन ना हो और जो ...और पढ़ेअंतर्मुखी हो। देखते है वृषा-वृषाली इसे कैसे संभालते है। दाईमाँ की क्या योजना है, यह भी देखना होगा।
"क्या लगा हमे बेघर कर साँस भी ले पाओगी?", मेरी बुआ ने कहा,"किस जोंक से बात खर रही हो?", वृषा ने पूछा,"देखो दुनियावालों, कैसे अपने आशिक के साथ भरे बाज़ार में मेरा शोषण कर रही है! कोई मेरी मदद ...और पढ़ेबीच बाज़ार में वो चिल्लाने लगी। क्ता करूँ, कैसे करूँ...मम्मा-डैडा के साथ क्या हो रहा होगा। वृषा क्या करेगा? मैं इस स्थिति को कैसे संभालूँ ताकि किसी का सिर ना कटे!