Uljhan book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Uljhan is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
उलझन. - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
निर्मला एक छोटे से गाँव की सीधी सादी लड़की थी। वह पढ़ने में बहुत ही तेज थी और आगे पढ़कर जीवन में तरक्क़ी करना चाहती थी। लेकिन गाँव में आठवीं के आगे स्कूल न होने के कारण उसे पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। इस बात का दुख निर्मला के मन में एक कसक बनकर हरदम चुभता ही रहता था।
उसने अपने बाबूजी धीरज से कहा, "बाबूजी मुझे शहर भेज दो ना, मैं आगे और पढ़ाई करना चाहती हूँ।"
उन्होंने इनकार करते हुए कहा, "नहीं बेटा, शहर की लड़कियों जैसा नहीं बनाना है तुझे। आठवीं तक पढ़ ली ना, अनपढ़ तो नहीं रखा तुझे। बस अब तेरा ब्याह हो जाए तो हमारी चिंता और जवाबदारी दोनों ख़त्म।"
उसके पिता का यह वाक्य निर्मला के मन में अग्नि की एक ऐसी ज्वाला भड़का गया जो बुझ ही नहीं पाई। इसी आग की ज्वाला में वह हमेशा जलती रही। उसने कई बार कोशिश करी लेकिन अपने बाबूजी को नहीं मना पाई।
निर्मला एक छोटे से गाँव की सीधी सादी लड़की थी। वह पढ़ने में बहुत ही तेज थी और आगे पढ़कर जीवन में तरक्क़ी करना चाहती थी। लेकिन गाँव में आठवीं के आगे स्कूल न होने के कारण उसे पढ़ाई ...और पढ़ेदेनी पड़ी। इस बात का दुख निर्मला के मन में एक कसक बनकर हरदम चुभता ही रहता था। उसने अपने बाबूजी धीरज से कहा, "बाबूजी मुझे शहर भेज दो ना, मैं आगे और पढ़ाई करना चाहती हूँ।" उन्होंने इनकार करते हुए कहा, "नहीं बेटा, शहर की लड़कियों जैसा नहीं बनाना है तुझे। आठवीं तक पढ़ ली ना, अनपढ़ तो नहीं
अपने बेटे प्रतीक के रिश्ते के लिए कमला ने अपने मन में पल रहे डर के कारण गोपी से कहा, "प्रतीक के विवाह के लिए मेरी एक शर्त है।" "शर्त ... कैसी शर्त?" "मुझे शहर की नहीं, किसी गाँव ...और पढ़ेबहू चाहिए।" "यह क्या कह रही हो कमला? क्या प्रतीक मानेगा?" "उसे मानना ही होगा हमारे लिए। गाँव की लड़कियों में आज भी संस्कार देखने को मिलते हैं, जो शहर से कब के नदारद हो चुके हैं।" "चलो देखते हैं तुम्हारा लाडला क्या कहता है?" वह दोनों इस तरह की बातें कर ही रहे थे कि तभी प्रतीक अपने ऑफिस
प्रतीक के माता पिता को भी निर्मला और उसका परिवार पसंद आ गया था। वह ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापस लौटे। प्रतीक को भी निर्मला का फोटो दिखा कर कमला ने पूछा, "कैसी लगी लड़की की तस्वीर?" "अच्छी है माँ, ...और पढ़ेपढ़ी लिखी है?" कमला ने झूठ कह दिया, "11वीं तक पढ़ी है इसके आगे गाँव में स्कूल नहीं है।" "क्या ...? इतनी कम पढ़ी लिखी लड़की से शादी?" "चुप कर प्रतीक, हमारे घर में कहाँ कोई कमी है कि हमें उसे नौकरी करवानी पड़े।" "माँ बात सिर्फ़ नौकरी की ही नहीं होती, पढ़ाई से ..." "हाँ-हाँ सब जानती हूँ मैं।
निर्मला ने अपनी पढ़ाई के बारे में कुछ भी नहीं छिपाया, जो सच था वह बता दिया। लेकिन वह हैरान ज़रूर थी कि उसके ग्यारहवीं तक पढ़ी होने की बात किसने कही। वह समझ गई कि यदि प्रतीक को ...और पढ़ेपहले से ही मालूम होता तो उसके हाव-भाव इस तरह से ना बदलते। वह यह भी समझ गई कि प्रतीक ख़ुश नहीं है। उसे दुःखी देखकर निर्मला ने कहा, "आप चिंता मत कीजिए, मैं आगे पढ़ाई ज़रूर कर लूंगी।" प्रतीक ने अपने आप को संभाला और उसके बाद उसने कहा, "ठीक है पढ़ लेना" और लाइट बंद कर दी। प्रतीक
बुलबुल और प्रतीक के बीच बढ़ती नज़दीकियों को देखकर कुछ लोगों ने बुलबुल के कानों तक यह बात पहुँचा ही दी कि प्रतीक शादीशुदा है। प्रतीक के विषय में यह जानने के बाद भी बुलबुल के लिए उसके बढ़े ...और पढ़ेकदमों को रोकना अब आसान नहीं था। अब तक वह प्रतीक को अपने दिल में जगह दे चुकी थी। बुलबुल यह सच प्रतीक के मुँह से सुनना चाहती थी। कैंटीन में चाय पीते समय एक दिन उसने प्रतीक से पूछा, "प्रतीक क्या तुम्हारा विवाह हो चुका है?" "हाँ हो चुका है लेकिन जबरदस्ती मेरी मर्जी के खिलाफ़। मैं उसके साथ